ही फ्रेंड्स, मेरा नाम है कारण. मैं पुंजब से हू. मेरी उमर 30 साल है, और मैं मॅरीड हू. मेरा एक बच्चा भी है. मेरी हाइट 5’9″ है, और लंड तकरीबन 6.5 इंच का है. मेरा लंड लंबे टाइम तक टिकता है, और जिस लड़की/औरत के साथ भी मैने सेक्स किया है, वो हमेशा संतुष्ट हुई है. तो चलिए अब मैं अपनी कहानी पर आता हू.
8 साल पहले की बात है. तब मैं कॉलेज में था. मेरे सारे फ्रेंड्स ने कॉलेज बंक करके मेले में जाने का डिसिशन लिया. पुंजब के मेले बहुत मशहूर है. उन्होने मुझे भी साथ चलने के लिए कहा, तो मैं भी चल पड़ा.
फिर हम सब बाइक्स पर मेले में पहुँच गये. मेले में काफ़ी भीड़ थी. बहुत सारे लोग आए हुए थे. बहुत सारा माल (हॉट लड़कियाँ) भी था. फिर हम सब दोस्तों ने दो-दो टीन-टीन लड़कों के ग्रूप बनाए, और अलग-अलग हो गये.
मेले में बहुत सारी दुकाने भी लगी थी. हर दुकान का एक तंबू था, जो चारो तरफ से मोटे कपड़े से कवर था. हम ऐसे ही एक तंबू के पीछे से जेया रहे थे, की तभी मेरा पैर एक रस्सी में फ़ासस गया, और मैं अनबॅलेन्स होके मूह के बाल गिर गया.
मैं अपने दोस्तों से पीछे था, तो उनको पता नही चला. मेरे रिफ्लेक्सस तगड़े थे, तो गिरते हुए मैने जल्दी से अपने हाथ आयेज कर लिए, जिससे सिर्फ़ मेरे हाथ पर चोट लगी थी. जब मैं खड़ा हुआ, तो एक आंटी मेरे पास आई, और मुझसे माफी माँगने लगी.
जैसे ही मैने उनकी तरफ देखा, मेरा मूह खुला का खुला ही रह गया. गोरा रंग, 5’5″ की हाइट, काले बाल, 40-45 के बीच की उमर, 38-33-40 का फिगर. ऐसा लग रहा था, जैसे सलवार-सूट में बॉम्ब पॅक किया हो. उसने मुझे बोला-
आंटी: बेटा लगी तो नही, मुझे माफ़ कर देना.
तभी मुझे होश आया और मैने पूछा: आंटी आप क्यूँ माफी माँग रहे हो? मेरा ध्यान नही था.
आंटी: अर्रे ये रस्सी हमारे तंबू से ही निकली हुई है. मैं इसको अंदर करना भूल गयी थी.
तभी आंटी की नज़र मेरे हाथ पर गयी, जिस पर चोट लगी थी. उसमे से खून बह रहा था. हाथ देख कर आंटी बोली-
आंटी: हाए राम, इतनी चोट लगी है तुम्हे तो. चलो मेरे साथ मैं पट्टी कर देती हू.
अब ऐसी सेक्सी आंटी आपको कही भी ले-जाना चाहे, तो आप चल पड़ेंगे. और वो तो मुझे पट्टी करने लेके जेया रही थी. फिर उसने मुझे अपने तंबू में बिताया. उसने कॉसमेटिक्स की दुकान लगा रखी थी.
फिर वो पट्टी और दवाई लेके आई. पहले उसने कॉटन पर डेटोल लगा कर मेरा ब्लड सॉफ किया. मुझे तोड़ा दर्द हुआ. वो ये मेरे सामने झुक कर कर रही थी, और मुझे उसके बूब्स सॉफ दिखाई दे रहे थे. अब इतने सेक्सी सीन में दर्द के एहसास कहा होता है. तभी उसने मुझे उसके बूब्स घूरते हुए देख लिया. फिर वो बोली-
आंटी: क्या करते हो वैसे?
