मेरे दोस्तो, मैं देवराज! आप सबने मेरी पहली सच्ची कहानी
मौसेरी बहन संग मस्ती और चूत चुदाई
पढ़ी और सबने इतना पसंद किया. उसका बहुत बहुत धन्यवाद. मुझे आपके बहुत से मेल भी आए. कुछ लोगों ने ये भी बताया कि ये कहानी और भी अच्छी हो सकती थी, पर दोस्त मैं ये बता दूं कि ये मेरी सच्ची कहानी है, इसमें मैंने कुछ भी अलग से नहीं जोड़ा है.
मौसी की लड़की की चुदाई की कहानी के आगे के भाग के लिए आप सभी भाई अपना लंड हाथ में पकड़ लें और भाभी आंटी लड़कियां अपनी चूत में उंगली डाल लें. अपनी पहली कहानी में मैंने आपको बताया था कि किस तरह मैंने अपनी मौसी की लड़की कल्पना को उसके घर जाकर चोदा था.
अब आगे:
तो दोस्तो, मैं वहां से वापस अपने घर आ गया. अब हम दोनों को जब भी मौका मिलता, हम फोन पर बात करते और फिर से चुदाई के लिए एक दूसरे से समय और जगह की जुगाड़ की बात करते थे.
फिर एक दिन कल्पना ने बताया कि उसकी शादी तय हो गयी है, पर वो मेरे अलावा किसी से भी शादी नहीं करना चाहती है. मैंने उसे बहुत समझाया कि शादी कर लो, लेकिन वो मना करती रही.
मेरे बहुत समझाने पर उसने शादी के लिए हां कर दी, पर शादी करने की एक शर्त रखी. वो अपने पति से पहले मेरे साथ सुहागरात मनाएगी और अगर ऐसा नहीं हुआ, तो वो शादी वाले दिन ही शादी के लिए मना कर देगी.
मैंने उससे कहा- ये सब कैसे हो सकेगा?
उसने बोला- आप वो सब मुझ पर छोड़ दो … बस आप शादी से एक दिन पहले आ जाना.
मैंने इस पर हाँ बोल दिया.
उसके बाद उसकी शादी से एक दिन पहले मैं उसके घर पहुँच गया. मुझे देखते ही वो भाग कर मेरे पास आई और सबके सामने मेरे गले से लग गयी.
लोगों ने इस बात को लेकर ज्यादा कुछ नहीं सोचा … क्योंकि वो रिश्ते में बहन लगती थी.
उसने खुद मुझे पानी दिया, खाना खिलाया और वहीं मेरे पास बैठ कर मेरी ही थाली में मेरे साथ खाना खाया. खाना लाकर देने वाली उसकी सहेली मीना थी और वहां ये सब देखने वाला कोई नहीं था. इसलिए मुझे भी इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा.
खाना खाते हुए उसने मुझसे कहा- आज रात सोना मत … मैं आपको मिस कॉल दूंगी, आप बाहर जो नहर के पास खेत है, वहां आ जाना.
मैंने बोला- किस टाइम?
तो उसने कहा- रात को 9 से 10 के बीच में फोन करूंगी.
मैंने बोला- तुम अकेली कैसे आओगी?
उसने बताया- उसकी सहेली मेरे साथ आएगी, वो हल्दी वाले दिन से ही मेरे साथ ही सोती है.
मैंने कहा- ठीक है.
वो सर्दियों के दिन थे और वैसे भी गांव में सब जल्दी ही सो जाते हैं. इसके चलते बाहर किसी के होने का कोई डर नहीं था.
मैं अपनी खाट पर लेटा हुआ था कि मेरे फ़ोन पर मेरी बहन की मिस कॉल आयी. मैं उठ कर नहर वाले खेत पर आ गया. वहां वो पहले से ही आ चुकी थी और उसके साथ उसकी एक सहेली भी थी.
