ही दोस्तों, मैं हू राज. मेरी उमर 24 साल है, और मैं लुधियाना से हू. मेरी हाइट 5’11” है, और रंग गोरा है. लंड मेरा 8 इंच का है, और काफ़ी लंबा टिकता है. शायद इसीलिए जो औरत या लड़की एक बार मुझसे चुड्ती है, तो मेरे ही गुण गाती है. ये कहानी 2 साल पहले शुरू हुई. तो चलिए आपको बतात हू, की क्या हुआ, और कैसे हुआ.
मैं अपनी फॅमिली के साथ लुधियाना की एक बड़ी अची लोकॅलिटी में रहता हू. हमारे आस पड़ोस के लोग काफ़ी रिच है. लेकिन हम उनके मुक़ाबले इतने स्मीर नही है. मेरे दाद की गूव्ट. जॉब है, तो हमारी इनकम ठीक-ताक है.
काफ़ी पहले मेरे दादा जी ने यहा पर ज़मीन ली थी. और उन्होने बहुत अछा काम किया. क्यूंकी यहा पर सब आचे घर बस गये, और ज़मीन की वॅल्यू काफ़ी बढ़ गयी. सबसे अची बात ये है, की आस-पास बहुत ही सेक्सी लड़कियाँ और औरते देखने को मिल जाती है.
हमारे साथ वाला घर मित्तल फॅमिली का है. उनके घर में रमेश मित्तल (54 यियर्ज़), जो की फॅमिली हेड है, उनकी बीवी रेखा मित्तल (48 यियर्ज़), और उनका एक बेटा आकाश मित्तल (26 यियर्ज़) ही रहते है.
रमेश अंकल का बड़ा तगड़ा बिज़्नेस है, और वो घर पर कम ही रहते है. उनकी बीवी रेखा मित्तल अपनी किटी पार्टीस में बिज़ी रहती है, और लड़का आकाश घूमने-फिरने में बिज़ी रहता है.
मेरी मों की रेखा आंटी से काफ़ी बनती है, इसलिए मेरा भी उनके घर आना-जाना लगा रहता है. आकाश से भी मेरी बनती है, तो मैं उसको ब्रो कह कर बुलाता हू.
तो एक दिन मम्मी ने मुझे कुछ चीज़े रेखा आंटी को देके आने को बोला. मैने समान उठाया, और उनके घर चला गया. उनके घर का गुआर्द हमे जानता था, तो आने-जाने में कोई रोक-टोक नही करता था.
मैं अंदर गया, और मैने रेखा आंटी को आवाज़ लगाई. लेकिन मुझे आयेज से कोई रेस्पॉन्स नही मिला. मैने समान तो लॉबी में रख दिया, लेकिन आंटी को इनफॉर्म भी तो करना था. मुझे लगा आंटी अपने गार्डेन में होंगी (उनके घर की बॅक साइड में बहुत बड़ा गार्डेन है, वित स्विम्मिंग पूल).
फिर मैं गार्डेन की तरफ गया. मैं जैसे ही वाहा पहुँचा, मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी. आंटी स्विम्मिंग पूल में स्विम्मिंग कर रही थी. उन्होने स्विमवेर पहना हुआ था, और वो आज की जवान लड़कियों को भी मॅट दे रही थी.
उनको देख कर ऐसा लग रहा था जैसे वो मिलफ पॉर्न में काम करने वाली आक्ट्रेस हो. फिर आंटी की नज़र मुझ पर पड़ी, तो वो पूल में ही खड़ी हुई और बोली-
आंटी: राज, तुम यहा कैसे? कोई काम था?
मैं: जी आंटी, वो मम्मी ने आपके लिए कोई समान भेजा है.
आंटी: ओक, मैं आती हू. ज़रा हाथ देना मुझे.
फिर मैं आयेज गया, और मैने अपना हाथ आंटी को पकड़ाया. आंटी पूल के बाहर आई. वाह! क्या मस्त बॉडी थी उनकी. उनका फिगर साइज़ 36-30-38 होगा. इतने बड़े बूब्स, जिनका दूध कभी ख़तम ही ना हो, और इतनी बड़ी गांद जिसकी सारा दिन बंदा चाट-ता रहे थी उनकी.
