कहानी एक गे लड़के की जिसने एक बुड्ढे से शादी की

सो फ्रेंड्स मेरा नामे सिमरन, ओरिजिनल सुमित है. मैं बंगलोरे से हू. मेरे दाद नही है अब इस दुनिया में, और सिर्फ़ मेरी मा है. मेरी आगे 26 हाइट 5’6″, वेट 60 फिगर 32-28-34 है.

ये सच है मेरी ऐसी फिगर मेरे हब्बी ने की है. कोई भी एक बार मेरी गांद और बूब्स देख ले, तो पागल हो जाए, और लंड हिलने लगे. मुझे देख के कोई नही कह सकता, की मैं एक लड़का हू. अब मैं एक हाउसवाइफ हू.

मुझे बचपन से ही लड़कियों की तरह रहना, उनके जैसा बिहेव करना पसंद था. जब मेरी मों को ये पता चला, तो उन्होने मुझे बहुत दांता. पर मुझे चेंज नही कर पाई. फिर मों ने भी ये समझ लिया था, की मेरा कुछ नही होने वाला.

मेरी मा का नामे सुनीता देवी है. वो एक घरेलू महिला है. उसकी आगे 50 है. मेरे हब्बी राजेश (राज) आगे 40, हाइट 6’1″, वेट 75 है. बुत खुद को काफ़ी मेनटेन किया है उन्होने. उनकी 1स्ट्रीट वाइफ की डेत हो गयी है. उनका एक बेटा भी है रोहन 9 साल का, जो की अब मुझे मों बुलाता है.

मैं बचपन से गाओं में रहा हू. वाहा हमारा एक घर, खेत, 2 कोवा है. मा सिलाई-बुनाई का काम करती थी. गाओं में मेरे ज़्यादा दोस्त नही थे, क्यूंकी मुझे लड़कों के साथ खेलना पसंद नही था.

मैं ज़्यादा लड़कियों के साथ खेलता था. मेरे सारे दोस्त मेरा मज़ाक भी उड़ाते थे. वो बोलते थे की “तू सिर्फ़ लड़की जैसा दिखता ही नही, उनकी आदते भी है तेरे अंदर”. और वो मुझे छेड़ते भी थे. मुझे बहुत अछा लगता था.

एक दिन मैं घर में मा की ब्रा पनटी पहन के घूम रहा था. तभी घंटी बाजी, और मैं दर्र गया, और झट से ब्रा-पनटी के उपर कपड़े पहने और गाते खोला.

मा: क्या कर रहा था? इतनी देर क्यू लगा दी गाते खोलने में?

मे: कुछ नही मा, वो मैं बातरूम गया था.

तभी मा की नज़र मेरी त-शर्ट के अंदर ब्रा पे पड़ी, क्यूंकी जल्दी में मैने त-शर्ट ठीक से नही पहनी थी, और ब्रा की स्ट्रॅप्स दिख रही थी. मा ने त-शर्ट उठा के ब्रा देखी, और मुझे एक थप्पड़ मारा.

मा: ये क्या है? तुझे लड़कियों के कपड़े पहनने का शौंक है?

मे (दर्र के मारे काँप रहा था. फिर मैने मा को सच बता दिया): हा मा, मुझे लड़कियों की तरह रहना पसंद है. मेरी बातें सुन के मा हिल गयी. पर वो कुछ कर भी नही सकती थी. फिर मा ने मुझे समझाया, बुत मैने उनकी एक ना सुनी.

मैने कहा: मुझे यही पसंद है.

फिर मा मुझसे नाराज़ हो के चली गयी. कुछ दिन ऐसे ही चला. फिर मा ने मुझसे पूछा-

मा: बेटे ज़रा दुनिया के बारे में सोच. कों तुझसे शादी करेगी?

मैने कहा: मुझे लड़की से नही करनी शादी, बल्कि मैं खुद किसी की बीवी बनना चाहती हू.

फिर मा ने कहा: ठीक है, जो करना है कर लेना. पर सोच समझ के करना, और गाओं में अपना नाम मत खराब करना.

मैने कहा: ठीक है मा.

उस दिन के बाद मैं रोज़ निघट्य पहन के सोता था, और ज़्यादा टाइम घर में सूट या निघट्य में रहता था. तो बात तब की है, जब मेरी न्यू जॉब लगी थी एक नर्सिंग असिस्टेंट की बंगलोरे में. तब मेरी आगे 21 थी. मैं और मा बहुत खुश थे.

