पहली चुदाई में ज्योति दो बार झड़ चुकी थी, मगर मेरा लंड खड़ा ही था। ज्योति मीट और चावल गरम कर रही थी, और अगली चुदाई की बातें कर रही थी।
ज्योति बोली, “चल आजा जीते, अब थोड़ा खाना खा लें I अब की चुदाई में मेरा तेरी सवारी करने का मन है।”
सवारी करने का मतलब मैं लेटूंगा और ज्योति ऊपर बैठ कर लंड चूत में लेकर मन मर्जी के धक्के लगाएगी, सांड नीचे गाय ऊपर, ज्योति की मनपसंद चुदाई का तरीका।
थोड़ा-थोड़ा खा कर और दो-दो तीन तीन घूंट वोदका के लगा कर हम वापस कमरे में आ गए।
ज्योति बोली, “चल लेट जा जीते, तेरा लंड चूसूं। फिर करूं इसकी सवारी।”
मैंने कहा, “भरजाई थोड़ा चूत तो चुसवा लो। चूत की खुशबू और चूत का नमकीन पानी टेस्ट करने का मन हो रहा है।”
ज्योति बोली, “आजा फिर, देर किस बात की?”
और ज्योति जा कर बेड के किनारे पर चूत खोल कर लेट गयी। मैंने चूत को खोल कर जुबान चूत के अंदर घुसेड़ दी। चूत चाटी, दाना चूसा, और जब लंड फुंफकारे मारने लगा, तो उठ गया और बोला, “चलो भरजाई, अब आप करो जो करना है।”
ये कह कर मैं बिस्तर पर लेट गया। ज्योति ने पांच-सात मिनट जोरदार तरीके से लंड की चुसाई की, और टांगें मेरी तरफ करके लंड चूत के छेद पर रखा, और लंड पर बैठ गयी। लंड अब जड़ तक चूत के अंदर था।
इस तरह करने से लंड पूरा जड़ तक चूत के अंदर बैठ जाता है। शायद यही कारण था कि बहुत सी औरतों को कभी-कभी इस तरीके से चुदने में मजा आता है। लंड पर बैठने के बाद ज्योति ने दस मिनट वो उठा पटक की, कि मुझे मजा ही आ गया।
मैं नीचे लेटा हुआ बीच-बीच में ज्योति का मम्मों के निपल भी उंगलियों से मसल देता था। दस मिनट की चुदाई के बाद ज्योति ने अपने मम्मों से मेरे हाथ हटा दिए, और खुद अपने मम्मे जोर-जोर से दबाने और मसलने लगी।
ये निशानी थी, कि ज्योति का पानी निकलने वाला था। मैंने भी लंड से पानी छोड़ने का मन बनाया, और ज्योति की कमर पकड़ कर अपना लंड ऊपर-नीचे करने लगा।
लंड के ऊपर ज्योति की उठक-बैठक और तेज़ हो गयी। ज्योति जोर-जोर से सिसकारियां ले रही थी, “आआआह जीते, अंदर तक बैठ रहा है तेरा लंड। मजा आ गया आज तो आआआह जीते, आआह, डाल दे, भर दे मेरी फुद्दी।” और अगले दो-तीन मिनट में हम दोनों का पानी इकट्ठे छूट गया।
दोनों ने इकट्ठी सिसकारी ली “आआआआह जीते”, “आआआआह भरजाई”, और दोनों झड़ गए, दोनों ढीले हो गए।
इस आखरी चुदाई तक मैं तीन पटियाला लगा चुका था, और ज्योति दो लगा चुकी थी। ज्योति तीन बार झड़ चुकी थी। मुझे नीचे लिटा कर मेरे लंड पर बैठ कर उसने वो झटके लगाए, कि पूरा बेड हिला कर रख दिया।
कुछ टाइम ऐसे ही बैठने के बाद ज्योति उठी, और बाथरूम की तरफ ये कहते हुए चली गयी। “जीते, जैसी चुदाई तू करता है, अमित के बस में ऐसी चुदाई नहीं। और पानी भी कितना छोड़ता है तू।”
बाथरूम से आ कर ज्योति ने कपड़े पहन लिए, मतलब उस रात अब और चुदाई नहीं होनी थी।
