ही फ्रेंड्स, मैं कबीर अग्रवाल गुजरात से. मैं एक और नयी कहानी लेके हाज़िर हू.
मेरे बारे में शॉर्ट में बता डू. मैं नॉर्मल बॉडी का लड़का हू. मेरे लंड की साइज़ भी नॉर्मल है, लेकिन किसी को सॅटिस्फाइ करने के लिए काफ़ी है.
अब ज़्यादा टाइम ना लेते हुए सीधे स्टोरी पे आता हू. ये स्टोरी कुछ साल पहले की है, जब मैं जॉब के सिलसिले में भरूच रहता था. मैं एक बिल्डिंग में रहता था जो सिटी से बाहर हाइवे की साइड थी.
जिस फ्लोर पे मैं रहता था, वाहा 4 फ्लॅट्स थे. मैं तब कुवरा था, तो एक फ्रेंड के साथ फ्लॅट में शेरिंग में रहता था. वो मेरे से 2 साल छ्होटा था. हमारे फ्लोर पे एक फॅमिली रहती थी, जिसमे हज़्बेंड-वाइफ, एक बेटा और एक बेटी थी. और एक उस आदमी का छ्होटा भाई रहता था.
हज़्बेंड और उसका भाई दोनो मिल के कोई छ्होटी सी फॅक्टरी चलते थे. तो रात को लाते ही आते थे ज़्यादातर, और सनडे को भी लगभग काम पे ही रहते थे. भाभी का नाम कुसुम था, और उनके बेटे का विकास, और बेटी का आयुषी.
भाभी हाउसवाइफ थी, तो पूरा दिन घर पे ही रहती थी. बेटा कॉलेज में था और बेटी भी कॉलेज में थी. हमारी बिल्डिंग 7 फ्लोर की थी, और हम सातवे फ्लोर पे रहते थे. हमारे उपर टेरेस था. बिल्डिंग सिटी के बाहर थी, तो कुछ फ्लॅट्स बंद थे. हमारे फ्लोर पे भी 4 में से 2 बंद ही थे.
अब ज़्यादा बोर नही करूँगा. मैं जब वाहा रहने गया, तो आयुषी पतली थी. उसके बूब्स ना के बराबर थे. वो और उसके कुछ फ्रेंड्स टेरेस पे खेलते थे. तब मैं वाहा बैठा होता तो मेरे साथ भी मज़ाक करते थे. और कभी-कभी मैं भी खेलता था.
धीरे-धीरे मेरी उनके साथ अची बनने लगी. आयुषी की फॅमिली वाले भी मुझसे आचे से रहते थे. मेरे मॅन में आयुषी के लिए पहले कुछ गंदे विचार नही थे. लेकिन धीरे-धीरे आयुषी के शरीर में बदलाव आने लगा. अब उसके बूब्स का उभर बढ़ने लगा था.
ऐशे में 2-3 महीने के लिए मैं ऑफीस के काम से बंगलोरे गया, और वापस आया तो आयुषी को देख के शॉक हो गया. उसका बदन मस्त भर गया था. उसके पैर भी भरवदार हो गये थे, और उसके बूब्स तो सीधे डबल हो गये थे. अब तो उनका साइज़ संतरे से बड़ा हो गया था.
एक बार मैं अपने रूम में बैठा था. वो मुझे कुछ बुक्स के बारे में पूछने आई, तो उसने वाइट त-शर्ट पहनी था. और अंदर कुछ नही पहना था. इस वजह से उसके निपल्स सॉफ-सॉफ त-शर्ट में से उभरे हुए दिख रहे थे. उसने शॉर्ट पहनी थी और मैने भी बरमूडा पहना था.
वो मेरे बाजू में आके बैठ के दिखाने लगी, तो दोनो का पैर टच होने लगा. ये पहला मौका था जब आयुषी के बारे में मेरे मॅन में ग़लत विचार आया. अब मेरा लंड खड़ा होने लगा.
आयुषी का भी ध्यान गया वाहा, लेकिन उसने इग्नोर किया. फिर जाते टाइम उसकी लिस्ट गिर गयी. वो जब झुकी, उसकी बड़े गले वाली त-शर्ट में से उसके दूध जैसे बूब्स सॉफ-सॉफ दिखाई दिए. मेरा तो मूह खुला रह गया.
