चित्रा बता रही थी, “ऐसी जोरदार चुदाई हुई मेरी, कि मेरे मुंह से एक ऊंची सिसकारी आआआह अंकल, आह निकली और साथ ही मैं ढीली पड़ गयी। अंकल भी रुक गए, मगर अंकल का लंड अभी भी खड़ा ही था। पहले की ही तरह मेरी चूत अंकल के मोटे लंड से भरी पडी थी। मैं हैरान थी कि मेरा मजा तीन बार निकाल कर अंकल एक बार भी नहीं झड़े?”
“मुझे सहेलियों की बातें याद आ गयी कि शराब पीने के बाद मर्द का लंड जल्दी नहीं झड़ता। अंकल ने तो व्हिस्की पी ही रक्खी थी, शायद इसीलिए अंकल का लंड भी अभी तक खड़ा ही था। अंकल का मोटा खड़ा लंड अपनी चूत में महसूस करते हुए मेरा मन तो कर रहा था कि पूछूं “अंकल अब? क्या फिर चोदनी है?”
“मगर फिर सोचा अगर अंकल झड़े नहीं और उनका लंड अगर खूंटे की तरह खड़ा ही था, तो फिर चुदाई के अलावा और हो भी क्या सकता था। मैं सोच रही थी अंकल लंड चुसवा चुके, चूत चाट चुके, चूतड़ चाट चुके, चुदाई क्या चुदाईयां कर चुके, अब देखते हैं अब अंकल क्या नया गुल खिलने वाले थे, कौन सा नया करिश्मा करने वाले थे।”
“अंकल ने लंड मेरी चूत में से निकाला और मुझे बाहों से पकड़ कर खड़ा कर दिया। मैं तो अपनी तरफ से कुछ कर ही नहीं रही थी। बस अंकल मुझे पकड़ कर जिधर कर देते मैं उधर ही हो जाती। अंकल ने मुझे फिर बिस्तर पर लिटा दिया, और तकिया वापस मेरे चूतड़ों के नीचे सरका दिया।”
उधर चित्रा की बातें सुन-सुन कर मैं सोच रहा था, जो-जो चित्रा के साथ अंकल इस पहली चुदाई के दौरान कर रहे थे, कोइ किस्मत वाली लड़की ही होगी जिसकी पहली रात को इतनी मस्त चुदाई होती होगी। चित्रा की चुदाई लगातार हो रही थी। चित्रा की चूत बार-बार पानी छोड़ रही थी। मगर अंकल का लंड वैसा ही खूंटे की तरह खड़ा था।
चित्रा बोल रही थी “राज, जब अंकल ने तकिया मेरे चूतड़ों के नीचे सरकाया तो मैंने सोचा, अब एक और चुदाई होगी। मगर नहीं, अभी चुदाई नहीं होने वाली थी।”
चित्रा बता रही थी “अंकल घूम कर मेरे ऊपर आ गए और लंड मेरे मुंह में डाल दिया और खुद अपना मुंह मेरी चूत पर ले आए। अब अंकल का लंड मेरे मुंह में था और अंकल मेरी चूत का चिकना पानी चाट रहे थे, चूस रहे थे। मैं अंकल का लंड चूस रही थी और अंकल मेरी चूत।”
“राज मुझे ये मानने में जरा सा भी हिचकिचाहट नहीं कि अंकल की चूत चुसाई में जादू था। जल्दी ही चूत ने फिर से फुर्रर पानी छोड़ दिया। अंकल ने सर उठा कर मेरी तरफ देखा। चूत के पानी छोड़ते ही चुदाई के तजुर्बेकार अंकल को भी पता चल गया होगा कि पिक्चर हाल पूरा भर चुका था, और पिक्चर चालू कर ही देनी चाहिए। या कहें तो पिच अगली बैटिंग के लिए बिल्कुल तैयार हो चुकी है, चालू करने का वक़्त आ चुका है मैच।”