उनको ऐसे देख कर मेरा तो खड़ा हो गया था. और आंटी ने भी ये देख लिया. आंटी मेरा खड़ा लंड देख कर हस्सी और बोली-
आंटी: राज! बात काफ़ी बड़ा है तुम्हारा. ई होप बॅटिंग भी अची करते होगे.
मैं: आंटी अभी तक बॅटिंग का मौका तो नही मिला, लेकिन नेट प्राक्टिज़ बहुत करी है. उमीद तो है, की बॅटिंग भी अची होगी.
आंटी: हा नेट प्राक्टिज़ का फ़ायदा तो मिलता ही है. चलो अब समान देख ले.
ये बोल कर आंटी आयेज-आयेज चलने लगी, और मैं उनके पीछे-पीछे चलने लगा. उनकी गांद बहुत फ्रेश लग रही थी. मॅन तो कर रहा था, की अभी काट लू. लेकिन दर्र भी था, की कही पंगा ना पड़ड़ गये. ऐसी मस्त गांद की तो टट्टी भी खाने से परहेज़ नही कटा दिल.
फिर उन्होने समान चेक किया, और कहा: ठीक है समान तो. थॅंक योउ राज.
मैं: युवर वेलकम आंटी. ठीक है आंटी मैं यहा से चलता हू.
आंटी: आंटी नही रेखा. अब तू बड़ा हो गया है (मेरे लंड को देखते हुए उन्होने बोला). अब तू मुझे रेखा बोला कर.
मैं: आंटी बोलने में जो मज़ा है, वो रेखा बोलने में नही है. तो मैं आपको आंटी ही बोलूँगा.
आंटी: बड़ा हाज़िर-जवाब हो गया है तू.
मैं: बस आंटी टाइम-टाइम का खेल है.
आंटी: कोई ना बाकचू, जल्दी ही तुझे ग्राउंड में उतरुँगी. फिर देखूँगी की तेरी नेट प्राक्टिज़ का कितना फ़ायदा हुआ है.
मैं: जब मर्ज़ी खिलवा लेना आंटी. सेंचुरी मारने से पहले तो आउट नही होऊँगा.
ये सुन कर आंटी हासणे लगी, और मैं वाहा से निकल आया. उस दिन उनके घर के आने के बाद मैं आंटी के बारे में ही सोचता रहा. आंटी के सेक्सी जिस्म को याद कर-कर के मैने 3 बार मूठ मारी. मैं आंटी को खा जाना चाहता था.
मुझे ये भी पता था की अंकल घर पर नही रहते थे, तो आंटी को चुदाई की तलब तो लगती होगी. और बस इसी तलब को मुझे अपने मज़े में बदलना था. बस अब मुझे एक सही मौके की वेट करनी थी, जब मैं आंटी को छोड़ साकु. और वो मौका मुझे जल्दी ही मिलने वाला था.
कुछ दिन बाद आकाश का बर्तडे था, और आंटी के घर पर एक बड़ी सी पार्टी थी. सारी सोसाइटी के लोगों को इन्वाइट किया गया था. पार्टी शाम की थी, लेकिन मैं प्रिपरेशन्स में हेल्प करने के लिए सुबा ही उनके घर चला गया था.
आंटी ने सुबा गाउन पहना हुआ था, जिसमे उनके बूब्स की क्लीवेज सॉफ दिख रही थी. इतनी डीप क्लीवेज थी उनकी की मेरा लंड खड़ा हो-हो कर तक गया था. आंटी की गांद भी मस्त लग रही थी. मैं तो पूरा दिन उनकी पूंछ बन कर घूमता रहा. मैं बार-बार बहाने से उनके पास जाता, और उनको टच करने की कोशिश करता.
मेरा अंडरवेर प्रेकुं से गीला हो चुका था. फिर शाम हो गयी, और पार्टी शुरू होने वाली थी. फिर सब रेडी होने चले गये.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. अगर कहानी का मज़ा आया हो, तो कॉमेंट करके ज़रूर बताए.