ही दोस्तों, मेरा नाम प्रणव है. मैं देल्ही का रहने वाला हू. मेरी उमर 27 साल है, और पेशे से मैं एक वकील हू. मेरी हाइट 5’11” है, और लंड मेरा 7.5 इंच का है. ये बात 3 महीने पहले की है. तो चलिए आपको बताता हू, की क्या हुआ था.
मेरा अपना ऑफीस है, और पिछले काफ़ी सालों से मेरे यहा बलवंत काका काम कर रहे थे. कहने को तो वो मेरे नौकर थे, लेकिन मैने उन्हे कभी नौकर नही समझा था. उनको कभी मेरे दाद ने घर के काम के लिए रखा था, जब मैं छ्होटा था तब. फिर मों-दाद की एक आक्सिडेंट में डेत हो गयी. तब बलवंत काका ने मेरे खाने-पीने का ध्यान रखा. वैसे वो पुंजब के एक गाओं से थे.
3 महीने पहले बलवंत काका मेरे पास आए और बोले: बेटा मुझे तुमसे एक बात करनी है, अगर तुम्हारे पास टाइम हो तो.
मैं: जी बोलिए काका, आपके लिए तो टाइम ही टाइम है.
बलवंत काका: बेटा मैने बहुत साल तुम्हारे परिवार की सेवा की है. इस परिवार ने मुझे ये कभी महसूस नही होने दिया की मैं इस घर का नौकर हू. लेकिन अब मेरी उमर हो गयी है, और मुझसे ये काम और नही संभलेगा. तो मैं चाहता हू, की तुम मुझे छुट्टी डेडॉ अब.
मैं: काका मैने आपको हमेशा अपने पापा की तरह देखा है. आपने सही कहा, की अब आपको आराम करना चाहिए. अगर आपको जाने से पहले कुछ चाहिए, तो कहने में शरमाना मत.
बलवंत काका: नही बेटा, आप लोगों ने मुझे कभी किसी चीज़ की कमी नही होने दी. सब कुछ है मेरे पास.
मैं: ये सब आपकी मेहनत थी काका. इतने साल आपने हम सब का घर के बड़े की तरह ख़याल रखा है.
बलवंत काका: बेटा मैं एक और बात कहना चाहता हू.
मैं: जी कहिए.
बलवंत काका: मेरी एक बेटी है, जो प्राइवेट कॉलेज की पढ़ाई कर रही है. वो खाना बहुत अछा बनती है, और बाकी काम भी सही से करती है. मैं चाहता हू की मेरे बाद आप उसको मेरी जगह रख लो. इससे मुझे ये चिंता भी नही रहेगी की नया नौकर आपका सही से ख़याल रख रहा होगा की नही. और दूसरा वो आपसे कुछ सीख भी लेगी.
मैं: ठीक है काका, जैसा आप कहे. आप उसको भेज देना कल से.
मैने बलवंत काका की बेटी को काफ़ी सालों पहले देखा था, जब वो एक छ्होटी बच्ची थी. तब मा उसको कपड़े वग़ैरा देने के लिए बुलाया करती थी. उसके बाद से मैने उसको नही देखा था.
फिर अगले दिन सुबा मेरे घर की डोरबेल बाजी. मैने दरवाज़ा खोला तो सामने बलवंत काका थे. बलवंत काका ने मुझे देखा और बोले-
बलवंत काका: बेटा ये है मेरी बेटी सोनू.
तभी मैने उनके बगल में खड़ी सोनू को देखा. 21 साल की जवान लड़की. 34-26-34 का मस्त फिगर. रंग ना ज़्यादा गोरा ना काला. लेगैंग्स-सूट पहना हुआ जिसमे से बॉडी शेप पूरी दिख रही थी. गला डीप था शर्ट का जिसमे से क्लीवेज हल्की नज़र आ रही थी. मैं तो सोनू को देखता रह गया. तभी सोनू ने मुझे नमस्ते बुलाई. बलवंत काका सोनू को बोले-
बलवंत काका: बेटा इनके खाने-पीने का, और घर की सॉफ-सफाई का पूरा ध्यान रखना. मुझे कोई शिकायत नही आनी चाहिए. ये बहुत बड़े वकील है, इनसे तुम बहुत कुछ सीख सकती हो. ये जो बोलेंगे, तुम्हे वैसा ही करना है.
