हे दोस्तों, मैं रमण राजस्थान के जाईपुर से हू. मेरी उमर 20 साल है, और मैं कॉलेज का स्टूडेंट हू. हाइट मेरी 5’8″ है, और लंड मेरा 6.5 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है. ये कहानी मेरी और सरिता आंटी की है. तो चलिए मैं आपको डीटेल में कहानी बताता हू.
3 महीने पहले हमारे घर में डिसाइड हुआ की मुझे आयेज की पढ़ाई के लिए फॉरिन भेजा जाएगा. इसके लिए मुझे ईेल्ट्स सर्टिफिकेट की ज़रूरत थी, ताकि मैं स्टडी वीसा अप्लाइ कर साकु. और ईेल्ट्स करने के लिए पासपोर्ट की रिक्वाइर्मेंट होती है.
तो पासपोर्ट बनवाने के लिए मैने ऑनलाइन साइट पे जेया कर अपनी पासपोर्ट की अपायंटमेंट बुक कर ली. मुझे 25 दिन के बाद की अपपिंटमेंट मिली थी. फिर अपायंटमेंट का दिन आ गया, और मैं आचे से रेडी होके वाहा पहुँच गया.
वाहा जाके मैने देखा, की लोगों की काफ़ी भीड़ थी. मुझसे पहले एक लंबी लाइन थी, और मेरी बारी आने में एक या दो घंटे लग जाने थे. फिर मैं वही वेटिंग हॉल में बैठ गया. बड़े सारे लोग थे. बहुत सारी खूबसूरत लड़कियाँ भी थी. मैने आस-पास की लड़कियों को चेक-आउट करना शुरू कर दिया.
तभी मेरी नज़र सामने बैठी एक आंटी टाइप औरत पर पड़ी. वो बड़ी ही अट्रॅक्टिव थी. उसकी ड्रेसिंग सेन्स बहुत अची थी. उसने वाइट नों-डेनिम जीन्स पहनी थी. साथ में प्रिंटेड शर्ट, हाइ हील्स सॅंडल्ज़, और गले में माला थी. बाल उसके कर्ली थे, और उसने अपना चश्मा सिर पर टीकाया हुआ था. लिप्स पर उसके मरून कलर की लिपस्टिक थी.
वो बहुत खूबसूरत थी, और स्मार्ट भी थी. उसके फेस एक्सप्रेशन्स बहुत आचे थे. उसका फिगर तकरीबन 36-29-36 होगा. अब आप सब इमॅजिन कर लो की वो कैसी लग रही थी. अगर नही कर पा रहे है, तो आप आक्ट्रेस “गुल पनाग” की पिक्चर्स देख लीजिए, वो बिल्कुल वैसी लगती थी.
उसको देख कर मेरा लंड हरकत करने लग गया था, और उसकी खूबसूरती को देख कर मेरा उसको प्यार करने का दिल करने लगा. लेकिन एक अंजान औरत को मैं ऐसे कैसे प्यार कर सकता था. लेकिन कहते है ना की जब आप पूरी शिद्दत से किसी चीज़ को पाना चाहते है, तो पूरी काएनआत उसको आपसे मिलने की कोशिश में लग जाती है. मेरे साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ.
वो फोन पर बात कर रही थी, की तभी एक आदमी उसके पास से उसको धक्का मारते हुए निकला. इससे उसका फोन नीचे गिर गया. तभी वो बोली-
वो: बदतमीज़! दिखाई भी नही देता.
आदमी बोला: मेडम क्या बोला आपने?
वो: आपको दिखाई नही देता, जो धक्का मार कर निकल रहे हो?
आदमी: तू रास्ते में बैठी है, तो मैं क्या तेरे सिर के उपर से जौ?
वो: देखो इसको, बात करने की तमीज़ भी नही है.
आदमी: दिखौ मैं तुझे अपनी तमीज़.
और ये बोल कर वो उसकी तरफ बढ़ने लगा. ये मेरे लिए बिल्कुल सही मौका था. मैं जल्दी से जाके उन दोनो के बीच खड़ा हो गया. फिर मैं उस आदमी को देख कर बोला-
मैं: क्या प्राब्लम है भाई साब. तुम्हे क्या लगता है ये अकेली है, जो तू बिना ब्रेक के आयेज बढ़ता जेया रहा है. एक कदम भी और आयेज बढ़ाया ना, तो पासपोर्ट की जगह पर हॉस्पिटल का सर्टिफिकेट बनवाना पड़ेगा.