मैं भी उठ कर बाथरूम गया, और पेशाब करके, लंड की धुलाई करके कपड़े पहने, और डाइनिंग टेबल पर आ गया। ज्योति वहीं बैठी थी।
मैं भी ज्योति के पास ही बैठ गया। ज्योति फिर वही बोली, “जीते बड़ी मस्त चुदाई करता है।” ज्योति ने एक-एक पेग और बना लिया था।
मैंने ही बात शुरू की, “भरजाई अब तो अमित भाई साहब भी आने वाले होंगे।” ज्योति बोली, “हां परसों आएगा। कल की रात अभी है हमारे पास।”
फिर ज्योति बोली, “वैसे अमित बता रहा था इस बार उसका कहीं बाहर का ट्रिप बनने वाला है। आएगा तो पता चलेगा।”
वोदका खत्म करके मैं नीचे आ गया। अगली रात भी वैसी ही चुदाई हुई, मस्त, और कंडोम चढ़ा कर। ज्योति तीन बार झड़ी और मैं दो बार।
मैंने सोचा क्या बढ़िया क्या लाइफ है। तीन-तीन चूतें मिल रही थी, और वो भी बैठे बिठाए। अगले बाकी के दिन बिना किसी हंगामें, बिना किसी चुदाई के निकल गए।
अमित आ चुका था।
आने के दो-तीन दिन बाद मेरे पास भी आया और बैठ गया। अमित मेरे पास आता तो था, मगर गप-शप कम ही करता था। रस्मी बातचीत ही होती थी, जैसे क्या हाल चाल है। आज गर्मी बड़ी है। आज सर्दी बड़ी है। महंगाई बड़ी बढ़ रही है वगैरह-वगैरह। उस दिन आया तो बढ़िया मूड में था।
कम से कम उस दिन तो “चूतिया” नहीं लग रहा था। बैठ कर बोला, “कैसे हो अजीत?”
मैंने भी कहा, “ठीक हूं भाई साहब, आप सुनाओ आपका टूर कैसा रहा?”
अमित बोला, “अरे यार ये टूर बड़े बोर होते हैं। सेल डिपार्टमेंट में होने के कारण जहां जाओ साली चमचागिरी ही करनी पड़ती है। कम्पीटीशन बहुत है। सीमेंट के कई कारखाने खुल गए हैं देश में I बड़े-बड़े डीलर तो चलो अपने गेस्ट हाऊस में ठहरा देते हैं, छोटे डीलर तो भूतनी के हमेशा मुर्गे दारू के चक्कर में ही रहते हैं।”
मैंने भी कहा, ” भाई साहब ये सब तो चलता ही है। नौकरी में नखरा कैसा।”
अमित बोला, “हां ये तो है।”
फिर चुप करके बैठ गया। मैं समझ गया कि वो कुछ कहना चाहता था। मैं भी इंतज़ार करने लगा, कि चलो देखते हैं क्या कहता है।
फिर अमित बोला, “यार अजीत, मेरा दो-तीन हफ्ते का टूर बन रहा है, नेपाल, श्रीलंका और मॉरीशस का। इन देशों कि हमारा सीमेंट जाता है। अब चीन वहां अपना एक्सपोर्ट बढ़ाने के चक्कर में है।”
मैंने भी कहा, “वाह भाई साहब इस बार तो मजे हैं। काम भी और ऐश भी। मॉरीशस तो बड़ा सुन्दर देश है, मैं गया हूं वहां।”
अमित बोला, “वो तो ठीक है। पर पहली बार बाहर का ट्रिप है और लम्बा ट्रिप भी है। यार तू जरा बच्चों का ध्यान रखना। कोइ चीज़ चाहिए हो तो पूछ लेना। ऐसा ना हो ज्योति शर्म से बता ही ना सके।”
मैंने भी सोचा चूत खोल कर लेटते हुए तो शरमाई नहीं भरजाई, अब क्या शर्माएगी। मैंने भी कह दिया, “अरे भाई साहब ये भी कोई पूछने की बात है? आप फ़िक्र ना करें। कब का प्रोग्राम बन रहा है?”
“अगले हफ्ते पता चलेगा। वीज़ा लगने के लिए पासपोर्ट गए हुए हैं। ओपन, खुली टिकटें तो बुक करवा ली हैं।”
फिर कुछ रुक कर बोला, “अजीत तेरे लिए कुछ लाना है वहां से?”