मैंने उसके पास जाकर उससे उसकी सहेली के बारे में पूछा, तो उसने कहा- पहले मेरे साथ चलो, फिर मैं सब बताती हूँ.
मैं उसके साथ उस खेत में चला गया, जहां उस समय गन्ने की फसल खड़ी थी. उस खेत के अन्दर हम दोनों आ गए. वो अपने साथ एक चादर भी लेकर आयी थी.
खेत के अन्दर जाकर उसने चादर बिछा दी और खुद उस पर बैठ कर बोली- आप भी बैठ जाओ.
मैं बैठ गया.
उसने अपनी सहेली को खेत के बाहर ही खड़ा किया और उससे कह दिया कि अगर कोई आए तो बता देना.
इस बात से मैं भी निश्चिंत हो गया.
उसके हाथ में मेहंदी लगी थी. उसके मेहंदी लगे हाथ बहुत सुन्दर लग रहे थे. फिर उसने मुझे नीचे बैठने के लिए बोला. मैं नीचे बैठ गया.
फिर मेरी बहन कल्पना मुझे किस करने लगी. मैं भी उसका साथ देने लगा.
उसने मुझे देखा और रोने जैसी शक्ल बना कर बोली- देव … मैं आपसे शादी करना चाहती हूं.
मैंने उसे फिर से समझाया.
उसने बोला- ठीक है, मैं शादी तो करूंगी … लेकिन आज अपना सब कुछ आपको सौंपने बाद ही शादी करूंगी. आज मैं अपना सब कुछ आपको दे दूंगी. आप आज मुझसे यहीं शादी करो.
मैंने भी हां कर दी. इसके बाद उसने अपने हाथ में ली हुई सिंदूर की डिब्बी को दिखाया और मुझसे कहा कि लो आप आज मेरी मांग भर दो.
मैंने उसकी मांग भरी, फिर उसने मेरे पैर छुए और कहा- अब मेरी शादी कहीं भी हो, मुझे कोई चिंता नहीं.
अब वो मुझे किस करने लगी. मैं भी उसे किस करने लगा. थोड़ी देर बाद उसने मेरे पजामे का नाड़ा खोला और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी. मुझे लंड चुसवाने में मजा आने लगा. उस वक्त मुझे जो मजा रहा था, मैं उसे शब्दों में नहीं बता सकता. मेरे मुँह से अपने आप ही ‘अहह …’ निकलने लगी.
कुछ देर लंड चुसवाने के बाद मैंने उसे खड़ा किया और किस करते हुए उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया. नाड़ा खोलते ही उसकी सलवार नीचे गिर गई. मैंने नीचे बैठ कर उसकी चुत पर चुम्मी की. चूत पर मेरे होंठों का चुम्बन पाते ही वो पागल सी हो गई और अपनी चुत को मेरे मुँह पर पैर खोल कर रख दिया.
मैंने भी अपनी जीभ उसकी चूत में लगा दी. मैं अपनी जीभ उसकी चूत में अन्दर डाल कर चाटने लगा. वो भी ‘उह आह आह ओह..’ की आहें भर रही थी और बोल रही थी कि देव मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है … प्लीज़ अब अपना लंड डाल कर मेरी चूत को चोद दो.
मैंने भी देर करना सही नहीं समझा और उससे चादर के ऊपर चित लिटा कर उसके दोनों पैर खोल दिए. मैं उसकी दोनों टांगों के बीच में आ गया और अपने लंड को उसकी चूत पर सही जगह सैट कर दिया. उसकी चुदास उसे बहुत गर्म कर रही थी, तो वो नीचे से अपनी चूत ऊपर उठा कर लंड को चूत में लेने की कोशिश करने लगी.
मैंने भी देर ना करते हुए लंड एक ही धक्के में सीधा उसकी चूत में जड़ तक घुसा दिया. उसे इस हमले का कोई अंदाजा नहीं था, तो वो एकदम से चीख पड़ी. लेकिन उसकी चीख सुनने वाला यहां कोई नहीं था … जिस वजह से मुझे कोई डर नहीं था.
