असलम के साथ हुई मस्त गांड और चूत चुदाई के बाद मालिनी के पास बस असलम को शादी के लिए हां करने के लिए मनाना बाकी था। कैसे रबड़ के लंड असलम को दिखा कर मालिनी ने असलम को मनाया, अब ये जानिये।
मैंने घंटी बजाई और प्रभा को फिर से चाय के लिए बोल दिया। ड्राइवर शंकर कही इधर-उधर ना खिसक जाए, इसलिए जब प्रभा चाय लेकर आयी तो मैंने प्रभा को शंकर को बुलाने के लिए कहा।
मैंने चाय का कप असलम के हाथ में पकड़ाया। तभी क्लिनिक के बाहर वाले से दरवाजे से शंकर आया और बोला, “जी मैडम, आपने बुलाया?”
मैंने शंकर से कहा, “शंकर आधे घंटे बाद इनको”, मैंने असलम की तरफ इशारा करके मैंने कहा, “इनको होटल छोड़ आना।”
“जी अच्छा” कह कर शंकर चला गया।
फिर मैंने असलम से पूछा, “असलम तुमने अपनी अम्मी की पूरी टेप सुनी। उन्होंने बड़े अच्छे से सारी बात मुझे बताई है। अब मुझे तुम ये बताओ जो कुछ तुम्हारी अम्मी ने कहा, क्या तुम दोनों में चुदाई का सिलसिला बिल्कुल हूबहू वैसा ही तुम दोनों के बीच शुरू हुआ, और यहां तक पहुंच गया?
असलम ने कहा, “जी हां मैडम, अम्मी की बताई सारी बातें एक-दम सच हैं। जो कुछ भी मेरे और अम्मी के बीच हुआ वो बिल्कुल वैसा ही हुआ जैसा की अम्मी ने आपको बताया है।”
मैंने कहा, “असलम बाकी बातें तो मैं कल तुम दोनों से तुम्हारे और तुम्हारी अम्मी के सामने करूंगी, अभी की लिए तुम मुझे साफ़-साफ़ बस इतना बताओ कि तुम्हें ऐसा क्यों लगता है कि तुम्हारी अम्मी तुम्हारी शादी के बाद ऐसी खुश नहीं रह पाएगी जैसी वो अब है?”
असलम को चुप देख कर मैंने फिर पूछा, “क्या तुम्हें ऐसा लगता है कि तुम्हारी दुल्हन आने के बाद तुम अपनी अम्मी की चुदाई नहीं कर पाओगे और तुम्हारी अम्मी चुदाई के लिए तरसेगी?”
फिर असलम खुल कर बोला, “मैडम आप ही बताईये क्या ऐसा नहीं होगा? क्या घर में बीवी के रहते मैं अम्मी के चुदाई कर पाऊंगा?”
असलम एक पल के लिए चुप हुआ फिर बोला, “पापा के गुजर जाने के बाद अगर अम्मी कि चुदाई शुरू ही ना हुई होती तो बात अलग थी। अब अम्मी जमाल का लंड ले चुकी है, और अब मुझसे भी मस्त चुदाई करवाती है। और अब तो अम्मी को तो लंड लेने की और मस्त चुदाई करवाने की आदत पड़ चुकी है। आप ही बताईये अम्मी बिना चुदाई करवाए वो कैसे रह पाएगी?”
असलम बोल रहा था, “और ये भी तो सोचिये मैडम अगर मैंने शादी के बाद अम्मी को ना चोदा और कहीं अम्मी ने चूत की आग ठंडी करने के लिए इधर-उधर से चुदाई करवा ली, तो क्या होगा – क्या हो सकता है?”
मुझे इसी बात का अंदेशा था और मैं असलम से ऐसी ही किसी जवाब की उम्मीद कर रही थी।
मैंने फिर कहा, “असलम मैं ये नहीं कहती कि जो कुछ तुम अपनी अम्मी के बारे में सोच रहे हो गलत है। उल्टा मैं तुम्हारे जज़बातों की कदर करती हूं कि तुम्हें अपनी अम्मी कि इतनी फ़िक्र है।”
“अब मेरी बात जरा ध्यान से सुनो। मैं उम्र के उस दौर से उजर रही हूं जिस उम्र से अभी तुम्हारी अम्मी नसरीन को गुजरना है। हमारे घरों की घरेलू औरतें 44-45 की उम्र के बाद एक-दम से ढलती हैं और जब 50 की होने लगती हैं तो उनका जिस्म और चूत दोनों फ़ैल चुके होते हैं और दोनों का बैंड बज चुका होता हैं। औरतें ऐसे लगने लग जाती हैं जैसे कोइ गेहूं से भरा ड्रम जा रहा हो।”
मैंने फिर कहा, “इस उम्र में हमारी घरेलू औरतों की हालत तो ये हो जाती है कि वो अपने आप को शीशे में देखने भी डरने लग जाती हैं। चुदाई के नाम से ही भागने लगती हैं या ये कह लो कि उनकी चूत गरम ही नहीं होती। चूत लंड मांगती ही नहीं और ये थुलथुली औरतें लंड देख कर ऐसे आंखें बंद करती हैं जैसे भूत देख लिया हो।”
मेरी ये बात सुन कर असलम जरा सा हंसा और मेरे बात बीच में ही काटता हुआ बोला, “मैडम पर आपका तो ना जिस्म फैला है, ना ही चूत फ़ैली है, और ना ही गांड। आपके तो ना जिस्म का बैंड बजा है ना चूत का। आप गेहूं के ड्रम की बात छोड़िये, आप तो केले के पेड़ का चिकना तना लगती हैं। आप तो हर तरफ से ही कड़क हैं, हर तरफ से टाइट हैं ऊपर से भी, नीचे आगे से भी और पीछे से भी।”
असलम की इस बात पर मेरी भी हंसी छूट गयी।
मैंने असलम से कहा, “अच्छा ये बात है? तो आओ फिर मैं तुम्हें दिखाती हूं मैंने अपने आप को इतना फिट कैसे रखा हुआ है। क्यों मैं ऊपर से नीचे आगे से पीछे से टाइट हूं। क्यों मैं गेहूं का ड्रम नहीं बनी, क्यों अभी भी केले के पेड़ के चिकने तने की तरह हूं।”
इतना कह कर असलम को लेकर मैं क्लिनिक के पीछे के कमरे के साथ लगे दूसरे कमरे में ले गयी। ये कमरा एक जिम था और इसमें कई तरह की कसरत करने की मशीने थी।
मैंने असलम को बताया, “ये देखो असलम, ये मेरा जिम है। सुबह मैं पांच बजे उठती हूं, और आधा घंटा चालीस मिनट सामने वाले पार्क में सैर करती हूं। सात बजे मेरी एक पर्सनल ट्रेनर आती है जिसकी देख रेख में मैं सात से आठ बजे तक एक घंटा हल्की कसरत और स्वामी रामदेव वाला योगा करती हूं।”
“इसके बाद आठ बजे मेरी मालिश करने वाली आ जाती है जो मेरे पूरे शरीर की मालिश करती है।”
“पूरा शरीर मतलब पूरा शरीर। चेहरे की, पेट की, चूतड़ों की, चूत की और चूचियों की मालिश करती है जिससे इन जगहों पर चर्बी ना जमा हो पाए। यही कारण है कि मेरा शरीर अभी भी केले के पेड़ के तने की तरह चिकना है, और आगे से पीछे से सब कुछ टाइट है, तुम्हारी अम्मी नसरीन के जिस्म की तरह।”
फिर मैंने असलम के कंधे ओर हाथ रख कर कहा, “असलम तुम्हें क्या बताना, तुमने तो देखा ही है।”
यहां असलम थोड़ा सा मुस्कुराया, और साथ ही अपना मोटा लौड़ा अपनी पेंट में हिला कर ठीक किया।
मैंने फिर कहा, “असलम ये तो थी मेरी बात। तुम्हारी अम्मी नसरीन एक घरेलू किस्म की सीधी सादी औरत है। उसके पास ये सब तामझाम करने के लिए वक़्त नहीं है। कुछ सालों बाद वो अपने आप को ऐसा फिट नहीं रख पाएगी, जैसी वो इस समय है। इस बात का एहसास उसे होने लग गया है। ये भी एक कारण है कि वो अब तुम्हारे साथ चुदाई बंद करने का कर तुम्हारी शादी के लिए तुम पर दबाव डाल रही है।”
मैं बोल रही थी और असलम सुन रहा था, “चलो मान लिया नसरीन गेहूं का ड्रम ना भी बनी, तो भी पांच सात साल बाद जब नसरीन 50 की होने वाली होगी तो उसकी चुदाई करवाने की इच्छा तकरीबन खत्म हो चुकी होगी और तुम तब 29 के होगे। तुम्हारा लंड ऐसा ही होगा जैसा अभी है। तुम्हारा लंड तो तब भी टाइट चूत ढूंढेगा और तुम्हें भी मस्त चुदाई की जरूरत होगी।”
असलम पूरे ध्यान से मेरी बात सुन रहा था, “तब 29 की उम्र में हो सकता है तुम्हें वैसी टाइट चूत ना मिले जैसी अब मिल जाएगी। कारण बताऊं?”
