हेलो दोस्तो, मई योगिता वापस आ गयी हू, अपनी कहानी “बंटी की गहरी साज़िश” का अगला पार्ट लेके. पिछले पार्ट मे आपने पढ़ा था, की कैसे मैने बंटी और अमृता दीदी को किचन मे एक-दूसरे को किस करते और लंड और छूट चूस्टे हुए देखा.
फिर मम्मी-पापा की आनिवर्सयरी आई, और वो एक हफ्ते के लिए ऑस्ट्रेलिया चले गये. वो हम दोनो को भी साथ ले-जाना चाहते थे, लेकिन मेरे एग्ज़ॅम थे, और दीदी को बंटी के साथ सेक्स करना था. इसलिए हम दोनो उनके साथ नही गये.
अब वो रात आ चुकी थी, जिसका बंटी और अमृता दीदी को इंतेज़ार था. बंटी ने पहले मुझे चेक किया, और फिर दीदी और उसकी रास-लीला शुरू हो गयी. दोनो पागलो की तरह किस करने लग गये, और किस करते-करते बेड पर आ गये. अब आयेज-
अमृता दीदी बेड पर लेट गयी, और बंटी उनके उपर था. ये सब देख कर मेरी छूट से भी पानी निकालने लगा था. फिर बंटी ने दीदी की त-शर्ट निकाल दी. अमृता दीदी ने नीचे ब्रा नही पहनी थी.
त-शर्ट निकलते ही दीदी के मोटे-मोटे और गोरे बूब्स बंटी के सामने आ गये, और वो बिना देर किए उनके बूब्स पे टूट पड़ा. बंटी ने दीदी के बूब्स को ज़ोर-ज़ोर से चूसना और दबाना शुरू कर दिया. अमृता दीदी अब आहें भर रही थी.
फिर अमृता दीदी बंटी की पीठ पर अपने हाथ ले गयी, और उन्होने उसकी त-शर्ट निकाल दी. अब वो दोनो आधे नंगे थे. बंटी ने दीदी के बूब्स को चूस-चूस कर लाल कर दिया था. वो दीदी के निपल्स को चूस्टा हुआ दांतो से खींच रहा था, और दीदी को इसमे मज़ा आ रहा था.
फिर वो बूब्स से नीचे आया, और दीदी के पेट को चूमने लग गया. वो दीदी की नाभि मे अपनी जीभ घुसा रहा था, और उसको दांतो से भी काट रहा था. बंटी ने दीदी के पेट को चाट-चाट कर पूरा गीला कर दिया था.
उसके बाद बंटी ने दीदी की लेगैंग्स को कमर से पकड़ा, और नीचे खींच दिया. दीदी ने पनटी नही पहनी थी, तो अब दीदी की गोरी और मुलायम छूट बंटी के सामने थी. फिर बंटी दीदी की छूट मे मूह मारने लगा, और दीदी ने उसके सिर को अपनी गोरी जाँघो मे कस्स लिया.
बंटी लगातार 10 मिनिट दीदी की छूट को चूम-चाट रहा था. फिर वो पीछे हुआ, और उसने अपना पाजामा और अंडरवेर उतार दिया. अंडरवेर उतरते ही उसका बड़ा और मोटा सा लंड दीदी के सामने आ गया. लंड को देख कर दीदी बोली-
दीदी: हाए! इतना बड़ा चला जाएगा अंदर?
बंटी: ज़रूर जाएगा मेरी जान. आज तो मेरा लंड तेरी छूट और गांद दोनो मे जाएगा.
ये बोल कर बंटी अमृता दीदी की जाँघो के बीच आ गया. फिर उसने अपने लंड को दीदी की छूट पर रगड़ना शुरू कर दिया. दीदी ज़ोर की सिसकिया ले रही थी, और लंड अंदर लेने के लिए तड़प रही थी. थोड़ी देर छूट पर लंड रगड़ने के बाद, बंटी ने छूट के छेड़ पर अपना लंड सेट कर लिया. उसके बाद बंटी ने दीदी की छूट मे एक ज़ोर का झटका मारा.
