ये कहानी आज से कुच्छ साल ही पुरानी है जो की मेरी लाइफ की एक साची घटना है जो मे आप सब से शेर करने जा रहा हू.
मेरा नाम आर्या है और मे अपनी दीदी पूनम और पापा राकेश और दीदी पूनम के साथ मुंबई मे रहता हू. हम लोग अप्पर मिड्ल क्लास से बिलॉंग करते है. पापा का डाइमंड्स का बिज़्नेस है जिस के चक्कर मे वो दूसरे स्टेट्स मे ट्रॅवेल करते रहते है.
इश्स कहानी की हेरोयिन है मेरी दीदी पूनम.
मेरी दीदी की आगे 26 यियर्ज़ है और उसका फिगर 34-30-36 के आस पास है. उसके मुममे बहोट ही बड़े और टाइट है. उसे रोज टिप टॉप रहना बहोट पसंद है.
तो ये कहानी तब शुरू होती है जब हमारे घर का जो नौकर अल्ताफ़ है उसका निकाह था गाओं मे. उसने हम सब को इन्वाइट किया था और वो भी निकाह से 2 दिन पहले. क्यू की अल्ताफ़ और उसकी फॅमिली हम से बहोट करीब थी.
ह्यूम शादी के लिए नेक्स्ट वीक निकलना था. पापा और दीदी ने पहले कहा था की वो आएँगे पर एंड डटे पे पापा को अर्जेंट नानी के वाहा देल्ही जाना पड़ा जिससे दीदी बहोट उदास हो गयी.
नेक्स्ट दे हम लोग घर से निकले कार से बाइ रोड जाना था ह्यूम. मेने नॉर्मल टशहिर्त औट ट्राउज़र पहना था पर दीदी उफफफ्फ़ उसका तो पुच्च्ो हू मत. वो तो ऐसे तैयार हुई थी जैसे हुमारी फॅमिली मे फंक्षन हो.
दीदी ने पर्पल कलर का टॉप और वाइट शॉर्ट्स पहने थे. वो बिल्कुल हाइ क्लास रंडी जैसी लग रही थी. मेरा तो उसे देख ते ही खड़ा हो गया था. मूज़े पता चल गया था की फंक्षन मे अगर किसी के हाथ लग गयी ये तो पक्का पेली जाएगी.
दीदी: कैसी लग रही हू मे?
मे: कहेर ढा रही हो दीदी, फंक्षन मे पक्का किसी ना किसी का दिल आ जाएगा आप पे.
दीदी मेरी कॉमेंट पे ज़ोर से हासणे लगी और मुजसे जल्दी से समान कार मे रख के चलने के लिए कहा. क्यूकी ह्यूम रात होने से पहले वाहा पह्ोचना था. दीदी ने तो 10 दिन जितना समान लिया था.
दीदी एक नंबर की चुड़क्कड़ है खास कर मुस्लिम लंड को लेके.
खैर हम घर से निकले और जैसे तैसे करके 3 अवर्स की ड्राइविंग के बाद लोकेशन ओए पह्ोछ गये. लोकेशन बहोट औत्स्किर्ट था और गाओं भी ज़्यादा डेवेलप्ड नही था. गाओं मे सभी लोग हम लोगो को ही देख रहे थे. अल्ताफ़ की अम्मी ने हुमारा स्वागत किया और ह्यूम फ्रेश होने के लिए एक रूम दे दिया.
हम फ्रेश हो के बाहर आए तो देखा की गेस्ट्स आने लगे है और निकाह से पहले का फंक्षन स्टार्ट होने जा रहा है. दीदी सब लॅडीस के साथ बिज़ी हो गयी और मे छाई पीने छाई की तपरी पे गया. वाहा सब छाई पी रहे थे.
अचानक से वाहा एक आदमी बोला, “आबे ओय, कों है ये सफेद हाफ पंत वाली? साली क्या डीडिल लग रही है. कसम से अगर एक बार हाथ मे आ गयी तो साली को निचोड़ दूँगा.”
