हेलो फ्रेंड्स मेरा नाम रिंकू शर्मा है. मेरे घर मे मेरी छोटी बेहन और पापा रहते है. मेरी मम्मी की डेत कुछ टाइम पहले हो गई. जिसके कारण हमारी पूरी जिंदगी मे तूफान सा आ गया.
ये स्टोरी कुछ साल पहले की दोस्तो. तब मेरी उमर लगभग 19 साल के अराउंड थी. मैं दिखने मे तोड़ा ठीक तक ही था. और मेरी छोटी बेहन मुझसे 2 साल छोटी है. हम दोनो स्टडी करते थे. मैं +2 क्लास मे था और मेरी छोटी बेहन 10त मे पढ़ती थी.
मेरी बेहन दिखने मे काफ़ी सुंदर थी. वो थोड़ी मोटी थी. उसे देख कर कोई कह नही सकता था की ये अभी 10त क्लास मे होगी. उसका फिगर 34”30”34 था. वो मॅग्ज़िमम टाइम लेगैंग्स,जीन्स और स्कर्ट्स ही बहनती थी. जिससे उसका फिगर बहुत आचे से दिखाई देता था.
जब मेरी मम्मी की डेत हुई तो उसके बाद मेरे पापा ने दारू पीनी शुरू कर दी. जिसकी वजह से उनकी कंपनी ने उनको जॉब से तो नही निकाला. पर उनकी ट्रान्स्फर उप की फॅक्टरी मे कर दी. जिसकी वजा से ह्यूम देल्ही को छ्चोड़ कर उप के एक छोटे से सहर मे जाना पड़ा.
वाहा पर किसी ने हमे सस्ता सा घर बीटीये दिया जिस मे हमने शिफ्ट कर लिया. ये एक छोटिसी बस्ती थी. जिसमे मॅग्ज़िमम मुस्लिमस ही रहते थे. हुँने यहा पर गूव्ट स्कूल मे अड्मिशन ले लिया. और लाइफ उधर ही चलने लगी.
घर भी क्या था. जिसमे 2 बहुत छोटे छोटे कमरे थे, एक किचन था. और उपर एक सीढ़ियो के उप्पर रूम बना हुआ था. एक रूम मेरी सिस्टर ने ले लिया एक पापा के लिए तो मेरे लिए उप्पर सिधो वाला रूम हो गया.
कुछ दीनो बाद मेरे बस्ती के ही कुछ दोस्त बन गये. जिनके साथ मेने पहले सिगरेट शुरू की और फिर भंग का नशा करने लगा जिससे वो लोग सिगरेट मे भर कर पीटते थे. अब तो मैं स्कूल से बंक करके सीधा मेरे दोस्तो के पास जाता और हम बस नशे मे पूरा दिन ऐसे ही पड़े रहते थे.
एक दिन मेरे एक दोस्त ने मुझे एक गंदी फोटोस वाली मगीने दी. उसे देख कर मैं बहुत हैरान हुआ. मेने कुछ ही देर मे पूरी देख ली. ऐसे ही रोज कोई ना कोई मगीने ले ही आता और हम सब मिल कर देखते.
एक दिन मेरा दोस्त नसीब बोलता यार मेरे घर पर सला पंगा पद गया है. मगीने पकड़ी गई. अब से तुम मे से कोई अपने घर पर ले जया करो. यहा सबके घर छोटे छोटे थे.तो पकड़े जाने का तोड़ा दर सबको ही था.
इस लिए मेने कहा भाई मुझे दे दो. मेरा रूम उपर है जहा पर कोई नही आता. मैं आराम से छिपा कर रख सकता हू. और मान ही मान सोचने लगा की रात को इसे देख कर मूठ भी मार सकता हू.
अब मैं मगीने को अपने घर ले गया और रात को उसे देख कर मूठ मार कर सोया. सोते टाइम मेने मगीने गद्दे के नीचे छुपा दी. अब तो मेरा डेली का यही काम था. कोई ना कोई ऐसे वाली मगीने ले आता और मैं उनको अपने घर ले जाता.
कभी कभी सलीम भी मेरे घर आता. और हम दोनो उप्पर मेरे रूम मे बैठ कर मगीने देखते और नशा करते. हम इतने पक्के वेल नशेड़ी हो गये थे. की हर वक़्त बस नशा ही चाहिए होता था.
एक दिन सलीम कही बाहर गया था तो मैं घर पर जल्दी आ गया. मेने आकर गद्दे के नीचे देखा तो वाहा से मगीने गायब थी. मे चारो तरफ ढूँडने लगा पर मुझे मगीने नही मिली.
उसके बाद मे घर से बाहर निकल गया. तब तक नसीब भी आ गया था. हम नशा करने लगे. फिर जब रात हो गई. तो नसीब बोला चल तेरे घर जलते है. मगीने देख कर मूठ मरेंगे फिर सोएंगे.
उसकी बात सुन कर हम दोनो मेरे घर आ गये. उस वक़्त कोई रात के 10 बजे हुए थे. मेरे घर के बाहर काफ़ी कुत्ते खाते थे. और शायद एक कुटिया जिससे वो छोड़ने वेल थे. सलीम बोला भोसदिके हमसे आचे तो ये कुत्ते ही है. छूट तो मिल रही है.
मैं हेस्ट हुए बोला, चल किसी को तो मिल रही है और फिर हम मेरे रूम मे आ गये. और फिर से सिगरेट मे भंग भर कर पीने लगे. उसके बाद जब फुल ओं नशे मे हो गये तो मेने नसीब ने गद्दे के नीचे से गंदी मगीने निकली.
उनको देख कर मैं हैरान हो गया. और बोला भाई एक बात बतौ.