आयुषी ने भी मुझे देख लिया की मैं क्या देख रहा था. लेकिन उसने कुछ नही कहा, और स्माइल के साथ बाइ बोल के चली गयी. उस दिन मैने 2 बार आयुषी के नाम की मूठ मारी.
अब मैं हमेशा मौका मिलता तो उसको टच करता, और देखता रहता. जब वो कॉलेज ड्रेस में होती, तो उसकी छ्होटी स्कर्ट की वजह से उसकी सेक्सी टांगे देख के हालत खराब हो जाती थी.
अब तो मॅन करता था की उसको पकड़ के छोड़ लू. लेकिन एक तो वो क्या सोचती थी उसका दर्र था, दूसरा उसकी उमर भी कम थी, तो दर्र था की कही कुछ काहु या करू तो गड़बड़ ना हो जाए.
ऐशे में एक दिन मुझे इंस्टरग्राम पे 1 रिक्वेस्ट आई एक लड़की की. मुझे लगा पता नही कों था, तो मैने आक्सेप्ट नही की.
10 दिन बाद आयुषी ने बोला: आपने मेरी रिक्वेस्ट आक्सेप्ट क्यूँ नही की?
तो मैने पूछा: कों सी?
फिर उसने अपनी ई’द बताई, तो मुझे पता चला ये उसकी ई’द थी. क्यूंकी उसमे उसने फेक नाम लिखा था.
मैने फिर रिक्वेस्ट आक्सेप्ट कर ली. अब रोज़ कुछ ना कुछ वो मेसेज करती. मैं भी मेसेज करता. धीरे-धीरे बातें बढ़ने लगी.
ऐसे ही एक दिन उसने मुझे ई लोवे योउ कहा. अब मेरी तो खुशी का ठिकाना नही रहा. लेकिन पहले मैने उसको समझाया-
मैं: ये ग़लत है. हमारी आगे में डिफरेन्स है. तुम छ्होटी हो. हमारी शादी नही हो सकती एट्सेटरा.
तो उसने कहा: तो क्या हुआ? हम गफ़-ब्फ तो बन सकते है. शादी ना भी हो तो कोई बात नही.
फिर उसके बहुत कहने पे मैं रेडी हो गया. अब हम गफ़ ब्फ की तरह बातें करने लगे. अकेले में मौका मिलता तो हग कर लेते या छ्होटी सी किस भी कर लेते. अब हम दोनो का मॅन सेक्स करने का करने लगा.
लेकिन मौका नही मिल रहा था. उसकी उमर कम थी, तो होटेल में भी नही जेया सकते थे.
फिर एक दिन उसके घर वाले सभी किसी की शादी में आमेडबॅड गये थे. लेकिन आयुषी का एक एग्ज़ॅम बाकी था, तो वो नही जेया सकती थी. ऐसे में उसके चाचा उसके साथ रुक गये क्यूंकी अकेले उसको छ्चोढ़ नही सकते थे. ऐसे में अछा मौका था मेरे पास.
आयुषी का एग्ज़ॅम सुबा 9-12 के बीच था. तो उसके चाचा उसके एग्ज़ॅम के बाद उसके घर आने के बाद अपनी फॅक्टरी पे चले गये. फिर आयुषी ने मुझे मेसेज किया तो मैं भी जॉब से छुट्टी लेके घर आ गया. दोपहर के 2 बजे थे. एप्रिल का महीना था, तो गर्मी अब ज़्यादा थी. इसलिए बिल्डिंग भी सुनसान थी. लोग अपने-अपने फ्लॅट में आराम कर रहे थे.
मैं जब अपने फ्लॅट पे आया, तो आयुषी अपनी फ्रेंड के साथ उसके दरवाज़े पे बैठ के बात कर रही थी. आयुषी ने ग्रीन टॉप और मॅचिंग स्कर्ट पहनी थी.
उसने पैर फैला रखे थे, तो उसकी गोरी-गोरी टांगे दिख रही थी. मैने उसको देख के स्माइल की, तो उसने भी स्माइल की, और उसकी फ्रेंड ने हेलो बोला मुझे. मैं अंदर जाके सोचने लगा के उसकी फ्रेंड के रहते कैसे मौका मिलेगा. मैं ये सोच ही रहा था, की उतने में उसका मेसेज आया.
