ही फ्रेंड्स, मेरा नाम अंशुल है. मैं 19 साल का हू, और बंगलोरे से हू. मैं कॉलेज में 1स्ट्रीट एअर का स्टूडेंट हू. मेरी हाइट 5’7″ है, और रंग बहुत गोरा है. जिस्म मेरा बहुत सॉफ्ट है एक-दूं लड़कियों जैसा.
मेरे जिस्म पे बाल बहुत कम है. गांद मेरी उभरी हुई है, और निपल्स खड़े हुए है. सीधे-सीधे काहु, तो भगवान ने मुझे गे बना कर इस दुनिया में भेजा है. लेकिन मुझे इस बात का कैसे पता चला, चलिए इस स्टोरी में बताता हू.
जब से मैं कॉलेज में गया था, मैं क्लास के लड़कों को लड़कियों के बारे में गंदी-गंदी बातें करते हुए सुनता था. उनको ऐसी बातें करने में बहुत ज़्यादा मज़ा आता था. लेकिन मुझे उनकी बातों में कोई इंटेरेस्ट नही था.
ये देख कर वो लोग मुझे हमेशा कहते थे की कही मैं गे तो नही. जिस पर मेरा जवाब होता था की मैं लड़कियों की रेस्पेक्ट करता हू, और उनके बारे में गंदी बातें करना अछा नही समझता.
ये सुन कर वो लोग चुप हो जाते थे. वैसे मेरी लड़कियों से दोस्ती हो जाती थी. लेकिन मेरे अंदर उनके लिए सेक्षुयल फीलिंग्स नही थी. मैने इस बारे में सोचा भी, की ऐसा क्यूँ था. लेकिन मेरी समझ में कुछ नही आया.
मैने इंटरनेट पर सर्च किया गे सिंप्टम्स के बारे में. उसमे लिखा था की गे लड़के दूसरे लड़कों की तरफ अट्रॅक्ट होते है. लेकिन मेरे साथ ऐसा कुछ नही होता था. सो मुझे फील नही हुआ की मैं गे था. पर फिर वो दिन आया जिस दिन सब कुछ चेंज हो गया.
मैं अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने गया. कर्प्फ़ का ग्राउंड था, और आस-पास काफ़ी झाड़ियाँ थी. फिर मॅच शुरू हुआ, और हमारी फीलडिंग की तुर्न आई. सब लड़के हाफ पंत और त-शर्ट में थे.
मैने भी सेम कपड़े पहने हुए थे. लेकिन मेरी हाफ पंत में से मेरी गांद उभरी हुई दिखाई दे रही थी. और मेरी टांगे तो लड़कियों जैसी थी ही, गोरी और बिना बालों के. सब लड़के मुझे ही देखे जेया रहे थे.
मैने सुबा ब्रेकफास्ट ज़्यादा खा लिया था, इसलिए मुझे फीलडिंग करने में दिक्कत आ रही थी. जैसे तैसे मैने फीलडिंग मॅनेज की. अब मुझे ज़ोर की टाय्लेट लगी थी. मैने अपने दोस्त मोहन से पूछा-
मैं: यार मुझे टाय्लेट लगी है. यहा आस-पास कोई टाय्लेट है क्या?
मोहन: आस-पास तो नही है. तू ऐसा कर उन झाड़ियों के पीछे चला जेया. वाहा कुछ दिखाई नही देगा.
मैं वाहा जाना बिल्कुल नही चाहता था, लेकिन प्रेशर बहुत ज़्यादा था. तो मेरे पास कोई ऑप्षन नही थी. फिर मैं वाहा झाड़ियों के पीछे चला गया. वाहा से मुझे कोई नही देख सकता था. मैं पानी की बॉटल साथ ले गया, ताकि गांद धो साकु हल्का होने के बाद.
फिर मैने अपनी निक्कर निकाल कर साइड में रख दी, और अंडरवेर नीचे करके हल्का होने बैठ गया. 5 मिनिट बाद मैं हल्का होके उठा, और अपनी निक्कर पकड़ने लगा. मैने देखा मेरी निक्कर वाहा पर नही थी.
मैने आस-पास देखा, लेकिन मुझे निक्कर कही दिखाई नही दी. तभी मैने देखा की पीछे मेरे दोस्त मोहन और मनोज खड़े थे. उनके हाथ में मोबाइल फोन था, और वो दोनो मुझे देख कर मुस्कुरा रहे थे. मैने मोहन के हाथ में अपनी निक्कर देखी.
फिर मैने उसको बोला: भाई मेरी निक्कर देदे. क्या कर रहा है.
मोहन: भाई अब तो निक्कर पाने के लिए तुझे कुछ करना पड़ेगा.
मैं: ये क्या मज़ाक है? क्या करना पड़ेगा?
मनोज: अब तुझे हमारा लंड चूसना पड़ेगा.
