ही दोस्तों, मेरा नाम प्रिया है, और मैं पुंजब की रहने वाली हू. मेरी हाइट 5’6” है, और मेरा साइज़ 34-30-36 है. रंग मेरा ठीक है, ज़्यादा गोरा या काला नही है. मैं 30 साल की हो गयी हू, और मेरी शादी हो चुकी है.
मेरी पिछली स्टोरी में आप सब ने पढ़ा, की किस तरह मेरी रूमेट रजनी ने अपने बाय्फ्रेंड को हॉस्टिल रूम में बुलाया. उसके बाद उसके बाय्फ्रेंड ने रात भर उसकी चुदाई की. और इस दौरान मैने भी 2 बार फिंगरिंग करके अपनी छूट शांत की. अब आयेज की कहानी.
उस रात ने मेरी पूरी लाइफ को बदल के रख दिया था. मैं आज तक पॉर्न और लड़कों से डोर रह कर अपनी स्टडीस पर ध्यान देने की कोशिश करती थी. लेकिन उस रात के सीन्स देख कर मुझमे बदलाव आने शुरू हो गये.
अब जब भी मैं अकेली होती रूम में तो मेरे दिमाग़ में उस रात के सीन्स घूमने लगते, और मेरी छूट गरम हो जाती. फिर छूट को शांत करने के लिए मुझे फिंगरिंग करनी पड़ती.
अब रोज़ दिन में एक बार तो मैं फिंगरिंग करती ही थी. लेकिन जिस दिन एक बार फिंगरिंग करके मेरी छूट शांत नही होती थी, तो उस दिन 2 या 3 बार फिंगरिंग करने से मैं पीछे नही हट-ती थी.
रोज़-रोज़ फिंगरिंग करने और बूब्स दबाने से मेरे बूब्स भी थोड़े बड़े होने लगे थे. अब मैने पॉर्न भी देखना शुरू कर दिया था. पॉर्न देख कर मुझे मर्दो को खुश करने के काई तरीके पता चल चुके थे. मैने कपड़े भी टाइट पहनने शुरू कर दिए थे. अब मैने डिसाइड कर लिया था, की मुझे भी अपनी छूट की प्यास बुझाने के लिए लंड चाहिए थे.
इसी बीच हमारे एग्ज़ॅम्स हुए, और उसके बाद चुट्टिया शुरू हो गयी. 10 दिन की छुट्टी थी, तो हॉस्टिल में रह कर क्या करना था. फिर मैने ट्रेन टिकेट करवा ली, और समान पॅक करके घर के लिए निकल गयी. रजनी भी अपने घर के लिए निकल गयी.
मेरा सफ़र शाम 7 बजे शुरू होके सुबा 6 बजे तक था. जिस बॉक्स में मैं बैठी थी वाहा कोई नही था, और मैं अकेली ही थी. मैने येल्लो स्किन-टाइट त-शर्ट और पिंक लेगैंग्स पहनी थी. जैसा की मैने बताया की मैं अब सेक्सी कपड़े पहनने लगी थी.
मैने सोचा की कोई है तो है नही, तो आराम से लेट कर जाती हू. लेते-लेते मुझे कब नींद आ गयी, मुझे पता ही नही चला. तकरीबन आधे घंटे बाद मुझे कुछ आवाज़े आने लगी, तो मेरी आँख खुल गयी. मैने देखा, की एक 40-45 साल के अंकल अपना समान उपर रख रहे थे. उनको देख कर मैं उठ कर बैठ गयी, और पानी पीने लगी.
वो अंकल मेरे सामने वाली सीट पर बैठ गये. उन्होने मेरी तरफ देखा, और स्माइल पास की. मैने भी उनकी तरफ देखते हुए स्माइल की. फिर मैं अपना मोबाइल चलाने लगी, और वो भी किसी से फोन पर बातें करने लगे.
कुछ देर बाद उनकी बातों की आवाज़ आनी बंद हो गयी. मैने मोबाइल चलते हुए उनकी तरफ देखा, तो उनकी नज़र मेरे बूब्स पर थी. तभी मैने नीचे देखा, तो लेटने की वजह से मेरी त-शर्ट कस्स गयी थी, और मेरी क्लीवेज सॉफ दिख रही थी.
फिर मैने दोबारा अंकल की तरफ देखा. वो मेरी क्लीवेज में इतने मगन थे, की उनको ये भी ध्यान नही था की मैं उनको मुझे देखते हुए देख रही थी. पहले तो मैने सोचा, की अपनी त-शर्ट ठीक करलू. लेकिन फिर मैने सोचा क्यूँ था तोड़ा मज़ा लिया जाए अंकल का.
ये सोच कर मैने अपनी त-शर्ट थोड़ी और नीचे कर दी. ये देख कर अंकल ने मेरी तरफ देखा, और मैने उनकी तरफ देख कर स्माइल पास कर दी. फिर अंकल बोले-
अंकल: कहा से हो बेटा?
