हेलो फ्रेंड्स, मैं फिरसे स्वरना आप सभी के सामने आज से एक नयी चुदाई भारी कहानी शुरू कर रही हू, जिससे आप सभी के लंड और छूट में से फिरसे भरपूर पानी का फुवरा निकले, और आप सब वासना में पूरी तरह से डूब जाए.
उमीद है लड़कों का लंड खड़ा होके सलामी देगा, या कोई लड़की की छूट की गर्मी शांत करेगा. लड़कियों को भी सॅटिस्फॅक्षन मिलेगी अपनी उंगलियों से, या फिर खीरे या लोकी से, और अगर चाहे तो किसी का लंड लेले, और सूखी ज़मीन गीली करवा ले.
आप सब ने इस कहानी का पार्ट 1 पढ़ ही लिया होगा. अगर नही पढ़ा, तो सभी से रिक्वेस्ट है की पहले वो पढ़ लीजिए, और फिर आ कर ये पार्ट शुरू कीजिए. तो अब आयेज शुरू करते है.
अब मुझे भी गुस्सा आ गया. तो मैं किचन से निकल कर अपने बेडरूम में चला गया, और बेड पे लेट गया. आज मैं उसके घर में रहते ही अपने बेडरूम में लंड निकाल कर उसका नाम ले कर धीरे-धीरे से हिलने लगा. मैं उसका इंतेज़ार करने लगा क्यूंकी मुझे पता था की वो जाने से पहले मेरे रूम में ज़रूर आएगी.
और जैसे मैने सोचा था वैसे ही हुआ. वो अपना काम ख़तम कर जब जाने को हुई, तब उसने मुझे आवाज़ लगाई. लेकिन मैं बिल्कुल चुप रहा. तभी उसने 2-3 बार और आवाज़ लगाई, पर जब मैं कुछ नही बोला, तो मेरे बेडरूम में आई, और मेरे हाथ में लंड को देख कर उसका मूह खुला का खुला रह गया.
मैने भी उसको दिखाने के लिए बहुत ज़ोर-ज़ोर से अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया था. और साथ ही उसका नाम ले-ले कर मूठ मारना जारी रखा. कुछ टाइम तक वो डोर के पास खड़ी रह कर देखती रही. फिर पलट कर जाने लगी, तो मैने लपक कर उसको पकड़ लिया, और उसको खींच कर मेरे बेड पे बिता दिया था.
फिर मैने उसके सामने खड़े हो कर 1 हाथ उसके शोल्डर पे रखा, और दूसरे हाथ से उसका नाम लेते हुए मेरे लंड को ज़ोर-ज़ोर से सहलाता रहा. मुझे ये सब करते देख वो बोली-
लीला: आप बहुत गंदे हो. आप मेरे साथ ये सब क्यूँ कर रहे हो? मैं आपको क्या समझती थी, और आप क्या निकले.
बुग्गू: देखो जब भी लंड खड़ा होता है, तो कुछ भी अछा नही लगता. इसलिए अब आप मान जाओ, और बस एक बार मेरे लंड को अपनी छूट में डालने डेडॉ.
लीला: नही ऐसा बिल्कुल नही हो सकता.
फिर मेरे बार-बार कहने पर वो बोली-
लीला: पहले आप सच बोलो. उस दिन आप जो लड़की ढूँढ रहे थे, वो अपने दोस्त के लिए नही पर खुद के लिए ढूँढ रहे थे?
बुग्गू: हा ये सच है. सही में मैं आपको छोड़ना चाहता था. पर डाइरेक्ट्ली नही पूच पा रहा था, इसलिए दोस्त का नाम लेकर बात की थी. लेकिन अब तो मैने आपको सब सच बोल दिया है, तो अब आप मुझे छोड़ने दीजिए प्लीज़.
लीला: नही मुझे सोचने का कुछ समय चाहिए.
बुग्गू: आप मुझे छोड़ने दो, बदले में मैं आपको पैसे भी दे दूँगा, अगर आप चाहो तो.
लीला: अगर मुझे पैसे के लिए करना होता, तो मैं आपके यहा नौकरानी का काम क्यूँ करती? ये ही काम नही करने लगती.
