ही फ्रेंड्स, मैं अर्पणा अपनी स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट लेके आप सब के सामने हाज़िर हू. अगर आपने पिछला पार्ट नही पढ़ा है, तो पहले उसको ज़रूर पढ़े. आपको पिछला पार्ट ज़रूर पसंद आएगा.
पिछले पार्ट में आपने पढ़ा था, की मैं अपने बाय्फ्रेंड से लड़ कर उसकी बर्तडे पार्टी से निकली. रास्ते में बहुत बारिश हो रही थी, और अचानक से मेरी गाड़ी बंद हो गयी. फिर अंकल मुझे अपने घर ले गये, और उन्होने कहा की वो बारिश बंद होने के बाद मेरी गाड़ी ठीक कर देंगे.
क्यूंकी मैं भीगी हुई थी, और मुझे ठंड लग रही थी, तो उन्होने मुझे कपड़े दिए पहनने को. मैं छ्होटे से स्टोररूम में कपड़े बदल रही थी, जब पीछे से मेरे चूतड़ में कील घुस गयी. मैं दर्द से चीखने लगी. तभी अंकल ने आके मेरे चूतड़ में से बह रहे खून पर मूह लगा लिया. अब आयेज बढ़ते है.
अंकल मेरे चूतड़ पे मूह लगा कर चूस रहे थे, और मेरे हाथ सामने की दीवार पर थे. मुझे ठंड भी लग रही थी. अंकल का बाया हाथ मेरी जाँघ पर था, और दाया मेरे दूसरे चूतड़ पर. वो मेरा खून चूस रहे थे. धीरे-धीरे मुझे इसमे मज़ा आने लगा, और मैं गरम होने लगी.
जब कोई मर्द आपके चूतड़ चूसेगा, तो आपको गर्मी तो चढ़ेगी ही. मैं भूल गयी, की वो आदमी मेरे बाप की उमर का था, और मैने अपनी गांद हिलनी शुरू कर दी. मेरे गांद हिलने से शायद अंकल समझ गये की वो आयेज बढ़ सकते थे. और उन्होने किया भी ऐसा ही.
उन्होने मेरी पनटी नीचे करके मेरे पैरों तक कर दी. फिर उन्होने दोबारा मेरे पीछे मूह लगा लिया. लेकिन इस बार उन्होने मूह मेरे ज़ख़्म पर नही लगाया, बल्कि छूतदों के बीच मेरी छूट पर लगा लिया. जैसे ही उनकी जीभ ने मेरी छूट को च्छुआ, मैं सिहार उठी. मेरे मूह से वासना से भारी आहह निकल गयी, और मैने गांद थोड़ी और पीछे कर दी.
अंकल समझ गये की मैं क्या चाहती थी, और उन्होने कुत्तों की तरह मेरी छूट चाटनी शुरू कर दी. मैं आहह आ करने लगी, और गांद हिलने लगी. अंकल मेरी छूट छाते जेया रहे थे. फिर उन्होने एक हाथ से मेरी छूट का मूह खोला, और उसके अंदर जीभ घुसा दी. इससे मैं और पागल हो गयी.
वो अपने हाथ से मेरी छूट के दाने को पकड़ कर मसालने लग गये. मेरी छूट तो मानो आग छ्चोढ़ रही हो. कुछ देर ऐसा ही करते रहने के बाद वो मेरे छूतदों पर किस करने लगे. फिर बॅक पर किस करते हुए वो खड़े हुए, और उन्होने मुझे अपनी तरफ घुमा लिया. मेरी आँखों में भारी चूड़ने की इक्चा अंकल की अनुभवी आँखों ने देख ली.
उन्होने मेरी ब्रा पर हाथ डाला, और उसको खींच कर निकाल दिया. अब मैं उनके सामने पूरी नंगी थी, और मेरे सेक्सी काससे हुए बूब्स उनके सामने थे. बूब्स देखते ही अंकल ने अपने दोनो हाथ मेरे बूब्स पर रख दिए, और उन्हे मसालने लग गये. बूब्स मसालते हुए उन्होने मेरी तरफ देखा, तो मैने उनको स्माइल पास की.
