हे दोस्तों, आज मैं आपके लिए आयेज की कहानी लेकर आया हू. तो चलिए समय ना बर्बाद करते हुए शुरू करते है. जैसा की आपने पिछली स्टोरी में पढ़ा की कैसे जेथलाल ने बावरी की गांद और छूट का छोड़-छोड़ कर भोंसड़ा बना दिया.
बेचारा बगहा, सोचो क्या होगा जब उसे पता चलेगा जिससे वो भी इतना प्यार करता है, वो किसी और के आयेज उसकी बड़ी गांद खोल कर झुक गयी. खैर ये बाद की बात है. अभी चलते है गोकुलधाम सोसाइटी में. नयी सुबा हुई है. भिड़े’स हाउस:-
भिड़े: माधवी अख़बार कहा रखा है?
माधवी: देखिए वाहा टेबल पर ही.
भिड़े: मिल गया, ज़रा इधर आना तो.
माधवी: मैं रोटी बना रही हू, नही आ सकती. वरना जल जाएगी.
भिड़े किचन में जाता है, और वो देखता है की माधवी रोटी बना रही थी. और उसकी रसीली गांद रोटी बनाते-बनाते ज़ोर-ज़ोर से हिल रही थी. भिड़े की नज़र 1 मिनिट तक उस पर टिकी रही. वो माधवी की गांद को हिलते देख खो गया था, और बहुत आराम से मज़े ले रहा था.
माधवी: अछा सुनिए, मैं ये कह रही थी की आ (धीरे से सिसकी लेते हुए).
भिड़े का लंड पाजामे में खड़ा हो गया था, और उसने माधवी की गांद पे ज़ोर से खड़ा लंड रग़ाद दिया था, जो की सारी समेत उसकी गांद की दरार में था, और वो ज़ोर-ज़ोर से सारी के उपर से ही उसका लंड रग़ाद रहा था. भिड़े को गांद मारना पसंद नही था, वो सिर्फ़ छूट मारता था. उसने कभी माधवी की गांद नही मारी थी.
उसकी गांद का च्छेद अभी तक टाइट और वर्जिन था, और उसकी गांद पर गोकुलधाम का हर इंसान मरता था. माधवी हमेशा से चाहती थी की कोई उसकी गांद मारे. उसे लग रहा था की आज भिड़े उसकी गांद मारेगा.
माधवी: आ उफ़फ्फ़ अंदर डालिए ह्म, चलिए ना बेडरूम में चलते है.
माधवी इतना बोलती है, और भिड़े को एक-दूं से एक कॉल आता है. वो कॉल कस्टमर की थी, और उसे अर्जेंट डेलिवरी के लिए जाना था. तो वो माधवी से बोलता है की उसे निकलना पड़ेगा सॉरी.
माधवी: नही मत जाइए प्लीज़, रुकिये.
भिड़े: माधवी बात को समझो, और तुम्हारा फोन जो खराब हो गया था, वो जेथलाल की दुकान पर लेकर जाना था मुझे. पर अब मैं नही जेया पौँगा, तो तुम चली जाओ.
माधवी: ठीक है (मूह बनाते हुए). अछा सुनिए ना, आप आओ तो मेरे लिए कुछ मीठा खाने में लेकर आईएगा प्लीज़.
भिड़े: नही फ़िज़ूल खर्चा नही.
माधवी: पर…
भिड़े: श.
माधवी (मॅन में): मेरी तो किस्मत ही फूटी है, जो मैने इससे शादी की.
माधवी मोबाइल रिपेर करवाने के लिए जेथलाल की दुकान जाती है. वो अंदर जाती है तो वाहा सिर्फ़ नाट्टू काका थे.
नाट्टू काका: आइए माधवी भाभी.
माधवी: मोबाइल रिपेर करवाना था, जेता भाई किधर है?
