पिछला भाग पढ़े:- रात में मा ने, और दिन में दीदी ने जन्नत दिखाई-1
कल्पना की बात सुन कर मेरा लोड्ा टाइट हो गया था. मैं दूसरी मैड काँटा को छोड़ने के लिए बेकरार हो गया. दीवारों का सहारा लेते हुए मैं उस रूम में आया जिस रूम में आने के लिए काँटा ने कहा था.
डोर अंदर से बंद नही था. मैने डोर को अंदर से बोल्ट कर दिया. उस रूम की दोनो साइड की खिड़की खुली हुई थी. जैसा काँटा ने कहा था, रूम में बहुत ही बढ़िया हवा आ रही थी. ये कमरा मेहमानो के लिए था, और उस दिन हमारे घर में कोई मेहमान नही था.
रूम अंधेरे में डूबा हुआ था. कुछ भी दिखाई नही दे रहा था.
मैं: काँटा, काँटा.
मैने धीरे से पुकारा. लेकिन कोई जवाब नही मिला. मुझे मालूम था की रूम में बेड कहा था. मैं इधर-उधर हाथ लगते हुए बिस्तर तक आ गया. झुक कर बिस्तर पर टटोला, और मेरा हाथ गुदाज़ चूचियों पर पड़ा. मैं खुश हुआ की काँटा नंगी सोई हुई थी.
मैं भी नंगा हो गया, और बेड पर चढ़ गया. औरत दूसरी तरफ करवट लेकर लेती थी. औरत के लंबी-लंबी साँस लेने की आवाज़ सॉफ-सॉफ सुनाई दे रही थी. मैं सोई हुई औरत के पीछे चिपक गया. अपना हाथ आयेज की तरफ बढ़ा कर थोड़ी देर चूचियों को दबाया, और उन्हे प्यार से सहलाया.
मैने 2-3 बार फिर काँटा, काँटा नाम लिया, लेकिन औरत की तरफ से कोई रेस्पॉन्स नही मिला. उसकी लंबी-लंबी सांसो की आवाज़ सुनाई देती रही. मैने चूचियों के उपर से हाथ हटाया, और धीरे-धीरे नीचे की तरफ बढ़ने लगा.
औरत की स्किन बहुत ही चिकनी थी. साथ में बहुत गरम भी थी. थोड़ी देर मैने औरत के नवल पॉइंट को रगड़ा और मसला. हाथ और नीचे ले गया. कमर के नीचे औरत नंगी नही थी. मेरा हाथ एक नाडे से टकराया. फिर मैने कपड़ो के उपर से ही बर को दबाया. फिर भी औरत के बदन में कोई हलचल नही हुई.
मैं ने हिम्मत कर औरत को सीधा किया. औरत की तरफ से किसी तरह का रेज़िस्टेन्स नही हुआ. सांसो के आवाज़ पहले जैसी ही आ रही थी. मैने औरत की बर के एरिया पर हाथ फिराया तो पता चला के उसने पेटिकोट पहना था.
मैं उठ कर बैठा. औरत के दोनो घुंडीओ को मसालते हुए टीन बार होंठो को 25-30 सेकेंड्स चूसा. उसके बाद मैं उसकी लेग्स के पास आया. पेटिकोट के नाडा को खींचा, और पेटिकोट को खींचते हुए बाहर निकाल दिया. मैने दोनो हाथो से औरत की जांघों को सहलाया. औरत भी मेरी तरह नंगी थी. मैं उसकी नंगी और चिकनी बर को सहलाने लगा.
मैं: काँटा, आज मैं बहुत खुश हू. रोज़ बोलता था, आख़िर तुमने बर को चिकना कर ही लिया. कितना बढ़िया लग रहा है इसको सहलाने में. अब थोड़ी देर इस चिकनी बर का स्वाद लेने दे, फिर प्यार से छोड़ूँगा. अफ काँटा, कितनी मस्त माल हो तुम.
अगले 15-20 मिनिट तक औरत की जांघों को सहलाते हुए मैं चिकनी बर को चूस्टा रहा. क्लिट को चूसा, बर के पट्टियों को चुभलेया, हौले-हौले छबया. बर के लिप्स को बहुत देर तक छाता, और जैसे होंठो को चूसा था, बर के होंठो को भी चूसा.
