ही फ्रेंड्स, मेरा नाम रोशन है. मैं पुंजब का रहने वाला हू. मेरी आगे 50 साल है, और मेरा लंड 7 इंच का है. हाइट मेरी 5’10” है.
मेरी बीवी की 5 साल पहले डेत हो चुकी है. उससे मुझे एक बेटी है, जिसकी शादी पिछले साल ही हुई है. ये जो कहानी है, वो मेरी और मेरी बेटी के बीच में हुए सेक्स की है. तो चलिए कहानी पर चलते है.
मेरी बेटी का नाम ज्योति है. उसकी उमर 25 साल है. हाइट उसकी 5’6″ है, और फिगर 36″ 28″ 37″ है. रंग उसका गोरा है, और दिखने में वो काफ़ी सेक्सी है.
पिछले साल ज्योति मेरे पास आई, और उसने मुझे कहा-
ज्योति: पापा, मुझसे आपके साथ एक बात करनी है.
मैं: हा बोलो बेटा.
ज्योति: वैसे तो ये बात लड़कियाँ अपनी मों से करती है. लेकिन मों नही है तो आप से कर रही हू.
मैं: जो बोलना है बेजीझक बोलो.
ज्योति: पापा मुझे एक लड़का पसंद है. अगर आप चाहे, तो वो अपने पेरेंट्स को लेके…
मैं: हा-हा बिल्कुल. शादी तो करनी ही है. ये तो अची खबर है, की तुमने अपने आप ही लड़का ढूँढ लिया. मुझे भी इस चीज़ की टेन्षन थी.
लड़के का नाम अजय था. वो काफ़ी अछा लड़का था. मुझे लड़का पसंद आ गया, और मैने हा कर दी. फिर ज्योति की शादी हो गयी, और मैं अब घर पर अकेला था.
अब मैं अपनी ज़िंदगी आराम से जी रहा था. सब कुछ ठीक चल रहा था, और ज्योति भी अपने घर में खुश थी. तभी कुछ ऐसा हुआ, जिससे सब कुछ बर्बाद हो गया.
ज्योति की सास का बिहेवियर उसके साथ ठीक नही था. वो हर बात पर उसको ब्लेम करती थी, और बिना वजह की बाते सुनती थी. अजय को जब ये बात पता चली, तो उसने घर पर लड़ाई करनी शुरू कर दी.
फाइनली जब कोई सल्यूशन नही निकला, तो अजय ने घर छोढ़ने का फैंसला किया. गुस्से में आया हुआ अजय तेज़ी से गाड़ी चला रहा था. तभी रोड पर अचानक से उनकी कार की टक्कर एक ट्रक से हो गयी.
कार अजय वाली साइड से लगी थी, तो अजय की डेत हो गयी. फिर मैं ज्योति को घर ले आया, क्यूकी इसके अलावा कोई और रास्ता नही था. अब ज्योति सारा दिन रोटी रहती थी. वो ना तो कुछ खाती थी, और ना पीटी थी. मुझे उसके लिए बड़ी टेन्षन हो रही थी.
फिर धीरे-धीरे सब ठीक होने लगा. अब ज्योति ठीक हो रही थी. मैने उसको जॉब लगवा दी, ताकि उसका मॅन लगा रहे. फिर सब कुछ ठीक होने लगा.
सब कुछ ठीक चल रहा था. फिर एक दिन मैने कुछ ऐसा देखा, जिससे सब कुछ बदल गया. मैं रात को 12 बजे अचानक से उठ गया. मुझे कोई बुरा सपना आया था. फिर मैं किचन में पानी पीने गया.
रास्ते में ज्योति के कमरे में से कुछ आवाज़े आ रही थी. जब मैने रूम के पास जाके देखा, तो ज्योति बेड पर लेती हुई थी. वो आधी नंगी थी, और अपनी छूट सहला रही थी.
उसकी ऐसा करते देख मैं समझ नही पा रहा था, की क्या करू. तभी मेरा ध्यान उसकी सेक्सी जाँघो और छूट पर गया. जिस तरह से वो अपनी छूट को मसल रही थी, वो देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया.
मैं अपनी बेटी की प्यास को समझ सकता था. लेकिन वो सब देखने के बाद मेरा मॅन उसको छोड़ने के लिए करने लगा. मुझे भी जिस्मानी सुख बहुत देर से नही मिला था. और अपनी बेटी का सेक्सी नज़ारा मेरी आँखों के सामने घूमने लग गया.
