चित्रा की चूत का पानी छूट चुका था, मगर राज का लंड अभी भी खड़ा ही था। युग ने चित्रा को राज का तना हुआ लंड दिखाया, और मुट्ठ मार कर राज के लंड का पानी निकालने को कहा। युग के कहने भर से चित्रा भी मस्ती में राज का लंड चूसने लगी। युग चित्रा से बोला, “चित्रा मैं मुट्ठ मारता हूं राज के लंड की। मुट्ठ मार कर जब पानी निकलना शुरू होगा, तो उसे चाटना।”
अब आगे-
चित्रा मेरे लंड को पकड़ कर मुट्ठ मार रही थी, और लंड का मजा निकलने का इंतजार भी कर रही थी। चित्रा के नरम नाजुक हाथों में मेरा लंड झड़ने वाला हो गया। मेरे मुंह से आवाजें निकल रही थी, “आआह युग यार निकलेगा मेरा आआआह चित्रा, निकला चित्रा, आआआह” और मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया।
मेरा लंड युग के हाथ में था। चित्रा ने फिर युग की तरफ देखा और मेरे लंड से बूंद-बूंद करके निकलता हुआ पानी चाटने लगी।
चित्रा मस्ती में मेरे लंड से निकल रही गर्म गर्म सफ़ेद लेसदार बूंदें चाटती जा रही थी। युग को तो ये देख कर भी बड़ा मजा आ रहा था। उसकी नजरें मेरे लंड से हट ही नहीं रही थी। युग ये देख कर सिसकारियां लेने लगा था, “आअह आअहआह, जैसे मजा मुझे नहीं उसे आ रहा हो।”
चित्रा के लिए तो इस तरह लंड की मुट्ठ मार कर उसमें से निकलती हुए गर्म शहद के बूंदे चाटना कोइ नई बात नहीं थी। एक एक्सपर्ट की तरह चित्रा ने लंड से निकली एक-एक बूंद चाट कर लंड को पूरी तरह साफ़ कर दिया।
मेरा और युग, हम दोनों के लंड इस चुदाई और चुसाई के बाद बैठ चुके थे, चित्रा भी तब तक चुदाई का अच्छा खासा मजा ले चुकी थी। सब थके चुके थे। रात के साढ़े बारह बजने को थे। सब उठे और बाथरूम जा कर लंड चूत की धुलाई की और वापस कमरे में आ गए।
— और इस तरह उस रात के चुदाई का हुआ दा एंड
उस रात चुदाई खत्म हो चुकी थी। हम तीनों की तसल्ली भी हो चुकी थी, और हम थक भी चुके थे।
चित्रा हमारे तरफ देख कर बोली, “अब बताओ, खाना गरम करूं? इतनी कसरत करने के बाद मुझे तो भूख लग गयी है।” ये कहते हुए चित्रा हंस भी दी।
भूख तो मुझे भी लग गयी थी। युग भी बोला, “ठीक है खाना खाते हैं।” और फिर व्हिस्की की बोतल उठाते हुए बोला, “चल राज इसी खुशी में एक एक पेग और लगाते हैं। आज जो कुछ भी हुआ है तेरी वजह से हुआ है।”
ये कहते हुए युग चित्रा की तरफ देख कर बोला, “क्यों चित्रा सही कह रहा हूं ना मैं?”
