ही दोस्तों, मेरा नाम तरुण है और मैं पुंजब के एक छ्होटे शहर से हू. मेरी उमर 23 साल है, और मेरा लंड 8 इंच का है. रंग मेरा गोरा है, और हाइट 5’9″ की है. ये कहानी पिछले साल की है. तो चलिए शुरू करते है.
मैं अपनी फॅमिली के साथ एक नयी जगह शिफ्ट हुआ था. हम जिस जगह पर शिफ्ट हुए थे, वो एक बॅक्वर्ड टाइप की जगह थी. हमारे आस-पास सिख फॅमिलीस ही थी, और उनमे बहुत कम एजुकेटेड लोग थे.
शिफ्ट होने के कुछ दिन बाद हमारी पड़ोस की आंटी ने अपना सारा कूड़ा हमारे दरवाज़े के आयेज डाल दिया. उस आंटी का नाम कुलविंदर कॉयार था. जब मेरी मम्मी ने उनसे इस बारे में बात की, तो वो उनसे लड़ने लग गयी.
काफ़ी लड़ाई हुई, लेकिन कोई सल्यूशन नही निकला. फिर जब मोहल्ले के लोगों से इस बारे में बात हुई तो पता चला की वो आंटी बड़ी लड़ाकू थी. वैसे देखने में तो वो काफ़ी अची ख़ासी थी.
उसकी हाइट 5’7″ थी, और क़ास्सी हुई बॉडी थी. उसकी उमर 43 साल थी, और फिगर 36-30-38 था. अची ख़ासी तगड़ी थी वो. और सब से लड़ने में माहिर. अब उसने रोज़ ऐसा करना शुरू कर दिया. वो अपने दरवाज़े के सामने से सफाई करती, और सारा कूड़ा हमारे दरवाज़े के सामने कर देती. इससे मम्मी परेशन होने लगी.
फिर मैं भी इसका कोई सल्यूशन ढूँढने लगा. और फिर मुझे सल्यूशन मिल गया. एक दिन मैं च्चत पर बैठा था, तो उन्ही की च्चत पर मुझे 2 लड़कियाँ दिखाई दी. दोनो बहुत खूबसूरत और जवान थी. वो दोनो मंजी पर बैठी थी. मैने उनको देखते ही बात शुरू की.
उनसे बात करके पता चला, की कुलविंदर आंटी उनकी मम्मी थी. वो दोनो भी अपनी मा के नेचर के लिए शर्मिंदा थी. फिर रोज़ उनसे बातें होने लगी. वो दोनो बहने थी.
बड़ी बेहन का नाम संदीप कॉयार था, और छ्होटी का नाम अनुरीत कॉयार. बड़ी बेहन कॉलेज के फर्स्ट एअर में पढ़ती थी, और 19 साल की थी. और छ्होटी 12त में पढ़ती थी, और 18 साल की थी. वो दोनो मुझसे बात करके बहुत खुश होती थी. वैसे तो दोनो ही खूबसूरत थी, लेकिन मेरी नज़र संदीप पर थी.
अनुरीत थोड़ी पतली थी, क्यूंकी उसका समान अभी बढ़ रहा था. संदीप 5’6″ की हाइट की एक बहुत ही सेक्सी लड़की थी. उसका रंग दूध जैसा गोरा, और फिगर 34-28-36 था. वो सलवार-सूट ही पहनती थी, और घर पर दुपट्टा नही लेती थी. इसलिए जब वो च्चत पर पढ़ने बैठती थी, तो नोट बुक पर लिखते हुए उसके गोरे बूब्स के दर्शन हो जाते थे.
फिर एक दिन मैने संदीप का नंबर माँग लिया, और हमारी रात में छत शुरू हो गयी. मैने उसकी मम्मी के बारे में पूछा, उसने बताया-
संदीप: मम्मी पहले ऐसी नही थी. पापा के डोर जाने की वजह से वो ऐसी हो गयी है.
मैं: कहा गये तुम्हारे पापा?
संदीप: वो दुबई गये है काम के लिए. जब वो होते थे, तो मम्मी बहुत खुश रहती थी.
मैं समझ गया की पड़ोसन आंटी की क्या दिक्कत थी. वो संतुष्ट नही थी. जब उनका पति घर पर होता था, तो उन्हे छोड़ता होगा. लेकिन अब वो नही है, तो वो चिढ़ती है, क्यूंकी उनकी छूट को लंड नही मिलता होगा.