उसने कहा: आपका दरवाज़ा खुला रखना, मैं 10 मिनिट में आती हू.
मैं तो मेसेज पढ़ के खुश हो गया. मैने फटाफट सारी खिड़कियाँ बंद कर दी, और दरवाज़े की कुण्डी खोल दी, और नहाने चला गया. नहा के आया तो देखता हू की आयुषी मेरे बिस्तर पे बैठी थी, और दरवाज़ा भी बंद था.
मैने टवल लपेट रखा था अपने शरीर पे, उसके अलावा और कोई कपड़ा नही था मेरे जिस्म पर. मेरे आते ही आयुषी मुझसे लिपट गयी, और मुझे होंठो पे किस करने लगी.
मुझे उसके होतो की मिठास अची लगने लगी. फिर वो मेरे होंठ चूसने लगी. मैं भी आयुषी का साथ देने लगा. उसके होंठ बहुत ही रसीले थे. मैने ऐसे होंठो का रस्स-पॅयन पहली बार किया था. अब हम दोनो एग्ज़ाइट होने लगे.
मैने उसका टॉप उतार दिया. उसने नीचे ब्रा नही पहनी थी, तो उसके एक-दूं कड़क और भरे हुए बूब्स मेरे सामने थे. उसके बूब्स देख के मैं पागल हो गया था. एक तो इतने गोरे, और निपल्स भी गुलाबी थे.
मैं बारी-बारी से उसके दोनो बूब्स को मूह में लेके चूसने लगा. मैं इतना मदहोश होके उसके बूब्स चूस रहा था, की आयुषी भी मदहोश होने लगी. ऐसे में उसने कब मेरा टवल खींच के निकाल दिया, पता भी नही चला.
अब मेरा लंड एक-दूं रेडी होके आयुषी के सामने था. आयुषी उसको लगातार घूर रही थी. फिर मैने उसको मेरा लंड मूह में लेने को कहा, तो वो नीचे घुटनो पे बैठ के मेरे लंड को अपने रसीले होंठो के बीच में लेके चूसने लगी.
उसका ये पहली बार था, तो उसको ठीक से चूसना नही आता था. लेकिन फिर भी आचे से ही लंड चूस रही थी. कुछ देर बाद लंड चुसाई से मुझे लगा की अब पानी निकल जाएगा, तो मैने उसको रोक दिया.
फिर मैने उसको बिस्तर पे लिटाया, और उसकी स्कर्ट को उतार दिया. जैसे ही स्कर्ट उतार के अलग हुई, तो मैने देखा उसने चड्डी भी नही पहनी थी. इस वजह से अब उसकी छूट मेरे सामने थी.
एक कुवारि, गोरी और कमसिन लड़की की छूट मेरे सामने खुली पड़ी थी. मैं तो देखता ही रह गया क्यूंकी आज तक ऐसी छूट मैने नही देखी थी.
उसके निपल्स के जैसे उसकी छूट भी गुलाबी थी. मैं देर ना करते हुए अपनी जीभ उसकी छूट की फांको पे रख के उसकी छूट को चाटने लगा. जैसे ही मैने उसकी छूट की चुसाई शुरू की, उसकी हालत खराब होने लगी. उसकी छूट की चुसाई में एक अलग ही आनंद आ रहा था.
मैं अब अपना पूरा मूह खोल के उसकी छूट को मूह में भर के चूसने लगा. उसकी छूट क्लीन शेव्ड थी तो बहुत ही मज़ा आ रहा था. लेकिन आयुषी मेरी इस चुसाई से पूरी तरह पागल हो रही थी. वो अपने हाथो से कभी मेरे सर के बाल नोचती, तो कभी बिस्तर की चदडार.
अब उसकी बर्दाश्त की हड्द ख़तम हो चुकी थी. उसने मुझे रोक के कहा-
आयुषी: अब अपना लंड अंदर डाल दो, अब रहा नही जाता.
मैने भी उसकल ज़्यादा तड़पाना सही नही समझा. मैने उसकी टांगे फैलाई. उसकी छूट जो मेरी चुसाई की वजह से पूरी तरह गीली हो चुकी थी, मेरे सामने थी. लेकिन अभी तक उसका उद्घाटन हुआ नही था, तो ऐसे ही उसको छोड़ना बेवकूफी होती.