जैसे ही दीदी की छूट मे लंड का टोपा घुसा, दीदी की ज़ोर की चीख निकल गयी. उसी वक़्त बंटी अपने मूह को आयेज लेके गया, और उसने दीदी के मूह को अपने मूह से बंद कर दिया. अब दीदी सिर्फ़ ह्म ह्म कर पा रही थी. अमृता दीदी बेड पर अपने हाथ पटक रही थी, लेकिन बंटी उन पर रहम करने के मूड मे नही था.
बंटी ने दीदी के हाथ भी पकड़ लिए और अपनी गांद आयेज करके लंड अंदर घुसता चला गया. 30 सेकेंड मे बंटी ने अपना पूरा लंड दीदी की छूट मे डाल दिया. दीदी को उसने पूरी तरह से जाकड़ रखा था, तो दीदी ना तो चीख पा रही थी, और ना ही हिल पा रही थी.
पूरा लंड छूट मे डालने के बाद बंटी वही रुक गया. वो अब अमृता दीदी का दर्द कम होने की वेट कर रहा था. अमृता दीदी को नॉर्मल होने मे 2 मिनिट लगे. उसके बाद बंटी ने उनके मूह को छोढ़ दिया. मूह खुलने के बाद दीदी कुछ नही बोली.
उन्होने अपनी गांद हिलाई, जिससे बंटी को चुदाई शुरू करने का इशारा मिल गया. फिर बंटी धीरे-धीरे दीदी की छूट मे धक्के मारने लगा. अब वो दोनो एक-दूसरे मे डूब कर सेक्स कर रहे थे. बंटी धक्के मारने के साथ-साथ कभी दीदी के बूब्स चूस्टा, तो कभी गर्दन चाट-ता.
दीदी भी बंटी को . मे ले-ले कर अपने बूब्स चुस्वा रही थी. दीदी की छूट से तोड़ा खून भी निकला था, जो बंटी के लंड और दीदी की छूट पर दिख रहा था. फिर 20 मिनिट उसी पोज़िशन मे चुदाई के बाद, दीदी झाड़ गयी, और . पद गयी.
लेकिन बंटी अभी नही झाड़ा था. उसने अपना लंड दीदी की छूट से निकाला, और दीदी की . पर आ गया. फिर उसने अपना लंड दीदी के बूब्स के बीच मे रखा, और उसको अपने बूब्स दबाने को बोला. जब दीदी ने अपने बूब्स दबाए, तो बंटी का लंड बूब्स मे कस्स गया. फिर बंटी अपने लंड को आयेज-पीछे करके दीदी के बूब्स छोड़ने लगा.
5 मिनिट ऐसे ही करने के बाद, बंटी ने अपने माल की पिचकारी सीधा दीदी के मूह के उपर निकाल दी.
फिर बंटी शांत होके दीदी के साथ लेट गया, और दीदी उसके माल को अपनी उंगली पे लेके चाटने लगी. उसके बाद दीदी बेड से उठी, और मई भाग कर अपने कमरे मे आ गयी.
फिर मई अपने रूम के दरवाज़े से बाहर देखने लगी. मैने देखा, की दीदी बातरूम की तरफ जेया रही थी. मुझे लगा, की वो चुदाई के बाद फ्रेश होने के लिए जेया रही होंगी. तभी मैने बंटी को भी दीदी के पीछे बातरूम मे जाते हुए देखा.
अब मई उनके वापस आने की वेट कर रही थी. लेकिन जब अगले 2-3 मिनिट मे वो वापस नही आए, तो मई भी बातरूम के बाहर जाके खड़ी हो गयी. फिर मैने बातरूम के अंदर देखना शुरू कर दिया.
बातरूम मे बंटी और दीदी फिरसे किस कर रहे थे. बंटी ने दीदी को दीवार के साथ लगा रखा था, और पागलो की तरह उनके होंठ चूस रहा था. दीदी भी पूरी गरम जोशी से बंटी का साथ दे रही थी. फिर बंटी नीचे हुआ, और चूमते-चूमते दीदी की छूट पर आ गया.
