ही फ्रेंड्स, मैं रमण अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आ गया हू. मेरी पिछली कहानी को आप सब ने बहुत प्यार दिया. उस प्यार के लिए मैं आप सब का धन्यवाद करता हू. जिन लोगों ने पिछला पार्ट नही पढ़ा है, वो प्लीज़ उसको पढ़ ले.
पिछले पार्ट में मैने आपको बताया की मैं पासपोर्ट ऑफीस में एक सेक्सी आंटी से मिला. फिर हमारी जान-पहचान हुई, और फिर दोस्ती हुई. उसके बाद वो मुझे अपने साथ पार्टी पर लेके गयी. जहा से वापस आते हुए हमारी कार में चुदाई हुई. अब आयेज चलते है.
झड़ने के बाद हम दोनो शांत हो चुके थे. मुझे वो ड्राइव करने की हालत में नही लग रही थी, तो मैने उसको उसके घर ड्रॉप कर दिया. मैने उसको गाड़ी से बाहर निकाल कर उठाया, और घर के अंदर ले गया.
काफ़ी बड़ा और खूबसूरत घर था आंटी का. मैं उनसे पूच के उनको उनके बेडरूम में ले गया, और वाहा जाके लिटा दिया. आंटी का घर मेरे घर से काफ़ी डोर था, तो उन्होने मुझे गाड़ी लेके जाने को बोला.
प्रभा: तुम गाड़ी ले जाओ, सुबा वापस कर जाना.
मैं: नही मैं मॅनेज कर लूँगा.
प्रभा: मैने बोला ना ले जाओ. यहा से टॅक्सी या ऑटो नही मिलता है.
फिर मैने उनकी बात मान ली, और उनको गाड़ी लेके घर चला गया. घर वालो ने पूछा तो मैने उनको बोला की ये मेरे दोस्त की गाड़ी थी. फिर मैं आराम से सो गया. सुबा मैं नहा धो कर रेडी हुआ, और फिर आंटी के घर गाड़ी वापस देने गया. मैने जाने से पहले उनको फोन कर दिया था.
फिर ड्राइव करके मैं उनके घर पहुँचा. मैने जाके बेल बजाई, और 2 मिनिट बाद आंटी ने दरवाज़ा खोला. जैसे ही उन्होने दरवाज़ा खोला, और मेरी नज़र उन पर पड़ी, तो मैं उनको देखता ही रह गया.
आंटी ने ट्रॅन्स्परेंट गाउन पहना हुआ था, जो आयेज से बँधा हुआ था. वो गाउन घुटनो से तोड़ा उपर था. उसका रंग ब्लॅक था, और उसके नीचे उनकी ब्रा और पनटी सॉफ नज़र आ रही थी. मेरा तो उनको देख कर ही बुरा हाल हो गया.
आंटी ने भी ये नोटीस किया, की मैं उनको उपर से नीचे घूर रहा था. और मुझे ऐसे घूरते देख कर वो स्माइल करने लग गयी. फिर वो बोली-
प्रभा: अब बस भी करो. यही खड़े रह कर स्कॅन कर लोगे, या अंदर भी आओगे?
फिर मैं अंदर जाने लगा. आंटी मेरे आयेज-आयेज चल रही थी, और मेरा ध्यान उनकी पनटी में मटकती दिख रही गांद पे था. फिर हम ड्रॉयिंग रूम में पहुँच गये, और आमने-सामने सोफा पर बैठ गये.
प्रभा: क्या पियोगे? छाई, कॉफी, कोल्ड ड्रिंक, या कुछ और.
और ये बोल कर उन्होने मुझे एक नॉटी स्माइल दी. मैं समझ गया था की आंटी सुबा-सुबा मूड में थी. फिर वो किचन में गयी, और वाहा जाके कुछ बनाने लगी. मुझसे कंट्रोल नही हुआ, और मैं भी उनके पीछे किचन में चला गया.
मैं वाहा जाके बिल्कुल उनके पीछे खड़ा हो गया. उनके जिस्म की गर्मी मुझे उनसे थोड़ी डोर खड़े होके भी महसूस हो रही थी. फिर मैं और करीब गया, और उनको अपनी बाहों में भर लिया. एक-दूं से मेरे ऐसा करने से आंटी काँप गयी. उनके हाथो में चॉक्लेट सरप था, जो किचन की स्लॅब पर गिर गया.
वो वैसे ही घूम गयी, और मेरी आँखों में आँखें डाल कर देखने लगी. हम दोनो अब बिल्कुल करीब थे, और दोनो की साँसे टकरा रही थी. मैं ऐसे ही आंटी के करीब जाता गया, और मैने अपने होंठ उनके होंठो से मिला दिए.
अब हम दोनो के होंठ आपस में जुड़ चुके थे, बदन चिपके हुए थे, और हम दोनो किस करना शुरू हो गये थे. मेरे हाथ आंटी की पीठ पर थे, और मैं उनकी पीठ माल रहा था, और उसको सहला रहा था. नीचे से मेरा लंड उनकी जांघों के बीच टकरा रहा था.
कुछ देर किस करने के बाद मैं उनकी गर्दन पर गया. मैने उनके गाउन की डोरी को आयेज से खोल दिया, जिससे पूरा गाउन खुल गया. फिर मैं उनकी गर्दन को चूमने लगा, और नीचे उनकी क्लीवेज तक चूमता हुआ गया.
उसके बाद मैने अपने दोनो हाथो से उसके दोनो बूब्स पकड़ कर दबाए, और उसकी क्लीवेज और गहरी हो गयी. फिर मैने उसकी क्लीवेज में अपना मूह डाल कर आचे से छाता और चूसा. आंटी मदहोश हो रही थी. फिर मैने उनके गाउन को उनके जिस्म से अलग कर दिया, और अब वो मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा और पनटी में थी.
