हेलो दोस्तों, मैं कारण आ गया अपनी अनोखी कहानी को पूरा करने. जैसा की आपने पिछली कहानी में पढ़ा की रघुवीर और नीषा की शादी हो जाती है, और राज शादी नही करता है, बल्कि नेहा को सच बता कर नेहा के साथ मलांग की शादी करवा देता है, और वो देल्ही चला जाता है. नेहा रघुवीर को सब कुछ बता देती है. फिर कुछ दिन बाद रघुवीर और नीषा की आनिवर्सयरी पे रघुवीर राज के पास आता है. अब आयेज-
रघुवीर: अंदर नही बुलाओगे क्या?
राज: तुम इधर. ओक आओ.
रघुवीर: अछा तो एक साल से यहा क़ैद हो तुम.
राज: मैं यहा रह रहा हू.
फिर रघुवीर ने राज को दीवार से सता दिया, और बोला-
रघुवीर: तुम अपने आप को समझ क्या रहे हो?
राज: वीर, छ्चोढो मुझे, दर्द हो रहा है.
रघुवीर: मेरे दर्द का क्या?
राज: मैने जो भी किया, तुम्हारे भले के लिए ही किया.
रघुवीर: तुम होते कों हो मेरा भला-बुरा सोचने के लिए?
राज: मैं दोस्त हू तुम्हारा.
रघुवीर: अभी भी दोस्त ही बोल रहे हो. अगर दोस्त होते तो ऐसे मुझे बर्बाद नही करते.
फिर राज ने पीछे मूड कर रघुवीर से खुद को हटाया, और बोला-
राज: मैं प्यार करता हू, लेकिन क्या घर वाले हमारे प्यार को समझते?
रघुवीर: तुम कभी बोले क्या उनसे?
राज: नीषा जान गयी थी हमारे बारे में. इसलिए मैं तुमको बचाने के लिए ऐसा किया.
फिर राज और रघुवीर के मम्मी पापा आ गये और बोले-
राज की मम्मी: तुम हम पर इतना भी विश्वास नही करते, की हम तुम्हारी बात समझेंगे?
रघुवीर के पापा: अगर बोलते तो हम कभी भी ऐसा नही होने देते.
राज के तो होश ही उडद गये वो क्या हो रहा था, कुछ नही समझ पा रहा था.
राज: आप सब यहा क्या कर रहे हो? और नीषा कहा है?
रघुवीर: नीषा और मेरा डाइवोर्स हो गया.
राज: क्या! कैसे?
रघुवीर: जब मैने नेहा से नीषा के बारे में जाना, तब मैने नीषा से बात की. तब नीषा मुझे भी डरने लगी की अगर मैं उसके साथ नही रहूँगा, तो वो घर में बता देगी. फिर मैने ही तुम्हारे और मेरे पेरेंट्स को बता दिया. पहले तो उन्हे समझ नही आया, लेकिन बाद में वो समझ गये.
नीषा को भी उसके बाद अपनी ग़लती का एहसास हुआ. फिर हम डाइवोर्स के प्रोसेस को फॉलो किए और हमारा डाइवोर्स भी हो गया.
राज के पापा: हमारे लिए तुम इंपॉर्टेंट हो, तुम्हारी सेक्षुवालिटी नही. तुम जिसे भी पसंद करते हो, हमे कोई ऐतराज़ नही है. बस हमारे साथ रहो.
रघुवीर के पापा: बेटा मैं वीर पे गुस्सा उसकी भलाई के लिए करता था. मगर मैं हमेशा अपने बेटे को खुश ही देखना चाहता हू.
रघुवीर की मम्मी: तुम मेरे वीर के साथ रहो, हमे कोई भी प्राब्लम नही है. बस खुश रहो बेटा.
फिर रघुवीर और राज को उनके पेरेंट्स गले लगा लिए, और उसी वक़्त ही नीषा का कॉल आया राज को.
नीषा: सॉरी राज, मैने जो भी किया बहुत ग़लत किया. लेकिन अब मैने अपनी ग़लती सुधार दी.
राज: मैं भी समझता हू तुम्हारी बात को, सो इट’स ओक.
नीषा: अब तुम दोनो को कोई भी अलग नही करेगा.
