अंकल ने फिर करवट ली, और अपना हाथ चित्रा की चूत के ऊपर रख दिया, और धीरे-धीरे चूत सहलाने लगे। चित्रा की चूत का दर्द तो कब का गायब हो चुका था। अब तो चूत अगली मस्त चुदाई के लिए तैयार होने लगी थी। पेशाब करके आए अंकल का लंड अभी ढीला ही था।
लगता था अंकल को इस बार भी चित्रा की चुदाई की कोइ जल्दी नहीं थी। अंकल के सहलाने से चित्रा चूत फिर हल्की-हल्की गीली होने लग गयी। एक और चुदाई की इच्छा उसके मन में जागने लगी। ना जाने क्या हुआ, चुदाई की मस्ती में चित्रा का हाथ अपने आप अंकल के लंड पर चला गया। चित्रा का हाथ लगाते ही अंकल का लंड भारी होने लगा। ना तो अंकल का लंड पूरा बैठा था, ना ही पूरा खड़ा ही था। अब आगे
चित्रा बता रही थी, ”अंकल करवट से लेटे हुए थे और मेरी चूत सहला रहे थे। मुझे साफ़ पता चल रहा था कि चूत सहलाते-सहलाते अंकल का लंड खड़ा होता जा रहा था। मैं अंकल का लंड हाथ में लेना चाहती थी, मगर करवट से लेटे अंकल का लंड मैं ठीक से पकड़ नहीं पा रही थी। अंकल समझ गए कि मैं लंड हाथ में लेना चाह रही हूं। अंकल ने सीधी करवट ली और एक-दम से अंकल का लंड खूंटे की तरह सीधा हो गया। हां अब ठीक था। मैंने अंकल का खड़ा लंड अपने हाथ में ले लिया।”
— कमरे में हुई रोशनी
‘मैं धीरे-धीरे अंकल का खड़ा लंड दबाने लगी। जैसे ही में ये करना शुरू किया अंकल का लंड एक-दम से सख्त होने लग गया। अचानक अंकल ने मेरा हाथ लंड से हटा लिया और उठ कर लाइट जला दी। कमरे में रोशनी फ़ैल गयी। एक बार तो मुझे समझ ही नहीं आया क्या हुआ था। उस रात की सारी चुदाईयां तो अंधेरे में ही हुईं थी, और एक बार भी अंकल के लंड को चूत का दरवाजा ढूढ़ने में दिक्कत नहीं हुई तो फिर अब ये रोशनी क्यों?”
कहते हुए चित्रा अपनी ही बात पर हंस दीI चित्रा बता रही थी, ” पहली बार मैंने अंकल को इस तरह नंगे देखा था। अंधेरे में तो लंड दिखाई ही नहीं दिया था। रोशनी में सीधा खड़ा लंड इतना बड़ा लग रहा था, कि मेरे ज़हन में एक-दम ये ख्याल आ गया, “अरे ये लंड गया था मेरी चूत में? इतना मोटा? इतना लम्बा? इस लंड से हुई मेरी चुदाई? नंगे अंकल और इतना बड़ा लंड, मुझे शर्म सी भी आ रही थी।”
“मेरी नजर अंकल के खड़े लंड से हट ही नहीं रही थी। मेरा हाथ अपने आप चूत पर चला गया और मैं उंगली अपनी चूत में ऊपर नीचे करने लगी।”
चित्रा की बात जारी थी, ”राज मुझे हैरानी हुई जब एकाएक अंकल ने अलमारी में से व्हिस्की की बोतल निकाली और गिलास को पूरा ऊपर तक भरा और एक ही घूंट में बिना कुछ भी मिलाये सारी व्हिस्की पी गये। फिर अंकल ने खड़े-खड़े ही ने दुबारा गिलास में आधे से ज्यादा व्हिस्की डाली और इस बार सोडा मिलाया और एक ही घूंट में फिर से गिलास खाली कर दिया।”