मैंने कहा, “अरे नहीं भाई साहब आज कल सब मिल जाता है यहां। जो नहीं मिलता वो ऑन-लाइन मंगवा लो।”
अमित, उठते हुए बोला, “हां ये तो है। अच्छा तो मैं चलता हूं। टूर की डेट फिक्स होते ही बताऊंगा।”
मैं भी उठा और बोला, “ठीक है भाई साहब।”
मैंने सोचा तीन दिन बाद ही तो “अगला हफ्ता” है। तब तक चम्पा ही सही। वो भी सही चुदवाती है हिल-हिल कर, और हिला-हिला कर।
खैर अगले तीन-चार दिन ऐसे ही गुजर गए। चम्पा को माहवारी ( मेंसिज़) आये हुए थे। शीला दो-तीन दिन से आ ही नहीं रही थी, और भरजाई का अपना चोदू कई दिनों बाद आया था, इसलिए रगड़ रहा होगा मेरी खूबसूरत सेक्सी भरजाई ज्योति को।
बीच में एक दिन शाम को जब ज्योति ऑफिस से आयी, तो उससे आमना-सामना हुआ। मैंने ज्योति को अमित से हुई बात-चीत के बारे में बताया। फिर मैंने कहा, “भरजाई अमित भाई साहब कह रहे थे, कि उनको दो-तीन हफ्ते के टूर पर जाना है, और इस दौरान मैं आपका ख्याल रखूं, और आपसे पूछता रहूं कि कोइ काम-वाम तो नहीं?”
ज्योति हंस कर बोली, “अच्छा? तो जीते तूने बताया नहीं अमित को कि जब वो यहां नहीं था तो तू रात-रात भर मेरा ध्यान रखता रहा है?” फिर दो सेकण्ड रुक कर फिर से हंसती हुई बोली, “कभी कंडोम चढ़ा कर, कभी कंडोम कि बगैर।”
ज्योति की इस बात पर इस बात पर मेरी भी हंसी छूट गयी।
फिर ज्योति ही बोली ,”चल अच्छा है, अब तो अमित ने भी बोल दिया,कुछ बढ़िया प्रोग्राम बनाएंगे इस बार।”
मैंने पूछा, “बढ़िया मतलब कैसा भरजाई?”
ज्योति बोली, “देखते हैं। कुछ अलग सा करेंगे।” ये कह कर ज्योति सीढ़ियां चढ़ गयी।
“कुछ अलग सा करेंगे।” ज्योति ये कहने भर से ही मेरे लंड में झुरझुरी होने लगी। अब लंड चूत के अंदर डाल कर चुदाई के अलावा क्या अलग हो सकता है, ये सोचने की बात थी।
वैसे होने को तो बहुत कुछ हो सकता था। ज्योति शीला को भी बुला सकती थी, मैं ज्योति और शीला। वो दो लड़के जो ज्योति के सीमेंट के कारखाने में काम करते थे उनको दोनों को या उनमें से किसी एक को बुला सकती थी। या फिर गांड चुदवा सकती थी। इसके अलावा और क्या हो सकता था?
लेकिन जो होने जा रहा था, वो कमाल था,और वो मैंने तो कम से कम नहीं सोचा था। अमित शुक्रवार को चला गया। इस बीच मेरी शीला या चम्पा में से किसी के साथ कोइ चुदाई नहीं हुई, मौक़ा ही नहीं मिला।
शनिवार को ज्योति ने फिर ऊपर बुला लिया, और वही खेल चालू हो गया। श्रेया अपने कमरे में। दो चुदाईयां कंडोम के साथ, एक बिना कंडोम के। एक बात और हुई और, वो ये कि ज्योति ने कंडोम का एक पैकेट ये कह कर अपने पास रख लिया, कि अगर मेरे पास वो कंडोम खत्म हो गए और मंगवाने याद ना रहे तो कम से कम उसके पास पांच कंडोम का एक पैकेट पड़ा रहेगा।
मैंने भी एक पैकेट ज्योति को दे दिया। मैं तो वैसे भी पांच पैकेट इकट्ठे मंगवाता हूं, और वैसे भी मुझे लगा कि चढ़ेंगे तो ये मेरे ही लंड पर।
अक्टूबर का महीना चल रहा था। सुबह शाम हल्की-हल्की ठंड होने लग गयी थी। चुदाई का मस्त मजा आता था। गर्मियों में तो चुदाई करते-करते गांड में से भी पसीना निकलने लग जाता है। ऐ.सी. भी कमरा ठंडा नहीं करता। दशहरा आने वाला था, और स्कूलों में छुट्टियां शुरू हो चुकी थीं। श्रेया को उसका मामा हफ्ते के लिए अपने घर ले गया था।
एक सुबह मैं बाहर बरामदे में बैठा अखबार पढ़ रहा था, कि ज्योति नीचे उतरी और मेरे सामने खड़ी होकर बोली, “जीते शीला को चोदेगा आज रात?”
