हेलो दोस्तों, मैं स्वरना. आप सब ने आज तक मेरी सारी सेक्स स्टोरीस को बहुत प्यार दिया है, और बहुत अप्रीशियेट किया है.
मैं जानती हू ये स्टोरी कुछ ज़्यादा लंबी चल रही है. लेकिन आप सभी प्लीज़ आयेज पढ़ते रहिए, की कितना उत्तेजित मज़ा आने वाला है.
इस स्टोरी का 38त पार्ट तो आप सभी ने पढ़ कर मज़े ले ही लिए होंगे, और अगर नही लिए, तो प्लीज़ पढ़ लीजिए. ताकि आप ये पार्ट का भी ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा ले पाए. आंड मैं चाहती हू आप सभी मुझे ज़रूर बताए, की आपको कहानी कैसे लग रही है. जिससे मुझे और इन्स्पिरेशन मिले आप सब के लिए लिखने का.
तो अब ज़्यादा यहा वाहा की बातें नही करते हुए डाइरेक्ट्ली स्टोरी को शुरू करते है. अब आयेज…
पर मैने पहले कभी भी गांद चुदाई नही की थी, और ये तो दोनो च्छेद एक साथ चुदाई होने वाली थी. इसलिए घबराहट से मेरा दिल बैठने लगा था.
मिस्टर. रस्तोगी ने एक ज़ोर के धक्के से अपने लंड को मेरी गांद में घुसने की ट्राइ करी. मगर उसका लंड आधा इंच भी अंदर मेरी गांद में नही जेया पाया था. मैं एक-दूं से झटपटा उठी दर्द से.
तब मिस्टर रस्तोगी ने अपनी दोनो उंगलियों से मेरी गांद के च्छेद को पूरा फैला कर अपने लंड को उसमे तूसने की कोशिश की. मगर इस बार भी इतनी मेहनत के बाद भी उसका लंड मेरी गांद में रास्ता बना नही सका था.
इस नाकामयाबी से रस्तोगी एक-दूं चिढ़ कर गुस्सा हो गया, और उसने चीखते हुए अज़हर से कहा-
मिस्टर. रस्तोगी: क्या तुकार-तुकार देख रहा है? जेया जल्दी से जेया कर कोई अची क्रीम लेकर आ. लग रहा है आज तक तूने तेरी रंडी बीवी की ये वाली सील तोड़ी नही है भोंसड़ी के. मैं तो सोच रहा था इस कुटिया की गांद सुखी ही मारु, पर ये साली बहुत ही टाइट है. मेरे लंड को पूरा मरोड़ कर रख देगी.
अज़हर ने पास के ड्रेसिंग टेबल से कोल्ड क्रीम की डिब्बी ला कर रस्तोगी को दी. तो उसने अपनी उंगलियों से लगभग आधी बॉटल क्रीम निकाल कर मेरी गांद के च्छेद पर लगा दी. और फिर उसने वो उंगलियों से अंदर तक आचे से गांद के च्छेद को चिकना करने लगा था. उसने कुछ क्रीम ज़्यादा निकाल कर लंड पर भी मसल दी थी.
बाद में इस बार जब उसने मेरी गांद के च्छेद पर अपने लंड को रख कर धक्का दिया, तो उसका लंड मेरी गांद के छ्होटे से च्छेद को फाड़ते हुए अंदर घुस गया. इस दर्द से मेरा जिस्म ऐतने लगा था. मुझे ऐसा लगा मानो कोई एक मोटी सी रोड मेरी गांद में डाल दी हो. मैं एक-दूं से बिलबिला उठी-
साहिबा: आह मेरी गांद फटत गयी. ससस्स मैं मॅर गयी आहह. बहुत दर्द हो रहा है आ.
दो झटके में ही उसका पूरा लंड मेरे पिछले च्छेद के अंदर घुस गया. जब तक उसका पूरा लंड मेरे शरीर में घुस नही गया, तब तक मिस्टर स्वामी ने अपने धक्के बंद रखे, और मेरे जिस्म को बुरी तरह अपने सीने पर जाकड़ कर रखा था.
मुझे लग रहा था की मेरा शरीर पूरा सुन्न पद गया हो. लेकिन कुछ ही टाइम में मुझे वापस दर्द की बहुत तेज़ लेहायर ने मेरे पुर जिस्म को जाकड़ लिया था.
