ही फ्रेंड्स, मेरा नाम ऋषि है. मैं 25 साल का हू, और एक मंक में जॉब करता हू. बेसिकली मैं राजस्थान से हू, लेकिन कुछ महीने पहले मेरी पोस्टिंग देल्ही में हो गयी है. ये कहानी मेरी नयी पोस्टिंग के बाद ही शुरू हुई. तो चलिए मैं आपको बताता हू की सब कैसे हुआ.
देल्ही में मैने एक बिल्डिंग में एक फ्लॅट रेंट पर ले लिया, और वाहा सारा समान शिफ्ट कर लिया. बिल्डिंग के सामने एक गार्डेन है, और मुझे रन्निंग का शौंक है. तो जैसे ही मैं सेट्ल हुआ, मैने मॉर्निंग में रन्निंग करनी शुरू कर दी.
जिस दिन मैं पहली बार गार्डेन में गया मुझे गार्डेन में एक भाभी दिखी. पहली दफ़ा देखते ही मेरी नज़र उस पर टिक गयी. भाभी ने ग्रे रंग का ट्रॅक पहना था, और साथ में स्पोर्ट्स शूस थे. क्या मस्त फिगर था भाभी का. उसने हेडफोन्स लगाए हुए थे, और जॉगिंग कर रही थी.
जॉगिंग करते हुए उसके मस्त बूब्स उछाल रहे थे, और ये सीन देख कर मेरा लंड भी हरकत करने लगा. भाभी का फिगर तकरीबन 36-29-36 होगा. रंग उसका गोरा था, और नैन-नक्श एक-दूं मस्त. मैं तो पहली नज़र में ही भाभी का दीवाना हो गया.
मैं उसके पीछे-पीछे रन्निंग करने लगा जिससे उसके मटकते छूतदों का नज़ारा मुझमे जोश भरने लगा. कुछ देर ऐसे ही चलता रहा. फिर वो जाके बैठ गयी. उसकी तेज़ चलती सांसो से उसके बूब्स अंदर-बाहर हो रहे थे. उसने ट्रॅक शर्ट आयेज से खोल दिया, जिससे मुझे उसकी नीचे पहनी त-शर्ट दिखने लगी.
नीचे वाली त-शर्ट भी ग्रे रंग की थी, और स्किंटाइट थी. वो पसीने से भीगी हुई थी, और उसमे मुझे उसका फिगर और भी क्लियर नज़र आ रहा था. जिस तरह से उसके बूब्स त-शर्ट में काससे हुए थे, दिल कर रहा था अभी जाके चूस लू. मैं सोच रहा था की उससे बात कैसे करू, लेकिन दिमाग़ में कोई आइडिया नही आ रहा था. मैं नही चाहता था की मैं उससे बात करू और उसको लगे मैं फालतू में टाइम पास कर रहा था.
फिर वो जाने लगी. वो भी मेरी वाली बिल्डिंग में रहती थी. तभी अचानक उसका पवर बॅंक गिर गया, और उसको पता नही चला. ये मौका भगवान ने मुझे दिया था. मैं जल्दी से गया, और उसका पवर बॅंक उठा लिया. लेकिन मैने उसको आवाज़ नही लगाई. मैं पवर बॅंक के ज़रिए उसका फ्लॅट नंबर जानना चाहता था.
मैं उसके पीछे थोड़ी दूरी बनाते हुए बिल्डिंग में चला गया. वो लिफ्ट में चली गयी, लेकिन मैं लिफ्ट में नही जेया सकता था. क्यूंकी अगर मैं लिफ्ट में जाता तो मुझे उसको पवर बॅंक वही पर वापस करना पड़ता. मैने डिसप्ले में देख लिया की उसने कों दे फ्लोर का बटन दबाया था.
फिर मैं स्टेरकेस पर गया, और दौड़ कर सीडीयान चढ़ने लगा. वो 10त फ्लोर पर रहती थी, और मैं उससे पहले उसके फ्लोर पर जाके खड़ा हो गया. फिर वो लिफ्ट से बाहर निकली, और अपने फ्लॅट की तरफ चल पड़ी. जैसे ही उसने दरवाज़ा खोलने के लिए चाबी निकली, मैने उसको आवाज़ दी-
मैं: एक्सक्यूस मे.