माधवी के बूब्स बहुत बड़े लग रहे थे. नाट्टू काका माधवी के बूब्स देखते रहे, और खो गये.
माधवी (स्माइल करते हुए): नाट्टू काका? कहा खो गये?
नाट्टू काका: कुछ नही माधवी भाभी, आप गोडोवन् में चली जाइए.
माधवी गोडोवन् में जाती है, और जेथलाल और बगहा वाहा नयी स्कीम की कुछ बात कर रहे थे. जैसे ही माधवी वाहा जाती है, जेथलाल उसके बूब्स देख के खो जाता है.
माधवी: मुझे मोबाइल रिपेर करवाना था. क्या आप कर देंगे?
बगहा: ज़रूर माधवी भाभी, लाइए मुझे दीजिए.
बगहा मोबाइल चेक करता है, और उसे पता चलता है की जो पार्ट खराब हुआ था, वो अभी दुकान में नही था, और माधवी को अर्जेंट फोन चाहिए था. क्यूंकी आचार पपद के ऑर्डर्स आते है. जब बगहा और माधवी बात कर रहे थे, जेथलाल का ध्यान माधवी की बड़ी और मोटी गांद पर था, जिसे देख कर जेथलाल के मूह में पानी आ रहा था, और उसका मॅन माधवी को छोड़ने का हो रहा था.
बगहा ने माधवी का फोन लिया, और वो उसके पार्ट्स लेने उसके दोस्त की एक मोबाइल रेपेरिंग की दुकान है, वाहा चला गया.
माधवी: थॅंक योउ जेता भाई, मेरी मदद करने के लिए. कितना होगा इसका?
जेथलाल: अर्रे कैसी बात कर रही है माधवी भाभी आप? आप हमारे पड़ोसी है. मैं आप से पैसे नही ले सकता.
माधवी: अर्रे जेता भाई, लेकिन…
माधवी ने इतना बोला, और उसके हाथ से उसका पर्स गिर गया. वो पर्स को उठाने नीचे झुकी, तो उसका पल्लू गिर गया, और उसके दो नरम-नरम बूब्स के जेथलाल को दर्शन हुए. उसके बूब्स आधे दिख रहे थे, क्यूंकी ब्लाउस बहुत छ्होटा था.
माधवी ने देखा की जेथलाल उसके बूब्स को देख रहा था, तो उसे अछा लगा, और उसने तोड़ा और पल्लू गिराया, और जेथलाल को नज़ारा आचे से दिखाया,
माधवी: ये पल्लू भी ना, हा!
वो जेथलाल को चिढ़ाना चाहती थी. पर उसे पता नही था की आयेज क्या होने वाला था. वो सीधे खड़ी हुई, और उसने पल्लू लिया.
माधवी: क्या हुआ जेता भाई, कहा खो गये?
जेथलाल: माधवी भाभी वो. सॉरी-सॉरी मेरी नज़र, वो मुझसे रहा नही गया.
जेथलाल को यकीन नही हो रहा था, की उसने ये सच में कह दिया. क्यूंकी इसके पहले जेथलाल के कभी गोकुलधाम की औरतों को ऐसा सिग्नल नही दिया था, की वो उन्हे ताड़ रहा था. क्यूंकी बात फैल सकती थी.
माधवी: कोई बात नही जेता भाई. आप एक मर्द है, ऐसी ग़लती हो जाती है.
ये कहने के बाद अचानक माधवी की नज़र जेथलाल के लंड पर गयी, और उसकी नज़र वही अटक गयी.
माधवी (जेथलाल के लंड की तरफ देखती हुई): जेता भाई, वो आपका वो.
जेथलाल: इसके लिए सॉरी माधवी भाभी. आपने ही कहा की मैं मर्द हू, ऐसी ग़लती हो जाती है.
माधवी ने बस जेथलाल को चिढ़ने का सोचा था. पर अब वो खुद गरम हो गयी थी. जेथलाल का लंड देख कर उसके मूह मैं पानी आ गया था, और अब उससे रहा नही जेया रहा था. पर वो भिड़े को धोखा नही दे सकती थी.
