हेलो फ्रेंड्स, मैं फिरसे स्वरना आप सभी के सामने आज से एक नयी चुदाई भारी कहानी शुरू कर रही हू. इससे आप सभी के लंड और छूट में से फिरसे भरपूर पानी का फुवरा निकलेगा. और आप सब वासना में पूरी तरह से डूब जाएँगे.
उमीद है लड़कों का लंड खड़ा होके सलामी देगा, या कोई लड़की की छूट की गर्मी शांत करेगा. लड़कियों को भी सॅटिस्फॅक्षन मिलेगी अपनी उंगलियों से, या फिर खीरे या लोकी से. और अगर चाहे तो किसी का लंड लेले, और सूखी ज़मीन गीली करवा ले.
आप सब ने इस कहानी का पार्ट 2न्ड पढ़ ही लिया होगा. पर अगर नही पढ़ा, तो सभी से रिक्वेस्ट है की पहले वो पढ़ लीजिए. और फिर आ कर ये पार्ट शुरू कीजिए. तो अब आयेज शुरू करते है.
बुग्गू: लीला भाभी.
वो गुस्से में बोली-
लीला: क्या है?
बुग्गू: आप जो जैसा चाहती है वैसे ही होगा.
लीला: अब क्या हुआ? उस टाइम तो बड़े गुस्से में बोल दिए थे की दूसरी ढूँढ लेंगे. तो अब जाइए. क्यूंकी मुझे अब आपके साथ उतना भी कुछ नही करना है.
मैने गॅस को बंद किया, और लीला को अपनी गोद में उठा कर बेडरूम में ले गया. फिर बेड पर पटक दिया, और उसके उपर चढ़ गया. अब वो मेरे नीचे और में उसके उपर था.
तब मेरे सीने में लीला की तन्नी हुई चूचियों के बड़े होने के कारण कोमल सा एहसास हो रहा था, और वो मेरी आँखों में देख रही थी, और मैं भी उसकी आखों में देख रहा था. मैने उसकी आँखों में देखते हुए उसके गुलाबी लाल-लाल होंठो को अपने होंठो में ले लिया और चूसने लगा.
कुछ टाइम बाद ही वो भी मेरा साथ देने लग गयी. तो मैने उसका हाथ छ्चोढ़ दिया और अपनी उंगलियों को लीला के बालों में फ़ससा कर उसके बालों को सहलाने लगा.
लीला भी धीरे-धीरे उत्तेजित होने लगी, और वो भी मेरे बालों को सहलाने लग गयी. जब ये बात मुझे समझ आई, तब मैने उसके होंठो को छ्चोढ़ कर उसके गालों को, उसके शोल्डर को, उसके कान को चूमना और सहलाना शुरू कर दिया था. अब हमारी सांसो की गर्मी एक-दूसरे के जिस्म को छूने लग गयी, इसलिए हमे पहने हुए कपड़े भी आचे नही लग रहे थे.
मैने लीला की सारी को उसके जिस्म से अलग किया, और उसकी नंगी नाभि को अपनी जीभ से सहलाने लगा था, और वो भी मेरे बालों को बड़े प्यार से सहला रही थी. मैं उसकी नाभि को चूस्टा हुआ धीरे-धीरे से अपने हाथ को उसके मुम्मो पर ले गया, और एक चूची पर रख कर उसको भी दबाने लग गया.
सच काहु तो क्या मुलायम और कड़क चूचिया थी लीला की. मुझे दबाने में जो मज़ा आ रहा था, की मैने हाथ रोका ही नही. मैने चूचियाँ दबाते हुए उससे पूछा-
बुग्गू: अब तो छूट चुड़वावगी ना?
लीला: नही, मुझे अब मालूम है की क्या करना है.
फिर मैने एक-एक करके उसके ब्लाउस के बटन खोल दिए, और ब्रा भी दोनो एक साथ ही उसके जिस्म से अलग कर दी. उसकी नंगी चूचियों पर से मेरी नज़र ही नही हॅट रही थी. क्या सुंदर नज़ारा था. मेरी आँखों के सामने बिल्कुल गोरी-गोरी एक-दूं सख़्त और मुलायम चूचियाँ थी.
हाथो से सहलाने की वजह से चूचियों पर लाल-लाल निशान पद चुके थे, जिसको देख कर लग रहा था की बिल्कुल किसी कश्मीर के आपल्स की तरह दिखाई दे रहे हो.
