ही दोस्तो, मेरा नाम हासमुख है. मैं 32 साल का हू, और डिवोर्स्ड आदमी हू. मेरी हाइट 5’11” है, और लंड 6.5 इंच का है. मैं एक टीचर हू, और एक स्कूल में साइन्स पढ़ता हू. ये कहानी पिछले महीने की है, जब कोविद की वजह से स्कूल बंद थे. तो चलिए शुरू करते है.
पिछले सालो में हमारे स्कूल में काफ़ी सारी सफाई वालिया थी. जब लॉक्कडोवन् हुआ, तो काफ़ी लोगो को अपनी जॉब से हाथ धोना पड़ा. उन लोगो में से काई कांवली औरते भी थी. फिर जब सब नॉर्मल हुआ, तो फिरसे काफ़ी नये लोग भारती किए गये.
उन लोगो में 4 नयी नौकरणिया भी थी. पिछले महीने जब स्कूल बंद हुए, तो सिर्फ़ बच्चो को ऑफ किया गया. लेकिन स्कूल स्टाफ स्कूल जाके ही काम करता था. हमारे स्कूल में भी ऐसा ही था. सारे टीचर्स को एक-एक रूम अलॉट कर दिया गया, जहा बैठ कर उनको ऑनलाइन क्लासस कंडक्ट करनी थी.
मैं भी पूरा दिन एक रूम में ही बैठ कर अपना काम करता था. फिर एक दिन मेरी नज़र एक कांवली पर गयी. उसका नाम रजनी था, और वो मेरे रूम के बाहर सफाई कर रही थी. रंग उसका सावला था, लेकिन फिगर ज़बरदस्त था.
उसका साइज़ 36″33″38″ होगा. जब वो झुक कर पोछा लगा रही थी, तो उसकी गांद ज़बरदस्त लग रही थी. तभी उसने भी मुझे देखा, और मैने अपना ध्यान दूसरी तरफ कर लिया. उस दिन से मैं उसको नोटीस करने लगा. वो आते-जाते बार-बार मुझे देखती थी.
बड़ा ही हॉर्नी अंदाज़ था उसका मुझे देखने का. फिर मैने जब अपने कॉलीग्स दोस्तो से उसके बारे में बात की, तो उन्होने भी कहा की वो हॉर्नी तरीके से देखती थी. अब मुझे यकीन हो गया था, की उससे मैं अपने लंड की प्यास शांत कर सकता था.
अब मैने भी उसको आते-जाते देखना शुरू कर दिया था. वो भी ये समझ गयी थी, की मैं उसके बूब्स और गांद देखता था. फिर वो जान-बूझ कर मेरे सामने कभी अपने बूब्स दिखती, तो कभी अपनी गांद.
एक दिन वो मेरे रूम में पोछा लगाने आ गयी. मैं जानता था की वो जान-बूझ कर आई थी. क्यूकी रूम में पोछा टीचर्स के आने से पहले लगा दिया जाता था. जब वो पोछा लगते हुए मेरे पास आई, तो मैने उसको सीधा ही बोल दिया-
मैं: रजनी.
रजनी: जी सिर.
मैं: देगी?
रजनी: क्या सिर?
मैं: देगी मुझे?
रजनी: क्या दूँगी सिर?
मैं: अब इतनी भोली मत बन.
ये सुन कर वो मुस्कुराइ और बोली-
रजनी: फ्री में कुछ नही मिलता सिर.
मैं: कितने पैसे चाहिए?
रजनी: 500 रुपय.
मैने उसी वक़्त अपनी जेब दे पर्स निकाला, और उसको 500 रुपय दे दिए. वो उठी, और बाहर से हाथ धोके आई. फिर आके उसने 500 का नोट पकड़ा, और बोली-
रजनी: कब करना है सिर?
मैं: अभी.
रजनी: अभी? यहा पर?
मैं: हा यही पर.
फिर मैने उसको क्लास की नुक्कर में दीवार के साथ लगा लिया, जहा कॅमरा नही पहुँचता था. मैं पागलो की तरह उसके होंठ चूसने लगा. उसके मूह से थोड़ी बदबू आ रही थी, लेकिन मेरे दिमाग़ में हवस चढ़ि हुई थी.
मैं किस करते हुए अपने दोनो हाथ उसकी गांद पर ले गया. उसकी गांद बहुत मोटी थी, और उसको दबाने में बड़ा मज़ा आ रहा था. उसने सलवार सूट पहना हुआ था. फिर मैने उसका दुपट्टा उतार कर साइड में फेंक दिया, और उसकी गर्दन चूमने लगा.
मैं अपना हाथ उसने शर्ट के अंदर ले गया, और उसके बूब्स दबाने लगा. उसने ब्रा नही पहनी थी, और उसके निपल एक-दूं कड़क थे. फिर मैने उसको बोला-
मैं: अपना शर्ट उतार दो.
रजनी: सिर शर्ट नही उतार सकती. कोई आ गया, तो इसको जल्दी से पहन नही पौँगी.
मैं: ओक.
फिर मैं एक चेर पर बैठ गया, और उसको अपनी गोद में बिता लिया. मैने उसको उसका शर्ट उपर उठाने को बोला, और उसने शर्ट गले तक चढ़ा लिया. अब उसने मोटे काले निपल्स वाले बूब्स मेरे सामने थे. मैं जल्दी से उसके निपल्स चूसने लगा.
बहुत मज़ा आ रहा था मुझे, क्यूकी मैने इतने दीनो से किसी औरत को टच नही किया था. फिर मैने उसको खड़ा किया. और उसका फेस दीवार की तरफ घुमा दिया. मैने उसकी सलवार का नाडा खोल दिया, जिससे सलवार नीचे गिर गयी.