छूट पे आके बंटी ने दीदी को घुमा दिया, और अब दीदी की गांद बंटी के सामने थी. बंटी ने अपना मूह दीदी की गांद मे डाल दिया, और उनकी गांद को चूमने चाटने लगा. वो एक हाथ से आयेज दीदी की छूट भी सहला रहा था. बंटी का लंड दोबारा खड़ा हो चुका था, और नीचे फर्श पर टच हो रहा था.
फिर बंटी ने अपनी एक उंगली दीदी की गांद के छेड़ मे घुसा दी. इससे दीदी उछाल पड़ी, और बोली-
अमृता दीदी: आहह बंटी, दर्द होता है.
इस्पे बंटी ने जवाब दिया-
बंटी: बेबी प्यार मे तोड़ा दर्द तो सहना ही पड़ता है.
फिर ये बोल कर बंटी ने अपनी दूसरी उंगली भी दीदी की गांद मे घुसा दी.
दीदी: आहहा.. एयेए… यहा मत करो ना.
बंटी: जान आज पहली बार तो मौका मिला है. पता नही दोबारा कब मिलेगा.
ये सुन कर दीदी चुप हो गयी. फिर बंटी ने पास से आयिल उठाया, और अपने लंड पर लगा लिया. उसके बाद उसने अपने हाथ पर काफ़ी सारा आयिल लिया, और दीदी की गांद के चियर मे लगा दिया.
फिर बंटी दीदी से चिपक कर खड़ा हो गया. उसने दीदी की रिघ्त लेग थोड़ी उपर की, और अपना लंड दीदी की गांद के छेड़ पर सेट किया. दीदी अब उसको माना कर रही थी, और उसके माना करते-करते ही बंटी ने उपर की तरफ पुर ज़ोर का धक्का दिया.
धक्का लगते ही दीदी इतने ज़ोर से चिल्लाई, की पुर घर मे आवाज़ गूँज गयी. बंटी ने दीदी की चीखो की कोई परवाह नही की, और बे-दर्द बन कर उपर की तरफ ज़ोर लगता रहा. उन दोनो को ये भी होश नही था, की मई घर पर ही थी. और उनकी आवाज़े मेरे तक पहुँच सकती थी.
बंटी ने तब तक दीदी को नही छोढ़ा, जब तक की उसका पूरा लंड दीदी की गांद मे समा नही गया. फिर उसने अपना लंड निकाला, और दीदी की जान मे जान आई. लंड निकलते ही दीदी बंटी की तरफ घूम गयी, और उसने बंटी के मूह पर एक ज़ोर का लाफा मारा.
लाफा पड़ते ही बंटी को गुस्सा आ गया. उसने दीदी को अपनी गोद मे उठाया और उसको ज़ोर से किस करने लगा. नीचे से उसने लंड फिरसे दीदी की गांद पर सेट किया, और दीदी का तोड़ा भार छोढ़ा. दीदी का भार नीचे की तरफ पड़ने से बंटी का पूरा लंड फिरसे दीदी की गांद मे घुस गया.
बंटी ने अपने होंठो से दीदी के होंठो को जकड़े रखा, और धक्के मारने लग गया. दीदी बंटी की पीठ नोच रही थी, और इसके अलावा कुछ भी नही कर पा रही थी. बंटी गांद मे धक्के देता जेया रहा था, और अब उसका लंड आसानी से दीदी की गांद मे जेया रहा था.
अब दीदी को भी मज़ा आने लग गया था, क्यूकी वो भी अब चुदाई मे एफर्ट डाल रही थी. फिर बंटी ने दीदी के लिप्स को छोढ़ा, और दीदी बोली-
अमृता दीदी: ज़ोर से करो बंटी, हा ऐसे ही करो. मज़ा आ रहा है मेरी जान, और ज़ोर से करो आहह..
बंटी भी पुर जोश मे था, और वो धक्के पे धक्का मारे जेया रहा था. थोड़ी देर उसी पोज़िशन मे धक्के मारने के बाद, बंटी ने दीदी को अपनी गोद से उतार दिया. गोद से उतारते ही उसने दीदी को पहले वाली पोज़िशन मे खड़ा कर लिया.