मैं: मैं पुंजब से हू अंकल. एग्ज़ॅम्स हुए थे कॉलेज के, तो चुट्टियो में हॉस्टिल से घर जेया रही हू.
अंकल: ओक. नाम क्या है तुम्हारा?
मैं: जी प्रिया.
अंकल: मेरा नाम विवेक अरोरा है.
मैं: नाइस तो मीट योउ अंकल.
अंकल: सेम हियर बेटा.
फिर हमारी ऐसे ही बातें होने लगी. अंकल मुझे उपर से नीचे देखे जेया रहे थे. मैं उनकी पंत में उनके खड़े लंड को देख सकती थी. उनके लंड को देख कर मेरी भी छूट गरम होने लगी थी.
मुझे लगा की ये एक अछा मौका था अपनी छूट में लंड लेने का. पंत के अंदर से अंकल का लंड अछा-ख़ासा तगड़ा लग रहा था. और उसको देख कर मेरे मूह में पानी आने लग गया था. यही हाल अंकल का था, जो मेरे जिस्म को आँखों ही आँखों में पी रहे थे.
लेकिन प्राब्लम ये थी, की फर्स्ट स्टेप कों लेगा. फिर मैने सोचा की अंकल को और उत्तेजित किया जाए. मेरा समान उपर की सीट पर पड़ा था. मैं जान-बूझ कर कुछ निकालने के बहाने से खड़ी हुई, और उपर बाग में हाथ डाल कर ढूँढने का नाटक करने लगी.
इस पोज़िशन में मेरी लेगैंग्स में क़ास्सी हुई गांद अंकल के फेस के बिल्कुल सामने आ गयी. अब अंकल का खुद को रोक पाना मुश्किल था. तभी मैने जान-बूझ कर ये दिखाया, की उपर पड़ा एक बाग मेरे हाथ में नही आ रहा, और मैने अंकल को कहा-
मैं: अंकल वो बाग तक मेरा हाथ नही पहुँच रहा. आप प्लीज़ मेरी हेल्प करदोगे?
अंकल: हा ज़रूर.
फिर अंकल खड़े हो गये, और बिल्कुल मेरे पीछे खड़े हो गये. अब उनका लंड मेरी गांद के साथ टच होने लग गया. मैं ये जानते हुए भी जब कुछ नही बोली, तो अंकल की हिम्मत बढ़ गयी.
वो बिल्कुल मेरे साथ चिपक गये, और हाथ उपर ले जेया कर बाग पकड़ने का नाटक करने लगे. फिर अंकल बोले-
अंकल: ये तो काफ़ी पीछे चला गया है. तोड़ा और आयेज होना पड़ेगा.
ये बोल कर वो तोड़ा और मेरी बॉडी के साथ डाबब गये. लेकिन मैं आयेज नही हुई. मैने भी अपनी गांद को उनके लंड पर पीछे की तरफ हल्का दबाना शुरू कर दिया.
अब मुझे अपनी गर्दन पर अंकल की साँसे फील हो रही थी. अंकल ने अपना एक हाथ मेरी कमर के गिर्द लपेट किया, और पेट पर फेरने लगे. जब मैं इस्पे भी कुछ नही बोली, तो अंकल ने अपना दूसरा हाथ मेरे हाथ पर रख लिया.
तभी मैं घूम गयी. अब मेरे बूब्स अंकल की छाती पर डाबब गये. उनका लोड्ा मेरी जांघों पर टच होने लगा. उनके होंठ मेरे होंठो से 2 इंच ही डोर थे, और हम दोनो की साँसे आपस में टकरा रही थी.
अंकल का हाथ मेरी कमर पर पीछे की तरफ था, और एक तरह से मैं अंकल की बाहों में थी. फिर मैने अंकल को बोला-
मैं: अंकल ये आप क्या कर रहे हो?
अंकल: मैं कुछ नही कर रहा प्रिया, सब अपने आप हो रहा है.
मैने स्माइल करके कहा: अछा ठीक है, तो फिर हो जाने दो जो हो रहा.
ये सुनते ही अंकल ने अपने होंठ मेरे होंठो के साथ जोड़ दिए. वो मुझे पागलों की तरह किस करने लगे, और मैं भी उनका साथ देने लगी. ये पहला मर्द था, जो मेरे होंठ चूस रहा था.
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. अंकल साथ-साथ मेरी गांद भी दबाने लगे, जिससे मेरा मज़ा और बढ़ गया. उन्होने अपना हाथ मेरी लेगैंग्स के अंदर डाल लिया, और मेरे चूतड़ मसालने लग गये.
मैं बहुत खुश थी, की आज मेरी छूट को लोड्ा मिलेगा. हम तकरीबन 15 मिनिट ऐसे ही खड़े हुए एक-दूसरे के होंठ चूस्टे रहे. अंकल मेरी गांद और बूब्स दबा रहे थे.
तभी अंकल का स्टेशन आ गया, और उनको जाना था.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. मज़ा आया हो कहानी का, तो लीके और कॉमेंट ज़रूर करे.