उस रात के बाद मैं जब भी ज्योति को देखता था, तो मुझे एक सेक्स के लिए तड़प रही औरत नज़र आने लगी. अब मैने फैंसला कर लिया था, की मैं ज्योति की छूट को शांत करूँगा, और अपने लंड की प्यास भी बूझौँगा.
अगले दिन मैं उसके रूम के बाहर खड़ा हो गया, और उसकी फिंगरिंग की वेट करने लगा. आज उसने सलवार सूट पहना हुआ था. पहले वो बेड पर लेट गयी. फिर उसने. अपनी सलवार उतार दी.
पनटी में उसकी सेक्सी जांघे कमाल की लग रही थी. पहले वो पनटी के उपर से अपनी छूट को मसालने लग गयी. फिर उसने पनटी उतार दी, और अब उसकी पिंक छूट मेरे सामने थी.
अब वो अपनी उंगलियो से अपनी छूट को सहला रही थी. अब मुझसे वेट नही हो रही थी. मैं रूम में धीरे से गया, और सीधा उसकी छूट पर अपना मूह लगा लिया. छूट पर मूह लगते ही ज्योति दर्र गयी. वो जल्दी से मुझसे डोर हॅट गयी.
अब वो मुझे अजीब सी नज़रो से देख रही थी. फिर इससे पहले की वो कुछ बोलती, मैं बोला-
मैं: देखो तुम भी ये चाहती हो. और ये चाहत बढ़ती जाएगी. मैं तुम्हे शांत कर सकता हू. तुम्हारी मम्मी भी कब से मुझे छोढ़ कर चली गयी. तो हम दोनो एक-दूसरे की ज़रूरत पूरी कर सकते है.
ज्योति ने मुझे कोई जवाब नही दिया. फिर मैने रिस्क लेके देखा. मैं फिरसे आयेज बढ़ा, और उसकी छूट पर अपना मूह लगा लिया. जब उसने मुझे नही रोका, तो मैने उसकी छूट चाटनी शुरू कर दी.
कुछ देर तो उसने कोई रिक्षन नही दिया. लेकिन फिर वो कामुक आहें भरने लग गयी. उसकी आहें सुन कर मैं समझ गया, की वो रेडी थी. फिर मैं उपर गया, और उसके होंठो से अपने होंठ मिला दिए.
ज्योति ने मेरा पूरा साथ दिया. अब हम बाप-बेटी नही थे. सिर्फ़ एक मर्द और औरत थे. हम दोनो एक-दूसरे को पागलो की तरह किस कर रहे थे. फिर मैने उसका शर्ट और ब्रा उतार दिए.
क्या बूब्स थे मेरी बेटी के. मैने बूब्स देखते ही उनको झपट लिया, और पागलो की तरह उनको चूसने लग गया. ज्योति कामुक आहें भर रही थी. फिर मैने अपने कपड़े उतार दिए, और मेरा लंड देख कर ज्योति खुश हो गयी.
मैने ज्योति की टांगे खोल ली, और अपना लंड उसकी छूट पर सेट कर लिया. ज्योति अब चूड़ने के लिए तैयार थी. फिर मैने एक ज़ोर का धक्का मारा. उसकी छूट बहुत टाइट थी, तो आधा लंड ही अंदर गया.
ज्योति आ आ करने लग गयी, और मैने धक्के देने शुरू कर दिए. 1-2 मिनिट में मेरा पूरा लंड उसकी छूट में चला गया. अब मैं मज़े से अपनी बेटी को छोड़ रहा था.
वो भी मज़े से अपने बाप का लंड ले रही थी. मैं उसको किस किए जेया रहा था, और मेरा लंड उसकी छूट की गर्मी का मज़ा ले रहा था. फिर मैने उसकी टांगे पूरी मोड़ ली, और तेज़ी से उसकी छूट छोड़नी शुरू की.
20 मिनिट मैने उसकी छूट का मज़ा लिया. उसके बाद मैने अपना पानी ज्योति की छूट में ही निकाल दिया. चुदाई के बाद हम दोनो कुछ देर चुप-छाप लेते रहे. फिर मैने ज्योति को बोला-
मैं: ज्योति मैं तुमसे शादी करना चाहता हू.
ज्योति: लेकिन लोग क्या कहेंगे पापा?
मैं: हम यहा से डोर चले जाएँगे. किसी को पता भी नही चलेगा.
ज्योति: ठीक है रोशन.
तो इस तरह से मैने अपनी बेटी से शादी कर ली, और शहर बदल लिया.
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