अब रस्तोगी और स्वामी दोनो ने अपनी-अपनी जगह धक्के मारने शुरू कर दिए थे. हर धक्के के साथ मैं बिलक उठती. उन दोनो के बड़े-बड़े लंड ऐसे लग रहे थे, की मेरे पेट की सारी आंतडियो को तोड़ कर रख देंगे. 20-25 मिनिट तक दोनो ने मेरी ठुकाई की, और फिर दोनो ने एक साथ मेरे दोनो च्छेदो को अपने अपने लंड के रस्स से भर दिया था.
मिस्टर. रस्तोगी झड़ने के बाद भी मेरे जिस्म से चिपके रहे, और मैं भी काफ़ी टाइम तक स्वामी के जिस्म पर ही फैल कर पसरी रही. उसका लंड नरम हो कर मेरी छूट से निकल कर बाहर आ चुका था.
लेकिन मुझ में अब बिल्कुल भी ताक़त नही बची थी. इसलिए स्वामी ने मुझे अपने उपर से हटाया, और अपनी बगल में लिटा लिया था. मेरी आँखें बंद हो चुकी थी. मैं थकान और नशे से नींद के आगोश में चली गयी थी.
उसके बाद भी रात भर मेरे तीनो च्छेदो को आराम नही करने दिया गया. मुझे काई बार काई नये-नये तरीक़ो से उन दोनो ने मुझे छोड़ा था. पर मैं तो नशे में चूर हो कर बेसूध ही पड़ी थी.
एक दो बार दर्द से मेरी खुमारी ज़रूर टूटी. लेकिन अगले ही पल वापस मैं नशे में बेसूध हो जाती थी. वो दोनो रात भर मेरे जिस्म पर नाचते रहे. मेरे हर अंग को उन्होने छोड़ा. मेरे बूब्स, बगल, और आख़िर मेरे संडलेस के बीच भी खुद के लौदो से रग़ाद कर मुझे छोड़ा.
सुबा 12 बजे के आस-पास मुझे तोड़ा होश आया तो अज़हर को मैने मेरे पास बैठे हुए पाया. उसने सपोर्ट दे कर मुझे उठाया, और मेरे संडलेस उतार कर मुझे बातरूम तक पहुँचाया. क्यूंकी मेरे पैर बहुत बुरी तरह से काँप रहे थे.
बातरूम में शवर के नीचे मैं लगभग 15 मिनिट तक बैठी रही.
अज़हर मेरी हालत देख मुझे एक लेडी डॉक्टर के पास चेकप के लिए ले गये थे. वो डॉक्टर भी मेरी हालत देख समझ गयी थी की मेरे साथ कोई ज़बरदस्त चुदाई हुई थी. तब मैने भी उसको ट्रस्ट करवाने के लिए कहा-
साहिबा: कल घर पर मेरे हज़्बेंड नही थे, तो 5 आदमी ज़बरदस्ती घर में घुस आए थे, और उन सब ने मेरे साथ रात भर छोड़न किया.
तब डॉक्टर ने पूछा-
लेडी डॉक्टर: क्या आपने इस हादसे के बारे में पोलीस में फिर करवाई या नही?
साहिबा: मैं इस घटना के बारे में सब को बता कर बदनाम नही होना चाहती हू. और मैने अंधेरे में उनके चेहरे भी नही देखे थे. तो फिर कैसे पहचअनूँगी उन लोगों को? इसलिए प्लीज़ आप भी इसके बारे में किसी से बात ना करे.
डॉक्टर मेरी बात सुन कर मान गयी और मेरा चेकप करके मुझे मेडिसिन लिख दी. मुझे पूरी तरह से नॉर्मल होने में बहुत दिन लग गये थे. मेरे बूब्स पर दांतो के काले निशान तो महीने भर तक नज़र आते रहे.
अज़हर ने भी जब तक मैं ठीक नही हुई, मुझे पॅल्को पे बिता कर रखा था. मुझे कितने दीनो तक बेड से उठने भी नही दिया था. क्यूंकी उनके मॅन में ये गिल्ट तो था ही की मेरी इस हालत की वजह वो और उनका बिज़्नेस ही था.
पर ये सब जो भी हुआ था. मैं इस बात से खुश थी, की मेरे इस बलिदान का इनाम अज़हर को मिल चुका था. उसका काम हो चुका था. उनके उस कंपनी से वापस आचे रीलेशन हो गये थे, और कुछ ही दीनो में उन्हे फिरसे एक भौत बड़ा कांट्रॅक्ट मिल चुका था.
ये कहानी अभी यहा ही ख़तम होती है. आप सभी ने मेरी लाइफ के हादसे की कहानी पढ़ी, और पसंद की, उसके लिए थॅंक योउ सभी को.