फिर उसने कराहते हुए बोला- देव आज मैं आपकी हो गई हूं … आज आप मुझे अपनी पत्नी बना कर प्यार करो.
मैंने कहा- अब तो तुम मेरी पत्नी हो ही गई हो, मैंने तुमसे दिल से शादी कर ली है.
ये कह कर मैं तेज तेज धक्के मारने लगा.
वो मेरे हर धक्के पर कराह उठती और बोलती- आह देव और तेज … और तेज करो … आज मैं अपना सब कुछ आपको दे कर जाऊंगी … मुझे कुछ भी कर देना … आपको पूरी छूट है.
मैंने उसे चोदते हुए कहा- आह … तुमने अपना सब कुछ तो दे दिया … अब क्या बाकी रह गया.
मैं लंड से धक्के लगातार लगा रहा था और वो चूत उठा कर चुदाई के मजे ले रही थी.
कल्पना मेरे हर धक्के पर जोर से बोलती- आह मेरे राजा … और तेज … आज फाड़ दो मेरी चूत को … ताकि वहां मैं सुकून से रह सकूं.
मैं भी उसको धकापेल चोदे जा रहा था. जिस लड़की को एक दिन बाद शादी के मंडप में बैठना हो उसको उसकी शादी से एक दिन पहले चोदना मेरे लिए एक सपने जैसा था.
उसकी चूत की चुदाई करते हुए मुझे बीस मिनट हो चुके थे. वो इस दौरान शायद एक बार झड़ चुकी थी.
अब मेरा वीर्य निकलने वाला हो गया था. मैंने उससे पूछा- मेरी जान रस कहां निकालूं?
उसने कहा- एक बूंद भी खराब मत करना. सारा रस मेरे अन्दर ही निकालो … मैं अभी पिछले हफ्ते ही पीरियड से खत्म हुई हूं. मैं आपके बच्चे की मां बनना चाहती हूं, आप बेखौफ मेरे अन्दर ही निकालो.
मैंने भी 8 से 10 तेज धक्के और मारे और उसकी चूत में ही अपना बीज डाल दिया.
वो फिर से झड़ गई थी. थोड़ी देर हम ऐसे ही पड़े रहे. फिर थोड़ी देर बाद उसने दुबारा मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया. मैं ये देख कर हैरान था.
मैंने उससे बोला- घर चलें?
वो बोली- अभी एक चीज और है आपके लिए.
वो मेरा लंड चूसती रही. थोड़ी देर में लंड फिर खड़ा हो गया, तो उसने बोला कि मैं आज आपको अपना सब कुछ देना चाहती हूं.
मैं उसे हैरानी से देख रहा था.
वो मेरे सामने घोड़ी वाले पोज में आकर बोली- आज आप मेरी गांड भी मार लो.
मैंने बोला- उसके लिए तो तेल की जरूरत होगी … वरना तुमको बहुत दर्द होगा.
वो बोली- आप दर्द की चिंता मत करो … वो मैं सब संभाल लूँगी.
मैं सोच रहा था कि अगर इससे मेरी शादी हो सकती, तो मैं इससे ही शादी करता.
जब मैंने उसके पास जाकर देखा, तो वो पहले से ही अपनी गांड में तेल लगा कर आयी थी. ये देख कर मेरी आंखों में भी आंसू आ गए कि ये मेरे लिए क्या क्या कर रही है.
वो बोली- देव जल्दी करो … वरना कोई आ गया, तो मैं नहीं कर पाऊंगी, जल्दी करो.
मैंने भी देर ना करते हुए अपना लंड उसकी गांड पर लगा दिया और धीरे से धक्का दे दिया. मेरे लंड का टोपा उसकी गांड में घुस गया.
उसे दर्द हुआ, पर वो बर्दाश्त कर गई और मुझसे बोली- आह … देव … आज मेरे जिस्म पर कोई भी रहम मत करो … आज मेरे साथ ऐसे करो कि मैं ठीक से चल भी न सकूं.