सोनू: ठीक है पापा.
फिर बलवंत काका चले गये, और अपनी सेक्सी बेटी को मेरे पास छ्चोढ़ गये. मैने सोनू को अंदर बुलाया, और दरवाज़ा बंद कर लिया. वो आयेज बढ़ रही थी, और मैं उसके पीछे था. मेरी नज़र सीधी उसकी गांद पर पद रही थी, जो बहुत मस्त लग रही थी. फिर मैने उसको बोला-
मैं: आओ सोनू मैं तुम्हे घर दिखा डू.
वो बोली: इसकी ज़रूरत नही है.
मैं: क्यूँ?
सोनू: बाबा ने सब कुछ पहले से मुझे बता रखा है. वैसे भी पहले मैं यहा आई हुई हू, तो मुझे सब याद है.
मैं: वेरी गुड, काफ़ी शार्प माइंड है तुम्हारा. वैसे कों सी डिग्री कर रही हो तुम?
सोनू: मैं प्राइवेट ब.आ. कर रही हू.
मैं: ठीक है. तो अब तुम काम शुरू कर सकती हो.
सोनू: ठीक है, मैं पहले झाड़ू कर देती हू, फिर आपका नाश्ता बना देती हू.
मैं: ठीक है.
फिर वो गयी, और जाके झाड़ू निकाल लाई. उसने सारी जगह पर झाड़ू मारना शुरू कर दिया. मैं लॉबी में ही बैठ गया, और उसको काम करते हुए देखने लगा. जब वो झुक कर झाड़ू मार रही थी, तो उसकी गांद बाहर की तरफ निकल कर मस्त सीन बना रही थी.
जब वो मेरी तरफ घूमी, तो मुझे उसकी गहरी क्लीवेज दिखने लगी. उसको देख कर मज़ा आ रहा था. मैं तो मॅन से शुक्रिया कर रहा था बलवंत काका का, की उन्होने अपनी बेटी को मेरे पास भेज दिया था. अब तो मुझे उस सेक्सी लड़की का हर रस्स पीना था.
थोड़ी देर उसको देखने के बाद मैं अपना काम करने लग गया. लेकिन मेरा काम पर ध्यान नही लग रहा था. मैं फाइल खोल कर ऑफीस में बैठ गया, लेकिन मुझे उसकी गांद और बूब्स ही नज़र आ रहे थे. मेरा लंड पूरा तन्ना हुआ था. अब मेरे पास और कोई ज़रिया नही बचा था सिवाए इसके, की मैं बातरूम जाओ, और खुद को शांत करके अओ.
फिर मैं खड़ा हुआ, और बातरूम में चला गया. मैने अपनी पंत नीचे करके अपना अंडरवेर नीचे किया, और अपना लंड बाहर निकाल लिया. अब मैं ज़ोर-ज़ोर से अपना लंड हिला रहा था. मैने अपनी आँखें बंद कर ली, और सोनू को इमॅजिन करके मूठ मार रहा था. ये करते हुए मैं ये बिल्कुल भूल गया की मैने दरवाज़ा बंद नही किया था. और उधर सोनू सफाई कर रही थी.
वो सफाई करते हुए बातरूम की तरफ आई, और अचानक से उसने बातरूम का दरवाज़ा खोल दिया. मैं उसके सामने आधा नंगा, हाथ में लंड लिए खड़ा था. उसने मुझे देखा, और आँखें बंद करते हुए “ओह सॉरी!” बोल कर चली गयी. मैं रुक नही सकता था, और मैने अपना काम ख़तम किया.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा. अगर आपको ये कहानी पसंद आई हो, तो इसको ज़्यादा से ज़्यादा अपने फ्रेंड्स के बीच शेर करे.