फिर वो आयेज हुए, और उन्होने मेरा बाया बूब अपने मूह में डाल लिया. अब वो ज़ोर-ज़ोर से मेरा बूब चूसने लगे, जिससे मुझे और गर्मी चढ़ने लगी. अपने दूसरे हाथ से वो मेरे दूसरे बूब्स को मसल रहे थे. मैं तो मदहोश हो चुकी थी. फिर उन्होने मेरा बाया बूब मूह से निकाला. वो बिल्कुल लाल हो चुका था. उसके बाद वो मेरा दाया बूब चूसने लगे.
15 मिनिट तक वो ऐसे ही बूब्स चुसाई करते रहे. उसके बाद उन्होने अपने कपड़े उतारे, और पुर नंगे हो गये. उनका लंड कम से कम 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा था. ये मेरे बाय्फ्रेंड के लंड से बड़ा और मोटा था. उनका लंड देख कर मैं खुश हो गयी, और वही किया जो हर लड़की चूड़ने से पहले करती है.
जी हा, मैं घुटनो पर बैठ गयी, और उनके लंड पर किस करके लंड को अपने मूह में भर लिया. लंड से थोड़ी बदबू आ रही थी, लेकिन वासना की आग में जल रही लड़की को इससे कोई फराक नही पड़ता. मैं ज़ोर-ज़ोर से उनके लंड को चूसने लग गयी. 5 मिनिट बाद लंड चुसाई की कमान अंकल ने संभाली, और मेरे सर पर हाथ रख कर मूह में तेज़-तेज़ धक्के देने लगे.
मूह में से बहुत थूक निकल रही थी, जो लंड से होते हुए नीचे तपाक रही थी. छाप-छाप की आवाज़े आ रही थी, जैसे छूट छोड़ने पर आती है. कुछ देर मूह छोड़ने के बाद उन्होने मुझे खड़ा किया, और अपनी बाहों में उठा कर बेडरूम ले जाने लगे. उन्होने इतनी आसानी से मुझे उठा लिया, जैसे मैं कोई हल्की-फुल्की डॉल थी. मेरे ब्फ ने भी मुझे कभी ऐसे नही उठाया था.
बेडरूम में जाके उन्होने मुझे बेड पर लिटाया, और घोड़ी बनने को कहा. मैं गांद बाहर निकाल कर घोड़ी बन गयी. फिर उन्होने पीछे से लंड मेरी छूट पर सेट किया, और पुश करते-करते पूरा अंदर डाल दिया. मेरी ज़ोर की चीख निकली, और वो हल्के धक्के मार कर मेरी चुदाई करने लगे.
जैसे ही लंड पूरी तरह अड्जस्ट हो गया मेरी छूट में, उन्होने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी, और ज़ोर-ज़ोर से मुझे छोड़ने लगे. मैं आ आ करके अंकल के बड़े लंड का मज़ा ले रही थी. वो मेरी गांद पर थप्पड़ भी मार रहे थे, जो मुझे और हॉर्नी बना रहा था.
कुछ देर ऐसे ही छोड़ने के बाद उन्होने मुझे सीधा किया, और मिशनरी पोज़िशन में आके मुझे छोड़ना शुरू कर दिया. कुछ देर पहले मैं ठंड से काँप रही थी, और अब मेरे शरीर पर चुदाई का पसीना था. बड़ा मज़ा आ रहा था. मैं आ आ कर रही थी, और अंकल तबाद-तोड़ मेरी छूट में लंड पेल रहे थे.
तकरीबन आधा घंटा हमारी धक्का-पेल चुदाई ऐसे ही चली. मैं टीन बार पानी छ्चोढ़ चुकी थी, और मेरी छूट सुन्न हो गयी थी. अब अंकल भी झड़ने वाले थे. अगले कुछ सेकेंड्स में अंकल आहह आ करने लगे. और मुझे मेरी छूट में उनके माल का सैलाब महसूस हुआ.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. कहानी पसंद आई हो, तो शेर करना ना भूले.