उसकी ये बात पर मैं बिल्कुल चुप हो गया. फिर उसके मॅन में जो भी आता गया वो बोलती रही, और मैं खड़े चुप-छाप सुनता रहा. फिर वो बोली-
लीला: अब मुझे लाते हो रहा है. इसलिए अब मुझे चलना चाहिए.
बुग्गू: अगर आपको पैसे नही चाहिए तो मत लेना, पर एक बार तो डेडॉ करने.
लीला: मैने बोला ना की मुझे सोचने के लिए कुछ टाइम चाहिए, की आपको अपना जिस्म डू की नही.
बुग्गू: ठीक है, पर आज तो अपने हाथ से ही मेरी मूठ मार दो. कम से कम आज तो ठंडा कर दो इसको.
वो आना-कानी करने लगी.
लीला: नही, जब मैं बोल रही हू की मुझे टाइम चाहिए. आप तब भी नही मान रहे है.
मैं उसको बहुत मानने लगा, तो वो बोली-
लीला: ठीक है, लेकिन फिर कभी नही. और अगर आपने ज़ोर-ज़बरदस्ती की, तो मैं काम छ्चोढ़ कर चली जौंगी.
उसकी बात ख़तम होते ही मैने उसके हाथ में अपना लंड पकड़ा दिया, और वो मेरे लंड को धीरे से सहलाने लगी. मैं भी मौका देख कर लीला की चूचियों पर हाथ रख कर सहलाने लगा. पर उसने मेरा हाथ हटा दिया और बोली-
लीला: नही आप ये मत कीजिए, नही तो मैं चली जौंगी.
उसके बाद फिर मैने कुछ नही किया, और चुप-छाप लंड का मज़ा लेता रहा. उसने भी मेरे लंड को सहलाते हुए मूठ मार कर मेरा सारा माल गिरा दिया, और बाद में खुद के कपड़े ठीक किए और चली गयी.
अगले दिन भी वो आई, अपना काम किया, और चली गयी. पर मैने उससे पूछा नही की उसने क्या सोचा, और बस उससे इधर-उधर की बातें करता रहा. जब तक वो काम कर लेती.
ऐसे ही कुछ 1 महीना पूरा बीट गया. फिर मैने एक दिन ऑफीस से घर जाते हुए विस्की की बॉटल ली, और घर जेया कर टीवी पे ब्लू फिल्म लगा कर विस्की पीने लगा. तभी डोरबेल बाजी.
मैने टाइम देखा तो मॅन ही मॅन में सोचा की इस टाइम कों आ गया. क्यूंकी लीला का आने का टाइम नही हुआ था. इसी उलझन में मैने डोर खोला तो देखा लीला डोर पे खड़ी थी. मुझे देख वो हेस्ट हुए बोली-
लीला: हटिए यहा से, मुझे अंदर तो आने दीजिए.
मैं वाहा से हटा, और उसको अंदर आने का रास्ता दिया. पर आज अंदर आते टाइम लीला के चेहरे पर और ख़ास उसके होंठो पर एक अजीब मुस्कान थी. अंदर आ जाने के बाद मैने उसके मुस्कान का रीज़न पूछा, तो वो कहने लगी-
बुग्गू: क्या बात है आज लीला?
लीला: कुछ नही, बस ऐसे ही हस्स रही थी.
अंदर आ कर जब उसने विस्की की बॉटल और ग्लास देखा, और जब उसकी नज़र टीवी पे पड़ी, तो उसने मेरी तरफ देख कर कहा-
लीला: लगता है की आज फिरसे मूड बनाया जेया रहा है.
बुग्गू: क्या करू, अब तुम देने के लिए मान नही रही हो. तो टीवी देख कर ही काम चला रहा हू. अब तो 1 महीना हो गया है, लेकिन तुम अभी तक सोच ही रही हो. कुछ बोल नही रही हो, तो क्या करू?
मेरी बात का उसने जो जवाब दिया, वो सुन कर मैं शॉक ही हो गया. वो बोली-
लीला: पर आप ने भी तो ये 1 महीने में नही पूछा की मैने क्या सोचा है.