फिर क्या था … मैंने भी पूरा जोर लगा कर एक धक्का दे मारा और मेरा आधा लंड उसकी गांड में घुस गया.
उसकी तेज चीख निकल गई- ओह मां मररर गईईईई..
इस आवाज को सुन कर उसकी सहेली भी खेत के अन्दर आ गई. जब उसने हम दोनों को देखा, तो पूछा कि क्या हुआ?
तो कल्पना बोली- कुछ नहीं … तू बाहर देख … मेरे चिल्लाने पर ध्यान मत दे.
मैंने पूछा- क्या इसे सब पता है?
उसने बताया कि हां अब तक जो भी हमारे बीच में हुआ है, इसे सब पता है. इसलिए ही तो वो मेरे साथ आई है.
फिर मैंने ज्यादा बात करना सही नहीं समझा और कल्पना की मस्त चूचियों को जकड़ कर उसकी गांड में एक और तेज धक्का दे मारा. इस बार मेरा पूरा लंड उसकी गांड में घुस गया.
वो फिर से चिल्ला उठती, अगर मैंने उसके मुँह पर हाथ ना रखा होता.
पूरा लंड उसकी गांड में ठोकने के बाद थोड़ी देर तक मैं यूं ही रुका रहा और उसके मुँह से हाथ हटा कर उसे किस करने लगा. उसकी चूचियों के निप्पलों को अपनी दोनों हाथों की उंगलियों में दबा कर मींजता रहा.
जब उसको थोड़ी राहत मिली, तब मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने चालू किए.
करीब 8 या 10 धक्कों के बाद उसे भी मजा आने लगा और वो और तेज करने को बोलने लगी- आह देव … तेज प्लीज … उम्म्ह… अहह… हय… याह… देव अच्छा लग रहा है … आज मेरी गांड फाड़ दो … ओह देव जोर से चोदो मेरी इस गांड को … आह … ओह जोर सेईई … आह आई लव यू देव.
वो मुझे उत्तेजित करने के लिए ये सब बोले रही थी. मैं भी उसे जोरों से चोदे जा रहा था. मुझे उसकी गांड में मेरा लंड फंसा हुआ सा लग रहा था. करीब आधे घंटे बाद उसकी गांड मारने के बाद मेरा वीर्य निकलने वाला था.
मैंने फिर से उससे पूछा- अब कहां निकालूं?
उसने बोला- मैं आपका दही पीना चाहती हूं, प्लीज़ मेरे मुँह में निकाल दो.
मैंने जल्दी से उसकी गांड से लंड निकाल कर उसके मुँह में दे दिया. वो मेरे लंड को बड़े चाव से चूसने लगी. थोड़ी देर बाद मेरा माल निकल गया, जिसे वो पूरा पी गई. एक एक बूंद उसने चाट ली.
दो मिनट बाद वो खड़ी हुई और हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर एक दूसरे के दिलों की धड़कन को सुनने लगे. इसके बाद मैंने उससे चलने के लिए कहा. तो वो बड़े बेमन से हां भरते हुए उठने लगी. हम दोनों ने अपने अपने कपड़े पहने और खेत बाहर गए, फिर अपने अपने कपड़े पहने और घर आ गए.
दूसरे दिन वो शादी करके अपनी ससुराल चली गई. फिर करीब महीने बाद उसका फोन आया और उसने बताया कि वो पेट से है और उसमें पलने वाला मेरा बच्चा है.
मुझे भी ये जान कर बहुत खुशी हुई.
दोस्तो, यह थी मेरी सच्ची फेमिली सेक्स कहानी, मैं उम्मीद करता हूं कि आपको मेरी बहन की सील तोड़ने वाली चुदाई की कहानी पसंद आई होगी. अगर मुझसे लिखने में कोई गलती हो गई हो, तो मुझे माफ़ करना, अपनी राय जरूर देना … धन्यवाद.