हेलो दोस्तो, मेरा नाम राज है. मई देल्ही का रहने वाला हू और ये मेरी पहली स्टोरी है. ई होप आप लोगो को स्टोरी पसंद आएगी.
ये बात 2019 की है, जब मई 1स्ट्रीट एअर मे था. तब मई अकाउंट्स पढ़ने के लिए टुटीओन जाता था. टुटीओन पर मोस्ट्ली छ्होटे बच्चे ही पढ़ते थे. मम्मी की जान-पहचान थी, तो इसलिए उन्होने मुझे पढ़ाने से माना नही किया.
मेरी टुटीओन टीचर को जब मैने पहली बार देखा, तब मई शॉक रह गया. वो मेरी ही उमर की लग रही थी. पर उनकी आगे 24 थी और उनका नाम जाहनवी था. अब जाहनवी के बारे मे क्या बतौ गाइस. वो पंजाबी फॅमिली से बिलॉंग करती थी. रंग एक-दूं गोरा था उसका और हाइट 5’5″ थी.
उसका फिगर 34″27″36″ था और वो बहुत मॉडर्न थी. वो मुझसे बहुत ही प्यार से बात करती थी, क्यूकी उनकी मम्मी और मेरी मम्मी बहुत आचे दोस्त थे. मेरा ध्यान पढ़ाई मे लगता ही नही था और मई बार-बार उनके गोरे बदन को देखता था.
मई बार-बार उनसे क्वेस्चन्स पूछता था. फिर जब वो झुकती थी क्वेस्चन देखने के लिए, तब उनकी क्लीवेज सॉफ-सॉफ दिख जाती थी. बस एक ही प्राब्लम थी, की वाहा बच्चे बहुत थे. फिर एक दिन मैने उनसे झूठ बोल दिया, की मेरी एक्सट्रा क्लासस होंगी कॉलेज मे, तो मई घर लाते अवँगा.
पहले उन्होने कुछ देर सोचा और फिर कह दिया-
जाहनवी: ठीक है, पर जितनी जल्दी हो सके आ जाना.
फिर अगले दिन मई लाते गया तूतिओं पर और वाहा एक भी बच्चा नही था. माँ बैठी थी चेर पर. फिर मई उनके सामने जाके बैठ गया. अब वो पूरा टाइम मेरे सामने ही थी. मेरी नज़र बार-बार उनके बूब्स पर पद रही थी और वो फोन चला रही थी.
मेरा मूठ मारने का मॅन करने लगा और मई उनसे पूच कर टाय्लेट चला गया. फिर वाहा मैने देखा, उनकी ब्रा पड़ी थी. वो ब्रा देख कर मेरा लंड और खड़ा हो गया. फिर मई बाहर आया और मैने उनसे कहा-
मई: पानी दे दीजिए.
वो पानी लेने चली गयी. जब वो पानी लेने जेया रही थी, तब मेरी नज़र उनकी गांद पर गयी. मेरी तो हार्टबीट ही बढ़ गयी थी, उनकी चाल देख कर.
अगले दिन मैने अपनी क्लास के लड़को को बताया जाहनवी माँ के बारे मे. मेरे दोस्तो को भी अकाउंट्स पढ़ना था और उसी दिन मई और मेरे 3 दोस्त यश, कारण और सिड टुटीओन पहुँच गये. दीदी पहले तो कुछ समझ नही पाई, फिर मैने उनसे बोला-
मई: ये भी आपसे पढ़ना चाहते है.
तो उन्होने कहा: राज मई सिर्फ़ बच्चो को ही पढ़ाती हू. तुम्हे पता है, तुम मम्मी के थ्रू आए हो, इसलिए तुम्हे हा बोला था मैने.
फिर वो तीनो रिक्वेस्ट करने लगे माँ से और घुटनो पर बैठ गये और रिक्वेस्ट करने लगे. उसके बाद जाहनवी ने भी कह दिया-
जाहनवी: ठीक है, पढ़ा दूँगी.
अब उस रूम मे हम 4 दोस्त थे, और माँ थी. हम सब बारी-बारी एक-एक करके माँ से क्वेस्चन पूछते थे और उनकी क्लीवेज और बूब्स का मज़ा लेते थे.
फिर हमारे बोर्ड्स स्टार्ट होने वाले थे और हम चारो ने एक प्लान बनाया. प्लान ये था, की मई माँ से झूठ बोलूँगा, की मेरा आक्सिडेंट हुआ है और बॅंडेज लगा लूँगा. और माँ को पढ़ाने के लिए मेरे घर पर बुला लेंगे.
पहले तो माँ माना कर रही थी और वो कहने लगी-
माँ: कोई बात नही. तुम क्वेस्चन्स करो और मई तुम्हे फोन पर समझा दूँगी, जो नही आएगा.
फिर मई रिक्वेस्ट करने लगा: माँ बोर्ड्स है मेरे. प्लीज़ यहा आके पढ़ा दो.
फिर उनको हा करनी पड़ी और वो मेरे घर आ गयी. मेरी मों मार्केट जेया रही थी और मैने अपनी लेग्स पर और हेड पर बॅंडेज लगा ली थी. फिर माँ क्वेस्चन्स बताने लगी और थोड़ी ही देर मे यश, कारण और सिड भी आ गये.