माधवी (हिचकिचाते हुए): मैं चलती हू.
जेथलाल समझ गया था की माधवी गरम हो गयी थी, और उसने मॅन बना लिया था, की माधवी की वो लेकर ही रहेगा. माधवी की बड़ी और रसीली गांद ने जेथलाल के मॅन में एक लालच भर दिया था, और जेथलाल को माधवी का स्वाद किसी भी कीमत पर चखना था.
जेथलाल: कहा माधवी भाभी, रुकिये ना. मैं आपके लिए कुछ खाने के लिए मँगवाता हू.
जेथलाल का लंड अभी भी खड़ा था, और माधवी की नज़र वही पर टिकी हुई थी.
माधवी: जेता भाई, आपका ये हाल मुझे देख कर हुआ?
जेथलाल: हा माधवी भाभी.
माधवी: मुझमे ऐसा क्या है?
जेथलाल: माधवी भाभी आप में क्या नही है. काश आप एक बार मुझे. मेरा मतलब काश मुझे आपके जैसी बीवी मिली होती.
ये बात सुन कर माधवी की तो जैसे दुनिया ही हिल गयी हो. वो एक-दूं शॉक हो गयी, की ये जेथलाल ने क्या कहा था.
माधवी: पर जेता भाई दया भाभी और आप के बीच सब ठीक है ना?
जेथलाल: हा माधवी भाभी, ठीक है. मैं बस आपकी तारेफ़ कर रहा था, और आपके और भिड़े के बीच में?
माधवी भिड़े से परेशन थी. उसने सुबा की बात सोची और जेथलाल को बताने का फैंसला किया.
माधवी: जेता भाई वो मुझे कभी छोड़ते ही नही है, और सुबा की बात है. मैने उनसे स्वीट्स लाने को कहा, तो उन्होने माना कर दिया. आप ही बताइए ऐसा कों करता है अपनी बीवी के साथ? आप तो दया भाभी से कितना प्यार करते है. मेरी तो ज़िंदगी ही खराब हो गयी है.
जेथलाल: माधवी भाभी आप परेशन मत होइए. मैं हू ना, मैं दूँगा आपको पैसे.
माधवी: पर जेता भाई.
जेथलाल माधवी के होंठो पर अपनी उंगली रख देता है.
जेथलाल: और सिर्फ़ पैसे ही नही, मैं आपको सब देने को तैयार हू.
माधवी: जेता भाई, पर मैं उन्हे धोखा नही दे सकती. अब मुझे चलना चाहिए.
वो जाने वाली होती है, और एक-दूं से जेथलाल माधवी की गांद को ज़ोर से पकड़ लेता है, और दबा कर गांद पर एक ज़ोर से छाँटा मारता है.
माधवी: ओह.
माधवी इससे गरम हो जाती है. उसे पसंद था की कोई उसे गांद पर मारे, और रफ चुदाई करे. जेथलाल भी समझ गया था की माधवी गरम हो चुकी थी. उसने माधवी की सारी पकड़ कर उसे गोल घुमाया, और ज़ोर से सारी को खींचा, जिससे सारी उतार गयी, और पेटिकोट से भी निकल गयी. जेथलाल ने माधवी के पेटिकोट का नाडा भी खींच दिया, और बूब्स दबाते-दबाते ब्लाउस और ब्रा भी खोल दी. अब माधवी सिर्फ़ पनटी में थी.
माधवी: छ्चोढिए जेता भाई. आ उफ़फ्फ़, जाने दो प्लीज़. ऐसा मत कीजिए, आप उनके दोस्त है.
जेथलाल: चिंता मत कीजिए माधवी भाभी, आज से आप मुझे पति मान लीजिए. मैं आपकी हर कमी को डोर करूँगा.