वो: एस.
मैं: ये आपका नीचे गार्डेन में गिर गया था.
वो (अपनी जेब पर हाथ लगा कर देखते हुए): ओह, थॅंक योउ.
मैं: कोई बात नही.
वो: आप इसी बिल्डिंग में रहते हो?
मैं: जी हा, अभी-अभी शिफ्ट हुआ हू. वैसे मेरा नाम ऋषि है.
वो: ही, ई आम रिंकी.
फिर हम दोनो ने हॅंडशेक किया, और फिर मैने कहा-
मैं: तो ठीक है, मैं चलता हू.
वो: ओक, थॅंक्स वन्स अगेन.
उस दिन हमारी इतनी ही बात हुई. मुझे लग रहा था शायद वो मुझे छाई पूछेगी, लेकिन नही पूछी. चलो कोई बात नही, मैने इसका गुस्सा नही किया. वैसे भी सेक्सी भाभियों का मैं कभी गुस्सा नही करता. फिर मैं अपने फ्लॅट में आ गया, और नहाने से पहले मैने भाभी के नाम की मूठ मारी. बड़ा मज़ा आया.
उस दिन से रोज़ मैं उसी टाइम पर रन्निंग करने जाता जब रिंकी भाभी वाहा आती थी. रन्निंग के दौरान अक्सर हमारी नज़रे मिलती, और इशारो में ही-हेलो भी हो जाती. लेकिन दोबारा बात नही हो पा रही थी. मैं मौका ढूँढ रहा था की कैसे भी करके उनसे बात करू.
फिर दीवाली पर मुझे मौका मिला. दीवाली पर सोसाइटी में एक फंक्षन था, जिसके इन्विटेशन्स वो बाँट रही थी. शाम का टाइम था, और मैं अपना काम कर रहा था. तभी मेरे घर की घंटी बाजी. मैने दरवाज़ा खोला, और सामने रिंकी खड़ी थी. उसने जीन्स-त-शर्ट पहनी हुई थी, जिसमे वो बहुत सेक्सी लग रही थी. तभी वो बोली-
रिंकी: ओह, तो आप यहा रहते हो.
मैं: जी हा, मैं यही रहता हू. आइए अंदर आइए.
और वो अंदर आ गयी. मैने उसको सोफा पर बिताया, और किचन में पानी लेने गया. जब मैं पानी देने लगा, तो उसकी त-शर्ट के गले में से उसकी क्लीवेज दिख रही थी. उसकी क्लीवेज देख कर मेरे मूह में पानी आ गया. फिर वो बोली-
रिंकी: आप अकेले रहते हो?
मैं: जी हा.
रिंकी: और खाना पीना?
मैं: मैं कुकिंग कर लेता हू. तो मॅनेज हो जाता है.
रिंकी: वाउ, आपकी वाइफ तो लकी होगी फिर.
मैं: वो तो शादी के बाद ही पता चलेगा. वैसे आप क्या करते हो?
रिंकी: मैं कॉलेज में लेक्चरर हू.
मैं: और आपके हज़्बेंड?
रिंकी: उनकी डेत हो चुकी है.
मैं: ओह, ई आम सॉरी (वैसे मेरे दिमाग़ में था, की अब मेरा रास्ता क्लियर था).
रिंकी: कोई बात नही.
मैं: आप छाई पिएंगी?
रिंकी: नही-नही, कोई ज़रूरत नही है. मैं तो सोसाइटी में दीवाली फंक्षन है, उसका इन्विटेशन देने आई थी.
मैं: अर्रे कोई नही, छाई तो पी लीजिए. और बताइए मैं छाई कैसी बनता हू.
रिंकी: लगता है आप छाई पीला कर ही मानेंगे.
मैं: इस घर में कोई भी आता अपनी मर्ज़ी से है. लेकिन जाता मेरी मर्ज़ी से है.
और हम दोनो हासणे लगे.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. अगर आपको कहानी का मज़ा आया हो, तो इसको शेर ज़रूर करे. ये सिर्फ़ शुरुआत है. आयेज बहुत सेक्स होने वाला है. सो बने रहिए मेरे साथ. कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद.