हेलो दोस्तों, कैसे है आप सब? मैं कारण फिरसे आ गया एक नयी स्टोरी लेकर. उमीद है की आप सब को ये अनोखी कहानी पसंद आएगी. ये स्टोरी है “रघुवीर” और “राज” की, जो की बचपन से ही दोस्त थे. लेकिन ये दोस्ती धीरे-धीरे कब प्यार में बदल गयी, उन्हे मालूम ही नही था. ये कहानी सॅकी घटना से प्रेरित है. तो चलिए कहानी में चलते है, और पढ़ते है उनकी अनोखी प्रेम कहानी.
रघुवीर दिखने में हॅंडसम था. वो जिम जाता था, इसीलिए उसकी बॉडी काफ़ी अची थी. लेकिन बहुत गरम मिज़ाज का था. इसलिए उसके पापा उसे हमेशा गाली करते थे. लेकिन रघुवीर दिल का बहुत अछा था, इसलिए उसका एक बचपन का दोस्त भी था, जो उसका साथ हमेशा देता था, और उसके पापा से उसको बचाता था. और वो है राज.
राज भी दिखने में बहुत हॅंडसम था. बॉडी जिम वाली नही थी, लेकिन फिट था वो भी. ये खुद से पहले दूसरो की बात को सुनता था. इसलिए हर कोई उससे प्यार करता था. रघुवीर और राज पड़ोसी थे, इसलिए उनकी फॅमिली भी बहुत क्लोज़ थी. ऐसा लगता था एक परिवार ही थे. रघुवीर के गुस्से को सिर्फ़ राज ही काबू कर पाता था. इसलिए उन दोनो ने साथ ही स्कूल ख़तम किया और कॉलेज भी साथ जाने लगे.
लेकिन कॉलेज दूसरे सब्जेक्ट्स के चयन के चलते दोनो अलग-अलग क्लास में जाय्न किए. राज को टीन नये दोस्त मिले जिनका नाम था नेहा, प्रिया और रोहित. रघुवीर को भी चार नये दोस्त मिले. उनका नाम था रिया, नीषा, मलांग और समर. मलांग और समर भी जिम जाते थे रघुवीर के साथ, इसलिए रघुवीर अब उन दोनो के साथ ही ज़्यादा घुल-मिल गया.
अब रघुवीर और राज ज़्यादा नही मिलते थे, क्यूंकी उन्न दोनो की क्लासस अलग होने के वजह से अब मिलना भी कम हो गया. केवल रात के टाइम ही थोड़ी बात होती रहती थी. राज की दोस्त जो नेहा थी, वो राज को पसंद करती थी. इसलिए जब भी मौका मिलता, वो राज के पास ही रहती थी. वो उसके करीब आने की कोशिश करती थी.
उधर नीषा भी रघुवीर को पसंद करने की वजह से उसके साथ ही रहती थी. लेकिन रघुवीर और राज कभी भी नीषा और नेहा के बारे में अलग कुछ नही सोचे थे. ऐसे ही दिन जाते रहा. धीरे-धीरे रघुवीर और राज के दोस्त आपस में घुल-मिल गये, और अब तो कॅंटीन या लाइब्ररी में भी सभी दोस्त मिल कर खाना खाते थे, और खूब मस्ती करते थे.
कॉलेज में एग्ज़ॅम की डटे आ गयी थी. इसलिए अब सब पढ़ाई करने के लिए लाइब्ररी में ज़्यादा रहने लगे. नेहा राज को कुछ डाउट्स पूछने के लिए उसके पीछे से आ कर राज के कंधे के उपर अपना मूह रख कर सवाल पूछने लगी. तभी सब दोस्त मज़ाक बनाने लगे.
प्रिया: मुझे ऐसे ही सवाल पूछना है.
रोहित: आ जाओ, मेरा भी कंधा फ्री है.
तभी सब हासणे लगे नेहा और राज को देख कर. लेकिन रघुवीर को हस्सी नही आया, बल्कि वो पता नही गुस्सा हो गया.
रघुवीर (गुस्से में): ये लाइब्ररी है, कॅंटीन नही की हस्सी-मज़ाक चलेगा.
मलांग: चिल करो यार, इतना गुस्सा क्यूँ हो रहे हो?
रघुवीर: ठीक है, मैं चलता हू. तुम सब मज़ाक जारी रखो.
ये बोल कर रघुवीर वाहा से चला गया, और सभी एक-दूसरे को देखते ही रह गये. जब राज घर पर आया, तभी सीधा रघुवीर के घर चला गया.
राज: आंटी वीर ( राज उसे वीर बुलाता है) कहा है?
आंटी: वो बेडरूम में है, गुस्सा से आया था. क्या बात है बेटा? वो खाना भी नही खाया है.
राज: कुछ नही हुआ है आंटी.
ये बोल कर राज रघुवीर के बेडरूम में चला गया, और देखा की रघुवीर इयरफोन्स लगा कर आँख बंद करके लेट कर गाना सुन रहा था. राज रघुवीर के पास आ कर लेट गया, और उसका एक स्पीकर लेकर अपने कान में लगा कर सुनने लगा.