चित्रा ने एक बार मेरी तरफ देखते हुए मुस्कुराई और बस इतना ही कहा, “मुझे नहीं पता।”
चित्रा किचन की तरफ चल पड़ी। हमने भी गिलास में व्हिस्की डाली और गिलास उठा कर चित्रा के पीछे-पीछे हो लिये। खाना तो लक्ष्मी बना ही गयी थी। चित्रा ने सारा सामान गरम कर दिया। सब ने मिल कर चिकन, चावल, चपाती डाइनिंग टेबल पर रक्खे और खाने के लिए बैठ गए।
युग ने दो घूंट में गिलास खाली कर दिया। युग को इस तरह पीते देख मैंने कहा, “आराम आराम से पी युग। क्या जल्दी है, अब तो सोना ही है।”
युग बोला, “जल्दी नहीं है मेरे दोस्त, असल में आज मैं बहुत खुश हूं। कम से कम आज तो चित्रा की चुदाई ढंग से हुई है, नहीं तो इसको मजा आने से पहले ही मेरा लंड झड़ जाता था।”
चित्रा ने कनखियों से मेरी ओर देखा और मुस्कुराई। युग बोलता जा रहा था, साथ व्हिस्की पीता जा रहा था। युग ने गिलास फिर खाली किया और तीसरा पेग बना लिया। युग कुल पांच पेग पी चुका था। युग को नशा होने लगा था। खाना खाते खाते युग बोला, “राज, तेरा क्या प्रोग्राम है।”
मैंने कहा, “दो दिन हो गये मुझे बाराबंकी आए, अब कल वापस जाऊंगा।”
युग बोला, “कल का दिन और रुक जा मेरे भाई, इतनी भी क्या जल्दी है। तेरी कौन सी बीवी बैठी ही जिसे जा कर चोदना है तूने।”
इतना बोल कर युग होहोहो करके हंस दिया और बोला, “या फिर कौन सा तूने दुकान संभालनी है, वो तो अंकल संभाल ही रहे हैं।”
युग की जुबान अब लड़खड़ाने लगी थी। युग वैसे ही बोला, “कल का दिन और रुक जा भाई, बस एक दिन और। आज तो मेरी और चित्रा की चुदाई का पहला-पहला दिन था। मान लो कल अगर मेरे से कुछ ना हुआ तो कैसे और कौन चित्रा की चूत का पानी छुड़ाएगा।”
फिर युग चित्रा का हाथ पकड़ कर बोला, “लंड चूत में लेने के बाद तो चित्रा का उंगली से पानी छुड़ाने का मन भी नहीं करेगा। क्यों चित्रा?”
चित्रा थड़ा गुस्से से बोली, “क्या अंट-शंट बोलते जा रहे हो युग? तुम्हें दारू चढ़ गयी है। रात भी बहुत हो गई है। जाओ जा कर सो जाओ। मैं रसोई समेट कर आती हूं। बाकी की बातें कल करेंगे”।
युग लड़खड़ाती आवाज में ही बोला, “ठीक है मेरी जान, मुझे भी नींद आ रही है।”
फिर युग वैसे ही लड़खड़ाती आवाज में बोला, “मगर इतना बोल देता हूं, राज कल नहीं जाएगा, बस।” ये कह कर युग उठा, एक बार चित्रा की चूचियां दबा कर हिलता-डुलता अपने कमरे की तरफ चला गया।
— युग चला गया सोने, चित्रा को युग उस दिन की चुदाई में आशा की एक किरण नजर आयी
चित्रा ने मेरी तरफ देख कर कहा, “चढ़ गयी है युग को। लगता है ढंग से चुदाई कर पाने की ख़ुशी में कुछ ज्यादा ही चढ़ा ली है।”
ये कह कर चित्रा बर्तन उठाने लगी। मैंने और चित्रा ने मिल कर बर्तन उठाए और रसोई समेट दी।
चित्रा बोली, “राज कॉफी पियोगे? मैंने हां में जवाब दिया और चित्रा ने कॉफी बनाने की मशीन में सामान डाल कर मशीन चालू कर दी। पांच मिनट में ही कॉफी बन गयी। कॉफी के मग उठा कर मैं और चित्रा वापस ड्राईंग रूम में आ गए।
चित्रा बोली, “राज आज तो युग चुदाई करते जल्दी नहीं झड़ा। इसका मतलब अगर इसका ठीक श-ठाक साथ दिया जाये तो ये सही में ढंग की चुदाई करने लग जाएगा।”
मैंने कहा, “चित्रा वैसे तुमने सिसकारियां तो बढ़िया लीं, चूतड़ भी खूब घुमाये। इससे से भी युग का लंड खड़ा होता रहा।”
चित्रा बोली, “राज सिसकारियां मैंने जरूर ली युग का नाम ले ले कर, मगर चूतड़ मेरे अपने आप झटके ले रहे थे। आखिर को लंड चूत में जाने का मजा तो मिल ही रहा था।”
फिर चित्रा बोली, “अब कल तुम क्या सच में ही जा रहे हो?”
