ही दोस्तों, मेरा नाम विश्वास है. मैं 19 साल का हू, और कॉलेज में 1स्ट्रीट एअर में पढ़ता हू. मेरी हाइट 5’10” है, और लंड 6 इंच लंबा, और 3 इंच मोटा है. हमारी फॅमिली उप से है.
ये कहानी मेरी मा के बारे में है. इसमे मैं आपको बतौँगा की मेरे पापा की डेत के बाद मा ने कैसे अपना रंग-ढंग बदल लिया, और फिर चुदाई का सिलसिला शुरू हुआ, जो कभी नही रुका. तो चलिए शुरू से शुरू करता हू.
मेरी मा का नाम कलकी है, वो 39 साल की एक निहायती खूबसूरत औरत है. मा का रंग गोरा है, और फिगर साइज़ 36-33-39 है. वो सारी पहनती है, और उनको देख कर आस-पास के मर्द आहें भरते है. हर मर्द मेरी मा को छोड़ना चाहता है. उनको देख कर कोई नही कह सकता की उनका मेरे जितना बेटा होगा.
मा की शादी 19 साल की उमर में ही पापा से हो गयी थी. वो ग़रीब घर से थी, तो उनके घर वालो ने उनकी शादी उनसे काफ़ी बड़ी उमर के आदमी शिवराज सिंग (मेरे पापा) से करवा दी. जब मा और पापा की शादी हुई थी, तो पापा 42 साल के थे.
फिर मा की जवानी चढ़ती गयी, और पापा को बुढ़ापा आता गया. शादी के एक साल बाद मैं पैदा हो गया. जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ, मम्मी-पापा के झगड़े बढ़ने लगे. इसकी वजह ये थी, की मेरे पापा का बुद्धा लंड उनका साथ नही देता था, और वो मम्मी को संतुष्ट नही कर पाते थे.
जब मुझे सेक्स के बारे में पता चला, तो समझ आया की मम्मी हर बार पापा को क्यूँ सुनती थी, की तुम मुझे खुश नही कर पाओगे. मुझे समझ आ गया था की मम्मी किस खुशी की बात कर रही होती थी.
फिर 6 महीने पहले पापा की हेअरटत्टकक से मौत हो गयी, और हमारे घर में मातम छा गया. पापा की डेत के पहले घर में मैं, मम्मी, पापा, दादा, और दादी रहते थे. पापा की डेत के बाद दादा-दादी ने हरिद्वार जाके रहने का फैंसला किया.
मम्मी ने उनको ना जाने के लिए कहा. लेकिन वो ये कह कर चले गये की मिलने आते रहेंगे. अब घर पर सिर्फ़ मम्मी और मैं रह गये थे. फिर अगले कुछ दीनो में मैने मम्मी को चेंज होते हुए देखा.
पापा और दादा-दादी के होते मम्मी हमेशा सारी पहनती थी, और बाल बाँध कर रखती थी, और अपना सर भी धक कर रखती थी. लेकिन अब मम्मी सारी तो पहनती थी, लेकिन बाल खुले रखने लग गयी थी.
पहले मम्मी का ब्लाउस एक-दूं गले तक बंद होता था. लेकिन अब मम्मी क्लीवेज दिखाने लग गयी थी. वो उतनी क्लीवेज दिखती थी, जिससे किसी भी मर्द या लौंदे के मूह में पानी आ जाए. पहले मम्मी शाम को भी सारी पहन कर सोती थी. लेकिन अब मम्मी ने शाम को निघट्य डालनी शुरू कर दी थी.
मा की निघट्य भी ऐसी होती थी, जिसमे से उनकी ब्रा और पनटी हल्की-हल्की नज़र आती थी. पहले फोन को हाथ भी नही लगती थी, लेकिन अब सारा-सारा दिन इंस्टाग्राम, और फ़ेसबुक पर जाता था. कभी-कभी तो मैने फोन पर उनको किसी के साथ छत भी करते देखा था. लेकिन मुझे देखते ही वो फोन साइड रख देती थी.