मैने गाओं से टिकेट कटाई बंगलोरे आने के लिए. ट्रेन की टिकेट ली थी, तो सीट वेटिंग में थी, और 3 एसी का टिकेट था. जब मैं ट्रेन में आया तो सारी सीट्स फुल थी. पर 1 सीट खाली थी. मैं थोड़ी देर वही बैठ गया. तब त्क आया, और मैने उसको रिक्वेस्ट की की मुझे एक सीट चाहिए थी.

तो उसने कहा: अभी कोई सीट खाली नही है. जब होगी तो दे दूँगा.

फिर जिस सीट पे मैं बैठा था, वाहा एक अंकल आए ( जो अब मेरे हब्बी है). उनके साथ रोहन भी था. तभी मैं उनसे 1स्ट्रीट टाइम मिला था.

राज: हेलो बेटा, ये आपकी सीट है क्या?

मे: नही अंकल, मेरी नही है. क्या आपकी है?

राज: हा मेरी है.

मे: सॉरी अंकल, वो क्या है की मेरी सीट वेटिंग में है.

मैं वाहा से उठ गया था. फिर 1 घंटा मैं खड़ा था. मेरे पैर दुख रहे थे. तभी त्क आया. मैने उसको बहुत रिक्वेस्ट की, बुत उसने कहा-

त्क: अभी कोई सीट खाली नही है. तुम कही अड्जस्ट कर लो.

राज हमारी बातें सुन रहे थे.

राज: बेटा तुम यहा आके बैठ जाओ.

मे: कोई नही अंकल, मैं अड्जस्ट कर लूँगा.

राज: बेटा सफ़र लंबा होगा, तो बैठ जाओ.

फिर मैं उनकी सीट पे उनके साथ बैठ गया.

राज: और बेटा कहा जेया रहे हो?

मे: अंकल बंगलोरे जेया रहा हू.

राज: मैं भी वही से हू. तुम घूमने जेया रहे हो?

मे: बही अंकल, वाहा मेरी जॉब लगी है नर्सिंग असिस्टेंट की.

राज: गुड, मैं तो वही से हू. वाहा मेरा खुद का बिज़्नेस है.

मे: अची बात है. अंकल आप घूमने गये थे कही?

राज: हा घूमने ही गया था, बेटे के साथ.

मे: बच्चो के साथ घूमना चाहिए. पर आपकी वाइफ?

राज: उसकी डेत हो गयी है.

ऐसे ही हम दोनो में थोड़ी देर बातें चली.

राज ने पूछा: वाहा कहा रहोगे?

मैने बोला: अभी कोई रूम देखा नही है. कोई सस्ता देखूँगा वही जेया कर.

फिर राज लॅपटॉप पे कुछ काम करने लगे. रोहन ने कहा की उसको सोना था, तो राज ने कहा-

राज: अभी नही बेटा, जब मेरा काम ख़तम हो जाए, फिर मेरी गोदी में सो जाना.

फो मैने राज से कहा: आप रोहन को मेरी गोदी में सुला दो.

राज ने कहा: तुम्हे कोई प्राब्लम तो नही होगी?

मैने कहा: नही होगी.

रोहन मेरी गोदी में सो गया, और मुझे तब मा होने का एहसास हुआ. फिर शाम के टाइम रोहन उठा. राज भी सोक उठ गये थे.

मैने कहा: ई’म सॉरी, मेरी वजह से आपको बहुत प्राब्लम हो रही होगी.

रोहन ने बोला: नही अंकल, मुझे आपकी गोदी में बहुत अची नींद आई.

फिर राज ने कुछ खाना ऑर्डर किया, तो मेरे लिए भी ऑर्डर किया. फिर हमने साथ में खाना खाया. 7 बजे शाम को हमारा स्टेशन आ गया. तब बहुत तेज़ बारिश हो रही थी, तो मैने मा से फोन पे बात की. तब राज ने मेरी बातें सुन ली, और मुझसे कहा-

राज: तुम रूम की टेन्षन मत लो. मेरे घर में रूम खाली है. तुम वही रहना.

पहले मैने सोचा, और फिर ओक बोल दिया, क्यूंकी इतनी बारिश में रूम कहा मिलने वाला था.