मैंने कहा, “जाना तो है ही। दो दिन बहुत हैं, बाराबंकी में।”
चित्रा बोली, “वो तो ठीक है। रुक जाओ कल का दिन। ठीक तो कह रहा था युग कि अगर कल अगर वो मेरी चुदाई ढंग से ना कर पाया तो कौन छुड़ाएगा मेरी चूत का पानी। और फिर कुछ रुक कर बोली, “फिर यह भी तो ठीक ही है, तेरी कौन सी बीवी बैठी ही जिसे जा कर चोदना है।”
फिर हंसते हुए चित्रा बोली, “यहां कम से कम एक चूत तो है तुम्हारे चोदने के लिए। कल का दिन और चोद लो, फिर पता नहीं कितने दिनों या महीनों बाद मौक़ा मिलेगा चोदने का।”
फिर चित्रा कुछ सोचते हुए बोली, “कल सुबह जब युग फार्म जाए तो बोल देना तुझे नहीं जाना। कोइ बहाना बना लेना। दिन में मस्ती करेंगे।”
चित्रा के बात सुन कर मेरा लंड खड़ा होने लगा। मैंने लंड को पायजामे ठीक किया तो चित्रा हंसते हुए बोली, “वैसे तो सालो तुम सब मर्दों की हालत एक जैसी ही है, एक नंबर के लंगोट के कच्चे हो तुम लोग। चूत चुदाई का ध्यान भर आते ही तुम लोगों के लंड हरकत करने लगते हैं।”
मैं भी हंसा, और बोला, “चलो देखते हैं। अभी तो जा कर सोएं, बहुत रात हो गयी। चार घंटे बाद सुबह हो जानी है।” ये कह कर मैं और चित्रा उठे, मैंने चित्रा के होठों पर एक चुम्मा लिया और चूचियों को हल्का सा दबाया और गुड नाईट बोला और हम दोनों अपने अपने कमरों में चले गए।
— अगला दिन। युग फार्म पर, राज घर पर
सुबह मेरी नींद देर से खुली। उठा तो युग फार्म पर जा चुका था। लक्ष्मी आ चुकी थी। मैं सीधा बाथरूम गया और नहा धो कर बाहर निकला। चित्रा हाथ में चाय का कप ले कर आयी और बोल, “गुड मॉर्निंग राज, क्या बात है बड़ी देर तक सोते रहे। युग आधा घंटा इंतजार करता रहा फिर फार्म पर चला गया। बोल रहा था चार बजे तक आ जाएगा।”
ये कहते हुए चित्रा मुस्कुराई।
मैंने चुपचाप चाय की चुस्कियां लेता रहा। चित्रा किचन में लक्ष्मी के साथ काम में हाथ बंटाती रही। लक्ष्मी सुबह का काम खत्म करके बारह बजे चली गयी, और चित्रा मेरे पास आ कर बैठ गयी। तभी युग का फोन आ गया। चित्रा ने कुछ बात की और फोन मेरे हाथ में पकड़ा दिया और बोली, “युग ने तुमसे बात करनी है।”
युग बोला, “बड़ी देर तक सोया भाई तू।” फिर हंसते हुए बोला, “रात की थकान थी क्या?”