मम्मी को निघट्य में देख कर मुझे भी कुछ-कुछ होने लग गया था. फिर एक दिन मैने कुछ ऐसा देखा, जिससे सब बदल गया. तो चलिए बताता हू, की ऐसा क्या देख लिया मैने.
मैं हर रोज़ की तरफ सुबा-सुबा रेडी होके कॉलेज चला गया. मेरे घर और कॉलेज के बीच 30 केयेम का डिस्टेन्स है, तो वाहा पहुँचने में कम से कम 40 मिनिट लग जाते है. जब मैं कॉलेज पहुँचा तो पता चला, की सीनियर स्टूडेंट्स ने किसी वजह से स्ट्राइक की हुई थी. इसलिए कॉलेज बंद था. तो मुझे वापस आना पद गया.
फिर मैने बिके स्टार्ट की, और घर के लिए निकल पड़ा. 40 मिनिट में मैं घर पहुँचा. घर जाके देखा, तो बाहर किसी की बिके खड़ी थी. बिके पर ‘शर्मा’ का स्टिकर लगा था, तो मैं समझ गया की शरम अंकल आए होंगे.
शर्मा अंकल पापा के बहुत आचे दोस्त है. वो अक्सर पापा के साथ ड्रिंक करने बैठते थे. शर्मा अंकल का केबल नेटवर्क था, तो केबल की प्राब्लम देखने आते थे. फिर मैं अंदर गया तो मुझे हॉल में कोई नज़र नही आया. मुझे लगा अंकल च्चत पर होंगे कनेक्षन चेक कर रहे होंगे, और मम्मी किचन में होंगी.
ये सोच कर मैं किचन की तरफ गया, लेकिन वाहा भी कोई नही था. जब मैं किचन से बाहर आने लगा, तो किचन के दरवाज़े पर मम्मी की पनटी गिरी हुई थी. मैने झट से पनटी उठा ली, और जेब में डाल ली. मुझे लगा की पनटी ग़लती से वाहा गिर गयी होगी, और अगर अंकल ने ये पनटी देख ली, तो इन्सल्ट हो जाएगी. ये सोच कर मैने पनटी जेब में डाली थी.
फिर मैं मम्मी के रूम की तरफ गया. जब मैं रूम के पास पहुँचा, तो मुझे कुछ आवाज़े आने लगी. ये किसी के बात करने की आवाज़ थी. मुझे लगा क्यूंकी टीवी मम्मी के रूम में था, तो अंकल अंदर कोई सेट्टिंग कर रहे होंगे. ये सोच कर मैं रूम के अंदर जाने लगा.
लेकिन रूम में एंटर करने से पहले मेरे पैर वही रुक गये. क्यूंकी जो मैने देखा, वो मैने कभी सोचा नही था. मेरी मा निघट्य उपर करके बेड की बॅक पर टेक लगा कर बैठी थी. उनकी निघट्य उनकी कमर तक उपर थी, और नीचे से वो बिल्कुल नंगी थी. मतलब वो पनटी, जो मेरी जेब में थी, वो गिरी नही उतरी गयी थी.
मा की नंगी छूट मेरी आँखों के सामने थी, और उस पर हल्के-हल्के बाल थे. उनका हाथ उनकी छूट पर था, और वो अपनी छूट को सहला रही थी. वो साथ-साथ हल्की-हल्की आहें ले रही थी. तभी वो बोली-
मम्मी: अब आ भी जाओ जान. कितनी देर इंतेज़ार कारवाओगे?
तभी साइड से कोई मम्मी की तरफ बढ़ा, जिसको देख कर मैं हैरान हो गया.
वो शख्स कों था, और उसने और मम्मी ने क्या-क्या किया, ये सब आपको कहानी के अगले पार्ट में पढ़ने को मिलेगा. यहा तक की कहानी आपको कैसी लगी, कॉमेंट करके ज़रूर बताए. अगर आप सब को कहानी का मज़ा आया हो, तो इसको शेर ज़रूर करे अपने सारे फ्रेंड्स के साथ.