नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम ललित है. मैं देल्ही का रहने वाला हू, और एक मंक में जॉब करता हू. वैसे मैं पुंजब से बिलॉंग करता हू, और मेरी फॅमिली भी वही रहती है. लेकिन जॉब की वजह से मैं देल्ही में रहता हू.
मैने एक फ्लॅट किराए पर ले रखा है, और घर का काम करने के लिए कांवली भी रखी हुई है. मेरी उमर 27 साल है, और लंड मेरा 7 इंच का है. ये कहानी 3 महीने पहले की है. तो चलिए शुरू करते है.
मेरा टाइम काफ़ी खराब चल रहा था. ना जॉब ठीक से चल रही थी, और ना ही तबीयत ठीक थी. फिर एक दिन मैने मम्मी को ये सब बताया. मम्मी ने मुझे किसी पंडित के पास जाके कुछ उपाए वग़ैरा करने को कहा.
पहले तो मैने सोचा की क्या बकवास है, और उसमे पंडित क्या करेगा. लेकिन फिर जब प्रॉब्लम्स बढ़ती गयी, तो मैं पंडित के पास चला गया. मैने जाके उनको अपनी डीटेल्स बताई, और पंडित अपने लॅपटॉप पर चेक करने लगा. फिर वो बड़ा हैरान हो गया, और अचानक से बोला-
पंडित: बेटा तुम्हारा तो बहुत बुरा वक़्त चल रहा है. इसको मृत्यु योग कहते है.
मैं उसकी बात सुन कर तोड़ा घबरा गया. फिर वो बोला-
पंडित: देखो अगर तुम अगले 6 घंटे में उपाए नही करोगे, तो तुम्हारी मौत भी हो सकती है.
उसकी ये बात सुन कर मुझे लगा वो बकवास कर रहा था. मैने उसको बोला-
मैं: पंडित जी आप ये क्या बोल रहे हो? ऐसा कभी होता है क्या?
पंडित: देखो तुम्हे मेरी बात मान लेनी चाहिए. तुम्हारी तबीयत ठीक नही रहती. जॉब में भी दिक्कते आ रही है. है की नही?
मैं: हाजी ऐसा हो रहा है.
पंडित: तो फिर तुम्हारी मृत्यु भी हो सकती है.
मैं: तो इसके लिए क्या उपाए है?
पंडित: तुम्हे अगले 6 घंटे में किसी की चुदाई करनी होगी.
मुझे ये सुन कर हस्सी आ गयी. मैं फिर उनको ठीक है बोल कर चला आया. मैने पंडित की बात सुन तो ली, लेकिन मुझे विश्वास नही था. फिर मैं घर आ गया, और घर आके रेस्ट करने लगा. उस वक़्त शाम के 3 बजे थे. मुझे नींद आ गयी थी, और मैं शाम तक सोता रहा. जब मैं उठा, तब 6 बजे हुए थे.
फिर मैं उठ कर वॉशरूम गया. वाहा जाके मैं सस्यू करने लगा. सस्यू करके मैं मूह ढोने लगा तो देखा मेरी नाक से खून बह रहा था.
ये देख कर मेरी गांद फटत गयी. मैने सोचा की अगर सच में पंडित की बात सच निकली, तो क्या होगा. अब मुझे लगा की मुझे किसी की चुदाई कर लेनी चाहिए, लेकिन किसकी करता. 7 बाज चुके थे, और 4 घंटे ऑलरेडी बीट चुके थे.
मैने जल्दी से एक फ्रेंड से कॉल गर्ल सप्लाइ करने वाले आदमी का नंबर माँगा. फिर मैने उसको कॉल की, लेकिन एक भी लड़की अवेलबल नही थी. तभी मेरे रूम की घंटी बाजी. मैने रूम का दरवाज़ा खोला, तो बाहर रामा आंटी खड़ी थी. वो मेरी कांवली थी.
वैसे तो मैने उनको कभी उस तरह की नज़र से नही देखा था. लेकिन जब वो बर्तन कर रही थी, तो मैं उनको उपर से नीचे देखने लगा. उन्होने सारी पहनी थी. उनका फिगर तकरीबन 38-32-40 का होगा. रंग उनका काफ़ी सावला था, और उमर उनकी 40 साल थी.