फिर युग बोला, “अच्छा राज, मैं साढ़े तीन, चार बजे तक आऊंगा। रात के खाने के लिए कुछ स्पेशल क्या लाऊं? आज मस्ती करेंगे फिर दो दिन मुझे फार्म पर रुकना है।” जब युग ने ये कहा तो मैंने चित्रा की तरफ देखा। चित्रा मुस्कुरा रही थी। बात पूरी होने के बाद फोन बंद करके मैंने चित्रा से कहा, “युग बोल रहा था अब दो दिन फार्म पर रुकेगा।”
चित्रा हंसते हुए बोली, “हां बता रहा था। ये अंकल भी इतने दिन बिना चूतड़ चाटे और चटवाये बिना नहीं रह सकते। पक्की बात है अब गोली खा कर चोदेंगे दो दिन।”
ये बोल कर चित्रा ने अपनी चूत खुजलाई और बोली, “वैसे तो राज मैं भी अंकल से चुदे बिना दो दिन से ज्यादा नहीं रह सकती। अब युग ढंग की चुदाई के लायक हो जाए तब देखते हैं क्या होता है।”
फिर कुछ रुक कर बोली, “युग के साथ चुदाई चालू हो भी गयी, तब भी लगता तो नहीं कि अंकल के साथ चुदाई बंद होगी। जब युग फार्म पर होगा और अंकल घर पर, तो कैसे मुझे चोदे बिना रह पाएंगे। अब तो हम दोनों को ही इस अजीबो-गरीब तरीकों वाली चुदाई का चस्का लग चुका है।”
फिर चित्रा मेरे लंड को छू कर बोली, “अब तुम बताओ क्या करना है? एक तो बजने वाला है। तीन बजे के बाद कभी आ जाएगा युग। दो घंटे हैं हमारे पास?”
मैंने कहा, “चलो चुदाई का एक-एक दौर तो चला ही लेते हैं।” हम दोनों उठ खड़े हुए।
अंदर आ कर चित्रा बोली, “बोलो राज क्या करना है, चूतड़ चटवाने हैं?”
मैंने कहा, “पहले मुझे चूत और चूतड़ चाटने दो। आज पता नहीं क्या बात है बड़ा मन कर रहा है।”
चित्रा ने “ठीक है आओ” बोला, और बेड के किनारे पर लेट गयी और तकिया चूतड़ों के नीचे रख कर चूतड़ उठा दिए और टांगें फैला ली। मैं नीचे फर्श पर बैठ गया और चित्रा के चूतड़ खोल कर चूतड़ों का छेद चाटने लगा। जल्दी ही चित्रा की चूत पानी छोड़ गयी।
चित्रा बोली , “राज आ जाओ अब चोदो। मेरी चूत गरम हो गयी है, अब और नहीं रहा जा रहा। डालो अंदर और करो चुदाई। मैं तुम्हें बाद में चूतड़ चाटने का मजा दे दूंगी।”
मैं खड़ा हुआ। लंड मेरा तैयार ही था। चूतड़ों के नीचे तकिये के कारण चूत उठी ही हुई थी। मैंने जरा सी टाँगें और चौड़ी की, लंड चित्रा की चूत पर रक्खा, और एक ही बार में पूरा लंड अंदर बिठा दिया। चित्रा के मुंह से एक सिसकारी निकली , “आह राज, क्या मस्त सख्त लंड है यार तुम्हारा मजा आ गया।”
इसके बाद बीस मिनट हमारी चुदाई चली और दोनों इक्क्ठे ही झड़ गए। चुदाई के बाद मैं चित्रा के साथ ही लेट गया। कुछ देर ऐसे ही लेटे रहने का बाद चित्रा बोली, “राज एक बार और चोदना है?”
मैंने कहा, “चित्रा बाकी चुदाई रात के लिए रहने देते हैं। नहीं तो रात को मजा नहीं आएगा।”
चित्रा बोली, “ठीक है, चलो एक बार चूतड़ चाट कर मजा दे दूं तुम्हें।”मैं वहीं बिस्तर पर ही उल्टा हो गया। चित्रा ने एक हाथ से मेरे टट्टे पकड़ लिए और मेरे चूतड़ चाटने लगी। मेरे लंड में हरकत होने लगी। पांच मिनट की चूतड़ चटाई के बाद मैंने कहा, “बस चित्रा, बड़ी मस्त चूतड़ चाटती हो तुम। बस करो नहीं तो एक चुदाई और करनी पड़ जाएगी।”
चित्रा हंसी और और उठते हुए बोली, “सही पूछो तो राज, अंकल ने चूतड़ चाटने और चटवाने का चस्का ही डाल दिया है। अब तो मेरी भी हालत ये है की चूतड़ चटवाने में तो मुझे मजा आता ही था अब चूतड़ चाटने में भी मजा आने लग गया है। चलो बाकी रात को चाटूंगी।”
— चित्रा के राज के साथ बाथरूम के मजे
तभी मुझे चित्रा की अंकल के साथ इक्ट्ठे बाथरूम जाने वाली बात याद आ गयी। मैंने चित्रा को कहा, “चित्रा एक बात पूछूं?”