बुग्गू: लीला जब तुम सोच चुकी हो तो मुझे बता क्यूँ नही दिया की तुमने क्या सोचा. की तुम मेरा लंड अपनी छूट में लॉगी या नही? और अगर मैने नही पूछा, तो तुम खुद ही बता देती मुझे.
लीला: आग मुझे नही आपके वाहा लगी है. तब मैं क्यूँ बिना पूछे बोलती की मैने क्या सोचा है?
जब उसकी तरफ से इतना पॉज़िटिव रिप्लाइ सुना, तो बिना मौका बिगड़े मैने टीवी चालू किया, और लीला को पकड़ कर मेरी गोद में बिता लिया और बोला-
बुग्गू: अब बोल भी दो ना लीला भाभी, क्या मेरा लंड अपनी छूट की गहराई में च्छूपी जन्नत में लॉगी की नही?
उसको मेरी गोद में बैठते ही नीचे से मेरा लंड खड़ा हो चुका था, जो लीला की गांद में घुसने की नाकामयाब कोशिश में लगा हुआ था. तब लीला बोली-
लीला: आप अपने उसको संभालिए.
बुग्गू: अब बोल भी दो ना जल्दी.
लीला: देखिए उस दिन जैसा किया था, मैं वो करने को रेडी हू. और आप भी उपर-उपर से सब कुछ कर सकते है. लेकिन मैं आपका वो अंदर नही ले सकती हू.
बुग्गू: ये क्या बात हुई यार. हाथो से तो में भी अपने आप कर सकता हू, फिर क्या फ़ायदा हुआ?
लीला: अछा ज़्यादा से ज़्यादा आप मेरा ब्लाउस और ब्रा खोल कर मेरे माममे चूस सकते है, या सहला सकते हो, और पेटिकोट को भी खोल दीजिए. लेकिन पनटी नही निकलेगी, और आप मेरे अंदर अपने उसको बिल्कुल नही डालोगे.
एक तो विस्की का नशा, और टीवी पे ब्लू फिल्म का बुखार, और अब उसकी ये सब बातें सुन कर मेरा दिमाग़ और खराब हो गया था. मैने उससे बोला-
बुग्गू: क्या फ़ायदा, जब जात भी गाओ और भात भी खाने को नही मिले. इससे अछा तुम जाओ, मैं किसी और को ही ढूँढ लूँगा.
मेरी ये बात सुन कर वो भी बड़बड़ा कर किचन की तरफ चली गयी, और अपना काम करने लगी. मैं भी टीवी पर फिल्म बंद करके कुछ कॉमेडी देखने लगा मूड ठीक करने को. विस्की की छ्होटी-छ्होटी शॉट्स लेने लगा, और पंत के उपर से ही अपने लंड को हल्का सहलाने लगा था.
फिर जब कुछ टाइम बाद दिमाग़ हल्का हुआ, तो मैने सोचा लीला तो अपनी छूट छुड़वाने के लिए तैयार थी, बस अब खुल कर बोल नही पा रही थी. या मुझे तडपा रही थी. क्यूंकी जब वो सब कुछ खोलने के लिए मान गयी थी, तो उसे भी पता था की इतना करने के बाद तो उसे भी छुड़वाना ही था.
ये सब सोच कर अब मुझे अपनी बेवकूफी और उसकी चालाकी पर हस्सी आने लगी थी, और पता भी लग गया की उसने इशारे में ही मुझसे छुड़वाने की बात बोल दी थी. तब अब मैने जल्दी से विस्की का ग्लास नीचे रखा, और लपक कर किचन में गया और बोला-
बुग्गू: लीला भाभी.
वो गुस्से में बोली-
लीला: क्या है?
बुग्गू: आप जो जैसे चाहती है वैसे ही होगा.
लीला: अब क्या हुआ? उस टाइम तो बड़े गुस्से में बोल दिए थे की दूसरी ढूँढ लेंगे. तो अब जाइए क्यूंकी मुझे अब आपके साथ उतना भी कुछ नही करना है.
ये कहानी आयेज कंटिन्यू करूँगी अगले पार्ट में. तब तक ये पढ़ कर आप सब तोड़ा इंतेज़ार कीजिए. और अगर आप सब के पास कोई सजेशन हो, तो मुझे मैल कीजिए इलोवेंसेस्तलोवेर्स@गमाल.कॉम पे.