मा जैसी दीदी भाई से जाके चुदी

ही फ्रेंड्स, मैं राजेश उप से आपके सामने अपनी एक कहानी लेके आया हू. मैं 19 साल का हू, और कॉलेज में पढ़ता हू. मेरी हाइट 5’8″ है, और लंड मेरा 6 इंच लंभा और 2.5 इंच मोटा है. आज मैं आप सब को अपनी पहली चुदाई की कहानी बताने जेया रहा हू, जो मेरी दीदी के साथ हुई. तो चलिए शुरू करता हू.

मेरी फॅमिली में मेरे अलावा मा-पापा, और मेरी बड़ी बेहन है. दीदी का नाम कोमल है, और वो मुझसे 15 साल बड़ी है. मतलब मैं उनके हाथो में खेल कर बड़ा हुआ हू. दीदी की अब तक शादी नही हुई, क्यूंकी उनको एक आँख से नज़र नही आता.

पापा ने बहुत से डॉक्टर्स को दिखाया, लेकिन किसी के पास इस चीज़ का इलाज नही था. वैसे अगर आँख की प्राब्लम को इग्नोर करो तो दीदी टोटल पताका है. उनकी हाइट 5’4″, रंग गोरा, और फिगर 36-30-36 का है.

मेरे मॅन में कभी दीदी के बारे में ऐसा कोई ग़लत ख़याल नही आया. वो तो मेरी दूसरी मा थी. लेकिन हालात कुछ ऐसे हो गये की वो मा से मेरी रंडी बन गयी. आइए बताता हू की क्या हुआ था.

कॉलेज पहुँचने तक हर लड़के को सेक्स चाहिए होता है. कॉलेज की माल लड़कियों को देख कर हर कोई उनकी तरफ अट्रॅक्ट होता है. और उपर से पॉर्न देख-देख कर हवस और बढ़ जाती है. मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ.

एक दिन मैं बहुत हॉर्नी हुआ पड़ा था. मैने पॉर्न वीडियो देख रखी थी, और कॉलेज की एक लड़की को भी मैं छोड़ना चाहता था. फिर मैं बातरूम गया, और वाहा जाके मूठ मारने लगा. बातरूम में जाके मैने दरवाज़ा बंद नही किया. लेकिन उस वक़्त मुझे ये नही पता था की मेरी यही ग़लती मेरी ज़िंदगी बदल देगी.

मूठ मारने के बाद मैं बाहर आया. फिर शाम का डिन्नर करके मैं अपने रूम में चला गया. मेरे रूम में आने के तकरीबन एक घंटे बाद मेरे रूम का दरवाज़ा किसी ने नॉक किया. मैने सोचा इस वक़्त कों हो सकता था.

फिर मैने दरवाज़ा खोला तो सामने दीदी खड़ी थी. मैने दीदी को अंदर बुलाया, और पूछा-

मैं: जी दीदी.

दीदी: बेटा तू आज बातरूम में क्या कर रहा था?

मैं: क्या कर रहा था?

दीदी: याद कर.

तभी मेरे ध्यान में आया की मैं तो मूठ मार रहा था. मेरी आवाज़ में कपकपि सी आ गयी. मैं कुछ बोल नही पा रहा था. फिर दीदी फिरसे बोली-

दीदी: बेटा तू जवान हो गया है. इस उमर में ये फीलिंग्स आती है. लेकिन अगर सावधानी ना बरती जाए तो नुकसान हो सकता है.

मैं: जी दीदी.

दीदी: तू जैसे कर रहा था वो ग़लत तरीका है. इधर आ मैं तुझे सही तरीका बतौ.

मैं तोड़ा हैरान था की दीदी क्या बोल रही थी. फिर वो बोली-

दीदी: अर्रे हैरान क्यूँ हो रहा है? मैने तुझे पाला है. मुझसे क्या शरम?

ये बोल कर दीदी ने अपना हाथ मेरे पाजामे के एलास्टिक पर रखा, और उसको उतार दिया. अब मैं अंडरवेर और त-शर्ट में था. फिर दीदी ने मेरा अंडरवेर उतरा, और मेरा लंड उनके सामने आ गया. मेरा लंड सोया हुआ था, क्यूंकी मेरे दिल में उनके लिए ऐसी कोई फीलिंग्स नही थी.