असलम देखने मे बहोट ही हटता कटता और काला था और उसने वाइट कलर का कुर्ता पाजामा पहें रखा था. और सर पे टिपिकल मुस्लिम वाइट स्कुल्लकापे पहें रखी थी. उसकी आगे 36 के आस पास होगी.
चैवाला: असलम मिया वो शहेर से आई है, अपने अल्ताफ़ की मालकिन की बेटी है वो. तब मे शॉक्ड रह गया की ये लोग तो मेरी ही दीदी के बारे मे बात कर रहे है.
असलम: क्या पटाखा है साली, अल्ताफ़ की जगह अगर मे होता तो उसे 10 बचो की दीदी बना देता और उसकी गांद का भरता बना देता.
ये सब सुन के आस पास के सब लोग हासणे लगे और मेरा लंड भी टाइट हो गया. मे सोचने लगा की असलम की मुलाकात दीदी से कैसे कराव क्यू की मूज़े पता था की अगर ये एक बार दीदी से मिल लिया तो पक्का ये मेरी बेहन छोड़ देगा.
मेने एक प्लान बनाया की इसकी कॉमेंट्स दीदी को बता डू क्यू की मूज़े दीदी के रेस्पॉन्स भी जेया ना था. और मूज़े ये भी यकीन हो जाएगा की अगर दीदी की छूट मे खुजली मची है. तो पक्का ये असलम के पिच्चे पिच्चे जाएगी और खुद अपनी छूट और गांद उसे दे बैठेगी.
मेने वैसा ही किया. मे सीधा अंदर दीदी के पास गया और वेट करने लगा असलम के आने का. जैसे ही असलम अंदर आया मेने दीदी से कहा.
मे: दीदी..
दीदी: हा आरू?
मे: दीदी वो देखो, वाइट कुर्ते मे जो कला सा आदमी है ना उसने अभी थोड़ी देर पहले आप पे गंदी सी कॉमेंट पास की.
दीदी: कोंसि कॉमेंट आरू?
मे: वो हाफ पंत वाली मस्त आइटम लग रही है और साली के चुचे क्या टाइट है साली क्या पटाखा लग रही है. एक बार मिल जाए तो साली को निचोड़ डालु. (पता है मेने मिर्च मसाला डाल के बताया दीदी को पर मूज़े उसके रिक्षन्स जान ने थे).
ये सुन के दीदी के फेस पे ग्लो आ गया और वो बहोट ज़ोर से हास ने लगी.
मे: हास क्यू रही हो? आपको बुरा नही लगा उसकी कॉमेंट्स से?
दीदी: बिल्कुल भी नही आरू, तुम ज़्यादा फिकर मत करो मर्द होते ही है ऐसे है. अगर कोई खूबसूरत लड़की को देख ले तो वो ऐसे ही कॉमेंट्स पास करते है. इट’स नॅचुरल आरू.
मे: ओक.
दीदी: आरू मूज़े ज़रा फिरसे बताना कों है वो?
मेने उंगली से इशारा असलम की तरफ किया. तो दीदी ने अपने एक आइब्रो को उपर करके, “श ई सी” कहा.
दीदी: ओके आरू, तुम चिंता म्ट करो. तुम अब खाना खा लो मे सबसे मिल के आती हू.
मे: ओके दीदी.
मे फिर वाहा से चला तो गया पर मेने ध्यान दोनो पे रखा. दीदी बार बार असलम की और देख रही थी और असलम भी नोटीस करने लगा की दीदी उसी को देख रही है.
दोनो थोड़ी देर बाद गेस्ट्स से बात करने के बहाने एक दूसरे के करीब आ गये. मे उनसे दूर था इस लिए मूज़े उनकी बाते सुनाई नही दी पर बस इतना देख सका की असलम ने दीदी को आदाब कहा. और दीदी ने अपने दोनो हाथ जोड़ के उसे नमस्ते कहा.