“उधर इन अब चुसाईयों-चुदाईयों के बीच उस वक़्त मेरे दिमाग में बस एक ही ख्याल था, क्या सारी रात चुदने वाली हूं मैं? अंकल ने लंड मेरे मुंह से निकाला और फिर घूम कर मेरे ऊपर आ गये। अंकल ने मेरी टांगें थोड़ी खोली। इतनी चुदाईयों के बाद चूत का छेद जरा सा तो खुल ही गया होगा। इतनी बार लंड लेने के बाद चूत के छेद को वापस पहली वाली तरह टाइट होने में कुछ तो टाइम लगना ही था।”
— चित्रा का चुदाई का चौथा मजा
“अंकल ने खड़ा लंड फिर से मेरी चूत में ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया। शायद पहले की तरह चूत का छेद ढूंढ रहे थे। इस बार अंकल को चूत का छेद ढूंढ़ने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी। अंकल ने लंड जब चिकनी हुई पड़ी चूत में लंड ऊपर-नीचे किया तो लंड पहली ही बार में छेद पर रुक गया। अंकल ने एक जोर का धक्का लगाया और लंड फिसल कर चूत में बैठ गया।”
“इस बार जब लंड फिसल कर चूत के अंदर गया तो जो मजा मुझे आया वो मजा मेरे लिए जन्नत के मजे से कम नहीं था। कोइ दर्द नहीं, कोइ जलन नहीं। बस मजा ही मजा। इस बार जो मेरी चुदाई हो रही थी, वो चुदाई मुझे नहीं पता कितनी देर तक चली, कितनी हुई और कितनी बार मेरी चूत का पानी निकला। सही पूछो तो मुझे मजा आना बंद ही नहीं हो रहा था।”
चित्रा उसी मस्ती में अपनी कहानी सुना रही थी। मस्ती के मारे चित्रा की आंखों में गुलाबी डोरे दिखाई देने लग गए थे। लग रहा था चित्र जल्दी ही मुझे चुदाई के लिए कहने वाली थी। चित्रा की चुदाई के ख्याल भर से ही मेरे लंड में हरकत होने लग गयी।
चित्रा बोल रही थी, “मेरी आंखें बंद थीं, दिमाग काम नहीं कर रहा था। बस मैं मजे की समंदर में गोते लगा रही थी। कुछ ही मिनट अंकल को मेरी चुदाई करते हुए गुजरे होंगे कि तभी एकाएक अंकल के धक्कों की स्पीड बढ़ गयी। अंकल ने मुझे कस कर बाहों में जकड़ लिया। अंकल का मुंह मेरे कान के पास था। अंकल फुसफुसा रहे थे, “आअह चित्रा, अब निकलेगा ये आया, आआआह चित्रा आआआह, ये निकला आआआह, आज तो मजा ही आ गया आआहले ले और ले।”
“मजा आना तो मुझे इस चुदाई में बंद ही नहीं हुआ था। अंकल की ये बातें सुन-सुन कर मेरी चूत एक-दम गरम हो हो गयी। मेरे मुंह से भी सिसकारियां निकलने लगीं, “आह अंकल अअअअअह आआह अंकल आह बस होने वाला है मेरा भी अंकल अब मत रुकना अंकल।”
“उधर अंकल सिसकारियां ले रहे थे, “आआह चित्रा, क्या मजा आ रहा है आह। चित्रा आअह, आआह, ले चित्रा ले ये ले निकला मेरा।” और अंकल के लंड में से गरम-गरम पानी निकला और मेरी चूत अंकल के लंड से निकले पानी से भर गयी।”
