ही दोस्तों, मेरा नाम प्रांजल है. प्यार से लोग मुझे पारी भी कहते है. मेरी उमर 26 साल है, और मेरी शादी 2 साल पहले हो चुकी है. हाइट मेरी 5’5″ है और फिगर साइज़ 34-28-36 है.
रंग मेरा ना ज़्यादा गोरा है, और ना ही काला. मतलब क्रीम टाइप का रंग है. मेरे पति का नाम मनीष है, और वो इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट का काम करते है.
ये जो कहानी मैं लिख रही हू. ये मेरी लाइफ की सॅकी कहानी है. और ये शादी के तुरंत बाद मेरे साथ हुआ. पहले मुझे ये बड़ा अजीब लगा, लेकिन जब मैने क्षाहनी पर चुदाई की कहानिया पढ़ी, तो मुझे लगा की ये तो घर-घर की कहानी है.
तो चलिए अब मैं अपनी कहानी शुरू करती हू. शादी से पहले मैने कभी सेक्स नही किया था. बहुत सारे लड़कों ने मुझ पर ट्राइ किया, लेकिन मैने अपनी जवानी और अपनी सील बंद छूट को अपने पति के लिए बचा कर रखा था.
फिर मेरी शादी हुई, और सुहग्रात वाले दिन पहली बार किसी ने मेरा जिस्म च्छुआ. मेरे पति ने बड़े प्यार से मेरी सील तोड़ी, और मेरी चुदाई करी. मुझे पहली बार सेक्स करके बड़ा मज़ा आया.
फिर हम रोज़ सेक्स करने लगे. मैं अपने पति के साथ बिल्कुल फ्रॅंक थी, और हमने हर तरह की पोज़िशन ट्राइ की. फिर 3 महीने बाद मेरे पति को एक बड़ा कांट्रॅक्ट मिला. हम सब बहुत खुश थे इस कांट्रॅक्ट को लेके.
लेकिन जब मैने सुना की इसके लिए उनको 1 महीने के लिए फॉरिन जाना पड़ेगा, तो मैं उदास हो गयी. लेकिन और कोई चारा नही था.
पति के अलावा मेरे ससुराल में मेरी सास थी, जो बीमार रहती थी, और ससुर थे, जो रिटाइर्ड थे. मेरे सास-ससुर बहुत आचे थे. वो मुझे अपनी बेटी की तरह प्यार करते थे.
फिर मनीष चला गया, और मैं अकेली रह गयी. पहले 4-5 दिन तो मुझे उसकी कमी बहुत खाली, लेकिन फिर मैं संभाल गयी. पर उनके जाने से चुदाई तो हो नही रही थी, और मेरी छूट लंड की माँग कर रही थी.
10 दिन हो गये थे, और मैं सेक्स के लिए तड़प रही थी. मुझे समझ नही आ रहा था की मैं क्या करू. फिर एक रात मैने सोचा की फिंगरिंग कर लेती हू. फिर रात का डिन्नर हुआ, और मम्मी-पापा अपने रूम में सोने चले गये.
मैने किचन का काम निपटत्या, और अपने रूम में जाके बेड पर लेट गयी. मैने नाइट-सूट पहना हुआ था, जिसमे ब्लॅक लेगैंग्स और ऑरेंज त-शर्ट थी. फिर मैने मोबाइल पर पॉर्न लगा लिया, और अपनी छूट सहलाने लग गयी.
मुझे बड़ा मज़ा आने लगा, और मैं पूरी फीलिंग में थी. फिर मैने अपनी लेगैंग्स उतार दी, और पनटी भी उतार दी. अब मैं सिर्फ़ त-शर्ट में थी, जिसके नीचे ब्रा नही थी. मेरे रूम में नाइट बल्ब जला हुआ था.
मैं कुछ देर तक अपनी छूट सहलाती रही, और ऐसा इमॅजिन करने लगी जैसे मनीष मुझे छोड़ रहा हो. मेरी छूट पानी-पानी हो रही थी. फिर मैं बेड पर उल्टी होके लेट गयी. मैने घोड़ी की पोज़िशन लेली, क्यूंकी ये मेरी और मनीष दोनो की फॅवुरेट पोज़िशन है.
फिर मैं अपना हाथ नीचे लेके गयी, और अपनी छूट के दाने को सहलाने लगी. मुझे स्वर्ग के दर्शन होने लगे, और मेरी आँखें बंद होने लगी. मैं कभी पीछे से हाथ ले जाती, और कभी टाँगो के बीच से.
मेरी छूट बहुत गीली हो गयी थी, और उसमे से पानी तपाक रहा था बेडशीट पर. 5 मिनिट तक मैं उसी पोज़िशन में अपनी छूट सहलाती रही. मुझे चरमसुख की प्राप्ति हो रही थी, और मैं मदहोश हो चुकी थी.
