ही दोस्तों, मेरा नाम पारूल है, और मैं अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आई हू. उमीद करती हू, की आपको पिछला पार्ट पसंद आया होगा. अगर आपने पिछला पार्ट नही पढ़ा है, तो पहले वो ज़रूर पढ़े.
पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा था, की मेरे दोनो जीजू निर्मल जीजू और कमाल जीजू मेरा ध्यान रखने घर आए हुए थे. फिर मैं निर्मल जीजू पर मोहित हो गयी. फिर आधी रात को निर्मल जीजू ने मेरी छूट की सील खोल दी. इसमे मुझे बहुत मज़ा आया. फिर मैं बातरूम गयी, और अपने आप को सॉफ करके आई. अब आयेज बढ़ते है.
जब मैं बातरूम से बाहर आई, तो जीजू बेड पर नंगे टांगे खोल कर लेते हुए थे. उनका लंड फिरसे खड़ा हो गया था. फिर वो बातरूम गये, और लंड सॉफ करके आए. जब वो बाहर आए, तब भी उनका लंड तन्ना हुआ था. ये देख कर मैने बोला-
मैं: जीजू ये तो बैठ ही नही रहा.
निर्मल जीजू: ये फिरसे तुम्हारे अंदर जाना चाहता है.
मैं: अछा जी, तो माना किसने किया है.
ये सुनते ही निर्मल जीजू फिरसे मेरे उपर आ गये, और मुझे किस करने लग गये. थोड़ी देर हम ऐसे ही कड्ड्ल करते रहे. मेरी छूट भी गरम हो चुकी थी, और पानी छ्चोढने लगी थी. फिर जीजू बेड पर सीधे लेट गये, और मुझे उपर आने को कहा.
मैं उनके उपर जाके बैठ गयी, और उनके लंड पर अपनी छूट रगड़ने लग गयी. फिर मैने लंड को पकड़ा, और अपनी छूट पर सेट किया. उसके बाद मैं धीरे-धीरे लंड के उपर बैठ गयी. मेरे मूह से आ निकला, और जीजू का लंड मेरी बच्चे-दानी तक चला गया. मैं जीजू के लंड पर उपर-नीचे होने लगी.
कुछ देर मैं ऐसे ही उनके लंड पर उछालती रही. फिर जब मैं तक गयी, तो मैं उनके उपर लेट गयी. जीजू ने मुझे अपनी बाहों में भरा, और उपर की तरफ धक्के मारने लगे. बहुत मज़ा आ रहा था. तभी कुछ ऐसा हुआ, जो मैने सोचा भी नही था.
जीजू ने मुझे बाहों में जकड़ा हुआ था, और नीचे से धक्के मार रहे थे. मैं लंड लेके मदहोश हुई पड़ी थी. तभी मुझे अपने छूतदों पर किसी के हाथ महसूस हुए. पहले मुझे लगा की वो निर्मल जीजू के हाथ थे. लेकिन फिर मुझे लगा की जीजू के हाथ तो मुझे जकड़े हुए थे.
जब मैने मूड के देखा, तो पीछे कमाल जीजू खड़े थे. वो बिना कपड़ो के खड़े थे, और उनके दोनो हाथ मेरे छूतदों पर थे. मैं उनको देख कर घबरा गयी, और उठने लगी. लेकिन निर्मल जीजू ने मुझे उठने नही दिया. तभी निर्मल जीजू कमाल जीजू से बोले-
निर्मल जीजू: भैया बहुत मस्त है ये. मैने इसकी छूट की सील तोड़ दी है. आप गांद की तोड़ दो.
ये सुन कर मैं बोली: नही जीजू, ऐसा मत करना.
लेकिन अब कहा कोई मेरी सुनने वाला था. कमाल जीजू ने मेरे छूतदों में अपना मूह घुसाया, और मेरी गांद के च्छेद पर जीभ फेरने लग गये. निर्मल जीजू ने मेरे होंठ अपने होंठो से बंद कर रखे थे, ताकि मैं कुछ बोल ना पौ.
फिर कमाल जीजू ने मेरी गांद में थूका, और अपना लंड मेरी गांद के च्छेद पर लगाया. निर्मल जीजू का लंड तो पहले से ही मेरी छूट में था. मेरे छूतदों पर कमाल जीजू की पकड़ और मज़बूत होने लगी. फिर उन्होने एक ज़ोर का धक्का मारा.