“जैसे ही अंकल के लंड का गर्म पानी मेरी चूत में निकला, मेरे मुंह से जो के एक सिसकारी निकल गयी, “आअह अंकल, कितना गर्म है आह, अंकल अभी तक निकल रहा है आपका I तभी मुझे भी मजा आने वाला हो गया। मेरे मुंह से भी सिसकारियां निकलने लगीं, “आअह आआह अंकल फिर निकल गया आआआह। इसके साथ ही मेरी चूत भी पानी छोड़ गयी।”
“अंकल ढीले हो कर कुछ देर मेरे ऊपर ही कुहनियों और घुटनों के बल मेरे ऊपर ही लेट गए। फिर अंकल ने लंड चूत में से निकाला और मेरे साथ ही लेट गए। जैसे अंकल के लंड का चूत के अंदर जाने का मजा आया था, ऐसा ही मजा तब आया जब अंकल का लंड फिसल कर चूत से बाहर निकला।”
“अंकल बिना कुछ बोले कुछ देर लेटे रहे। कुछ देर बाद अंकल ने मेरा हाथ पकड़ा, और अपने लंड पर रख कर दबा दिया। मैं अब मस्त हो चुकी थी। मैंने सोचा क्या एक चुदाई और होगी? इस एक और चुदाई की मस्ती में मैंने अंकल का गीला चिकना हुआ पड़ा लंड पकड़ लिया, और धीरे-धीरे दबाने लगी और साथ ही लंड को आगे पीछे भी करने लगी। मेरे ऐसा करने जल्दी ही अंकल का लंड फिर खड़ा हो गया, पहले की ही तरह सख्त।”
“अंकल उठ खड़े हुए और मुझे भी खड़ा कर लिया। अंधेरे कमरे में कुछ दिखाई तो दे नहीं रहा था। जैसे-जैसे अंकल मुझे इधर-उधर कर रहे थे, मैं उधर-उधर होती जा रहे थी। अंकल ने मुझे उल्टा कर के बेड के किनारे पर लिटा दिया। ये चुदाई मैं अपने कंप्यूटर पर चुदाई की फिल्मों में देख चुकी थी। मैं समझ गयी अंकल मुझे कुतिया बना कर पीछे से चोदने वाले थे।”
“वही हुआ। पीछे से होने वाली इस तरह की चुदाई में लंड बिल्कुल चूत के छेद के सामने था, अंकल को चूत का छेद ढूढ़ना भी नहीं पड़ा। अंकल ने बिना वक़्त गंवाए मेरी कमर पकड़ी, लंड चूत के छेद पर रक्खा और लंड अंदर डाल कर बिना देरी के चुदाई शुरू कर दी।
लंड जैसे ही चूत में गया, अंकल ने साथ ही लम्बे-लम्बे धक्के लगाने लगे। अब तो अंकल भी खुल कर ऊंची आवाज में बोल रहे थे, “आह चित्रा आआआह, क्या मजा आ रहा है।” अगर दरवाजा बंद ना होता तो चाची भी ये आवाजें सुन सकती थी।”
“अंकल के मुंह से ये बातें सुन-सुन कर मेरा अपना मजा दुगना हो रहा था। मेरे चूतड़ अपने आप आगे-पीछे होने लगे।”
— अंकल झड़े दूसरी बार, चित्रा को आया पांचवीं बार मजा
“तभी अंकल के लंड के धक्कों की स्पीड एक-दम बढ़ गयी। कुछ ही देर की चुदाई के बाद अंकल ने एक जोर की आवाज निकाली, “ले चित्रा अब फिर निकला ले।”
“जैसे ही अंकल के लंड से गरम पानी मेरी चूत में गिरा, मेरी अपनी चूत फिर पानी छोड़ गयी। मेरे मुंह से अपने आप निकला, “आआआह अंकल, मुझे फिर आ गया मजा आआआह, अंकल, अंकल आआआह अंकल क्या मजा आता है ऐसे।”
“इस चुदाई के बाद अंकल ऐसे ही मेरी कमर पकड़ कर खड़े रहे। एक बार तो मुझे लगा अंकल एक और चुदाई करने वाले हैं। मगर जल्दी ही अंकल का लंड ढीला हो कर बैठ गया।”