इससे पहले माँ कुछ बोलती, मैने पहले ही बोल दिया-
मई: माँ उनको भी आप यही पढ़ा दीजिए.
फिर हम चारो बैठे पढ़ रहे थे और मई यश से कहता हू-
मई: पानी ले आ भाई.
माँ मेरे ही बगल मे बैठी होती है. मई जान-बूझ कर अपना हाथ शेक करने लगता हू और पानी माँ के उपर गिरा देता हू और माँ का टॉप और जीन्स भीग जाते है.
माँ मुझे कुछ नही कहती है, शायद मेरी हालत की वजह से. फिर कारण उनके लिए टवल ले आता है और वो अपने बाल और सिर पोंछ लेती है. लेकिन उनके कपड़े गीले होते है और देल्ही की ठंड तो आप लोगो को पता ही है. फिर हम लोग माँ से कहते है-
हम लोग: माँ आप चेंज कर लो. वरना आपकी तबीयत खराब हो जाएगी.
अब माँ के पास भी और कोई ऑप्षन नही था. वो बातरूम जाती है, शवर ओं करती है और फिर टवल मांगती है. कारण टवल देने जाता है और वो बातरूम से बस अपना हाथ ही निकालती है. फिर कारण उनसे कहता है-
कारण: आप अपने कपड़े दे दीजिए माँ, मई बाहर फैला देता हू.
और माँ अपने सारे कपड़े कारण को दे देती है. जीन्स-टॉप और ब्रा-पनटी को हम चारो पागलो की तरह सूंघने लगते है और लंड से लगाते है और हम माँ कपड़ो को और गीला कर देते है, ताकि वो जल्दी ना सूखे. फिर अंदर से माँ की आवाज़ आती है-
माँ: मुझे कपड़े दो राज. तुम अपने डेडॉ, या अपनी मम्मी के डेडॉ.
फिर मई अपना प्लान ब लगता हू और मई उनसे कह देता हू-
मई: माँ मम्मी तो मार्केट गयी है और वो बेडरूम हमःशा लॉक करके जाती है. और मेरे कपड़े भी उसी रूम की शेल्फ पे है.
फिर माँ गुस्सा हो कर अंदर से बोलती है-
माँ: जब कपड़े थे नही, तो क्यू बदलने को बोला?
मई कह देता हू: सॉरी माँ, मई भूल गया था.
फिर माँ बातरूम मे ही मम्मी का वेट करती है और मुझे पहले ही पता था, की मम्मी मौसी के घर भी गयी थी और वो जल्दी आएँगी नही. लेकिन माँ बातरूम मे ही थी. फिर भगवान ने हमारी सुन ली और लाइट चली गयी. बातरूम मे इनवरटर नही कनेक्टेड था.
तभी माँ की आवाज़ आती है: ये क्या हुआ?
हम लोग बताते है: लाइट चली गयी माँ.
और इससे माँ को बातरूम के अंदर काफ़ी दर्र लग रहा होता है. फिर फाइनली वो बाहर आ जाती है. हम चारो की आँखें बाहर आ गयी थी, माँ को टवल मे देख कर. माँ बाहर आते ही बोलती है-
माँ: मेरे कपड़े ले आओ. अब तक सूख गये होंगे.
फिर कारण कपड़े लाता है और माँ उन कपड़ो को देख कर और पार्शान हो जाती है. क्यूकी माँ के कपड़े तो सूखे ही नही थे. फिर माँ एक कॉर्नर पर बैठ जाती है और हम चारो पढ़ाई करने लगते है. उसके बाद मई कहता हू-
मई: माँ मुझे एक डाउट है.
और माँ को क्वेस्चन देखने के लिए मेरे पास आना पड़ता है. फिर माँ तोड़ा बेंड होती है और उतने मे कारण चुप-छाप माँ की गांद देखने की कोशिश करता है. माँ की गांद देख कर कारण की आँखें चमक जाती है. फिर ऐसे ही एक-एक करके सब लोग माँ से क्वेस्चन पूछते है.
उसके बाद माँ रूम के एक कॉर्नर पर बैठ जाती है और उस कॉर्नर पर माँ को एक लिज़र्ड दिख जाती है. माँ जल्दी से पीछे हो जाती है और उनकी टवल खुल जाती है और वही लिज़र्ड के पास गिर जाती है.
जिस पल का हमे इंतेज़ार था, वो आ गया था. माँ अब पूरी नेकेड थी और वो अपने दोनो हाथो से अपने बूब्स और छूट को कवर कर रही थी. लेकिन कोई फ़ायदा नही था. उनके बूब्स इतने बड़े थे, की एक हाथ से कहा च्छूपने वाले थे. फिर माँ कारण से कहती है-
माँ: बेटा मेरी टवल ले आओ उस कॉर्नर से.
वो कह देता है: माँ मुझे दर्र लगता है.
फिर बाकी सब भी यही कह देते है. माँ को कुछ समझ नही आता है, की वो क्या करे
तो बे कंटिन्यूड..