मैं: आंटी मैं कॉलेज में हू. आप अकेले दुकान चलती हो?
आंटी: हा.
मैं: और आपके हज़्बेंड?
आंटी: वो नही है.
मैं: ओह, ई आम सॉरी आंटी.
आंटी: अर्रे वो ज़िंदा है, यहा नही है. वो दुबई में है.
और हम दोनो हासणे लग गये. फिर मैं पास में तंगी ब्रा-पनटी देखने लगा. आंटी ने मुझे ब्रा-पनटी देखते हुए देख लिया, और मुस्कुरा कर बोली-
आंटी: तुझे बस एक ही चीज़ नज़र आ रही है?
मैं: आंटी देख ही रहा हू, उतार थोड़ी रहा हू.
आंटी: हाए! कितनी जल्दी जवाब देता है.
मैं: आपका सवाल ही वैसा था.
आंटी: लगता है गर्लफ्रेंड से लड़के आया है.
मैं: आंटी गर्लफ्रेंड कहा मिलती है इतनी आसानी से.
आंटी: क्यूँ आचे ख़ासे तो दिखते हो. तुम्हे तो कोई भी लड़की मिल जाएगी.
मैं: ये सिर्फ़ कहने की बात है.
आंटी: क्यूँ कहने की बात क्यूँ है. अगर मैं तेरी उमर की होती, तो आराम से तेरे साथ सेट हो जाती.
मैं समझ गया था, की आंटी भी तर्की थी. तो मैने सीधा ही बोल दिया-
मैं: आंटी सेट तो आप अब भी हो सकते हो.
आंटी: हहा, तुझे पता है मैं तुझसे कितनी बड़ी हू.
मैं: उमर से क्या लेना मैने. मुझे तो बड़े ही चाहिए, और आपके बड़े है (मैने बूब्स की तरफ इशारा करते हुए कहा). और मेरा भी बड़ा है, तो आपको भी मज़ा आएगा (मैने अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा).
आंटी मेरी बात सुन कर कुछ नही बोली. मुझे लगा ये उसकी हा थी, तो मैं खड़ा हो गया, और आंटी की तरफ बढ़ने लगा. जब मैं उनके करीब आया, तो उनकी साँसे तेज़ थी. अब मैं उनको किस करने के लिए आयेज बढ़ ही रहा था, की उन्होने मुझे रोक दिया और बोली-
आंटी: नही.
मुझे लगा बात नही बनी, और इतनी टाइम भी वेस्ट हो गया. ये सोच कर मैं बाहर जाने लगा. तभी आंटी बोली-
आंटी: ओये सुन तो. मैने कहा नही, यहा नही. जो करना है अंदर चल कर करो.
ये सुन कर मैं खुश हो गया. तंबू में अंदर की तरफ भी जगह थी, जिसमे परदा लगा हुआ था. आंटी ने मुझे इशारा किया, और अंदर की तरफ चल पड़ी. उनका इशारा देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया. मैं भाग कर उनके पीछे गया.
अंदर जाते ही मैने आंटी को अपनी बाहों में भर लिया, और उनके होंठो से होंठ मिला दिए. आंटी भी सेक्स की भूखी थी, वो भी गरम-जोशी में मेरा साथ देने लगी. आज मुझे मेले में जाने का असली मज़ा मिल रहा था. मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे मेरी लॉटरी लग गयी हो.
आंटी के होंठ चूस कर बहुत मज़ा आ रहा था. वो किस करते हुए मेरे बालों में हाथ फेर रही थी, और मैने भी उनकी पीठ पर हाथ फिरना शुरू कर दिया. फिर हाथ फिरते-फिरते मैं अपने हाथ उनकी मोटी गांद पर ले गया. तभी बाहर से किसी की आवाज़ आई, जिसकी वजह से हमे अलग होना पड़ा.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. अगर आपको कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, तो गुलाटी.गुलाटी555@गमाल.कॉम पर मैल करके अपनी फीडबॅक दे सकते है. पॉर्न वीडियोस, मूवीस, और वेब सीरीस के लिए भी कॉंटॅक्ट करे.