“मैं अंकल को पहली बार शराब पीते देख रही थी। अंकल ने तीसरी बार शराब गिलास में डाली और सोडा डाल कर हल्के-हल्के घूंट भरने लगे। अंकल के एक हाथ में गिलास था और दूसरे हाथ से अंकल ने अपना खड़ा लंड पकड़ा हुआ था। पीते-पीते अंकल मेरी चूत को ही घूरते जा रहे थे।”
“इधर मैं सोच रही थी कि अंकल शराब तो पहले ही पी चुके थे, फिर ये और क्यों पी रहे थे? फिर मुझे ध्यान आया कि चुदाई करते-करते तो काफी टाइम हो चुका है, ढाई तीन घंटे या शायद उससे भी ज्यादा। इतनी चुदाईयों के बाद तो पहली पी हुई शराब का नशा तो कब का उतर चुका होगा।”
“मुझे याद आया, जब अंकल ने मेरे बाथरूम जाने पर कहा था, “ठीक है चित्रा, जाओ करके आओ” तो उस वक़्त अंकल की जुबान बिल्कुल भी लड़खड़ा नहीं रही थी। शराब का नशा या सुरूर जो भी था, उतर चुका था।”
“अचानक पीते पीते अंकल बोले, “चित्रा जरा यहां आओ।” ये कहते हुए भी अंकल का एक हाथ लंड पर ही था। मैंने उंगली अपनी चूत निकाली और उठ कर अंकल के सामने खड़ी हो गयी।”
“अंकल ने लंड हाथ से छोड़ा, मेरे कंधे पर हाथ रख कर मुझे बेड के किनारे पर बिठा दिया, और मेरे सामने आ कर खड़े हो गए। अंकल के एक हाथ में शराब का गिलास था। अंकल ने दूसरे हाथ से अपना लंड पकड़ा और मेरे होठों से लगा दिया। अब तक की हुई चुसाईयों चुदाईयों से इतना तो मैं समझ ही गई थी कि अंकल को क्या चाहिए। अंकल मुझे लंड चूसने के लिए कह रहे थे।”
“रोशनी में खूंटे जैसा लंड देख कर तो मैं वैसे ही मस्त हुई पड़ी थी, मैंने लंड पकड़ा और मुंह में ले लिया। रोशनी में लंड को देखते-देखते चूसने में अलग सा मजा आ रहा था। सच राज अब तो मुझे लगता है चुदाई हमेशा रोशनी में ही होनी चाहिए, चुदाई के वक़्त लंड, चूत, चूतड़, सब कुछ अच्छे से दिखाई देने चाहियें, तभी चुदाई का असली मजा आता है।”
“मैं जोर-जोर से अंकल का लंड चूसने लगी। अंकल के एक हाथ में गिलास था, दूसरा हाथ अंकल कभी मेरे सर पर और कभी गालों पर फेर देते। बीच-बीच में अंकल आह चित्रा आह चित्रा भी बोलते जा रहे थे।”
— शराब के नशे में अंकल हुए बेशर्म
“थोड़ी चुसाई के बाद अंकल बोले, “बस चित्रा, बड़ा मस्त लंड चूसती हो तुम। तुम्हारी तो चूत चुदाई भी मस्त है और लंड चुसाई भी मस्त है। बस करो कहीं मलाई मुंह में ही ना निकल जाये।”
“मेरा मन तो नहीं था लंड मुंह में से निकालने का, मगर जब अंकल ने बस करने को कहा तो मैंने अंकल का लंड मुंह से निकाल लिया और हाथ में पकड़ कर लंड की तरफ देखने लगी।”
अंकल बोले, “चलो चित्रा लेट जाओ।””ये सुनते ही मैंने अंकल का लंड एक बार फिर मुंह में लेकर जोर से चूसा और उठ कर बिस्तर पर लेट गयी। अंकल ने लाइट बंद की और मेरे पास आ कर लेट गए। लेटते ही अंकल ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने खड़े लंड पर रख दिया।”
“मैं अंकल के लंड से खिलवाड़ सा करने लगी। अचानक अंकल ने मुझसे पूछा, “चित्रा सच-सच बताना, आज की चुदाई का मजा आया या नहीं?”