फिर हम ट्रेन से उतरे, और समान उतार के जाने लगे. तभी रोहन ज़िद कर रहा था की मुझे गोदी में उठा के ले चलो. राज ने उसको माना किया, और दाँत भी दिया. फिर मैने उसको गोदी में उठाया, और कहा-

मे: चलो बेटा.

राज: अर्रे तुम्हे ऐसे परेशानी नही होगी?

मे: थोड़ी परेशानी आप दोनो के लिए से लेंगे.

फिर राज ने मेरा बाग और अपना बाग लिया. मैं रोहन को गोद में उठाए हुए था. फिर हम बाहर आ गये. राज को लेने उनका ड्राइवर आया था. फिर मैं उनके साथ उनके घर चला गया. उनका घर बहुत बड़ा था. वाहा एक ओल्ड आंटी काम करती थी.

फिर उन्होने मुझे एक कमरा दिखाया और कहा: ये कमरा तुम्हारा है.

मुझे रूम तो पसंद आया, बुत लगा की बहुत महँगा होगा.

तो उन्होने कहा: तुम्हे जो ठीक रते लगे, दे देना.

फिर मैने मा को सब बताया, और फिर सो गया. नेक्स्ट दे मैं नहा के रेडी हुआ. फिर राज ने कहा-

राज: आके ब्रेकफास्ट कर लो.

फिर मैने ब्रेकफास्ट किया. उसके बाद अपना कॉल लेटर लेके हॉस्पिटल के लिए गया. वाहा मैने अपने डॉक्युमेंट्स दिखाए. फिर 2 दिन बाद से मेरी जॉब शुरू हुई. दिन ऐसे ही निकलते गये. मैं जॉब से खुश था.

1 बार मैं गाओं भी गया था मा से मिलने. मैं हर महीने मा को पैसे भेजता था. बुत मुझे अब किसी लड़के के साथ सेक्स करना था. बुत उसका टाइम नही मिल पा रहा था. मैं रात में गे स्टोरी, और वीडियोस देखता. मैं अपनी गांद में उंगली भी डालता, और पानी निकालता.

पर मुझे पानी निकालने में मज़ा नही आता था. मैं रोज़ निघट्य पहन के सोता, और वैसे दिन में ब्रा पनटी के उपर ड्रेस पहनता. एक दिन मैं रोहन के साथ घर में था. रोहन को मैं हमेशा एक मा की तरह प्यार करता था, सो वो मुझसे काफ़ी घुल-मिल गया था. तब वो मेरी गोदी में लेता था, और टीवी देख रहा था.

फिर राज आए तो उन्होने मुझे कहा: थॅंक्स, तुम मेरे बच्चे का बहुत ख़याल रखते हो.

रोहन ने कहा: हा दाद, भैया मेरा ख़याल आपसे भी ज़्यादा रखते है, जैसे की यही मेरी मों हो.

राज ने उसको दांता तो मैने कहा: कोई नही, बच्चा है.

मुझे ये सुन के बहुत अछा लग रहा था. एक दिन जब मैं हॉस्पिटल में था, तब मुझसे काम में एक ग़लती हो गयी, जिसके कारण मुझे मेरी जॉब से निकाल दिया गया. मैं बहुत दुखी था, पर ये बात किसी को नही बताई.

राज ने मेरा चेहरा पढ़ लिया था. बुत उन्होने कुछ बोला नही. उन्हे डाउट भी होने लगा की मैं जॉब पे लाते से जाता हू, और जल्दी आ जाता हू. कभी कभी छुट्टी का बहाना बना लेता हू. मुझे बहुत टेन्षन हो रही थी की मेरा क्या होगा.

फिर मैं डिन्नर करके जल्दी अपने रूम में चला गया, और निघट्य पहन के बैठा रो रहा था. मैं सोच रहा था, की अब मेरा क्या होगा. मैं गाते लॉक करना भी भूल गया था. तभी राज आए, मुझे ऐसे देख के शॉक हो गये. मैं अब दर्र भी गया की अब क्या होगा मेरा.

सो फ्रेंड्स आज की स्टोरी में इतना ही. इसके आयेज की स्टोरी नेक्स्ट पार्ट में. तब तक वेट कीजिए, और अपना फीडबॅक ज़रूर देना.