चित्रा हंसते हुए बोली, ” क्या हुआ? अब फिर कुछ याद आ गया क्या? चलो पूछो क्या पूछना है?”
मैंने पूछा, “चित्रा तुम कह रही थी ना कि तुम और अंकल बाथरूम में जा कर कुछ कुछ करते हो। अंकल कुछ तुम्हारे साथ करते हैं और कुछ तुमसे करवाते हैं और वो सोने पर सुहागे वाली बात होती है। ऐसा क्या करते हो तुम दोनों बाथरूम में जा कर?
इस बात पर चित्रा फिर हंस पड़ी और बोली, “बस इतनी सी बात? चलो उठो बाथरूम में ही चलते हैं। वहीं बताऊंगी क्या क्या होता है हमारे बीच।”
मैंने कहा , “बाथरूम में क्यों, यहीं बता दो ना।”
चित्रा की हंसी नहीं रुक रही थी। हंसते हंसते वो बोली, ” एक बात बताओ राज, कल मैंने तुम्हें अपनी और अंकल की चुदाई की पूरी दास्तान सुनाई और बाद में तुमने असली चुदाई होते हुए भी देखी। तुम्हें किसमे ज्यादा मजा आया। चुदाई की कहानी सुनने में या अपनी आंखों से चुदाई देखने में।”
मजा तो मुझे चुदाई देखने मैं ही आया था। मैने कह दिया, “चित्रा सच में पूछो तो मजा तो मुझे अंकल की और तुम्हारी चुदाई देखने में ही आया था। बड़ी मुश्किल से मुट्ठ मारने से अपने आपको रोका हुआ था।”
चित्रा बोली, “वही तो मैं भी कह रही हूं। मेरे बताने से मजा नहीं आएगा कि मैं और अंकल बाथरूम में क्या क्या करते हैं। जब हम असली में वो सब करेंगे , तभी असली मजा भी आएगा।” चित्रा उठ खड़ी हुई और मेरा हाथ पकड़ कर बोली, “चलो उठो, बाथरूम जा कर वही सब करके बताती हूं जो मैं और अंकल किया करते हैं।”
मैं भी चित्रा के पालतू की तरह चित्रा के पीछे-पीछे हो लिया।
बाथरूम पहुंच कर चित्रा हंसी और बोली, “अब ध्यान रहे राज, जैसे-जैसे मैं कहती जाऊं वैसे-वैसे ही करते रहना।”
मैंने भी हंसते-हंसते कह दिया, “ठीक है मेरी सरकार, इस बाथरूम में मैं आपका गुलाम हूं, जैसे-जैसे जो-जो भी आप कहेंगी, मैं वैसे-वैसे ही करूंगा। कहिये सरकार का पहला हुकुम क्या है?”
बाथरूम का माहौल बड़ा ही मस्ती वाला हो गया था। मेरी और चित्रा के दोनों की हंसी ही नहीं रुक रही थी।
चित्रा वैसे ही हंसती हुई बोली, “मेरे गुलाम, मेरा पहला हुक्म है कि तुम्हें मूतना नहीं है। जब तक मैं ना कहूं, मूत रोक कर रखना है। अब के बाद यहां, इस बाथरूम में जो भी होगा, वो तुम्हारे और मेरे मूत से ही होगा। हर एक्शन करते हुए जैसे मैं कहूं वैसे मूतना है, मगर थोड़ा मूत अगले एक्शन के लिए रोक कर रखना है। समझ में आ गया मेरे चोदू गुलाम?”
ना चित्रा की हंसी रुक रही थी, ना ही मेरी। मैंने हंसते हुए कहा, “मेरे लंड की रानी, समझ गया। कहिये पहला हुकुम क्या है।”
चित्रा बोली, “चलो आसान काम से शुरू करते हैं।”