तभी अचानक से मेरे छूतदो पर किसी के हाथ आए, और मेरी छूट पर किसी ने मूह लगा दिया. मैं इतनी मदहोश हुई पड़ी थी, की मैने चेक ही नही किया की वो हाथ किसके थे. मुझे लगा वो मनीष थे. लेकिन ऐसा नही था.
फिर उन्होने मेरी छूट पर जीभ लगाई, और उसको चाटना शुरू कर दिया. इससे मुझे और मज़ा आने लगा, और मैं अपनी गांद हिलाने लग गयी. मनीष ने ऐसा कभी नही किया था, तो मुझे लगा वो भी चुदाई के लिए तड़प रहा होगा, इसलिए ऐसा कर रहा था.
वो जीभ डाल-डाल कर मेरी छूट को छोड़ रहे थे. फिर उन्होने अपना लंड मेरी छूट पर सेट किया, और चूतड़ पकड़ कर लंड अंदर धकेल दिया. आहह, क्या मज़ा आया था लंड अंदर जाने पर. ऐसा लग रहा था, जैसे जन्नत मिल गयी हो.
फिर वो धीरे-धीरे धक्के लगा कर मुझे छोड़ने लगे. मैं आहह आहह करते हुए उनके धक्कों को सपोर्ट करने लगी. मैने आयेज से अपनी त-शर्ट उतार दी और अपने बूब्स पकड़ कर दबाने लगी.
साथ में मैं बोली: आह छोड़ो मनीष मुझे, ज़ोर से छोड़ो. मैने तुम्हे बहुत मिस किया मेरी जान.
मेरे ये कहने के बाद धक्को की स्पीड और बढ़ गयी. वो मेरी गांद पर थप्पड़ भी मार रहे थे, जिसका अलग ही मज़ा आ रहा था.
फिर उन्होने मेरे बाल पकड़ लिए, और धक्कों की स्पीड और बढ़ा दी. उनका लंड मेरी बच्चेड़नी तक जेया रहा था. मैं एक बार झाड़ चुकी थी, और अब दूसरी बार झड़ने वाली थी.
मेरी चूड़ियाँ ख़ान-ख़ान खनक रही थी. मंगलसूत्रा बूब्स के साथ टकरा रहा था. जांघों के टकराने से ठप-ठप की आवाज़े आ रही थी. फिर मैने बोला-
मैं: जानू मैं तक गयी. पोज़िशन बदल ले?
ये सुनते ही उन्होने अपना लंड मेरी छूट से निकाल लिया, और मैं सीधी लेट गयी. रोशनी कम थी, और कुछ मैं मदहोश थी, तो अभी भी मैने उनके फेस की तरफ ध्यान नही दिया.
फिर उन्होने मेरी टांगे मोदी, और अपना लंड डाल कर फिरसे मुझे छोड़ना शुरू किया. छोड़ते हुए वो आयेज झुके, और मुझे लीप-किस करने लगे. जैसे ही उन्होने लीप-किस किया, तो मेरा माता तनका. उनकी मूचे थी, जबकि मेरे हज़्बेंड क्लीन-शेव्ड थे.
मैने उनको ध्यान से देखा, तो वो और कोई नही मेरे ससुर थे. मैं बड़ी मुश्किल में थी. नीचे से मेरी छूट मुझे चूड़ने के लिए बोल रही थी, और दिमाग़ मेरा उनको डोर करने को बोल रहा था.
फिर छूट की आग जीत गयी, और मैने चुदाई पूरी होने दी. ससुर जी ज़ोर-ज़ोर के धक्के मारते रहे, और मैं चुड्ती रही. 20 मिनिट लगातार वो मुझे छोड़ते रहे, और मेरे अंदर ही झाड़ गये.
फिर वो उठे, और कपड़े पहनने लगे. मैने उनको गुस्से से बोला-
मैं: बाबू जी आपने ये क्या किया?
ससुर जी: तुम्हे नही पता ये क्या था?
मैं: आज के बाद आप ऐसा मत करना कभी भी. आप मेरे पिता की तरह हो. अगर दोबारा ऐसा हुआ, तो मैं मनीष को बता दूँगी.
ससुर जी: भूल मत अभी तू इस पिता के लंड के मज़े ले रही थी. तू मुझे तब भी रोक सकती थी रंडी. और ऐसा बार-बार होगा. जब भी मेरा दिल करेगा मैं तुझे छोड़ूँगा. तुझे जिसको जो बोलना है बोल दे. साली रांड़.
उस दिन से ससुर जी मुझे बार-बार छोड़ने लगे. मैने भी सोचा कही मनीष को बताने पर वो मुझे छ्चोढ़ ही ना दे.
फिर धीरे-धीरे मुझे उनसे चूड़ने की आदत हो गयी, और अब मैं उनसे मज़े से चुड्ती हू. पर एक बात है. मेरे ससुर बहुत हरामी निकले.