“अंकल के ये पूछने से मुझे बड़ी हैरानी हुई। अब तक तो अंकल ने एक दो बार ही शायद फुद्दी बोला था, जब उन्होंने मेरी चूत में उंगली करते हुए कहा था चित्रा फुद्दी तो बड़ी टाइट है तुम्हारी। चूत भी अंकल ने तब बोला था जब मैं पेशाब करने जा रही थी और अंकल ने कहा था, “चित्रा नीचे चूत के धुलाई मत करना।” मगर चुदाई शायद पहली बार बोला था।”
“अंकल तो खुल कर ही बोलने लग गए थे। मैं तो अभी तक आअह अंकल से ही आगे नहीं बड़ी थी। अंधेरे में जितनी भी चुदाई हमारी हुई थी, उसमें भी चूत, चुदाई, लंड जैसी बातें अंकल ने नहीं की थी। अंकल ने बस आआह चित्रा मजा आ गया जैसे शब्द बोले थे और मैं भी आअह अंकल आअह अंकल निकल गया अंकल” से आगे नहीं गयी थीI”
“जब अंकल ने पूछा “चित्रा चुदाई का मजा आ गया या नहीं”, एक बार तो मुझे बड़ी शर्म आयी। मुझे लगा अंकल जरूर ही जान बूझ कर ये सब पूछ रहे थे, वरना मजा आते वक़्त तो मैं भी चूतड़ हिलाती घूमती थी। तो क्या चुदाई करवाते वक़्त मेरे चूतड़ हिलाने घुमाने से अंकल को पता नहीं चलता होगा कि मुझे चुदाई का मजा आ रहा था?”
“अभी तो अंकल ने सिर्फ चुदाई ही बोला था। ये तो मुझे बाद में पता चलने वाला था कि इतनी बार मुझे चोदने की बाद आगे आने वाली चुदाईयों में अंकल बेशर्मी की सारी हदों को पार करने वाले थे। मैंने कोइ जवाब नहीं दिया तो अंकल ने मेरी गीली चूत की दरार में उंगली ऊपर-नीचे करते हुए पूछा, “बताओ चित्रा, चूत में लंड लेने का मजा आया या नहीं? आज की चुदाई का मजा आया या नहीं?”
“मैं अंकल की तरफ से ऐसे साफ़-साफ़ चूत चुदाई और लंड वाले सवाल के लिए तैयार ही नहीं थी। लेकिन जब अंकल ने दुबारा वही सवाल किया तो मैंने हड़बड़ा कर पूछा, “क्या अंकल?”
“अंकल उसी बेशर्मी के साथ बोले, “अरे चित्रा मैं पूछ रहा हूं, आज की चुदाई का मजा आया या नहीं। चूत में लंड लेने का मजा आया या नहीं?”
“मैंने नोट किया अंकल की जुबान फिर से लड़खड़ाने लग गयी थी। अंकल के इतनी बार पूछने के बाद मैंने भी सोचा कि अब जब अंकल के साथ चुदाई होनी ही थी, वो भी पता नहीं कब तक, तो फिर शर्माना कैसा। मैंने भी वैसे ही साफ़-साफ़ ही कह दिया, “बहुत मजा आया अंकल। अब तक भी मजा आ रहा है।”
“फिर ना जाने क्या हुआ, मेरे मुंह से अपने आप ही निकल गया, “आपके ऐसे मोटे लंड के चूत में जाने से अभी तक चूत में झनझना मची हुई है।”
“वैसे तो राज सच भी यही था। चूत में झनझनाहट तो थी ही, मजा तो आना बंद ही नहीं हो रहा था। अंकल तो चूत, चुदाई, लंड पर आ ही चुके थे, बोल तो मैंने भी दिया मगर मुझे ये सब बोलने में अभी भी थोड़ी शर्म आ रही थी।
दस पंद्रह मिनट ऐसे ही चलता रहा। अंकल कभी मेरी चूचियां दबा देते, कभी चूत में उंगली कर देते। अंकल शायद शराब का पूरा सुरूर आने का इंतज़ार कर रहे थे।”