अब दीदी का मूह दीवार की तरफ था, और गांद बंटी के लंड के सामने थी. बंटी दीदी की पीठ को चूमने लगा और उसने दीदी की डाई जाँघ अपने हाथ मे उठा ली. दीदी दीवार से चिपकी हुई थी, और उसके बूब्स दीवार मे डाबब रहे थे.
फिर बंटी ने अपना लंड दीदी की गांद पर सेट किया, और उपर की तरफ धक्का दिया. बंटी का लंड दीदी की गांद मे चला गया, और दीदी ने बड़े हॉर्नी तरीके से आहह भारी. फिर बंटी ने दीदी की गांद मे धक्के लगाने शुरू कर दिए. वो साथ-साथ दीदी की गांद पर थप्पड़ मार रहा था, और उनकी पीठ को चूमे जेया रहा था.
दीदी की आहें बढ़ती जेया रही थी, और इधर मेरी पनटी पूरी गीली हो गयी थी. 10 मिनिट की चुदाई के बाद दीदी बोली-
अमृता दीदी: अभी हुआ नही तुम्हारा?
बंटी: तुम हो ही इतनी सेक्सी, की पानी निकलना ही नही चाहता.
अमृता दीदी: चलो बेडरूम मे चलते है, मई खड़े-खड़े तक गयी हू.
फिर बंटी ने दीदी को अपनी बाहो मे उठा लिया और वो दोनो रूम मे जाने लगे. मई जल्दी से सोफा के पीछे चिप गयी. फिर रूम मे जाके बंटी ने दीदी को बेड पर फेंक दिया. बेड पर जाते ही दीदी ने अपनी टांगे खोली, और बोली-
अमृता दीदी: जान अब मेरी छूट तुम्हारा लंड माँग रही है.
बंटी बोला: अब तो मेरा लंड तुम्हारा ही है, जितना चाहे लो.
ये बोल कर बंटी दीदी के उपर चढ़ गया. उसने दीदी की टाँगो को उसके कंधो तक मोड़ दिया और अपना लंड एक ही झटके मे उनकी छूट मे घुसा दिया. अब मुझसे भी कंट्रोल नही हो रहा था, और मेरा हाथ भी मेरी छूट पर चला गया.
अब इधर मई अपनी छूट मसल रही थी, और उधर दीदी की छूट बंटी के बड़े लंड से चुड रही थी. मुझे बड़ा सुकून मिल रहा था, और वाहा दीदी की सिसकिया निकल रही थी. फिर 10 मिनिट बाद बंटी बोला-
बंटी: मेरा निकालने वाला है जान.
अमृता दीदी बोली: मेरे अंदर ही निकाल दो जान. मेरा भी निकालने वाला है.
उन दोनो के बदन पसीने से भेग चुके थे. फिर बंटी भी आहह आहह करने लगा, और दीदी तो पहले से ही आहें भर रही थी. मेरी भी साँसे तेज़ होने लगी थी. फिर दीदी और बंटी दोनो एक साथ झाड़ गये. और बाहर मेरी छूट ने भी अपना पानी छोढ़ दिया.
जब बंटी का लंड दीदी की छूट के बाहर आया, तो उसका पानी दीदी के पानी से मिक्स होकर बाहर निकल रहा था. अब बंटी और दीदी दोनो तक चुके थे, और वो दोनो सो गये. मई भी झाड़ कर तक चुकी थी, और मई भी अपने कमरे मे जाके सो गयी.
सोने से पहले मुझे फील हो रहा था, की मुझे भी अब एक बाय्फ्रेंड की ज़रूरत थी. लेकिन बंटी ने ऐसा खेल खेला, की कहानी कुछ और ही हो गयी.
इसके आयेज क्या हुआ, वो मई आपको अगले पार्ट मे बतौँगी. अगर आपको कहानी अची लगी हो, तो इसको लीके और कॉमेंट ज़रूर करे.