अब तो मुझसे बर्दाश्त करना बहुत मुश्किल था, तो मैं लीला की चूचियों को मूह में भर कर चुभलने लगा, और लीला का हाथ पकड़ कर अपनी पंत के अंदर घुसा दिया. वो मेरे लंड को सहला रही थी, और मैं उसके निपल्स को मूह में लेकर ज़ोर से चूस रहा था, और दूसरी चूची को हाथ से सहलाते हुए दबा भी रहा था.
थोड़ी टाइम बाद लीला के निपल्स चूस्टे हुए एक हाथ से मैने उसके पेटिकोट का नाडा खोल दिया. फिर उसको उसके नाज़ुक जिस्म से हटा कर अलग कर दिया था. इसके साथ ही मैने अपना एक हाथ उसकी पनटी के अंदर डाल दिया. फिर उसकी छूट को सहलाते हुए उसकी छूट के लिप्स के बीच से अपनी उंगली को उसकी गीली छूट में घुसा दिया.
मेरी उंगली छूट में घुसते ही लीला ज़ोरो से चिहुक उठी, और वो ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी थी. उसके साथ ही उसकी उंगलियों का दबाव भी मेरे लंड पर बढ़ चुका था. अब मेरे लिए अपने आप को रोक पाना भौत मुश्किल था, तो मैने जल्दी से उसको खुद से अलग किया, और अपने कपड़े उतार फेंके. फिर पूरी तरह से नंगा हो कर लीला के उपर जेया कर चढ़ गया.
मैने उसकी दोनो चूचियों को पकड़ कर उसकी मस्त चूचियों के बीच में अपना लंड घुसा दिया, और उसको आयेज-पीछे करने लगा था. मुझे ये करते हुए बहुत ही मज़ा आ रहा था. इसलिए कुछ टाइम तक मैं उसकी चूचियों को अपने लंड से छोड़ता रहा.
फिर नीचे उतार कर उसके बगल में लेट गया, और लीला को अपने उपर ले लिया, और उसके लाल-लाल होंठो को चूसने लगा. अपने दोनो हाथो को उसकी पनटी के अंदर से डाल कर उसके छूतदों को सहलाना शुरू कर दिया. अब लीला भी पुर जोश में आ कर मेरा साथ दे रही थी.
फिर मैने लीला को फिरसे अपने नीचे लिटाया और मेरा लंड उसके मूह के पास ले गया. फिर लीला ने जल्दी से मेरे लंड को अपने मूह में लेकर चूसना चालू कर दिया था. उसके मूह की गर्मी जब लंड पर पड़ी, तो एक अजीब तरह का सुकून मुझे मिला.
फिर करीब 10 मिनिट के बाद मैने लंड उसके मूह से निकाला, और उसे सीधा लिटा कर उसकी जांघों के बीच में अपना मूह ले जेया कर उसकी जांघों को चूमने लगा. लीला की पनटी के अंदर हाथ डाल कर, उसकी छूट के लिप्स को सहलाते हुए, अपनी दोनो उंगलियाँ उसकी छूट के अंदर घुसा दी थी.
फिर मैं उंगलियों से उसकी छूट को छोढ़ने लगा था. जब मैने सिर उठा कर उसकी तरफ देखा, तो वो अपनी आखें बंद किए हुए छूट की चुदाई का मज़ा पूरी तरह से ले रही थी. वो साथ ही हल्की-हल्की सिसकारियाँ भी भर रही थी.
तभी मैं इस मौके का फ़ायदा उठा कर उसकी पनटी को निकालने लगा. पहले तो उसने भी कमर उठा कर मदद करी. लेकिन तभी ही उसको ख़याल आ गया की मैं क्या कर रहा था. तो तुरंत ही उसने मेरे हाथो को पकड़ लिया, और बोलने लगी-
लीला: ये नही, ये नही कीजिए.
बुग्गू: लीला मैं सिर्फ़ छूट को देखूँगा, और हाथो से ही सहलौंगा. पर लंड अंदर नही डालूँगा.
मेरी बात सुन कर उसको यकीन हुआ, और तब जेया कर उसने खुद अपनी पनटी उतार फेंकी. अब मेरी आँखों के सामने लीला की टाइट छूट को देख कर मेरे तो होश ही उडद चुके थे. क्या मस्त छूट थी बिल्कुल गोरी-गोरी. दोनो लिप्स एक-दूसरे से चिपके हुए और फूली हुई छूट.