उनके धक्के से मैं दर्द के मारे काँप गयी. पहले धक्के में उनके लंड का टोपा मेरी गांद में चला गया. मैं मचल रही थी, लेकिन निर्मल जीजू ने मुझे जाकड़ रखा था. फिर कमाल जीजू धक्के पे धक्का मारते गये, और मेरी आँखों के आयेज अंधेरा आने लगा.
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कोई लोहे की रोड मेरी गांद में डाल रहा हो. कुछ धक्को में उन्होने पूरा लंड मेरी गांद में घुसा दिया. फिर वो दोनो रुक गये. दर्द के मारे मेरी हालत पतली थी.
निर्मल जीजू लगातार मेरे होंठ चूस रहे थे. पीछे से कमाल जीजू ने भी मेरे बूब्स में हाथ डाल लिया, और उनको मसालने लगे. कोई 5 मिनिट रुकने के बाद कमाल जीजू ने अपना लंड मेरी गांद में अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया.
मुझे अभी भी तोड़ा दर्द हो रहा था. लेकिन जब लंड गांद के च्छेद की दीवारो के साथ रग़ाद ख़ाता, तो मुझे मज़ा भी आ रहा था. उधर निर्मल जीजू भी अपनी कमर हिला कर अपना लंड छूट में अंदर-बाहर करने लगे.
कुछ ही मिंटो में दोनो लंड पूरा रिदम बना कर अंदर बाहर करने लग गये. अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मुझे एक कंप्लीट वुमन की फीलिंग आ रही थी. मैं भी आ आ करके मज़े लेने लग गयी.
जब उन दोनो ने मेरी मज़े से भारी आहें सुनी, तो दोनो ने अपनी स्पीड बढ़ा ली. निर्मल जीजू ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगे, और मेरे बूब्स चूसने लगे. पीछे से कमाल जीजू ने भी तेज़ी से मेरी गांद पेलनी शुरू कर दी. वो पीछे से मेरी पीठ पर किस किए जेया रहे थे.
दोस्तों मैने कभी सोचा भी नही था, की मेरे जीजू मेरी सील तोड़ेंगे. और ये तो बिल्कुल भी नही सोचा था, की दोनो जीजू मेरी छूट और गांद दोनो को फाड़ देंगे. लेकिन जो भी हो, मज़ा बहुत आ रहा था.
मैं भी अब अपनी गांद हिला कर उनकी ताल से ताल मिला रही थी. निर्मल जीजू ने मेरे बूब्स चूस-चूस कर लाल कर दिए थे. कमाल जीजू ने मेरी पेयरी पीठ पर दांतो के निशान बना दिए थे. वो मेरी गांद पर थप्पड़ मार रहे थे, जिससे मेरी गांद लाल हो चुकी थी.
फिर दोनो ने अपने लंड बाहर निकाल लिए. निर्मल जीजू नीचे ही लेते रहे, और उन्होने मुझे अपने उपर पीठ के बाल लेटने को कहा. उन्होने नीचे से ही मेरी गांद के च्छेद में अपना लंड घुसा दिया. फिर उपर आए कमाल जीजू, और उन्होने मेरी छूट में अपना लंड घुसा दिया.
अब दोनो ने फिरसे धक्का-पेल चुदाई शुरू कर दी. कमाल जीजू मेरे होंठ चूस्टे हुए मेरी छूट छोड़ रहे थे. उनका लंड तो निर्मल जीजू के लंड से भी बड़ा और मोटा था. पीछे से निर्मल जीजू ने मेरे बूब्स पर हाथ डाल रखा था, और वो मेरे बूब्स मसल रहे थे.
20 मिनिट तक वो दोनो मुझे इसी तरह संद्वितच पोज़िशन में छोड़ते रहे. फिर दोनो ने अपना पानी मेरे अंदर ही निकाल दिया. उसके बाद हम तीनो तक कर एक ही बिस्तर पर नंगे ही सो गये.
उस दिन के बाद से मैं अपने दोनो जीजू की रंडी बन गयी हू. उनका जब दिल करता है मुझे छोड़ते है, और मैं भी उनके लंड का मज़ा लेती हू.
तो दोस्तों मेरी कहानी यहा ख़तम होती है. मज़ा आया हो तो कॉमेंट करके ज़रूर बताए.