फिर दीदी मेरा लंड पकड़ कर बोली: देख मैं तुझे बताती हू कैसे करना है.

इससे पहले मैं कुछ सोचता, दीदी आयेज बढ़ी, और उसने मेरा लंड अपने मूह में डाल लिया. दीदी की इस हरकत से मैं हैरान हो गया. दीदी ने त-शर्ट और पाजामा पहना हुआ था. अब मुझे एक लड़की दिख रही थी जो मेरा लंड चूस रही थी, और जिसकी गांद बाहर की तरफ निकली हुई थी. ये देख कर मेरा लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा.

अब मेरा लंड पूरी शेप में आ गया था. दीदी ज़ोर-ज़ोर से मेरा लंड चूस रही थी. फिर उन्होने लंड मूह से निकाला, और मेरी तरफ देखते हुए बोली-

दीदी: देख हाथ से हिलाएगा तो कमज़ोर हो जाएगा. हाथ हार्ड होता है, तो लंड कमज़ोर हो जाता है. लेकिन ऐसे कमज़ोरी नही आती क्यूंकी मूह सॉफ्ट होता है.

ये बोल कर उन्होने फिरसे लंड अपने मूह में डाल लिया. जब लंड पूरा चिकना हो गया, तो उन्होने लंड मूह से निकाला, और पूछा-

दीदी: मज़ा आ रहा है बेटा.

मैं: जी दीदी.

दीदी: हा, तेरा लंड बता रहा है. चल अब तुझे और मज़ा देती हू.

ये बोल कर दीदी ने अपना पाजामा और पनटी उतार दी. अब मेरी मा जैसी बेहन मेरे सामने नीचे से पूरी नंगी बैठी थी. मैने पहली बार किसी लड़की की छूट देखी थी. मुझे समझ नही आ रहा था की मैं क्या करू. फिर दीदी बोली-

दीदी: देख क्या रहा है, सीधा लेट जेया.

मैं उनकी बात मान कर सीधा लेट गया. फिर दीदी मेरे उपर आई, लंड पर छूट रख कर बैठ गयी. वाह क्या एहसास था. मैं समझ गया था की अब चुदाई होने वाली थी, तो मैने अपने हाथ दीदी के बूब्स पर रख दिए. जैसे ही मैने बूब्स पर हाथ रखे, दीदी मेरे हाथ पर थप्पड़ मार कर बोली-

दीदी: बदतमीज़, अपनी दीदी के बूब्स को हाथ लगता है. शरम नही आती.

ये सुन कर मैने अपने हाथ पीछे कर लिए. फिर दीदी ने मेरे लंड पर थूका, और अपनी छूट पर सेट किया. फिर वो आ आ करते हुए मेरे लंड पर बैठ गयी. ओह मी गोद, मेरा पूरा लंड दीदी की छूट में था. मुझे जन्नत जैसा फील हो रहा था.

फिर दीदी ने अपने हाथ मेरी चेस्ट पर रखे, और अपनी गांद आयेज-पीछे करने लगी. अब मेरा लंड दीदी की छूट के अंदर-बाहर हो रहा था. धीरे-धीरे दीदी ने स्पीड बधाई, और लंड पर तेज़ी से उछालने लगी. मैं तो मज़े से पागल हो रहा था. ये सब करते हुए दीदी मुझे खुद को हाथ नही लगाने दे रही थी.

अब मेरा निकालने वाला था, तो मैने दीदी को बोलना चाहा. लेकिन उन्होने अपना हाथ मेरे मूह पर रख दिया. वो ऐसे ही उछालती गयी, और मैं आ आ करता हुआ उनकी छूट में झाड़ गया. फिर दीदी मेरे लंड से उतरी, और बोली-

दीदी: आयेज से जब भी दिल करे मुझे बता देना. हाथ से हिलने की ग़लती मत करना.

मुझे समझ नही आया क्या हुआ. दीदी ने मुझे उनको टच करने नही दिया, और सिर्फ़ छूट छुड़वा कर चली गयी. शायद उनकी छूट की आग इतनी बढ़ गयी थी, की वो चुडवाए बिना ताड़ी नही होने वाली थी. साथ ही साथ उन्होने ये भी बता दिया की मैं उनको चू नही सकता. मुझे क्या था, मुझे तो छूट मिल गयी थी छोड़ने को.

कहानी को आगे शेर ज़रूर करे.
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