तभी रघुवीर आँख खोल के देखा, तो साइड पर राज लेता हुआ था, और गाना सुन रहा है. दोनो एक-दूसरे को देखते ही रह गये, और कुछ बात नही बोले. फिर कुछ देर बाद गाना ख़तम हुआ, और दोनो उठ कर बैठ गये.
राज: अब कुछ बोलेगा भी?
रघुवीर: क्या बोलूँगा?
राज: आज जो हुआ लाइब्ररी में.
रघुवीर: क्या हुआ था?
राज: वीर तुम उठ कर गुस्से से क्यूँ चले गये?
रघुवीर: पता नही, बस मुझे गुस्सा आया.
राज: लेकिन क्यूँ आया यार?
रघुवीर: मुझे भी नही पता है यार, इसीलिए तो उठ कर चला आया.
फिर राज ने रघुवीर को एक ज़ोरदार हग किया और बोला-
राज: वीर, हम बचपन से दोस्त है, और आयेज ऐसे ही पक्के दोस्त बन कर रहेंगे यार.
रघुवीर: सॉरी राज आज के लिए.
राज: कोई ना, चलो खाना खाते है.
फिर दोनो साथ मिल कर खाना खाए, और देर रात तक बेडरूम में ही पढ़ाई करने लगे. बीच-बीच में रघुवीर राज को कुछ समझने के लिए जब बोलता, तब राज उसके करीब आ कर उसे समझता. तब रघुवीर सिर्फ़ उसे ही देखता रहता था. ऐसे ही चलता रहा, और दोनो उधर ही सो गये.
आधी रात को राज बातरूम जाने के लिए उठा, और बातरूम जेया कर जब लेटने लगा, तब रघुवीर के मूह को देख कर तोड़ा मुस्कुराया. फिर धीरे से बोला-
राज: वीर, तुम क्या हमेशा ऐसे ही रहोगे. सोते हुए कितने प्यारे लग रहे हो.
तभी रघुवीर फाटाक से राज को अपने तरफ खींच लिया और बोला-
रघुवीर: मैं तो बचपन से ही प्यारा हू, तुम ही नोटीस नही कर रहे हो.
फिर राज हासणे लगा, और रघुवीर उसे अपने छ्चाटी के उपर ही रख कर सोने लगा. जब सुबह हुई, तब राज पहले उठ गया और किताब लेकर अपने घर चला गया. बाद में रघुवीर उठा और रात की बात याद करके मुस्कुराने लगा.
ऐसे ही एग्ज़ॅम्स भी ख़तम हो गये. फिर सभी ने मिल कर जंगल में एक रात की कॅंप बना के रुकने और मस्ती करने का प्लान बनाया. तो सनडे के दिन सब रेडी हुए और जंगल चले गये. पूरा दिन रघुवीर और राज मिल कर ही सब कुछ करने लगे. जब रात को कॅंप के बीच में आग जला कर सब चारो तरफ बैठ कर गाना गेया रहे थे, तभी नेहा राज के पास और नीषा रघुवीर के पास बैठ कर गाना गेया रहे थे.
उस वक़्त नेहा चॉक्लेट खा रही थी. तभी उसने वो चॉक्लेट राज को दी खाने के लिए, और राज खा भी लिया. तब सब फिरसे उन दोनो की टाँग खींचने लगे. अब फिरसे रघुवीर वाहा से उठ कर चला गया.
समर: ओये राज, ये तेरे वीर को क्या हो जाता है?
रोहित: हा यार, ये तो उठ कर चला ही जाता है.
नेहा: जाओ और उसे बुला कर लाओ.
फिर राज गया रघुवीर के पास, और बोला-
राज: वीर, अब क्या हो गया?
रघुवीर: कुछ भी तो नही.
राज: तो उठ कर क्यूँ चले आए?
रघुवीर: तुम मेरा छ्चोढो, और नेहा का फिकर करो.
राज: तुम ऐसे क्यूँ बोल रहे हो?
रघुवीर: हुमको दिखता है नेहा और तुम्हारा क्या चल रहा है.
राज: तुम भी तो नीषा के हाथ से खाना खा रहे थे.
रघुवीर: अर्रे वो तो मेरे हाथ गंदे थे, इसलिए उसने खिला दिया.
राज: तुम दोनो का भी सब दिखता है.
रघुवीर: अगर दिख रहा है तो कोई क्यूँ नही बोल रहा है?
राज: क्यूंकी तुम्हारे गुस्से का कोई शिकार बनना नही चाहता.
रघुवीर: अछा, तो तुम मेरे बारे में ऐसा सोच रहे हो.
राज: तुम बोले तो मैं बोला, बाकी तुम्हारी लाइफ. मैं टेंट में इंतेज़ार कर रहा हू, तुम चले आना सोने.
फिर राज वाहा से चला गया, और रघुवीर एक घंटे के बाद अंदर आया. फिर आ कर वो सीधा राज से चिपक गया.
आयेज की कहानी अगले पार्ट में. अगर कहानी अची लगी तो अपना कॉमेंट मेरी एमाइल ईद