“अंकल का लंड मेरे हाथ में ही था, और अंकल का हाथ मेरी चूत पर था। अंकल मेरी चूत में उंगली डालते-डालते हुए बोल देते थे, “आआह… चित्रा क्या टाइट फुद्दी हैI क्या मस्त चुदाई हुई है आज। सच चित्रा, कुंवारी चूत चोदने का मजा आ गया। पूरी तरह लंड को जकड़ रही थी तुम्हारी टाइट फुद्दी।” ये बोलते ही अंकल ने उंगली चूत में से निकाली और फिर अंदर चूत में डाल दी।”
“मैंने सोचा, हद्द ही है। अंकल ये सब चूत, फुद्दी, चुदाई के मजे की बातें कितना खुल कर अपने बेटे की बीवी से बोल रहे थे। अंकल जिस बेशर्मी के साथ ये सब बोल रहे थे, मुझे पक्का ही समझ आ गया कि शराब का हल्का नशा चुदाई के टाइम को तो बढ़ा ही देता है, साथ ही चोदने वाले को बेशर्म भी बना देता है, और फिर वो चुदाई के दौरान कुछ भी बोलने लगता है। वो बात अलग है कि इस “कुछ भी बोलने” के साथ हो रही चुदाई के का मजा और भी बढ़ जाता है।”
“औरत की चूत भी मर्द से क्या-क्या करवा देती है। जब अंकल ने ये कहा तो मैं समझ गयी अब कि होने वाली चुदाई में अंकल चूत, चुदाई, लंड खूब बोलने वाले थे। अचानक से अंकल ने उंगली मेरी चूत ने डाली और दुबारा बोले, “चित्रा सच बताना आज की चुदाई का मजा आया या नहीं?”
“अंकल के दुबारा पूछने से मुझे बड़ी हैरानी हुई। अभी ही अंकल ने यही पूछा था और और मैं भी जवाब देकर हटी थी, “बहुत मजा आया अंकल। अब तक मजा आ रहा है।” तो क्या अंकल मेरे मुंह से भी चूत, लंड, चुदाई सुनना चाहते थे, या कि ये शराब का असर था? और वैसे भी शर्मा कर मैं क्या करती?
जब अंकल ये पूछ रहे थे तो अंकल की उंगली मेरी चूत में थी और अंकल का खड़ा खूंटा लंड मेरे हाथ में। जितना मजा चुदाई का अंकल के साथ उस रात आया था, मुझे तो उल्टा ये डर सता रहा था कहीं ऐसा तो नहीं कि आज की सुहागरात की चुदाई के बाद अंकल कहीं दुबारा मेरी चुदाई ही ना करें। बस आज की सुहागरात वाली चुदाई हो गयी और खेल खत्म।”
“ये ख्याल आते ही मैंने बोल ही दिया, “अंकल, मस्त मोटा लंड है आपका। मजा आ गया आज की चुदाई का।” और साथ ही मेरे मुंह से निकल गया, “अंकल आगे भी ऐसे ही चुदाई करेंगे?”
“ये सुनते ही अंकल ने उंगली मेरी चूत से निकाली और चूत को सहलाया और दुबारा उंगली मेरी चूत के अंदर घुसेड़ी, मेरे होंठ अपने होठों में ले लिए और एक बार होंठ चूस कर उठ बोले, “हां चित्रा, आगे भी ऐसे ही चुदाई करेंगे।” फिर कुछ रुक कर बोले, “आगे की चुदाई इससे भी बढ़िया करेंगे।” अंकल की जुबान पूरी तरह लड़खड़ा रही थी। मतलब शराब अपना असर दिखा रही थी।”
“अंकल की इस बात पर मैंने सोचा, जैसी चुदाई उस दिन तब तक मेरी हो चुकी थी, इससे बढ़िया और चुदाई क्या हो सकती थी?”