लीला की गीली छूट देख कर तो मेरा लंड और भी ज़्यादा खड़ा हो चुका था. तभी मैने उसकी छूट के लिप्स को खोल कर अलग किया, और अपनी एक उंगली को उसकी छूट में फिरसे घुसा दिया था. बेचैन हो कर उसने मेरे बालों को पकड़ लिया था, और ज़ोर-ज़ोर से सहलाने लगी थी. अब ये सब के बाद तो उसकी छूट में लंड घुसाए बिना चैन नही आने वाला था.
अब अछा ख़ासा फोरप्ले भी हो चुका था. सिर्फ़ लीला की छूट में लंड डाल कर उसे छोड़ना बाकी रह गया था. मैं उसकी जांघों के बीच के ट्राइंगल को चूमता हुआ उसकी नाभि तक पहुँचा, और उसकी नाभि के च्छेद में अपनी जीभ डाल कर उसको सहलाता हुआ, उसकी चूची को अपने हाथो से दबाता हुआ उपर की तरफ बढ़ने लगा था.
फिर उसकी एक चूची के निपल को अपने मूह में लेकर उसकी लाल-लाल मखमली चूची का दूध पीने लगा, और अपनी उंगलियों से उसके होंठो को सहलाने लगा था. कुछ देर बाद उसकी चूची को छ्चोढ़ कर उपर हुआ, और लीला के होंठो को अपने होंठो में लेकर काटने लगा.
फिर अपने खड़े लंड को उसकी गीली गरम छूट पर सहलाने लगा था. तभी लीला ने अपने होंठो को मेरे होंठो से अलग करते हुए कहा
लीला: लंड को अंदर नही डालना है.
बुग्गू: चिंता नही करो, मैं सिर्फ़ लंड को तुम्हारी मखमली गरम गीली छूट पर सहलौंगा, पर अंदर नही डालूँगा.
ये कह कर मैं फिरसे उसके होंठो को चूमने लगा, और उसकी चूची को भी साथ-साथ दबाने लगा. मैं नीचे उसकी छूट पर अपने लंड को सहलाने भी लगा था. जब कुछ देर बाद मैने देखा, तो लीला अपनी आँखें बंद करके पुर मज़े में थी, और उसने अपनी जांघों को भी तोड़ा ढीला छ्चोढ़ दिया था.
उसके ऐसे करते ही मैने अपने लंबे कड़क लंड को एक ज़ोरदार धक्का दिया, और मेरा लंड लीला की गीली टाइट छूट को चीरता हुआ उसके अंदर चला गया. मेरे ऐसे करते ही लीला अपनी आँखें खोल कर मुझे धक्के देने लगी थी. लेकिन मैने उसे ज़ोर से अपने से चिपका लिया, और लंड को उसकी छूट में अंदर-बाहर करने लग गया था.
अब कुछ टाइम बाद लीला भी समझ गयी की चुदाई हो कर ही रहेगी. तो वो भी साथ देने लगी, और नीचे से अपनी कमर उठा-उठा कर छुड़वाने लगी. अब मेरे दोनो हाथ में लीला की चूचियाँ थी, जिनको मैं अब बेदर्दी से ज़ोर-ज़ोर से मसल रहा था, और उसकी छूट को अपने लंड से छोढ़ भी रहा था.
हम दोनो को इतना मज़ा आ रहा था, की लीला ने भी मुझे ज़ोर से पकड़ रखा था. फिर करीब 25 मिनिट तक लगातार उसकी छूट को छोड़ने के बाद अब लंड में भी प्रेशर बनने लगा था.
मुझसे रुका ही नही गया, और मैने लीला की छूट को मेरे माल से पूरा भर दिया था, और तभी लीला ने भी अपना माल छ्चोढ़ दिया, और मेरे साथ चिपक कर लेट गयी.
कुछ टाइम बाद जब हम अलग हुए, तो देखा की बेडशीट हमारे काम-रस्स से पूरी तरह भीग चुकी थी. पर हम दोनो के चेहरे पर फुल सॅटिस्फॅक्षन थी.
ये कहानी यहा ही ख़तम होती है, और उमीद है आप सब ने खूब लंड और छूट के पानी निकाला होगा. आयेज भी लिखती रहूंगी, और अगर आप सब के पास कोई सजेशन हो तो मुझे मैल कीजिए