मैने जिम कर-कर के अची बॉडी बनाई हुई है, तो वो तोड़ा घबरा गया, और पीछे हॅट गया. ये देख कर आंटी मुझसे इंप्रेस हो गयी. उसके जाने के बाद मेरी आंटी से बात शुरू हुई.
आंटी: थॅंक योउ सो मच. बड़ी हेल्प की आपने. बड़ा बदतमीज़ था वो.
मैं: अर्रे ऐसे बेवकूफ़ बहुत मिलेंगे आपको. बाइ थे वे ई आम रमण.
आंटी: मैं प्रभा.
मैं: नाइस नामे प्रभा.
प्रभा: थॅंक्स रमण. और क्या करते है आप.
मैं: मैं स्टूडेंट हू. फर्दर स्टडीस के लिए अब्रॉड जाने का प्लान है, तो पासपोर्ट बनवाने आया हू.
प्रभा: अछा.
मैं: आप क्या करते हो?
प्रभा: मेरा छ्होटा सा बिज़्नेस है. फॉरिन में क्लाइंट से मिलने जाना है, तो पासपोर्ट रिन्यू करवाने आई हू.
मैं: वाउ बिज़्नेस वुमन हा.
प्रभा: हहा एस.
फिर हम बैठे बातें करते रहे. उससे बात करके मुझे पता चला, की वो डिवोर्स्ड थी. उसकी एक बेटी थी, जिसकी शादी 6 महीने पहले ही हुई थी. अब वो अकेली थी, और अपनी लाइफ आचे से गुज़ार रही थी.
उससे बात करते हुए मैं उपर से नीचे तक उसको देखे जेया रहा था. ये चीज़ उसने भी नोटीस की, की मेरी नज़र उसके जिस्म पर जेया रही थी. फिर उसकी तुर्न आ गयी, और वो जाने लगी. लेकिन जाते हुए एक अची बात हुई, की उसने मुझसे नंबर माँग लिया. मैने खुशी-खुशी उसको अपना नंबर दे दिया.
फिर मेरी भी तुर्न आई, और मैं फॉरमॅलिटीस पूरी करके घर चला गया. घर आके मुझे एहसास हुआ, की मैने तो उसका नंबर लिया ही नही था. अब मैं बस इंतेज़ार कर रहा था. काफ़ी दिन हो गये, लेकिन मुझे कोई मेसेज या कॉल नही आई. लेकिन 15 दिन बाद मुझे रात को व्हातसपप मेसेज आया.
मेसेज: ही.
मैं: जी कों?
मेसेज: पहचानो.
मैं: ??
मेसेज: प्रभा हियर.
मैं: ओह, प्रभा जी. क्या बात है. मैं आपको ही याद कर रहा था.
प्रभा: इस वक़्त मुझे याद कर रहे थे. क्या कर रहे थे ( उसने नॉटी अंदाज़ में पूछा).
मैं: क्या कर रहा था वो तो बताना मुश्किल है. लेकिन आप समझ तो गये ही हो हहा.
प्रभा: और कैसे हो?
मैं: मैं बढ़िया आप बताओ.
प्रभा: बढ़िया. अछा मुझे तुमसे एक बात पूछनी थी.
मैं: पूछिए.
प्रभा: तुम्हे पार्टीस पसंद है?
मैं: जी बहुत.
प्रभा: कल फिर रेडी रहना, मैं तुम्हे एक पार्टी पर लेके चलती हू.
मैं: मैं कैसे?
प्रभा: क्यूँ नही चलोगे मेरे साथ? मुझे अकेले जाने का दिल नही था, इसलिए तुमसे पूछा. नही चलना तो कोई बात नही.
मैं: अर्रे नही, चलना है. मैं रेडी हो जौंगा.
प्रभा: मैं पिक कर लूँगी तुम्हे.
मैं: ओक.
फिर अगले दिन शाम के टाइम मैं रेडी होके बैठा था. घर पे मैने दोस्त के बर्तडे का बहाना बना दिया था. जब आंटी की कॉल आई, तो मैं बाहर चला गया. उसकी गाड़ी आके रुकी, और मैं गाड़ी में बैठ गया.