फिर मैने सोचा क्यूँ ना मैं उनकी ये कमी पूरी कर डू. वैसे भी तगड़े जिस्म वाली औंतीयाँ मज़ा बहुत देती है. और ये सोच कर मैं उसको छोड़ने का प्लान बनाने लगा.
मैने कुलविंदर आंटी की रुटीन फॉलो करी, ताकि मैं उससे दोस्ती कर साकु. वो सुबा-सुबा वॉक पर जाती थी, जहा मैं उसको मिल सकता था. हर मंडे, वेडनेसडे और फ्राइडे वो कपड़े धोती थी. और शाम को मार्केट जाती थी एक-दो दीनो में. फिर मैने उसको पाटने का खेल शुरू किया.
अगले दिन मैं सुबा वॉक पर गया. आंटी सलवार सूट में थी, लेकिन बॉम्ब लग रही थी. फिर जब आंटी स्ट्रेच कर रही थी, तो मैने उनसे बात शुरू की-
मैं: आंटी आप ये ग़लत तरीके से कर रही है.
आंटी: तुझे क्या है, तू अपना काम कर.
मैं: अर्रे आंटी इतना गुस्सा. मैं तो बस कह रहा था, की इससे बॅक पाईं हो सकता है. बाकी आपकी मर्ज़ी (और मैं मूड कर जाने लगा).
आंटी को सच में बॅक पाईं की दिक्कत थी, और ये संदीप ने मुझे बताया था. तभी मैने इस चीज़ का उसे किया. मेरी बॅक पाईं वाली बात सुन कर वो बोली-
आंटी: ओये सुन.
मैं: जी.
आंटी: कैसे करना है ये?
मैं उसी वक़्त आंटी एक पास गया, और बिना पूछे उनकी बॉडी को टच करके उनको सीखने लग गया. एक बार तो आंटी हैरान हो गयी, लेकिन फिर मेरी इन्स्ट्रक्षन्स फॉलो करने लगी. मैने भी मौके का फ़ायदा उठा कर आंटी की कमर को गांद को 3-4 बार टच किया.
फिर अगले दिन आंटी च्चत पर कपड़े सूखने डालने आई. मैं पहले से उनकी वेट कर रहा था. जब मैने उनको आते देखा, तो अपना लंड निकाल कर हिलने लगा. मैने फेस आंटी की च्चत की तरफ किया हुआ था, ताकि आंटी मुझे ऐसा करते हुए देखे.
आँखें मैने बंद कर रखी थी, ताकि वो ये समझे की मुझे उनके आने का पता नही था. फिर वो आ गयी, और मैं लंड हिलने लग गया. मैने थोड़ी सी आँख खोल रखी थी, ताकि उनका रिक्षन नोट कर पौ. आंटी ने जैसे ही मेरी तरफ देखा, उनकी नज़र सीधे मेरे लंड पर गयी.
वो कुछ देर लंड को ऐसे ही टकटकी लगाए देखती रही. फिर वाहा से चली गयी. उसी दिन शाम को आंटी मार्केट के लिए जाने वाली थी, और ये मुझे संदीप ने बताया था. मैने जान-बूझ कर उनकी अक्तिवा की हवा निकाल दी, और जब वो घर के बाहर आई, तो मैने बिके निकालने लगा.
मैने ऐसा शो किया की बिके निकालते हुए मेरी उन पर नज़र पड़ी थी, और फिर मैने टाइयर पंक्चर देख कर उनको लिफ्ट ऑफर की. उन्होने भी लिफ्ट के लिए माना नही किया, और मेरे साथ चल पड़ी.
रास्ते में मैं बार-बार ब्रेक मारता, और आंटी के मोटे बूब्स मेरी पीठ के साथ डब जाते. मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. मैं उनके साथ बातें भी कर रहा था, और वो भी जवाब दे रही थी.
अब थी लास्ट स्टेप की बारी. मैने अपने फोन में कुछ नंगी लड़कियों की तस्वीरे रखी हुई थी डाउनलोड करके. उनके साथ मैने आंटी की भी कुछ तस्वीरे रख दी, जिसमे उनकी गांद और बूब्स पर फोकस किया हुआ था.
फिर मार्केट से वापस आके जब मैं आंटी का समान अंदर रखने गया, तो मैने जान-बूझ कर अपना फोन उनके समान में डाल दिया. मैने स्क्रीन लॉक नही लगाया था, और गॅलरी ओपन रखी, ताकि जब वो मोबाइल ओपन करे, तो उनको पिक्स दिख जाए.
इसके आयेज की कहानी अगले पार्ट में. आपको बहुत मज़ा आने वाला है दोस्तों.