“कुछ देर बाद अंकल ने लंड चूत में से बाहर निकाला और मुझे पकड़ कर बिस्तर पर लिटा दिया। और खुद भी मेरे साथ ही लेट गए। अंकल बिल्कुल चुप थे कुछ भी नहीं बोल रहे थे। मैंने सोचा उठूं और जाऊं, या कि अभी एक चुदाई और होगी? अंकल धीरे-धीरे मेरी चिप-चिप करती गीली चूत पर हाथ फेर रहे थे। मेरी चूत अंकल के लंड के पानी और मेरी अपनी चूत के पानी से भरी पड़ी थी। लेसदार पानी टपक-टपक बाहर आ रहा था। मुझे जोर का पेशाब भी लग रहा था। मैंने अंकल से कहा, “अंकल मुझे जोर का पेशाब आ रहा है, मुझे टॉयलेट जाना है।”
“अंकल एक तरफ हुए, और मुझे बस इतना ही कहा, “ठीक है चित्रा, जाओ हो कर आओ।”
“मैंने सोचा, अंकल के ये कहने का क्या मतलब था? मतलब मुझे अभी पेशाब करके वापस आना था, आपमें कमरे में नहीं जाना था। क्या अंकल एक बार और चुदाई के मूड में थे? फिर मैंने सोचा चुदाई ही होगी और यहां रुक कर क्या होना है।”
चित्रा बता रही थे, “सच में राज इतना चुदने के बाद मैं थक चुकी थी। मेरी चूत में भी हल्का सा दर्द हो रहा था। जब अंकल ने कहा “ठीक है चित्रा, जाओ करके आओ” तो मेरी चूत ने आगे होने वाले चुदाई के ख्याल से ही फिर से पानी छोड़ दिया। सच बोलूं तो राज, मेरा उसी वक़्त एक और चुदाई करवाने का मन होने लगा।”
“मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि अब जब चूत चुसाई, गांड चुसाई, मुंह में लंड, चूत में लंड, ये सब तो हो ही चुका है तो चलो देखते हैं अब आगे क्या नया होता है।”
— चित्रा चली बाथरूम
मैं अभी बाथरूम का दरवाजा खोलने ही वाली थी वाली थी कि अंकल की आवाज आयी, “चित्रा”।
मैं ठिठक कर रुक गयी और मुड़ कर बोली, “जी अंकल?”
अंकल बोले, ” चित्रा, नीचे चूत की धुलाई मत करना।”
“राज एक पल को तो मैं हैरान हुई कि ये अंकल क्या कह रहे थे? अंकल ने जैसे ही कहा “चित्रा, नीचे चूत की धुलाई मत करना”, मेरी चूत ने पानी का एक फव्वारा और छोड़ दिया। मैं बाथरूम गयी, पेशाब किया और बिना धुलाई किये लेसदार पानी से चिप-चिप करती चूत के साथ ही वापस आ गई।”
जैसे ही मैं बेड के पास पहुंची अंकल बोले, “आ जाओ चित्रा, मैं भी हल्का हो कर आता हूं।”
“ये कह कर अंकल ने मुझे बेड पर बिठा दिया और खुद बाथरूम की तरफ चले गए। मैं लेट गयी और अंकल का इंतजार करने लगी। अंकल अंधेरे में गए, अंधेरे में आये, फिर आ कर मेरे साथ ही लेट गए।”
फिर चित्रा जोर से हंस कर बोली, “राज अंधेरे हमारी ये पहली और आख़री चुदाई तो थी ही, हमारा अलग-अलग बाथरूम जाना भी पहली और आख़री बार था। इसके बाद की चुदाईयां तो रोशनी में हुई ही, उसके बाद तो बाथरूम भी मैं और अंकल इकट्ठे ही जाने लग गए।”
