हेलो फ्रेंड्स, आप सब मेरी पिच्छली कहानी “सहेली के पापा ने मेरी सील तोड़ी-2” तो पढ़ ही लिया होंगे. आगर कोई नये पाठक हैं तो ज़रूर पढ़ के आइए.
20 मीं की लीप लॉक के बाद हम दोनो वापस घर की तरफ मूड गई और जल्दी जल्दी मई 5 मीं पे ही घर पहुँच गई.
आब आगे की कहानी,
तब टाइम 10 बाज रही थी और नीलम भी सोई नही थी. वा हॉल पे बेत के टीवी देख रही थी.
तो अंकल और मैं बाहर ही एक प्लान बनाई. प्लान यह थी की मेरी नीलम को रूम पे सुलके बाहर से लॉक करके मैं अंकल की रूम पे जौंगी. और फिर घर के आंदार गई.
मैं : नीलू, मेरी ताब्यट थोड़ी ठीक नही लग रही. मैं सोने जेया रही. आके पंखा मत चालू करना.
नीलम : अरे, पर मैं बिना पंखा के नही सो पौँगी.
मैं बिना सुने सीधा नीलम की बेड रूम मई जाके बेड पे लेट गई. अंकल के यहा सोने से पहेले सब दूध पीते थे इसलिया अंकल किचन से दूध लेके आई और नीलम को देकर मुझे देने रूम पे आई. अंकल मुझे दूध पिलाके च्चत पे चले गई. कूची देर मई नीलम आंदार आई और पंखा चालू की.
मैं : नीलू पंखा बंद कर्दे ना.
नीलम : पर मुझे बिना पंखा के नींद नही आती. ठीक है तू इधर सोजा मैं बाहर सो जौंगी.
तब नीलम बाहर जाने लगी. मुझे लगी हमारी प्लान फैल हो जैगी. मई नीलम को उसी की रूम मई सुला के बाहर से लॉक करने वाली थी.
मैं : नीलू रुक, तू क्यू मेरी वजह से बाहर सोई गी. मैं ही चली जाती हूँ बाहर. तू इधर ही सो जा.
नीलम : अरे अच्छी मज़ाक कर रही यार तू भी, ताब्यट तेरी ठीक नही और तू ही बाहर सोइगी. लगती है तेरी दिमाग़ भी ठीक नही. तू अंदर आराम सो जा. मैं पापा को बुलाती हूँ वा तुझे दवाई देंगे.
यॅ बोलके नीलम अंकल को बुलाने चली गई. मैं मान ही मान सोचने लगी की यॅ लड़की ज़रूर हमारी प्लान पे पानी डालेगी.
तब नीलम अंकल को लेके आई.
नीलम : देखिया नो पापा, दिशा क्या बोल रही. उसकी ताब्यट खराब है तो मैं बाहर सो जौंगी बोली, पर यॅ बोल रही की इससके लिया मैं क्यू बाहर सौ. वा खुद सो जैगी. मुझे बाहर सोने केलिया माना कर रही दिशा.
अंकल : यॅ क्या बात हुई डीशू, तुम्हारी ताब्यट खराब है तो तुम आंदार सो जाओ, बेड्लम आज एक रात बाहर सो जैगी. कोई प्राब्लम नही.
अंकल ही बताई थे की मैं दिशा को आंदार सुला के लॉक करते हुआ खुद बाहर आजौ. पर आब अंकल ही पलट रहे थे. तो मैं कुछ साँझ नही पा रही थी.
नीलम : ठीक है ना आब, मैं बाहर सोती हूँ तू आराम से सो जा अंदर. (बोलते हुआ वा रूम के आंदार गई और कुछ बिस्तर समेत ने लगी)
यॅ सब क्या चल रही है मैं कुछ साँझ नही पा रही थी. तब अंकल को इशारे मैं पुच्च्ी की क्या हो रही यॅ, तो अंकल ने मुझे आराम से रहने को कहा और वा मॅनेज कर लेंगे बोले.
तब नीलम अपनी बिस्तर लगाने केलिया सब कुछ लेके बाहर आई.
नीलम : हाँ पापा, कुछ दवाई हो तो दे दो डीशू को.
अंकल : अरे हाँ, दे दूँगा दवाई. बाहर रास्ते पे एक दवाई दिया था ना. ( बोलते हुआ अंकल अपने होंठ चवाने लगे)
तो मैं साँझ गई की अंकल किस दवाई के बारे मई बता रहे.
अंकल : हाँ वा दवाई लिया थे ना तुम, सो और एक दवाई है उसे और एक आधे घंटे के बाद ले लेना. और हाँ, नीलू बेटा तुम अपनी रूम पे ही सो जाओ. तुम क्यू बाहर सो गी. मैं ही बाहर सो जाता हूँ सोफे पे. तुम अपनी रूम पे सो जाओ और दिशा मेरे रूम पे सो जैगी. वैसे आज ही दिशा ने मेरे रूम को सॉफ सज़वट काइया है.
नीलम : ठीक है, पापा. डीशू तू पापा के रूम पे सो जा. मैं इधर सो जाती हूँ.