कमाल की बात ये थी की गेस्ट्स चले गये फिर भी दोनो बाते कर रहे थे और दीदी हास हास के बाते कर रही थी. मे तोड़ा नज़दीक आया तो सुना.
असलम: पूनम जी आप इश्स वाइट स्कर्ट और पिंक टॉप मे भौत आक्ची लग रही हो.. आप तो आज कहर ढा रही हो.
दीदी इस बात पे हास पड़ी और उसको शुक्रिया कहा.
दीदी: असलम जी मूज़े सिर्फ़ पूनम कहो पूनम जी नही. और दीदी ने असलम को बताया की उसे गाओ देखना है.
असलम: ठीक है पूनम मे अवँगा आज रात को और तुम्हे गाओ दिखाने पर एक शर्त है मेरी.
दीदी: कैसी शर्त?
असलम: जब मे तुम्हे गाओ दिखौ तो तुम ये स्कर्ट और टॉप पहने रखोगी.
दीदी (हेस्ट हुए): जी पक्का.
ऐसे ही फिर रात हुई और सब अपने अपने घर चले गये और हम अपने रूम मे. दीदी बातरूम गयी और असलम के लिए तैयार होने लगी
दीदी: आरू तुम यही रूको मे आती हू अल्ताफ़ की अम्मी को काम है तोड़ा. मूज़े लौट ते टाइम देर हो जाएगी तुम सो जाना.
मूज़े पता था ये अपनी छूट की खुजली मिटाने असलम के पास जेया रही है.
मे: ओक दीदी.
दीदी रूम से बाहर निकली और मेने पिच्छा किया. दीदी पिच्चे से बहोट सेक्सी लग रहै थी उसकी स्कृत छोटी थी जिससे उसकी गांद दिख रही थी.
थोड़ी दूर आयेज जाते मेने और दीदी ने असलम को देखा वो एक कोने मे खड़ा खड़ा बीड़ी पी रहा था. दीदी उसके नज़दीक गयी और उसे इस बार आदाब कहा. और असलम ने भी रेस्पॉन्स दिया.
दीदी को रेस्पॉन्स देते टाइम उसके मूह से बीड़ी का धुआ सीधा दीदी के मूह पे च्छुत गया पर सर्प्राइज़िंग्ली दीदी ने अपना मूह साइड मे नही किया और हास दी.
असलम भी समाज चुका था की ये आज अपनी मरवाने ही आई है. दोनो बाते करते करते आयेज बढ़े और मेने देखा की असलम पूरे रास्ते दीदी की गांद पे अपना हाथ फ़ायर रहा है. और कभी कभी दीदी की गांद भी दबा दे रहा है. पर दीदी उसको कुच्छ नही कहती. उसने दीदी को पूरा गाओ घुमाया और फिर जहा हम ठहरे थे वाहा दोनो आ गये.
मे जल्दी से रूम की और भगा पर दोनो हुमारे रूम की तरफ नही बल्कि दूसरे रूम मे जेया रहे है जिसमे दहेज का सामान पड़ा हुआ था.
रूम मे पहले दीदी गयी फिर पिच्चे पिच्चे असलम. और अंदर जाते ही असलम ने रूम का दरवाजा बंद कर दिया. मे खिड़की ढूँढ ने रूम के पिच्चे भगा. मूज़े खिड़की मिलने मे थोड़ी देर लग गयी और मेने जैसे ही अंदर देखा तो मे हक्का बक्का रह गया.
असलम दीदी को किस कर रहा था और उसने दीदी की चुचि दबा रहा था और दीदी की गांद भी दबा रहा था. दीदी भी उसे सही से रेस्पॉन्स दे रही थी.
दीदी ने अब असलम के पाजामे का नडा खिच लिया जिस से उसका पाजामा नीचे गिर गया. उसका ताना हुआ लोड्ा बाहर आ गया जिसे देख के मे और दीदी दोनो हैरान रह गये. उसका लोड्ा 8 इंच बड़ा था और 2 इंच मोटा, बिल्कुल काला और आयेज से . हुआ.
. की कहानी . ही . अगले पार्ट मे.