मैने अपने मेक उप के बॉक्स में से ठंड में बची वॅसलीन की डिब्बी निकली. फिर थोड़ी सी वॅसलीन लेके उसकी छूट में अंदर की तरफ उंगली से बराबर लगाई. और तोड़ा अपने लंड पे लगाई.
अब मैने अपना लंड उसकी छूट पे सताया. उसने भी अपने हाथो से अपनी छूट को फैलाया हुआ था. मैने धीरे-धीरे से अपना लंड उसकी छूट में घुसाया. फिर तोड़ा ज़ोर लगाया तो गीली छूट होने की वजह से और वॅसलीन की वजह से लंड पूरा अंदर घुस गया. आयुषी की तो चीख निकल गयी, और उसकी आँखों से पानी निकालने लगा.
मैने बोला: बाहर निकालु?
तो उसने रोने वाली आवाज़ में भी कहा: नही, आज दर्द हो तो होने दो, लेकिन चुदाई का मज़ा लेना ही है.
उसकी हिम्मत देख के मैं खुश हो गया. मैने अपने होंठ उसके बाए निपल पे लगाए, और चूसने लगा. फिर धीरे-धीरे उसकी छूट में लंड से धक्का लगाने लगा.
उसकी टाइट छूट छोड़ने में जो आनंद आ रहा था, उसके बारे में कहने के लिए कोई शब्द ही नही है.
अब मैं लगातार उसको उसी पोज़िशन में छोड़े जेया रहा था. अब आयुषी का दर्द तोड़ा कम हुआ, और वो भी मज़े लेने लगी. वो अपने दोनो हाथ मेरी पीठ पे लगा के खींचने लगी. अब मैने भी चुदाई की स्पीड बढ़ा दी. आयुषी भी नीचे से अपनी गांद उठा के धक्के लगाने लगी.
हम दोनो का शरीर पसीना-पसीना हो गया था. फिर भी हम चुदाई का मज़ा ले रहे थे. इसी बीच आयुषी 2 बार झाड़ चुकी थी. मेरा निकालने को हुआ, तो मैने अपना लंड बाहर निकाल दिया. फिर कुछ देर उसके बाजू में ऐसे ही सो गया.
आयुषी ने पूछा: क्या हुआ?
तो मैने बोला: निकालने वाला था, इसलिए बाहर निकाला.
अब फिर से लंड में वीर्या निकालने का टाइम पीछे हुआ, तो मैने उसको कहा: तुम उपर आ जाओ.
अब मैं नीचे लेता था. मैने अपना लंड हाथ से पकड़ के रखा, तो आयुषी मेरे उपर आई, और अपनी छूट को मेरे लंड पे सेट करके नीचे हुई. और मेरा पूरा लंड अंदर घुस गया. अब आयुषी लंड पे उपर नीचे होने लगी. मैं नीचे से धक्के लगा रहा था.
आयुषी के बूब्स हवा में मस्ती से हिल रहे थे, जब वो उपर-नीचे होती. ये नज़ारा देख के मैं पागल हो रहा था. अब कुछ देर की चुदाई के बाद मेरा निकालने वाला था.
मैने पूछा: कहा निकालु?
तो उसने कहा: अंदर निकाल दो, बाद में गोली लाके दे देना मैं खा लूँगी.
मैने भी हा कहा, और जब लास्ट टाइम आया तो मैने उसको कमर से पकड़ के एक-दूं घुमा के अपने नीचे ला दिया, और ज़ोर-ज़ोर से छूट छोड़ने लगा.
आख़िर में मेरे लंड ने उसकी छूट में वीर्या का फुवरा छ्चोढ़ दिया. मैं अब उसके बाजू में सो गया. कुछ देर बाद मैं खड़ा हुआ तो देखा की उसकी छूट लाल हो गयी थी. उसने अपनी छूट सॉफ की, और फिर हमने कपड़े पहने.
वो बोली: अब मैं जाती हू.
फिर वो खड़ी हुई तो उससे ठीक से चला नही जेया रहा था. लेकिन आयुषी के चेहरे पे पहली चुदाई की खुशी सॉफ दिख रही थी.
उसके बाद तो मैं जब तक . रहा उसकी बहुत बार चुदाई की.
तो फ्रेंड्स आपको मेरी स्टोरी कैसी लगी रिप्लाइ ज़रूर करना.