औरत मीठी-मीठी सिसकारी मारते हुए मज़ा ले रही थी. मैने करीब 20 मिनिट तक बर को चूसा और छाता होगा. औरत की हस्की, दबी हुई आवाज़ सुनाई पड़ी.
औरत: उफ़फ्फ़, पागल हो जौंगी. मॅर जौंगी, बर में लोड्ा पेलो. छोड़ो, जाम कर छोड़ो.
मेरा लोड्ा भी फटने लगा था. मैने औरत की जांघों के बीच पोज़िशन ली. मैं लोड को बर के च्छेद पर दबाता, उससे पहले औरत ने लोड को पकड़ा और खुद ही अपनी बर के च्छेद पर दबाया.
औरत: पेलो, ज़ोर से धक्का मारो.
औरत ने फिर दबी हुई आवाज़ में कहा. एक हाथ से एक कंधा और दूसरे हाथ से एक चूची को पकड़ कर फोकस किया. मैने अपनी पूरी ताक़त से धक्का मारा.
औरत: अया, तोड़ा धीरे.
बोलते हुए औरत ने अपने चूतड़ उपर उछाले, और मैने पहले ही जैसा दोबारा धक्का मारा. मुझे लगा की 2 धक्कों में ही आधी से ज़्यादा लंबाई बर के अंदर चली गयी.
औरत: आहह, बहुत बढ़िया.
मैं धक्के पर धक्का लगता गया. दूसरे धक्के के बाद जब औरत ने “बहुत बढ़िया” कहा, तब मैं लगातार धक्के मारने लगा.
मैं: काँटा, हर बार तुम्हे छोड़ने में मज़ा आता है. लेकिन रानी आज तो बहुत ही ज़्यादा मज़ा आ रहा है. हम टीन महीनो से प्यार कर रहे है. आज तुमने पहली बार बर को चिकना किया है.
मैं: चूसने में, चाटने में मज़ा आया है आज. छोड़ने में भी दूसरे दीनो से कही ज़्यादा मज़ा आ रहा है. और जानती हो आज तुम्हारी ये मस्त चूचियाँ और भी ज़्यादा बड़ी, ज़्यादा गुदाज़ और मस्त लग रही है. काँटा तुम्हे भी मज़ा आ रहा है ना?
काँटा नॉर्मली बहुत ही बोल्ड आवाज़ में बोलती है. लेकिन फिर एक दबी हुई आवाज़ सुनाई दी, “बहुत मज़ा आ रहा है”.
कुछ देर मैं बिना कुछ बोले, लेकिन उसके बदन को सहलाते हुए, बीच-बीच में चूचियों को चूस्टे हुए छोड़ता रहा. अचानक मुझे कल्पना की बातें याद आ गयी. टीन महीने में काँटा को 50-60 बार छोड़ लिया था. दोनो कल्पना और काँटा में कल्पना छ्होटी थी. कल्पना 24-25 साल की ही थी, जब की काँटा 32-33 साल की होगी.
कल्पना मेरी बेहन अनिता जैसी ही स्लिम पर्सनॅलिटी के लड़की थी. जब की काँटा का बदन मेरी मा जैसा गड्राया हुआ था. उस रात अंधेरे में चुदाई करने में बहुत ही ज़्यादा मज़ा आ रहा था.
मैं औरत के बदन को जहा तक, जैसा हो सकता था सहला रहा था. औरत भी पूरा रेस्पॉन्स दे रही थी. हर धक्के पर वो अपनी कमर और चूतड़ उछला रही थी, और साथ ही अपने हाथो से मेरी पीठ को सहला रही थी, मेरे छूतदों को दबा रही थी.
मैं: काँटा रानी, तेरी ये कल्पना दीदी बहुत ही घटिया और गंदी औरत है.
रूम में चुदाई के फ़चक-फ़चक के आवाज़ गूँज ही रही थी.
औरत ने बहुत ही धीमी आवाज़ में कहा: कल्पना ने क्या किया?
मैं: अर्रे बाबू जी से चुड़वति है तो चुडवाए. उन्हे बहका क्यूँ रही है?
