पिछला भाग पढ़े:- 3 सुहग्रात वाली शादी-1
ही दोस्तों, मेरा नाम अर्चना है. मैं अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आई हू. अगर आपने पिछला पार्ट नही पढ़ा है, तो पहले वो पढ़ लीजिए. क्यूंकी पिछला पार्ट ना पढ़ कर आप बहुत कुछ मिस कर देंगे. तो चलिए अब कहानी शुरू करते है.
पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा था, की कैसे मेरी शादी मेरे कॉलेज के प्यार सुनील से हुई. ये शादी मेरे घर वालो की मर्ज़ी के खिलाफ हुई थी, तो उन्होने मुझे हमेशा के लिए अपने से अलग कर दिया था.
फिर हमारी सुहग्रात हुई, जिसमे मेरे पति सुनील ने मेरी छूट की सील तोड़ी, और मैने पहली बार चुदाई का मज़ा लिया. एक लंबी और मज़ेदार चुदाई के बाद हू. दोनो सो गये. अब आयेज चलते है.
सुबा हम उठे, और मैने देखा सुनील बेड पर नही थे. फिर मैं बातरूम में जाके फ्रेश हुई, और रेडी होके बाहर आ गयी. बाहर आके देखा, तो सुनील, मेरा देवर अजय, और मेरी सासू मा नाश्ता कर रहे थे.
सासू मा ने मुझे बैठने के लिए कहा, और बड़े प्यार से नाश्ता करवाया. मैने ससुर जी के बारे में पूछा, तो उन्होने कहा की वो कही बाहर काम से गये थे.
फिर सासू मा ने सुनील को मुझे मोविए देखने ले-जाने के लिए कहा. हम शाम कर बाहर घूमते रहे, और हमने बहुत मज़े किए. फिर घर आए तो डिन्नर रेडी था. हम सब ने डिन्नर किया, और सुनील बेडरूम में चले गये.
मैं किचन में सासू मा की हेल्प करने गयी. लेकिन उन्होने मुझे कोई काम नही करने दिया. फिर जब मैं बेडरूम में जाने लगी तो वो बोली-
सासू मा: बेटा लहंगा पहन कर जाना.
मैं: क्यूँ मा, लहंगा क्यूँ.
सासू मा: हमारे यहा रिवाज़ है, पहली 3 रात बहू लहंगा पहन कर ही बैठती है रूम में. और सुहग्रात भी उतनी ही बार होती है.
मैने ओक बोला, और अंदर जाके लहंगा पहनने लगी. तब तक सासू मा ने सुनील को बाहर बुला लिया. मैं लहंगा पहन कर पिछली रात की तरह बेड पर बैठ गयी. फिर सासू मा आई, और दूध का ग्लास देके चली गयी.
थोड़ी देर बाद पिछली रात की तरह दरवाज़ा खोला, और सुनील अंदर आके बेड पर बैठ गये.
मैं शर्मा रही थी. फिर उन्होने दूध पिया, और मेरा घूँघट उपर किया. जैसे ही मैने उनको देखा, मेरी आँखें बड़ी हो गयी, और मैं हैरान हो गयी. वो सुनील नही उनका छ्होटा भाई अजय था, जो की सिर्फ़ 19 साल का था. मुझे लगा वो कोई मज़ाक कर रहा था, तो मैने उसको बोला-
मैं: अजय तुम यहा क्या कर रहे हो? और ये भैया की शेरवानी क्यूँ पहनी है?
अजय मेरे पास आया, और बोला: भाभी आज हमारी सुहग्रात है.
मुझे अभी भी ये उसका कोई मज़ाक लग रहा था. लेकिन जब उसने मेरे बूब पर हाथ फेरा तो मैने उसको धक्का दिया, और रूम से बाहर आ गयी. बाहर आके मैने सासू मा को बोला-
मैं: सासू मा, ये अजय मेरे साथ बदतमीज़ी कर रहा है.
उधर से सुनील भी बाहर आ गये, और मैं उनके गले लग गयी.
फिर सासू मा बोली: मैने बोला तो था 3 दिन सुहग्रात चलती है. अब एक के साथ तो हो गयी. आज दूसरे की बारी है.
मैं: क्या मतलब दूसरे की बारी है?
सासू मा: बेटा ये हमारा रिवाज़ है. जो लड़की भी हमारे घर आती है, पति और बाकी डब मर्दों के साथ सुहग्रात मानती है. तुम्हे भी यही करना है. मैने भी किया था.
मैने सुनील की तरफ देख कर कहा: सुना आपने ये आपकी अर्चना को सब के साथ सेक्स करने को कह रही है.