अब पनटी में उसकी मोटी गांद मेरे सामने थी. मैने उसकी गांद को मसला और उसकी पनटी भी नीचे कर दी. अब उसकी सलवार और पनटी उसके पैरो में थी. मैने उसकी छूट पर हाथ लगाया, तो वो गीली हो चुकी थी.
फिर मैने अपना लंड बाहर निकाला, और हाथ पर थूक लेके अपने लंड पर लगाई. मैने अपना लंड उसकी छूट पर सेट किया, और एक ज़ोर का झटका मारा. उसकी चीख निकली, और मेरा पूरा लंड उसकी छूट में समा गया.
आहह.. क्या मज़ा आया मुझे छूट में लंड डाल कर. इतनी देर का प्यासे लंड को आज छूट की गर्मी मिली थी. फिर मैने उसकी छूट में धक्के देने शुरू कर दिए. वो आहह आ करने लगी गयी. मेरी जाँघो के उसकी गांद से टकराने से ठप-ठप की आवाज़े आ रही थी.
मैं अपने हाथ उसके बूब्स पर ले गया, और ज़ोर के धक्के मारता गया. उसके निपल्स को मैं ज़ोर-ज़ोर से मसल रहा था, और उसकी कमर को नोच रहा था. लंड और छूट के पानी से छाप-छाप की आवाज़ आनी शुरू हो गयी थी.
5 मिनिट बाद मुझे अपने लंड पर उसकी छूट का गरम-गरम पानी महसूस हुआ. उसका पानी उसकी जाँघो पर बहने लगा था. लेकिन मेरा काम अभी नही हुआ था. मैने अपने धक्को की स्पीड तेज़ कर दी, और उसको दर्द होने लगा.
वो मुझे रोकने लगी, लेकिन मैने उसकी एक बात भी नही सुनी. अगले 5 मिनिट मैने उसको कस्स के जकड़े रखा, और उसकी छूट छोड़ता रहा. फिर मैने अपना माल उसकी छूट में ही निकाल दिया. बड़ा सुकून मिला था आज मुझे.
फिर मैने अपने कपड़े ठीक किए, और उसने भी अपनी सलवार पनटी पहन कर अपना शर्ट ठीक कर लिया. उसके बाद वो फिरसे पोछा मारने लगी. मैं बाहर जाके मूट के आया, और उसको देख कर मेरा लंड फिरसे खड़ा हो गया.
मुझे अब उसकी गांद मारने की इक्चा हुई. जब वो खड़ी हुई, तो मैने उसको फिरसे पकड़ लिया. इस्पे वो बोली-
रजनी: ये क्या सिर? काम तो हो गया ना आपका.
मैं: मैने 500 पुर दिन के दिए थे रंडी, एक बार के नही.
रजनी: ये ग़लत है सिर.
मैं: फिर वापस कर्दे मेरे पैसे. चल अगर एक बार के ही थे वो पैसे, तो मैने एक बार तेरी छूट तो मार ली. लेकिन गांद कहा मारी.
रजनी: नही गांद नही सिर. मैने आज तक गांद नही मरवाई.
मैं: तो आज मरवा ले.
ये बोल कर मैने उसको दीवार के साथ लगा लिया, और उसकी सलवार और पनटी नीचे कर दी. फिर मैने अपने लंड को थूक से गीला किया. थोड़ी थूक मैने उसकी गांद के छेड़ पर भी लगाई.
वो माना करती रही, लेकिन मैने उसकी गांद पर अपना लंड सेट किया, और ज़ोर के धक्के से लंड का टोपा उसकी गांद में घुसा दिया. वो दर्द से कराहने लगी, लेकिन मैं ज़ोर लगता गया. 1 मिनिट में मैने अपना पूरा लंड उसकी गांद में डाल दिया.
वो बोली: सिर बहुत दर्द हो रहा है. निकाल लो ना बाहर.
मैं: पगली तुझे अभी बहुत मज़ा आने वाला है.
ये बोल कर मैं उसकी गांद में लंड अंदर-बाहर करने लगा. 3-4 मिनिट में उसकी गांद का छेड़ अड्जस्ट हो गया, और वो आहें भरने लग गयी. मैं धीरे-धीरे अपनी स्पीड तेज़ करता गया, और उसके बूब्स दबाता गया.
बड़ा ही मज़ा आ रहा था उसकी गांद मारने में. 15 मिनिट मैं लगातार उसकी गांद छोड़ता रहा, और फिर मेरा माल निकालने वाला हो गया. मैने अपना माल उसकी गांद में ही भर दिया.
फिर मैं शांत हो गया, और अपने कपड़े ठीक करने लगा. मैने देखा, की उसकी गांद का खून मेरे लंड पर लगा हुआ था. उसने भी अपनी सलवार और पनटी उपर की, और सफाई करके जाने लगी. जाते हुए वो बोली-
रजनी: सिर अगली बार से पैसे देने की ज़रूरत नही है. क्यूकी आप मज़ा बहुत देते हो.
मैं ये सुन कर खुश हो गया. फिर जीतने दिन तक स्कूल बंद रहे, मैने रोज़ उसकी छूट और गांद का मज़ा लिया. अब स्कूल में बच्चे आने लगे है, तो कुछ हो नही पता. लेकिन मैं कभी-कभी बातरूम में जाके उससे लंड ज़रूर चुस्वा लेता हू.
दोस्तो, कांवली से ज़्यादा मज़ा सेक्स में ना तो बीवी, ना गर्लफ्रेंड, और ना ही कोई और दे सकता है. तो आप भी देखिए अगर कोई मिल जाए तो.
तो ये थी मेरी कहानी. अगर आपको कहानी पसंद आई हो, तो इसको लीके और कॉमेंट ज़रूर करे. कहानी पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत थॅंक्स.