फिर धीमी और दबी हुई आवाज़: क्या किया उसने?
कल्पना की बातों को याद कर बड़ी बेहन को छोड़ने के ख़याल से लोड्ा ज़रूर और टाइट हो गया होगा. अगले 3-4 शॉट्स मैने बहुत ज़ोर से मारे.
वो बोली: इतनी ज़ोर से नही यार. जैसा पेल रहे थे, वैसे आराम से छोड़ते रहो. क्या कहा कल्पना ने?
मैने बारी-बारी से दोनो निपल्स को चूसा.
मैं: एक तो साली ने बाबू जी से झूठ कहा की अनिता दीदी कॉलेज में अपने दोस्तों से चुड़वति ही है, घर में मुझसे, अपने भाई से चुड़वति है.
औरत: तुम छोड़ते हो अनिता को?
मैं: मैने उसके बारे में कभी ऐसा सोचा भी नही. काँटा तुम्हारी जैसी बढ़िया गड्राई माल मेरे पास है, तो फिर मुझे किसी दूसरे की तरफ देखने की ज़रूरत ही नही है.
औरत: कल्पना ने और क्या कहा?
मैं: कुटिया ने मेरे बारे में झूठी कहानी सुना कर और फालतू-फालतू बात बोल कर बाबू जी को तैयार कर लिया की जैसे मैं अपनी बेहन को छोड़ता हू, बाबू जी भी अपनी बेटी को छोड़े.
मैं: ची, कितनी गंदी औरत है कुटिया. और बाबू जी भी उसकी गांद मारने के बदले अपनी बेटी को छोड़ने के लिए तैयार हो गये. मैं मा से कहूँगा की कल्पना को घर से निकाल दे.
औरत के चूतड़ ने मुझे ज़ोर का झटका दिया.
औरत: उसको घर से निकलोगे, और वो बाहर जेया कर दोनो भाई बेहन को बदनाम कर देगी. बाहर वालो को भी मालूम हो जाएगा की तुम अपनी बेहन को छोड़ते हो. उससे बढ़िया है की तुम भी अपनी बेहन को पत्ता कर खूब छोड़ो.
मैं: नही, मैं अपनी बेहन को नही छोड़ूँगा. अगर कभी घर की किसी औरत को छोड़ने का मौका मिलेगा, तो अपनी मा को ही प्यार करूँगा. मुझे गड्राए बदन वाली माल अची लगती है, दुबली पतली लड़किया नही.
उसके बाद अगले 10-12 मिनिट तक हमने साइलेंट्ली चुदाई की.
औरत: आअहह उफफफ्फ़ आअहह राजा मैं गयी.
उसकी मोन्स सुन मैने धक्को की स्पीड बढ़ा दी. 6-7 धक्के ही मारे होंगे, की मैं भी झड़ने लगा. मेरा लोड्ा बर के अंदर पानी गिरा रहा था, और हम दोनो ने एक-दूसरे के गालों को अपने हाथो में दबाए होंठो को काई बार देर तक चूसा और चूमा.
रूम तब भी अंधेरे में डूबा हुआ था.
औरत: तुमने बहुत तका दिया. तुम भी तक गये होगे. थोड़ी देर ऐसे ही चिपक कर सो जाओ.
उस रात की चुदाई से मैं सच-मच बहुत ही ज़्यादा खुश था. वो फिर पहले जैसा उल्टी तरफ करवट लेकर सोना चाहती थी. लेकिन मैने उसको अपनी तरफ घुमाया. उसके हेड को मैने लेफ्ट अप्पर आर्म्स पर रखा. मैने उसकी जांघों के उपर अपनी एक जाँघ को डाला. उसने भी मेरे थाइस के बीच अपना एक जाँघ रखा.
हम दोनो के फेस के बीच एक इंच के भी दूरी नही थी. अंधेरे में और कुछ नही कम से कम आँखें बहुत ही ज़्यादा चमक रही थी. हम एक-दूसरे को अंधेरे में देखने के आदि हो गये थे.
मैं: मैं मैं.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. कहानी का मज़ा आया हो तो लीके और कॉमेंट ज़रूर करे.
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