— चित्रा की एक और चुदाई अलग तरीके से
“कुछ देर अंकल मेरी चूत के साथ ऐसे ही खिलवाड़ करते रहे। फिर अचानक से अंकल ने एक पलटी ली और अंकल फिर मेरे ऊपर आ गए। एक और चुदाई का ख्याल भर आते ही चूत गीली हो गयी। मैंने खुद ही अपनी टांगें खोल दी। मैं सोच रही थी कि अब अंकल मेरे चूतड़ों के नीचे तकिया रख कर चूत ऊपर उठाएंगे और पहले की ही तरह लंड अंदर डाल कर चुदाई करेंगे। लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।”
“लेकिन जो हुआ, वो देख कर मुझे लगा कि चुदाई के मामले में मुझे अंकल से अभी बहुत कुछ सीखना था। अंकल ने अपनी कुहनियां मेरे घुटनों के नीचे डाल दी और ऊपर की तरफ होने लगे। मेरी चूत खुद-बा-खुद ऊपर उठने लगी। जब अंकल पूरा ऊपर हो चुके तो मेरी चूत पूरी ऊपर उठ चुकी थी और अंकल का लंड बिल्कुल मेरी चूत के छेद के ऊपर था।”
“अंकल दो सेकंड के लिए रुके फिर उन्होंने एक झटका लगाया और पूरा लंड चूत के अंदर था। झटका लगाते हुए अंकल बोले, “ले चित्रा… पूरा ले मेरा लंड। गया पूरा लंड तेरी टाइट फुद्दी में। आज तो तुझे चुदाई का जन्नत वाला मजा दूंगा? सारी जिंदगी तू आज की चुदाई याद रखेगी। आगे भी ऐसे ही चोदूंगा चित्रा, ऐसी ही चुदाई करूंगा। जब तक बोलेगी चोदता रहूंगा।”
चित्रा बता रही थी, ” ये बोल कर अंकल ने जोर शोर से चुदाई चालू कर दी। शराब के नशे में अंकल बड़े ही जोर के धक्के लगा रहे थे। चुदाई करते हुए जो कुछ अंकल बोल रहे थे वो तो बस हद्द ही हो गयी थी। पति-पत्नी भी कम से कम पहली रात की चुदाई के दौरान ऐसी बातें नहीं करते होंगे जैसी अंकल कर रहे थे।”
“अंकल बोलते भी जा रहे थे और लंड के धक्के भी लगा रहे थे, “चित्रा क्या टाइट फुद्दी है। आआह चित्रा मस्त चूत है। रगड़ कर जा रहा है मेरा लंड। जकड़ रक्खा है तेरी फुद्दी ने मेरा लंड। आआह चित्रा, मजा आ गया आज तो चुदाई का। चित्रा पूरी रात चुदाई करूंगा तेरी। आह हमेशा ऐसे ही चोदूंगा तुझे चित्रा… “आह चित्रा अब जाएगा मेरे लंड का पानी, आअह चित्रा, भर दूंगा आज तेरी फुद्दी। अब जाएगी मेरे लंड कि मलाई तेरी फुद्दी में। आआह चित्रा, क्या मस्त मजा दिया तूने आज।”
“अंकल की ऐसे बेशर्मी वाली बातें सुन कर मुझे मजा तो आ ही रहा था, मेरी अपनी शर्म भी खत्म हो रही थी। लंड, चूत, फुद्दी, चुदाई सुन-सुन कर मेरा खुद का मन ये सब बोलने का होने लगा था।”
“मैं भी बोलने लगी, “आअह अंकल क्या मस्त लंड है आपका। अंकल ऐसा लंड होना चाहिए, हाथी की सूंड जैसा। मजा आ गया अंकल ये लंड चूत में लेने का। और जोर से करिये, ऐसे ही झटके से लंड डालिये, हां अंकल, ऐसे ही चोदो अंकल, और चोदो, हां ऐसे ही जोर-जोर से धक्के लगाओ।”
“मेरी इन बातों से तो अंकल जैसे पागल ही हो गए। अंकल ने पूरा लंड बाहर निकाला और झटके से अंदर डालते हुए बोले, “ले, ले चित्रा गया तेरी फुद्दी में। अंकल के लंड के धक्के लगाने की स्पीड एक-दम से बढ़ गयी। लग ही रहा था अंकल सुरूर में थे। आधे घंटे चली इस चुदाई में मैं दो बार झड़ चुकी थी, और अब तीसरी बार मेरे झड़ने की तैयारी थी।”
“जैसे ही मेरा मजा निकलने को हुआ, मैंने अंकल को बाहों में भींच लिया और बोली,”अंकल आने वाला है मुझे। अब मत रुकना अंकल। डालो अंकल अपने लंड की गरम मलाई मेरी चूत में आह अंकल।” और इसके साथ ही मेरी चूत पानी छोड़ गयी।”