मैं: तुम पागल हो गये हो क्या? ये क्या बकवास कर रहे हो. तुम्हे नही देनी निक्कर तो मत दो. मैं वैसे ही चला जौंगा.
मोहन: अछा, ज़रा ये भी देख ले फिर.
फिर उन्होने मोबाइल में एक वीडियो प्ले की. उस वीडियो में मेरे हल्के होने का पूरा सीन था. मैं वीडियो देख कर चौंक गया.
फिर मोहन बोला: अगर तूने हमारी बात नही मानी, तो मैं ये वीडियो पुर कॉलेज में सर्क्युलेट कर दूँगा. अब तेरी मर्ज़ी है.
मैं उसकी बात सुन कर सोच में पद गया. मुझे और कोई रास्ता नज़र नही आया, तो मैने उनकी बात मान ली. फिर उन दोनो ने अपने लंड निकाल लिए, और मेरे सामने खड़े हो गये. मैने उनसे कहा-
मैं: झाड़ियों के पीछे आ जाओ, यहा कोई हमे देख सकता है.
फिर हम तीनो झाड़ियों के पीछे चले गये. मैं अपने घुटनो के बाल बैठ गया, और दोनो के लंड हाथ में पकड़ लिए. मुझे बड़ा अजीब लग रहा था. मुझे फील हो रहा था, की पता नही मैं ये काम कर पौँगा या नही.
फिर मैने मोहन के लंड को अपने मूह में डाला, और उसको चूसने लग गया. मुझे बड़ा अजीब सा लगा, और मैं लंड बाहर निकालने लगा. लेकिन उसने मुझे रोक दिया, और मेरे बाल पकड़ कर लंड मूह में गले तक धकेल दिया.
मुझे साँस भी नही आ रही थी, और मेरे मूह से थूक बह रही थी. धीरे-धीरे मुझे मज़ा आने लगा, और मैं उसके लंड का स्वाद लेने लगा. दूसरे हाथ से मैं मनोज का लंड हिलाए जेया रहा था.
फिर मोहन ने अपना लंड मेरे मूह से निकाला, और मनोज मेरे सामने घुटनो के बाल बैठ गया. उसका लंड मूह में लेने के लिए मैं झुक कर घोड़ी बन गया, और मज़े से उसका लंड चूसने लगा.
जब मैं उसका लंड चूस रहा था, तब मोहन मेरे पीछे चला गया, और मेरी गांद सहलाने लगा. जब तक मैं कुछ समझ पाता, उसने मेरा अंडरवेर नीचे किया, और अपना लंड मेरी गांद के च्छेद पर रगड़ने लगा.
इससे मैं उछाल पड़ा, लेकिन मनोज ने मुझे कस्स के पकड़ लिया. मनोज का लंड मेरे मूह में ही था. इतने में मोहन ने मेरी गांद के च्छेद पर थूका, और अपना लंड टीका कर ज़ोर का धक्का मारा. मुझे बहुत दर्द हुआ, लेकिन मनोज के लंड ने मेरी चीख रोक दी.
मोहन का आधा लंड मेरी गांद में जेया चुका था, और मेरी दर्द से जान निकल रही थी. लेकिन उसने बिना तरस खाए एक और ज़ोर का धक्का लगाया, जिससे उसका पूरा लंड मेरी गांद में चला गया.
अब मेरी गांद में मोहन का लंड, मूह में मनोज का लंड, और आँखों में आँसू थे. फिर उन दोनो ने अपने लंड मेरे मूह और गांद के अंदर-बाहर करने शुरू कर दिए.
पहले-पहले मुझे गांद में बहुत दर्द हो रहा था, लेकिन धीरे-धीरे मुझे मज़ा आने लगा. ये कुछ ऐसा मज़ा था जो पहले कभी नही आया था. मेरा लंड भी पूरा तन्ना हुआ था, और उसमे से प्रेकुं लीक कर रहा था.
मुझे शांति से गांद चुड़वते देख कर मनोज ने अपना लंड मेरे मूह से निकाल लिया. फिर मेरे मूह से आ आ की आवाज़े निकालने लग गयी. अब मोहन ज़ोर-ज़ोर से मुझे छोड़ने लगा, और मेरी आहें उतनी ही तेज़ी से बढ़ने लगी. 15 मिनिट बाद मोहन ने अपना माल मेरी गांद में ही निकाल दिया.
उसके माल को अपने अंदर फील करके मुझे बहुत मज़ा आया. फिर वो वाहा से चला गया. उसके बाद मनोज मेरे पीछे आया, और उसने भी मुझे वैसे ही छोड़ा. 20 मिनिट तक उसके मुझे छोड़ा, और फिर उसने भी अपना माल मेरी गांद में निकाल दिया. जाते हुए उसने मुझे मेरी निक्कर दी, और मैं वही बैठा रहा थोड़ी देर. आज मुझे अपनी असलीयत का एहसास हो गया था.
कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद. आपका दिन शुभ हो.