मैं हैरान हुआ, “आज रात? क्या रात को यहां रुकेगी शीला?”
ज्योति बोली “आज ही नहीं कल भी रुकेगी। मैंने उसकी मां से बात कर ली हैं I मैंने बोल दिया कि अमित बाहर गया हुआ है। बीच-बीच में शीला को यहां सोने कि लिए भेज दें। शीला पहले भी कई बार यहां सो जाती है, जब अमित टूर पर होता है।”
मैंने पूछा, “पर भरजाई पिछली बार जब अमित भाई साहब टूर पर थे, तब तो शीला नहीं रुकी थी आपके यहां?”
ज्योति बोली “जीते तब तू था और तेरा मेरा पहला प्रोग्राम बनना था, तेरी मेरी चुदाई का पहला प्रोग्रामI”
ज्योति बोल रही थी, “मुझे भी कुछ हिचकिचाहट थी कि शीला के सामने कैसे चुदाई करवाऊंगी। अब तो तू मुझे भी चोद चुका है और शीला को भी। और फिर मुझे और शीला दोनों को एक-दूसरे की चुदाई का पता है। अब शर्म की कोई गुंजाइश नहीं।”
मैंने फिर पूछा, “तो भरजाई मैं शीला की चुदाई आपके सामने करूंगा?”
जयोति हंसी और बोली, “शीला की ही क्यों, मेरी चुदाई भी तू शीला कि सामने करेगा। क्या जीते, तू भी क्या बात करता है? मुझे तू चोद चुका, शीला को तू चोद चुका। अब क्या बचा? अभी भी तू शर्मा रहा है क्या?”
हालांकि बात मुझे कुछ अजीब लगी, पर ये पहली बार तो नहीं हो रहा था कि मैं दो लड़कियों के साथ चुदाई करने जा रहा था।
मैंने कहा, “नहीं भरजाई, शर्माने वाली बात नहीं, मैंने तो ऐसे ही पूछा था।”
फिर मैंने पूछा, “कितने बजे आऊं भरजाई?”
ज्योति बोली, “सात बजे तक आजा और खाना ऊपर ही खा लेना” कह कर ज्योति सीढ़ियां चढ़ गयी I
मैंने भी सोचा, वाह री तेरी किस्मत अजित सिंह गिल। दो दो टॉप क्लास चूतें, वो भी एक साथ।
दो रातें दबा कर दो-दो चुदाईयां हुई। एक-एक चुदाई कंडोम के साथ, एक-एक कंडोम के बगैर। दोनों की चूत में एक-एक बार मैंने गर्म पानी डाला।
मैं सात बजे सीढ़ियां चढ़ता और बारह-एक बजे चुदाई करके नीचे उतरता था। आते ही नींद जाती थी। चार-चार चुदाईयां और चार-चार ही दारू के पटियाला पैग, नींद तो अपने आप ही आनी थी।
ये जरूर रहा कि ज्योति और शीला एक दूसरे के सामने नहीं चुदी। जब मैं कमरे में एक को चोद रहा होता था, तो दूसरी ड्राईंग रूम में बैठी या तो टीवी देख रहे होती थी, या किचन में काम कर रही होती थी, मगर नंगी।
एक रात चुदाई करते-करते मैंने शीला को पूछा, “शीला तू गांड चुदवाती है?”
शीला ने पूछा, “जीत भैया आपने चोदनी है क्या?”
मैंने भी कह दिया, “मन तो करता है शीला। तेरे और भरजाई की चूतड़ देख-देख कर गांड चोदने का मन होने लग जाता है।”
शीला बोली, “जीत भैया, आप चम्पा की गांड क्यों नहीं चोदते? चम्पा गांड चुदवाने की शौकीन भी है। उसके चूतड़ हैं भी बड़े-बड़े, मस्त, ये तरबूज जैसे मोटे। आपको उसकी गांड चोदने में बड़ा मजा आयेगा।” फिर कुछ पल चुप रह कर बोली, “फिर भी अगर आपका मेरी गांड चोदने का मन करे, तो मेरी गांड चोद लेना। मेरी तरफ से कोइ मनाही नहीं है कभी ना कभी तो गांड भी चुदवानी ही है, शुरुआत आपसे ही सही।”
मैंने भी सोचा बात तो ठीक कह रही है शीला। गांड उसी की चोदने का मजा आता है जो गांड चुदवाने की शौकीन हो।