इतने कमाल के बदन वाली औरत को नंगी देखने का ही लोग सपना देखते है, और मैं तो उसको दोबारा छोड़ने वाला था. मैने उनको घुमाया, और पीछे से उनकी ब्रा का हुक खोल दिया. फिर मैने अपनी शर्ट और बनियान उतार दी. उसके बाद मैने उनको पीछे से अपनी बाहों में भर लिया, और अपने बदन को उनके गरम बदन से चिपका दिया.
फिर मैं अपने दोनो हाथ उनके मस्त बूब्स पर ले गया, और उनको दबाने लगा. आंटी ने अपनी गांद पीछे की तरफ करके मेरे लंड पर रगड़नी शुरू कर दी. तभी मेरी नज़र चॉक्लेट सरप पे पड़ी. मैने सरप हाथो में लिया, और उसको आंटी के बूब्स पर मलना शुरू कर दिया.
अब उनके बूब्स पुर चॉक्लेट में सानने हुए थे. फिर मैने उनको अपनी तरफ घुमाया, और उनके चॉक्लेट सरप से भरे बूब्स पर टूट पड़ा. मैने उनके निपल्स चूसने शुरू कर दिए. मैं पुर बूब्स चाट-चाट कर चॉक्लेट का मज़ा ले रहा था.
मैने आंटी को स्लॅब पर बिता दिया, और उनकी नाभि चूसने लगा. फिर मैने उनकी पनटी पकड़ी, और उसको उतार दिया. अब आंटी की क्लीन शेव्ड छूट मेरे सामने थी. अभी रात को ही मैने इस छूट को छोड़ा था, लेकिन ये मुझे फिरसे नयी लग रही थी. मैने उनकी छूट में अपना मूह डाल लिया, और उसको कुत्टो की तरह चाटने लग गया.
मैने उनकी छूट पर भी तोड़ा सरप डाला, और उसको चूसने लग गया. आंटी आ आ कर रही थी, और मेरे सर को अपनी छूट में दबा रही थी. मैने आंटी की छूट के मूह को अपनी उंगलियों से खोला, तो उनकी छूट का दाना मुझे नज़र आने लगा.
फिर मैने अपनी जीभ से उनकी छूट के दाने को टीज़ करना शुरू किया. आंटी पागल हो रही थी, और उनकी छूट पानी छ्चोढ़ रही थी. फिर आंटी बोली-
प्रभा: अब डाल भी दे. और कितना तडपाएगा.
मैं: पहले इसको तोड़ा गीला तो कर दो.
ये बोल कर मैने अपनी पंत और अंडरवेर दोनो उतार दिए. मेरा लंड पूरा खड़ा था, और उसकी तरफ इशारा कर रहा था. फिर वो जल्दी से स्लॅब से उतरी, और मेरे सामने घुटनो के बाल बैठ गयी. उसने मेरे लंड पर सरप डाला, और उसको अपने मूह में लेके चूसने लगी.
बड़े आचे से लंड चूस्टी थी. लंड चूसने की टुटीओन भी दे सकती थी. मैने भी उसके मूह में धक्के देने शुरू कर दिए, और उसको चोक करने लगा. अगले 5 मिनिट में उसने मेरे लंड को अपनी थूक से पूरा चिकना कर दिया था.
फिर मैने उसको बाल पकड़ कर खड़ा किया, और हम दोनो फिरसे किस करने लगे. हमारी किस में चॉक्लेट, छूट का पानी, और लंड के पानी का टेस्ट मिक्स होके आ रहा था. फिर किस करते हुए मैने आंटी को अपनी बाहों में उठाया, और उसको बेडरूम में ले गया.
वाहा मैने उसको बेड पर फेंका, और उसकी टाँगो के बीच में आके, एक ही झटके में लंड छूट में डाल दिया. उसकी चीख निकली, और मैने फुल स्पीड पर उसको छोड़ना शुरू कर दिया. आंटी भी पुर जोश में अपनी गांद हिला-हिला कर मुझसे चूड़ने लगी.
हम दोनो किस कर रहे थे, और साथ में मैं उसकी चूत छोड़े जेया रहा था. सुबा-सुबा बंदे को और चाहिए क्या होता है. बस एक ऐसी ही सेक्सी आंटी छोड़ने को मिल जाए तो मज़ा आ जाए.
कुछ देर वैसे ही चुदाई करने के बाद, मैने आंटी को डॉगी बना लिया. डॉगी बन कर उनकी गांद और भी सेक्सी लगने लगी. मैने पीछे से लंड उनकी छूट पर सेट किया, और पूरा लंड एक ही बार में अंदर डाल दिया. फिर मैं ताबाद-तोड़ धक्के देके उनको छोड़ने लगा.
पुर रूम में ठप-ठप की आवाज़े आ रही थी. जब आपकी जांघें किसी औरत के चूतड़ से टकरा कर आवाज़े निकालती है, तो जो मज़ा आता है, वो तो जन्नत का मज़ा होता है. मैने उनके कंधे पकड़े, और धक्को की स्पीड बढ़ा थी. आंटी की साँसे और आहें फुल स्पीड पर चल रही थी.
फिर आधे घंटे की घमासान चुदाई के बाद मैने अपना पानी उनकी छूट के अंदर ही निकाल दिया. पानी निकलते ही हम दोनो बेड पर गिर पड़े. हम दोनो की साँसे तेज़, और बदन पसीने में लथपथ थे. फिर थोड़ी देर आराम करने के बाद मैं वाहा से निकल गया.
दोस्तों कहानी का मज़ा आया हो, तो लीके और कॉमेंट ज़रूर करिएगा.