दोस्तों मेरा नाम कमाल है. मेरी उमर 30 साल है, और मैं एक शादी-शुदा आदमी हू. शादी मेरी 2 साल पहले हुई थी, और अभी तक मेरी कोई औलाद नही है. मेरी हाइट 5’7″ है, और मैं दिखने में फिट हू. लंड मेरा 6 इंच लंबा, और 2.5 इंच मोटा है.
थोड़ी बहुत एक्सर्साइज़ कर लेता हू, तो थोड़े मसल्स भी बने हुए है. मेरी अपनी एक दुकान है कार्याणा की. मेरी वाइफ एक गूव्ट. टीचर है, और उसकी सॅलरी 70000 रुपय है. अब जब बीवी इतना अछा कमति है, तो उसकी हर बात माननी पड़ती है.
मेरी बीवी का नाम ईशा है, और वो दिखने में काफ़ी सेक्सी है. हमारी अरेंज मॅरेज हुई थी, और शादी के बाद हम अलग घर में रहने लगे. अब घर में सिर्फ़ मैं और वो ही है.
मेरा काम चलता तो है. लेकिन इतना भी नही की मैं अपनी बीवी से ज़्यादा कमा साकु. अब बात करते है मेरी सेक्स लाइफ की.
जैसा की मैने आपको बताया है, की मुझे अपनी बीवी की हर बात माननी पड़ती है. इस वजह से मेरी सेक्स लाइफ बड़बाद हो चुकी थी. जब हमारी नयी-नयी शादी हुई थी, तो हमने काफ़ी सेक्स किया था. बहुत मज़ा आता था मुझे ईशा को छोड़ने में.
लेकिन टाइम के साथ-साथ ईशा का इंटेरेस्ट सेक्स में कम होता गया. शायद यही कारण था, की अभी तक हमारा बच्चा नही हुआ था. 1 साल बाद ईशा बहुत कम सेक्स करने देती थी. जब भी मैं उसके पास जाता, तो वो थके होने का बहाना करके माना कर देती.
अब ऐसी सिचुयेशन में आदमी क्या कर सकता है. एक-दो बार मैने उससे इस बारे में बात भी की, लेकिन बात नही बनी. फिर मैने धीरे-धीरे फ्रस्टरेट होने लगा. मैं दुकान पर बैठ कर पॉर्न देखने लगा, और मूठ मारने लगा. लेकिन मेरी किस्मत जल्दी ही खुलने वाली थी.
मेरी दुकान पर काफ़ी सालों से एक लड़का काम करता था. वो किसी गाओं से था. एक दिन उसने मुझे कहा की उसको किसी काम से गाओं जाना पड़ेगा. जब मैने पूछा की दुकान का काम कों देखेगा, तो उसने कहा की उसने किसी आंटी से बात कर रखी थी, जो अगले दिन से ही काम पर आ जाएगी.
मुझे इसमे कोई प्राब्लम नही थी, क्यूंकी मुझे बस काम से मतलब था, काम कों करेगा उससे नही. फिर अगले दिन वो आंटी काम पर आई. उसका नाम था काँटा.
जब काँटा दुकान पर आई, तो मुझे ऐसा कुछ नही लगा. उसका रंग ठीक-ठीक सावला था. मतलब गोरा नही था, लेकिन ज़्यादा काला भी नही था. उसका फिगर तकरीबन 36-32-38 होगा. उसकी उमर 43 साल थी. उसने सलवार सूट पहना हुआ था.
आते ही उसने मुझे नमस्ते किया, और मैने उसको काम समझा दिया. उसका सबसे पहला काम था पोछा लगाना. वो अंदर गयी, और पानी की बाल्टी लेके पोछा लगाना शुरू किया.
मैं अपने मोबाइल पर लगा हुआ था. फिर जब वो मेरी कुर्सी के पास पोछा लगाने ज़मीन पर बैठी, तो मेरी नज़र उसकी क्लीवेज पर पड़ी. बाप रे! क्या मस्त बूब्स थे उसके. मैं तो पहले से तरस रहा था किसी औरत के स्पर्श के लिए, तो उसके बड़े बूब्स देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया होगा.
इतना तो आप सब भी जानते होंगे, की जब औरत नीचे बैठ कर पोछा लगती है, तो उसके घुटने उसकी छाती से डब जाते है. और इससे उसके बूब्स का व्यू कमाल का मिलता है.
फिर वो सीन देख कर मेरा ध्यान उसी की तरफ हो गया. जब वो घूमी, तो उसकी मोटी गांद फैली हुई थी. उसकी गांद के दर्शन करके मेरा लोड्ा और सख़्त हो गया. फिर जब तक वो पोछा लगती रही, मैं उसी को निहारता रहा.
जब वो चली गयी, तो मैने बातरूम में जाके मूठ मार ली. मूठ मारते हुए मैं उसी के बारे में सोच रहा था. मुझे बहुत मज़ा आया उसके बारे में सोच कर मूठ मारने में.
फिर दिन ऐसे ही बीतने लगे. जब वो दुकान पर आती उस वक़्त से मेरी नज़र उस पर रहती, और मैं उसके जिस्म के एक-एक अंग को निहारता. मुझे समझ नही आ रहा था, की इतनी उमर में भी वो इतनी फिट कैसे थी. चलो गांद और बूब्स तो इस उमर में बड़े हो ही जाते है. लेकिन उसकी कमर टाइट थी, और पेट अंदर था.
फिर मेरी उससे थोड़ी बहुत बातें शुरू हो गयी. मैं तोड़ा बहुत मज़ाक भी कर लेता था उसके साथ. मेरा पॉर्न देखना बंद हो गया था, और अब मैं हर वक़्त उसके ही जिस्म को इमॅजिन करता था. मैं उसको छोड़ना चाहता था. लेकिन उसको पूछने की हिम्मत नही थी.
मैं उससे पूछता भी कैसे, उसने कभी कोई उस तरह की बात ही नही की मुझसे. फिर एक दिन मेरा एक दोस्त मेरी दुकान पर आया. उसका नाम दीपक था. उसकी भी दूसरे बेज़ार में कपड़े की दुकान थी. हम बैठे बातें कर रहे थे, और तभी काँटा दुकान में आई. उसको देखते ही दीपक बोला-
दीपक: अर्रे काँटा आंटी तुम? तुम यहा कैसे?
काँटा: अर्रे साब, कैसे हो आप? मैं यहा सॉफ-साफाई का काम करने आती हू.
दीपक: अर्रे तुम्हे ये काम करने की क्या ज़रूरत है? वो काम छ्होष दिया क्या.
काँटा: अर्रे साब आप भी ना, मज़ाक करते हो मेरे साथ.
मैने देखा की काँटा ने दीपक को कुछ इशारा कर दिया, जिससे दीपक आयेज और कुछ नही बोला. फिर वो अपना काम करने लगी, और मैं और दीपक उसके जिस्म को देख कर मज़ा लेते रहे.
अब बात मेरे बर्दाश्त से बाहर हो रही थी. मुझे काँटा से सेक्स करना था, और उसको ज़बरदस्त तरीके से छोड़ना था. जो खुशी मेरी बीवी मुझे नही दे रही थी, वो मुझे काँटा से लेनी थी. मैने डिसाइड कर लिया था, की मैं उसको चुदाई के लिए पूछूँगा.
फिर अगले दिन काँटा आई, और अपना काम करने लगी. मैने उससे बातें शुरू की. हमारी काफ़ी बातें हो रही थी. फिर काम ख़तम करने के बाद वो बातरूम में मूह हाथ ढोने गयी. मुझे यही सही मौका लगा.
मैं उसके पीछे बातरूम में चला गया. वो मूह धो रही थी, और शीशे के सामने खड़ी थी. जब उसने मूह पोंछ कर मुझे देखा, तो वो अचानक से दर्र गयी और बोली-
काँटा: अर्रे साब आप यहा?
मैं: हा काँटा आंटी, मुझे तुमसे कुछ बात करनी थी.
काँटा: हंजी बोलिए.
मैं: आंटी तुम बहुत सेक्सी हो, और मैं तुम्हे छोड़ना चाहता हू.
काँटा: ये क्या बोल रहे है आप? मैं ऐसी औरत नही हू.
ये बोल कर वो बाहर जाने लगी. मुझे पता नही क्या हुआ, और मैने उसको बाहों में भर लिया.
मैं: आंटी आप पैसे लेलो, लेकिन मुझे तुम्हे छोड़ने दो.
काँटा: छ्चोढिए मुझे साब, क्या हो गया है आपको?
तभी मैने अपने होंठ उसके होंठो से चिपका दिए, और उसको किस करना शुरू कर दिया. लेकिन काँटा ने मुझे ज़ोर का धक्का मार कर अपने आप से अलग किया, और थप्पड़ मार कर बाहर चली गयी.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, तो इस पर कॉमेंट ज़रूर करे. और अपने फ्रेंड्स को भी शेर करे.
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अगला भाग पढ़े:- कामवाली आंटी का चस्का-2