फिर नीषा ने कॉल रख दी, और रघुवीर और राज के साथ बाकी सब घर वाले खुशी-खुशी रहे उस रात को. उसके अगले दिन उन दोनो के पेरेंट्स घर चले गये. अब सिर्फ़ रघुवीर और राज ही थे दोनो, और फाइनली उनके बीच सब क्लियर था. रघुवीर ने राज को हग किया, और लीप किस किया करीब 10 मिनिट तक. अब उसने बोला-
रघुवीर के पापा: बेटा मैं वीर पे गुस्सा उसकी भलाई के लिए करता था. मगर मैं हमेशा अपने बेटे को खुश ही देखना चाहता हू.
रघुवीर की मम्मी: तुम मेरे वीर के साथ रहो, हमे कोई भी प्राब्लम नही है. बस खुश रहो बेटा.
फिर रघुवीर और राज को उनके पेरेंट्स गले लगा लिए, और उसी वक़्त ही नीषा का कॉल आया राज को.
नीषा: सॉरी राज, मैने जो भी किया बहुत ग़लत किया. लेकिन अब मैने अपनी ग़लती सुधार दी.
राज: मैं भी समझता हू तुम्हारी बात को, सो इट’स ओक.
नीषा: अब तुम दोनो को कोई भी अलग नही करेगा.
फिर नीषा ने कॉल रख दी, और रघुवीर और राज के साथ बाकी सब घर वाले खुशी-खुशी रहे उस रात को. उसके अगले दिन उन दोनो के पेरेंट्स घर चले गये. अब सिर्फ़ रघुवीर और राज ही थे दोनो, और फाइनली उनके बीच सब क्लियर था. रघुवीर ने राज को हग किया, और लीप किस किया करीब 10 मिनिट तक. अब उसने बोला-
रघुवीर: इतना ही पसंद था तो कभी बोला क्यूँ नही?
राज: लोगों के दर्र से नही बोल पाया. लेकिन आज बोलता हू, ई लोवे योउ वीर.
रघुवीर: ई लोवे योउ टू.
फिर रघुवीर ने राज को अपनी बाहों से उठा दिया, और बेड पे लिटा दिया. फिर उन्होने किस करना चालू कर दिया. उसके बाद धीरे-धीरे एक-दूसरे के कपड़े उतारने लगे. अब दोनो पुर नंगे थे, और पुर जानवरो के तरह एक-दूसरे को खा रहे थे. फिर एक-दूसरे के लंड चूसने लगे दोनो मदहोश हो कर. फिर रघुवीर अपना लंड राज की गांद में रगड़ने लगा.
राज: वीर, धीरे से करो.
रघुवीर: हा राज, मैं तो प्यार से ही करता हू.
फिर उसने धीरे-धीरे डालना शुरू कर दिया, और राज के लिप्स को अपने लिप्स से चिपका कर किस करने लगा, और धक्के लगाना शुरू कर दिया.
अब राज भी मदहोश होने लगा, और साथ देने लगा. करीब 40 मिनिट तक वीर ने राज को छोड़ा.
राज: आज इतनी देर कैसे गया?
रघुवीर: मैं भरा पड़ा हू. आज तो नही छ्चोधुंगा तुम्हे.
राज: मैं तो अब तुम्हारा ही हू.
फिर उस दिन करीब 6 बार उनकी चुदाई हुई. राज ने भी दो बार रघुवीर की गांद में अपना लंड डाल कर चुदाई की. मगर रघुवीर को दर्द नही हुआ, क्यूंकी वो इतना प्यार करता था की उसने सिर्फ़ प्यार में ध्यान दिया. राज की हालत बहुत खराब हो गयी थी, और राज ने मेडिसिन खा कर रेस्ट किया पुर दिन. फिर दोनो देल्ही छ्चोढ़ कर अपने घर आ गये, और साथ में रहने लगे.
अब उसी मोहल्ले में ही राज और रघुवीर एक घर भाड़े पे लेकर रहने लगे. दिन भर वो अपनी फॅमिली के साथ बिताते, और रात को अपने घर में सोते, और चुदाई करते, और प्यार में अपनी ज़िंदगी काटने लगे.
तो दोस्तों ये थे उनकी कहानी के सभी पार्ट्स. उम्मेड है की आप सभी को ये कहानी दिल चू गयी होगी. सॉरी दोस्तों अगर इसमे सेक्स कम मिला, क्यूंकी मैं ये कहानी को प्यार के हिसाब से दिखना चाहता था. इसलिए मैने इसको प्रेम कहानी के हिसाब से दिखाया.
अगर आपको कहानी अची लगी तो अपना कॉमेंट्स मेरी मैल ईद महरकरण64@गमाल.कॉम पर भेजे. मेरे कहानी को पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद दोस्तों.