ही फ्रेंड्स, मेरा नाम मानव है. मैं आपके सामने अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आया हू. पिछले पार्ट्स को आपने बहुत प्यार किया, उसके लिए मैं आपका दिल से शूकर-गुज़र हू. जिन रीडर्स ने पिछले पार्ट्स नही पढ़े है, वो पहले जाके वो पार्ट्स ज़रूर पढ़े.
पिछले पार्ट में आपने पढ़ा की मा को छोड़ने के बाद मैने उनकी पर्मिशन से मामी को भी बुला लिया. फिर मैने एक साथ मामी और मा की छूट और गांद को मज़े से छोड़ा. अब मैं झाड़ चुका था. चलिए आयेज बढ़ते है.
मैने मामी की गांद में अपना पानी निकाल चुका था. फिर मैं लूड़क कर साइड में लेट गया. अब मैं बीच में था, और मामी और मा मेरे अगाल-बगल में थे. हम तीनो की साँसे चढ़ि हुई थी. फिर मामी बोली-
मामी: वैसे मैं तुम लोगों को बहुत मिस करूँगी.
मामी ऐसा इसलिए कह रही थी, क्यूंकी नाना जी की तबीयत अब ठीक थी, और हमारी अगली रात की ट्रेन थी. उनकी बात सुन कर मा बोली-
मा: तुम भी आना कभी हमारे घर, वाहा मज़े करेंगे.
मामी: हा ज़रूर भाभी.
हम तीनो बहुत तक चुके थे, और ऐसे ही नंगे पड़े-पड़े सो गये. अगले दिन सुबा मैं उठा, तो मेरे आस-पास कोई नही था. फिर मैं फ्रेश हुआ, और नहा धो के बाहर गया. हम सब लोगों ने नाश्ता किया.
नाश्ते की टेबल पर मा और मामी आज फिर मेरे सामने बैठी थी. हम तीनो एक-दूसरे की तरफ देख कर मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे. मुझे तो रह-रह कर हमारी चुदाई के सीन याद आ रहे थे. मुझे ऐसा फील हो रहा था, जैसे वो दोनो मेरे सामने नंगी बैठी हो.
फिर हमारा नाश्ता हुआ, और जैसे-तैसे बाकी का दिन भी बीट गया. शाम को हम पॅकिंग करके वाहा से निकालने के लिए तैयार थे. फिर हम नाना-नानी के घर से निकल गये. जाने से पहले मैं एक बार मामी को और छोड़ने के मूड में था, लेकिन मुझे मौका नही मिला.
फिर हम स्टेशन पहुँचे, और अपनी सीट्स पर जाके बैठ गये. मैने पाजामा त-शर्ट पहना था, और मम्मी ने लेगैंग्स और लोंग त-शर्ट पहनी थी. मम्मी बहुत सेक्सी लग रही थी हमेशा की तरह. हम लोगों की स्लीपर सीट्स थी, और आज भी हमारे आस-पास कोई नही था.
मम्मी मेरे सामने की सीट पर थी, और दूसरी तरफ मूह करके लेती हुई थी. उनके मोटे चूतड़ देख कर मुझसे रहा नही गया, और मैने उनके चूतड़ पर हाथ रख कर उसको दबाना शुरू कर दिया. मेरे चूतड़ पर हाथ रखते ही मम्मी मेरी तरफ मूड गयी, और स्माइल करने लगी. फिर मम्मी बोली-
मम्मी: हंजी, क्या इरादा है?
मैं: छोड़ने का इरादा है.
मम्मी: यहा पर?
मैं: हा, अकेले होने का कुछ तो फ़ायदा ले.
मम्मी: अगर कोई आ गया तो?
मैं: तब की तब देख लेंगे.
फिर मा खड़ी हुई, और हम दोनो ने एक-दूसरे को हग कर लिया. हमारे लिप्स आपस में जुड़ गये, और हम दोनो एक-दूसरे के होंठ चूसने लग गये. चलती ट्रेन में सेक्स करने का ड्रीम किसी-किसी का पूरा होता है. उस दिन मेरा हो रहा था.