उनकी बड़ी गांद देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया, और मैने सोच लिया, की अब यही औरत मेरी ज़िंदगी बचाएगी. उसके बाद मैने एक सेकेंड भी देर नही की, और किचन में जाके उसको पीछे से पकड़ लिया.
मेरे इस अचानक हमले से वो घबरा गयी, और उसने मुझे धक्का देके पीछे हटाया. फिर वो मेरी तरफ घूमी, और बोली-
आंटी: ये क्या कर रहे हो बाबा?
मैं फिरसे आयेज बढ़ा, और उसको बाहों में भर कर अपने होंठ उसके होंठो से चिपका दिया. वो मुझसे अलग होने की कोशिश कर रही थी, लेकिन मुझे उसको छोड़ना ही था.
फिर मैने उसको वैसे ही अपने कंधे पर उठाया, और जाके बेड पर फेंक दिया. वो फिरसे बोली-
आंटी: बाबा क्या कर रहे हो? ये ग़लत है बाबा.
मैने एक ना सुनी, और उसकी सारी और पेटिकोट खींच कर निकाल दिए. उसने पनटी नही पहनी थी, और उसकी काली जांघों में उसकी बालों भारी छूट मेरे सामने थी. फिर मैने जल्दी से अपना लंड निकाला, और उसके उपर लेट गया.
आंटी: बाबा ये ग़लत है.
मैने अपना लंड छूट पर सेट किया, और अंदर घुसा दिया. उसकी छूट अभी सूखी थी, तो हम दोनो को दर्द हुआ. फिर मैं धक्के मारने लगा, और धक्के मारते हुए बोला-
मैं: आंटी मुझे पंडित ने कहा है की अगर जान बचानी है तो किसी को छोड़ दो. मेरे पास टाइम कम था, तो और कोई रास्ता नही था. मुझे माफ़ कर देना.
ये बोल कर मैने अपने धक्को की स्पीड बढ़ा दी. अब आंटी माना नही कर रही थी. वो बस मेरे नीचे चुप-छाप लेती रही. मैं उसको छोड़ता रहा, और उसकी क्लीवेज को चूमता रहा. 15 मिनिट बाद मैने उसकी छूट को अपने माल से भर दिया.
फिर मैं उसके साथ लेट गया, और अपनी आँखें बंद कर ली. हम दोनो की साँसे चढ़ि हुई थी. फिर 5 मिनिट बाद मुझे अपने लंड पर कुछ महसूस हुआ. मैने आँखें खोल कर देखा, तो आंटी मेरा लंड मूह में लेके चूस रही थी. मुझे देख कर वो बोली-
आंटी: बाबा आप पहले बता देते, तो मैं खुद ही आपके लंड पर चढ़ जाती.
ये बोल कर वो मेरा लंड चूसने लगी, और उसने फिरसे मेरा लंड खड़ा कर दिया. फिर उसने अपना ब्लाउस भी उतार दिया, और नंगी मेरे लंड पर बैठ गयी.
अब वो मेरे लंड पर उछालने लग गयी. बहुत मज़ा आ रहा था. इतनी मोटी-ताज़ी औरत जब आपके लंड पर उछाल रही हो, तो उसके मोटे चूचे हवा में उछलते कमाल के लगते है. मैने उसके चूचे कस्स के पकड़ लिए, और नीचे से धक्के देने लगा.
कुछ देर उसी पोज़िशन में छोड़ने के बाद मैने उसको घोड़ी बना लिया. घोड़ी बन कर उसकी गांद बहुत बड़ी और कमाल की लग रही थी. फिर मैने अपना लंड पीछे से उसकी छूट में डाला, और तेज़-तेज़ धक्के देने लगा.
उसके बड़े छूतदो को देख कर मुझसे रहा नही गया, और मैने उसपे थप्पड़ मारने शुरू कर दिए. वो कामुक आहें भर रही थी, जिससे मुझे और उत्तेजना हो रही थी. मैने धक्को की स्पीड बढ़ा दी, और उसके बाल पकड़ कर छोड़ने लगा.
आधे घंटे बाद मैने अपने माल से उसकी छूट भर दी. उस दिन से वो मेरी पर्मनेंट रंडी बन गयी. मेरी हेल्त और जॉब भी ठीक चलने लगी.
तो ये थी मेरी कहानी. उमीद है आपको पढ़ कर मज़ा आया होगा .