चित्रा की ये बात सुन कर मेरे अपने लंड ने जोर मार दिया। मैंने हिला कर पेंट में लंड को ठीक से बिठाया।
चित्रा ने मुझे लंड पेंट में ठीक करते देखा तो दुबारा जोर से हंसी और बोली, “और राज अगर मैं तुम्हे अभी बता दूं कि अंकल बाथरूम में अंकल मेरे साथ क्या-क्या करते हैं और मुझसे क्या क्या करवाते हैं तो तुम्हारा ये खड़ा होता हुआ लंड अभी से फटने को तैयार हो जाएगा।”
चित्रा की बातें सुन-सुन कर मैं भी सोच रहा था क्या से क्या बना दिया अंकल ने चित्रा को। अब युग के साथ इसकी चुदाई की तसल्ली होगी भी तो कैसे और क्यों।
अब तक तो मेरे लिए पारुल और तबस्सुम ही महा चुदक्क्ड़ लड़किया थी। यहां तो अंकल चित्रा को चुदाई मैं कहीं आगे ले जा चुके थे। चित्रा भी अपनी मर्जी से चुदाई की महारानी बन चुकी थी। पारुल और तबस्सुम से भी आगे वाली चुदक्क्ड़।
दिल की एक कोने से युग की लिए एक आवाज आई, “अब तेरा क्या होगा गांडू युग त्रिपाठी? तेरी बीवी तो गयी तेरे हाथ से। और तभी दिल की दूसरे कोने से आवाज आयी, “होना जाना क्या है। तू अपना गांड चुदाई वाले काम में ही मस्त रह, तेरी बीवी मोटे लंड का मजा ले रही है और तेरा बाप कुंवारी चूत के मजे ले रहा है।
चित्र बता रही थी, “राज जब अंकल बाथरूम से आ कर मेरे पास ही लेट गए। मैं समझ गयी थी कि मेरी चूत की अभी “बस” नहीं हुई थी, अभी एक दो बार इसकी चुसाई पिलाई पिटाई चुदाई और होनी बाकी है।”
“सही सुहागरात मन रही थी मेरी। फरक ये था कि इस सुहागरात में मुझे मेरा गांडू पति नहीं बल्कि मेरे गांडू पति का बाप मुझे चोद रहा था, वो भी तरह-तरह से। मैं सोच रही चुदाई के मामले में किस्मत हो तो ऐसी। यादगार ही बनने वाली थी मेरी ये पहली चुदाई।”
“अंकल ने पता नहीं कितनी बार मेरी चूत का पानी छुड़वा दिया था। चूत का पानी निकलने की गिनती तो कब की पीछे छूट चुकी थी। हां अंकल दो ही बार झड़े थे।अंकल ने फिर करवट ली और अपना हाथ मेरी चूत के ऊपर दिया और धीरे-धीरे चूत सहलाने लगे। ना उंगली चूत की दरार में डाली, ना अंदर घुसेड़ी, बस चूत सहलाते रहे।”
“चूत का दर्द तो कब का गायब हो चुका था अब तो चूत मस्त चुदाई के लिए तैयार होने लगी थी। पेशाब करके आय अंकल का लंड अभी ढीला, बैठा हुआ ही था। लगता था अंकल को इस बार भी चुदाई की कोइ जल्दी नहीं थी। अंकल चूत को सहलाते-सहलाते बीच-बीच मेरे पेट पर भी हाथ फेर लेते और मेरी चूचियों के छोटे छोटे निप्पल भी मसल देते।”
“मेरी चूत फिर हल्की-हल्की गीली होने लग गयी। एक और चुदाई की इच्छा मन में जागने लगी। ना जाने क्या हुआ मेरी हाथ अपने आप अंकल के लंड पर चला गया I मेरे हाथ लगाते ही अंकल का लंड भारी होने लगा। ना तो अंकल का लंड पूरा बैठा ही था ना ही पूरा खड़ा ही था।”