नसीब: ह्म
मे: यार दिन मे ये साली पता नही कहा चली गई थी. मैं ढूंड ढूंड के परेशन हो गया था.
नसीब: भेंचोड़ तू अपनी गांद मे ढूंड रहा होगा. ये तो यही पर पड़ी थी.
मे: पता नही यार बहनचोड़ मेरा तो दिमाग़ खराब हो गया लगता है.
इतने मे हमे नीचे से किसी के आने की आहत हुई. देखा तो मेरी बेहन रिंकी थी. उस वक़्त उसने छोटी सी स्कर्ट और एक टॉप पहना हुआ था. जिसमे से उसके बड़े बड़े बूब्स बाहर झाँक रहे थे.
हमे देख कर बोली नमस्ते भैया. तो हममे से किसी ने कोई जबाब नही दिया, मैं तो नशे मे था और शायद नसीब भी. पर मेरी बेहन को देख कर उस वक़्त उसकी आँखे खुली की खुली ही रह गई थी.
फिर वो बोली, बाहर आज पता नही कुत्ते क्यू भोंक रहे है. सोने ही नही दे रहे. ये बोल कर वो बाल्कनी मे चली गई और नीचे देखने लगी.
नसीब: भेंचोड़ गांद देख क्या मस्त है. मैं तो आज इसे ही कुटिया बनौँगा और इतना बोल कर वो बेड से उठ गया. मैं वही नशे मे पड़ा हुआ देखने लगा.
मेरी बेहन तोड़ा सा झुक कर खड़ी थी. नसीब सीधे जाकर उसके पीछे उससे चिपक कर खड़ा होगआया. मेरे लिए तो जेसे कोई मोविए चल रही थी. कुछ होश तो नही था पर दिखाई सब दे रहा था.
नसीब: क्या देख रही है?
रिंकी: ये कुत्ते मिल कर उस छोटे कुत्ते को मार रहे है.
नसीब: उसे नही मार रहे, उसकी मार रहे है.
फिर नसीब तोड़ा पीछे हुआ. उसने शायद अपना लंड मेरी बेहन की गांद पर सेट किया जो अभी भी वेसए ही झुके हुए खड़ी थी. और फिर उसके पीछे वेसए ही झुक कर खड़ा हो गया.
इतना होने के बाद तो नसीब को ग्रीन सिग्नल मिल गया था. वो पीछे से रिंकी के बूब्स को दबाने लगा और किस करने लगा. दोनो कुछ देर वही पर खड़े हुए ये सब करते थे. कुछ देर बाद गली मे बिके आने की आवाज़ हुई तो नसीब रिंकी का हाथ पकड़ कर उसे मेरे रूम मे ले आया.
और मेरे सामने ही मेरी बेहन से लिपट कर बेड पर गिर गया. अब दोनो बेड पर लेट कर एक दूसरे के जिस्म से खेल रहे थे.
अब नसीब ने जल्दी से मेरी बेहन का टॉप निकाला और उसके बड़े बड़े बूब्स बिल्कुल नंगे बाहर आ गये. बूब्स पर नसीब के हाथ कांप रहे थे. वो उनको दबाने लगा और चूसने लगा.
मेरी बेहन पूरी गरम हो गई थी. वो नसीब के मूह को अपने बूब्स पर दबा रही थी. कुछ देर ऐसा ही करने के बाद नसीब खड़ा हुआ. और मेरी बेहन की टाँगे उठा कर अपने कंधे पर रख ली. और फिर पनटी को निकल कर मेरी तरफ फेंक दी.
मेरी बेहन की गोरी गोरी टाँगे बिल्कुल नंगी थी और उसकी पिंक कलर की चिकनी छूट पर एक भी बाल नही था. उसे देख कर तो मेरे मुर्दे मे भी जान आने लगी.
अब सलीम ने अपना लंड बाहर निकाला जो मेरे लंड जितना ही 5 इंच के अराउंड था. नशे की वजा से तोड़ा ढीला ही था. और वो अपने लंड को रिंकी की छूट मे घुसने की कोसिस करने लगा.
मेरी बेहन की छूट एक दूं टाइट थी. पर नसीब का लंड पूरा टाइट नही था. जिसकी वजा से वो अंदर जा ही नही रहा था. काफ़ी कोसिस और ज़ोर लगाने के बाद बड़ी मुस्किल से लंड अंदर गया.
जिससे मेरी बेहन को तोड़ा सा दर्द हुआ. और उसने ज़ोर से अपने आँखे बंद कर ली. फिर नसीब ढके लगाने लगा और मेरी बेहन ने उसे काश कर पकड़ लिया.
कोई 15-20 ढके लगाने के बाद नसीब का काम हो गया. और उसने अपना पूरा माल मेरी बेहन की छूट के उपर ही निकल दिया. और साइड मे लेट गया और सो गया.
मैं भी वही पर सो गया. सुबा जब हम उठे तो मेरी बेहन वाहा पर नही थी. वो रेडी होकर स्कूल चली गई थी. फिर नसीब और मैं दोनो अपने आड़े पर नशा करने चल दिए.
नसीब: रात तो बहनचोड़ मज़ा आ गया.
मे: भाई किसी और मत बताना की तूने मेरी बेहन छोड़ी है.
नसीब: नही ब्टौँगा. अब तो रोज रात को तेरे घर ही सोया करूँगा.
तो फ्रेंड्स केसी लगी मेरी स्टोरी. मुझे एमाइल करके ब्ताइए. मेरी एमाइल ईद है रिणकुपनदी2005@गमाल.कॉम आयेज की स्टोरी आपका रेस्पॉन्स देख कर लिनकुंगा.