माधवी: भाई प्लीज़ मत दबाइए मेरे बूब्स आह.
जेथलाल: मज़ा आ रहा है माधवी भाभी?
माधवी: हा जेता भाई, ज़ोर से प्लीज़ ष्ह
आहह. आपके हाथो में तो जादू है.
जेथलाल माधवी की पनटी में हाथ डाल कर उसकी गांद में उंगली डाल देता है
माधवी: ऑश जेता भाई, उम्म्म.
जेथलाल को समझ आ गया था, की माधवी गांद मरवाने की भूखी थी. जेथलाल ने माधवी की पनटी भी निकाल दी. अब वो पूरी नंगी खड़ी थी, और जेथलाल भी पूरा नंगा हो गया. उसने माधवी को घुटने के बाल बिता कर अपना लंड उसके मूह में दे दिया. माधवी जेथलाल का लंड गले तक ले रही थी, और उसे बहुत मज़ा आ रहा था. पर जेता का लंड बहुत बड़ा था, तो उसे तकलीफ़ भी हो रही थी.
माधवी: गल्प गल्प.
जेथलाल माधवी को पकड़ कर टेबल के सहारे करता है, और उसकी छूट पर लंड घिसने लगता है.
माधवी: क्या कर रहे हो जेता भाई? छ्चोढो ना. अब आपकी बीवी को इतना मत तड़पाव प्लीज़.
जेथलाल: अभी तो माना कर रही थी, और अब रांड़ जैसे मर्री जेया रही है.
माधवी: मैं रंडी हू आपकी, छोड़ो मुझे.
जेथलाल माधवी की चुदाई शुरू करता है, और 20 मिनिट तक छोड़ने के बाद माधवी की छूट का भोंसड़ा बन जाता है. जेथलाल अभी झाड़ा नही था. उसने माधवी को डॉगी स्टाइल में किया, और उसकी गांद में अपना लंड रख दिया. माधवी को गांद में पहली बार लंड जाने वाला था, और जेथलाल ने एक-दूं से एक साथ पूरा लंड घुसा दिया. माधवी एक-दूं से पागल हो गयी. उसे इतना दर्द ज़िंदगी में कभी नही हुआ था, और मज़ा भी कभी नही आया था. वो ज़ोर से चिल्लाई.
माधवी: ऑश आ उफफफ्फ़ मम्मी. जेता भाई, ऑश मार डाला आपने मुझे. अपनी रंडी पे आह तोड़ा तो उफ़फ्फ़ रहम किया होता.
माधवी की आवाज़ नाट्टू काका तक गयी, और वो समझ गयी की माधवी तो गयी.
नाट्टू काका (हेस्ट हुए): सेठ जी भी ना.
जेथलाल झटके पे झटके दिए जेया रहा था, और माधवी की आँखों से आसू निकल रहे थे, और वो आँसू खुशी और दर्द दोनो के थे. 30 मिनिट माधवी की गांद मारने के बाद जेथलाल ने उसकी गांद में सारा माल भर दिया, जो की उसके पैरों के सहारे नीचे गिरने लगा. माधवी डॉगी स्टाइल में थी तो जेथलाल ने उसकी पंत में से नोट की गद्दी निकली और उसकी गांद पर मारी, और पीठ पर रख दी.
माधवी: जेता भाई आप ऐसा क्यूँ कर रहे है? क्या मैं आपको रांड़ लगती हू? मुझे बहुत बुरा लगा.
जेथलाल: चुप करके रख ले, काम आएँगे. तेरा पति तो देगा नही (रांड़ साली इतना मज़ा आज तक किसी को छोड़ने में नही आया)
माधवी: ऐसा मत बोलो जेता भाई, वो मेरे पति है.
जेथलाल: आज से मैं हू तेरा पति. तू मेरी रंडी पत्नी है अब से.
बगहा आ कर माधवी को फोन देता है और वो घर चले जाती है.