अंकल : (हेस्ट हुआ) डीशू तुम मेरे रूम पे आओ, तुम्हे दवाई देखा दूँगी और फिर तुम उधर ही सो जाना.
मैं : (मुस्कुराते हुआ) ठीक है अंकल, चलिया आप.
नीलम : सो प्राब्लम सॉल्व्ड. मुझे भी नींद आ रही ज़ोर से. गुड नाइट पापा. बाद नाइट डीशू.
नीलम तो असे ही मज़ाक मई बाद नाइट बोली पर उसे क्या पता सच मई मेरी बाद नाइट गुड के साथ होगी. फिर नीलम अपनी रूम पे चली गई. मैं और अंकल, अंकल के रूम पे आगाई.
तब अचानक अंकल ने अपना लंड बाहर निकल के मेरी सामने रख दिया.
अंकल : यॅ रही तुम्हारी दवाई, इससे आधे घंटे के बाद लेनी है तुम्हे.
मैं : (अंकल की लंड को पकड़ते हुआ) ठीक है अंकल ज़रूर लूँगी.
अंकल का लंड एक दूं सकत गरम लोहे की रोड की तरह था. मेरी हाथ च्छुटे ही वा और ज़ोर से फूलने लगी और झटके मरने लगी. मानो जेसे मुझे सलामी दे रहा. अंकल का लंड मेरी मुट्ही मई भी नही आ रही थी. तब मई सोचने लगी की केसे मैं इससे आंदार लूँगी.
अंकल : अच्छा डीशू बेबी, आब छ्चोड़ो इससे. मैं बाहर जेया रहा थोड़ी देर के लिया. नीलम को ऑलरेडी मैं दूध पे नींद की गोली मिलके दे दिया है.
मैं : क्या, नींद की गोली नीलू को. यॅ तो आपने बताई नही थे. मैं तो सोच रही थी की आप ही प्लान बिगड़ रहे.
अंकल : अरे नही नही, मैं भी वही प्लान से ही करने वाला था. पर तब मुझे याद आया की मेरे पास नींद की गोली है. तो फिर रिस्की क्यू करे, इश्स लिया प्लान चेंज नये प्लान की और दूध पे गोली मिलके नीलू को दे दिया. आब तक तो उसको नींद की वजह से सो जाना चाहिया था. सयद गोली लाते असर कर रही.
मैं : अच्छा अंकल, तो बढ़िया काइया. आपके हिसाब से तो बहात रिस्की था. आब तो आराम से कर सकते है. आप पहेले चेक करके आजाईया.
अंकल : ठीक है, जेसे ही नीलू सो जैगी मैं आंदार आज़ौंगा तुम्हारे पास, मेरे शोना. बस वेट करो, मैं बस चेक करके आता हूँ.
तब मैं अंकल की लंड को छ्चोड़ी और अंकल बाहर गई चेक करने. मैं बस लेट के आज की रात के बारे मई सोच रही थी.
फिर कुछ 15 मीं बाद अंकल रूम के आंदार आई. अंकल को आते हुआ देख मैं बेड पर लेती हुई थी तो उठ के बेत गई. अंकल बहात ख़ुसी से एग्ज़ाइटेड होके मेरी तरफ आने लगे. वा बिना दरवाज़ा बंद काइया ही मेरी और आगाई.
अंकल : पता नही नींद की गोली इतनी देर पे क्यू असर हुई. मुझे तो तुरंत नींद आजाता है. (बोलते हुआ अंकल बेड के उपर चढ़ गई)
मैं : नीलू बस सो गई ना.
अंकल : हाँ हाँ सो गई, पर हम आज नही सोने वेल है. ( बोलते हुआ अंकल मेरी पास बेत गई)
मैं शरमाते हुआ मुस्कुराने लगी और हाथ से अपनी मूह च्छुपाने लगी.
अंकल : शर्मा क्यू रही हो आब, ताब्यट खराब है तुम्हारी, दवाई नही लॉगी क्या. टाइम भी हो गई है दवाई लेने की.
बोलते हुआ अंकल मेरी दोनो हाथ मूह से हटा के एक हाथ को पेंट के उपर से ही उनके लंड पे रख लिया.
आब आयेज क्या होता है जान ने के लिया वेट करे नेक्स्ट पार्ट का. तो सब पाठक को मैं माफी मांगती हूँ, की कहानी कुछ ज़्यादा ही लंबी हो रही आप यॅ सोच रहे होंगे. पर मैं हर एक चीज़ को एक दूं बारीकी से बता रही हूँ तो थोड़ी लबमी हो रही. मुझे पता है की आप सब बेसब्री से इंतज़ार कर रहे मेरी चुदाई की.
सो साबरा राखिया क्यू की साबरा का फल मीठा ही होती है, आप सबको संतृस्ट करने की ज़िम्मेदारी मैं ले रही हूँ. आगली भाग मई ज़रूर आप सब के मान तृप्त हो जैगी यॅ मेरी वाडा है आपसे.
सो कहानी के बारे मई कुछ भी फीडबॅक ज़रूर दे, क्यू की फीडबॅक महत्वपूर्ण होती है हर ऑतर के लिया.
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