गाड़ी में बैठते ही जैसे मैने आंटी को देखा, तो मेरी आँखें फाटती की फाटती रह गयी. आंटी ने ब्लॅक कलर की वन पीस ड्रेस पहनी थी, और वो भी स्लीव्ले. उनकी ड्रेस शाइनिंग वाली थी, और उसमे वो बॉम्ब लग रही थी.
नीचे से उनकी जागें, और उपर से उनके शोल्डर्स और क्लीवेज मस्त दिख रहे थे. दिल तो कर रहा था, की उन पर टूट पदू, और पहले उनकी पूरी बॉडी चातु. लेकिन ऐसा हो नही सकता था. उन्होने मुझे उनको घूरते हुए देखा और बोली-
प्रभा: अची लग रही हू ना?
मैं: अची, बहुत अची. आप तो यंग लड़कियों को मॅट दे रही हो.
प्रभा: कुछ भी.
फिर हम पार्टी पर पहुँचे. वाहा मैने देखा की वो बहुत पी रही थी. 2 घंटे की पार्टी में वो पूरी तरह तुंन हो चुकी थी. जब बाहर आ रहे थे, तो वो उल्टियाँ कर रही थी. मैने उनकी गाड़ी ड्राइव करने देना सही नही समझा, और खुद ड्राइव करने लगा. अछा हुआ मुझे ड्राइव करना आता है.
वो साथ वाली सीट पर बैठी थी. फिर जब मैं गाड़ी ड्राइव कर रहा था, तब अचानक मेरी गोदी में लेट गयी. उनके लेटने से उनके बूब्स आपस में जुड़ गये, और बड़ी सेक्सी क्लीवेज बन रही थी. मेरा ध्यान ड्राइविंग पर था. तभी अचानक उनका हाथ मेरे लंड पर पड़ा. मुझे लगा की नींद में ग़लती से हुआ होगा, लेकिन ऐसा नही था.
वो मेरे लंड को रब करने लगी, जिससे मेरा लंड खड़ा होने लगा. फिर उसने मेरी ज़िप खोली, और लंड बाहर निकाल लिया. मैं समझ गया था, की आज मेरी किस्मत खुलने वाली थी. उसने बाहर निकलते ही लंड मूह में डाल लिया, और उसको चूसने लगी.
मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. फिर मैने सुनसान जगह आते ही गाड़ी साइड में रोकी, और उसके बाल पकड़ कर उसका मूह छोड़ने लगा. बड़ा मज़ा आ रहा था. मैं साथ में उसकी पीठ पे हाथ फेर रहा था, और चूतड़ दबा रहा था.
कुछ देर लंड चूसने के बाद वो सीधी हुई. फिर उसने मेरी सीट पीछे करवाई, और मेरे उपर आके बैठ गयी. उसने अपनी ड्रेस शोल्डर्स से नीचे की, और ब्रा भी उतार दी. उसके बूब्स कमाल के थे, और काससे हुए थे.
उसने मेरा सर पकड़ा, और अपने बूब्स में दबा लिया. मैं कुत्तों की तरह उसके बूब्स पर टूट पड़ा, और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा. क्या मस्त मोटे और गोरे बूब्स थे आंटी के, मज़ा ही आ गया. वो नीचे से अपनी छूट मेरे लंड पर कपड़ो के बीच में से ही रग़ाद रही थी.
फिर मैने उसकी ड्रेस नीचे से उपर की, और उसकी पनटी उतार दी. अब मेरा लंड उसकी नंगी छूट पर रग़ाद रहा था. फिर मैने अपना लंड पकड़ा, और उसकी छूट पर सेट किया. वो तोड़ा उपर हुई, और मेरे लंड पर बैठ गयी. हम दोनो की आहह निकली, और दोनो जन्नत में पहुँच गये.
बस फिर क्या था. वो मेरे लंड पर उछालने लगी, और मैं नीचे से धक्के मारने लगा. हमारी चुम्मा-छाती साथ-साथ चल रही थी. गाड़ी में एसी चल रहा था, लेकिन हुमको पसीना आया हुआ था.
15 मिनिट हम दोनो ऐसे ही चुदाई करते रहे. लंड अंदर-बाहर होने से छाप-छाप की आवाज़े आ रही थी. फाइनली फिर हम दोनो एक साथ झाड़ गये. हम दोनो . थे पूरी तरह.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. अगर कहानी का मज़ा आए, तो लीके और कॉमेंट ज़रूर करना.