सुनील: सही तो कह रही है मा. अब रिवाज़ तो रिवाज़ है.
मैं उसके मूह से ये सुन कर हैरान हो गयी. फिर मैं बोली-
मैं: मैं ये नही करने वाली.
सासू मा: देखो बेटी इस घर में रहना है तो ये तो करना पड़ेगा. नही तो चली जाओ अपने घर.
उनकी ये बात सुन कर मैं घबरा गयी. मैने सोचा की मेरे पास तो वापस जाने के लिए अपना घर भी नही था. फिर मैने बहुत मिन्नटे की, लेकिन ना तो सासू मा ने मेरी बात सुनी, और ना ही सुनील ने, और ससुर जी तो घर पर थे ही नही. फाइनली मुझे हार कर रूम में जाना पड़ा.
अजय मेरी तरफ देख कर हस्स रहा था. वो मुझे रूम में आते देख भाग कर मेरे पास आया, और दरवाज़ा बंद करके मुझे पीछे से पकड़ लिया. फिर उसने मेरी पीठ पर किस करने शुरू कर दिए. मेरी आँखों से आँसू बह रहे थे, की ये मैने किसपे भरोसा कर लिया.
अजय ने पीछे से मेरी चोली की डोरी खोल कर उसको मेरे बदन से अलग कर दिया. फिर उसने मुझे घुमाया, और मेरे होंठो से अपने होंठ चिपका दिए. अब मेरा देवर जिसको मैने भाई माना था, मेरे होंठ चूस रहा था.
फिर वो मेरी गर्दन चूमने लगा, और उसने मेरी ब्रा उतार दी. मैने अपने बूब्स अपने हाथो से च्छुपाए. लेकिन वो हाथ हटा कर मेरे निपल्स चूसने लगा. वो मेरे निपल्स को काट-काट कर चूस रहा था.
फिर उसने मुझे बेड पर धक्का दे दिया, और मेरी कमर पर किस करने लग गया. उसने मेरा लहंगा निकाला, और पनटी उतार कर मेरी छूट चाटने लगा. मैं लगातार रो रही थी.
फिर वो नंगा हुआ, और अपने भाई की तरह ही मुझे देख कर लंड मसालने लग गया. मैने उसको बोला-
मैं: अजय मत करो ऐसा. मैं तुम्हारी भाभी हू. और भाभी मा समान होती है.
अजय: मैं जानता हू भाभी. लेकिन मैने तो अपनी मा को भी छोड़ा हुआ है. और मा समान भाभी को भी छोड़ूँगा. आप मज़ा लो भाभी. मैं भैया से ज़्यादा मज़ा दूँगा आपको.
अजय का लंड उसके भाई के लंड के बराबर ही था. बस तोड़ा सा पतला था. वो लंड हिलाते हुए मेरे मूह के पास आया, और बोला-
अजय: भाभी चूसो इसको.
मैं: मुझसे ये नही होगा.
फिर उसने ज़ोर लगा कर मेरा मूह खोला, और धक्का मार कर मेरे मूह में लंड तूस दिया. वो ज़ोर-ज़ोर से मेरे मूह में धक्के देने लगा.
उसके लंड का स्वाद बड़ा कड़वा था, और मुझे उल्टी आ रही थी. उसका लंड मेरी थूक से पूरा गीला हो गया था. फिर वो जल्दी से मेरी जांघों के बीच आया, और अपना पूरा लंड एक ही झटके में मेरी छूट में घुसा दिया.
मेरी चीख निकली, और उसने जानवरो की तरह मुझे छोड़ना शुरू कर दिया. वो साथ-साथ मेरी गर्दन और बूब्स को चाट-चूम रहा था. मैं उसको अपने होंठ नही चूसने दे रही थी, जिस वजह से उसने मेरे मूह पर थप्पड़ मारा, और मेरे होंठ चूसने लगा.
उसने मुझे 20 मिनिट छोड़ा. और फिर अपने माल से मेरी छूट भर दी. इस बीच मैं 2 बार झाड़ चुकी थी. फिर वो उठा, और बोला-
अजय: मज़ा आ गया भाभी. कमाल की छूट है आपकी.
ये बोल कर वो मेरे रूम से बाहर चला गया. और मैं सोचती रह गयी, की मेरे साथ क्या हो गया.
अगला पार्ट जल्दी आएगा दोस्तों. तो पढ़ते रहिए, और मूठ मारते रहिए.
अगला भाग पढ़े:- 3 सुहग्रात वाली शादी-3 (लास्ट पार्ट)