मैं किस करते हुए मा की गांद दबाने लगा. फिर मैने मा की त-शर्ट में नीचे से हाथ डाला. अभी मेरा हाथ मा की ब्रा के हुक तक पहुचने ही वाला था, की तभी वाहा और पॅसेंजर्स आ गये. उनकी आवाज़ आते ही मैं मा से अलग हो गया, और हम अपनी-अपनी सीट पर बैठ गये.
वो एक फॅमिली के 7 मेंबर्ज़ थे, जो हमारे साथ आके बैठे थे. अब मैं और मा एक-दूसरे को देख रहे थे. तभी मैं मा को इशारा करके टाय्लेट की तरफ जाने लगा. अभी मैं टाय्लेट में गया ही था, की मा ने आके दरवाज़ा नॉक कर दिया.
मैने जल्दी से दरवाज़ा खोला, और मा को अंदर ले लिया. अंदर आते ही मैने और मा ने वाइल्ड्ली किस करना शुरू कर दिया. हम दोनो मज़े से एक-दूसरे के होंठ चूसने लगे. मा ने मेरे बालों में हाथ डाल कर मेरा सर सहलाना शुरू किया, और मैं मा की पीठ सहलाने लगा.
कुछ देर किस करने के बाद मैने मा की त-शर्ट उतरवाई, और वॉशबेसिन पर रख दी. साथ ही मा ने ब्रा भी उतार दी. मा के नंगे बूब्स देखते ही मैं उन पर टूट पड़ा. मैं एक बूब चूस्टा, और दूसरे को दबाता. फिर दूसरे को चूस्टा, और पहले को दबाने लगता.
इस सब से मा बहुत गरम हो गयी थी. वो नीचे बैठी, और मेरा पाजामा और अंडरवेर उतार कर मेरा लंड बाहर निकाल लिया. मेरा लंड पूरा तन्ना हुआ था. मा ने देखते ही लंड मूह में डाल लिया, और उसको ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
मैने मा के सर के पीछे हाथ रखा, और धक्के मार कर उसका मूह छोड़ना शुरू कर दिया. मैं ज़ोर-ज़ोर से मा के मूह में लंड अंदर-बाहर कर रहा था. मेरा लंड पूरा चिकना हो चुका था मा की थूक से.
फिर मैने लंड मा के मूह से बाहर निकाला, और मा को खड़ा कर लिया. उसके बाद मैने मा को घुमाया, और पीछे से हाथ डाल कर मा की लेगैंग्स और कक़ची दोनो निकाल दिए. मैने मा के हाथ वॉशबेसिन पर रखवाए, और उनको खड़ी घोड़ी बना लिया.
मैने पीछे से मा की छूट पर हाथ रखा, और उसको तोड़ा मसला. उनकी छूट पूरी तरह से गीली हुई पड़ी थी. फिर मैने अपना लंड हाथ में लिया, और उनकी छूट पर सेट करने लगा. जैसे ही लंड छूट पर सेट हुआ, मैने ज़ोर का धक्का मार कर पूरा लंड एक ही बार में अंदर घुसा दिया.
मा की आ निकली, लेकिन मैने उनका मूह अपने हाथ से बंद कर लिया. फिर मैने लंड छूट में अंदर-बाहर करके मा को छोड़ना शुरू कर दिया. बड़ा मज़ा आ रहा था चलती ट्रेन में मा को छोड़ने मैं.
मैं तेज़-तेज़ धक्के दे रहा था मा की छूट में. उनके बूब्स आयेज हिल रहे थे, और ठप-ठप की आवाज़ आ रही थी. मैं अपने हाथ आयेज ले गया, और छूट छोड़ते हुए उनके बूब्स दबाने लगा. करीब 20 मिनिट मैने मा को छोड़ा, और फिर पानी छूट के अंदर ही निकाल दिया. फिर हम वापस जाके सीट्स पर बैठ गये.
इस तरह से जो चुदाई का रिश्ता मेरा और मा का बना था, वो आज तक चल रहा है. दोस्तों एंड में मैं आपको अड्वाइज़ देना चाहूँगा, की आपकी मा बहुत अकेली है. उसका सहारा बनो, और उसको छोड़ डालो. इससे वो खुश ही होंगी. कहानी पसंद आई हो, तो फ्रेंड्स को ज़रूर शेर करे.