असलम ने मेरी और देखा जैसे कह रहा हो “बताईये कारण।”
मैंने ही बात जारी रखते हुए कहा, “उस समय फिर अगर तुम्हारा इरादा शादी का बन गया तो 29-30 साल की उम्र में तुम्हें लड़की भी तो 25-26 या 27 की उम्र वाली ही मिलेगी। असलम क्या तुम्हें लगता है कि उस उम्र की लड़की आज के ज़माने में चुदी हुई नहीं होगी?”
“चलो ये चुदी हुई होने वाली बात भी एक मिनट के लिए छोड़ देते हैं। मान लेते है वो लड़की चुदी हुई नहीं होगी, मगर 25-27 साल की लड़की, लड़की नहीं औरत होती है। ऐसी औरत घर में घर के बाकी लोगों के साथ आसानी से ताल मेल भी नहीं बिठा पाती जितनी आसानी से 20-21 साल की लड़की बिठा लेती है।”
“अभी अगर तुम शादी के लिए हां करोगे तो तुम्हें भी इसी उम्र लड़की मिलेगी 20-21 साल की कुंवारी, सील बंद चूत वाली और वो तुम्हारी अम्मी के साथ तालमेल भी बैठा लेगी। लेकिन 25-26 साल की औरत अगर चुदी हुई नहीं भी होगी तो भी आसानी के साथ तुम्हारी अम्मी नसरीन के साथ तालमेल नहीं बिठा पाएगी।”
मैंने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, “असलम मुझे तो तुम्हारी अम्मी की एक-एक बात – एक-एक लफ्ज़ सही लगा है। नसरीन का ये सोचना कि उम्र और वक़्त के साथ साथ इंसान के शौक और शरीर की जरूरतें बदलती हैं। इंसान को भी इनके साथ साथ बदलना पड़ता है, बदलना चाहिए। वक़्त के साथ ना बदलने वाला इंसान पिछड़ जाता है और जब उसे इस बात का एहसास होता है तो बहुत देर हो चुकी होती है।”
“मुझे तो नसरीन, तुम्हारी अम्मी एक बहुत ही सुलझी हुई औरत लगी है जो कल क्या हो सकता है वो आज ही समझ रही है।”
ये कह कर मैं चुप हो गयी, और असलम के जवाब का इंतज़ार करने लगी। असलम कुछ सोच रहा था। वो कुछ भी नहीं बोला।
मैं ही फिर बोली, “असलम अब आते हैं तुम्हारी दूसरी बात पर जिसका डर तुम्हें सता रहा है। तुम कह रहे हो बीवी के रहते तुम अपनी अम्मी की चुदाई नहीं कर पाओगे। तो फिर कहीं ऐसा ना हो के चूत की आग ठंडी करने के लिए तुम्हारी अम्मी किसी बाहरी मर्द से चुदाई के चक्कर में पड़ जाये।”
मैं कुछ रुक कर बोली, “असलम तुम्हारी इस बात का भी जवाब है मेरे पास।” ये बोल कर मैं कुछ पल के लिए चुप हो गयी।
असलम ने मेरी और देखा जैसे पूछ रहा हो, ”आप ही बताईये कैसे अपनी चूत की आग को ठंडा करेगी’?
असलम को इस तरह मेरी तरफ देखते हुए मैं बोली, “असलम तुम यही सोच रहे हो ना कि अगर तुम अपनी अम्मी की चुदाई नहीं भी करोगे, तो फिर वो कैसे अपनी चूत का पानी छुड़ाएगी, कैसी अपनी चूत की आग को ठंडा करेगी? मैं तुम्हें बताती हूं। ऐसे हालात में, जब तुम्हारी अम्मी को तुम्हारा मोटा लंड नहीं मिलेगा, मैं तुम्हारी अम्मी चूत का पानी छुड़ाने के लिए और मजा लेने के लिए क्या करेगी।”
ये कह कर मैं अंदर और अपना रबड़ के लंड वाला डिब्बा ले कर आ गयी और खोल कर असलम को दिखाते हुए बोली, “इससे काम चलायेगी।
असलम ने रबड़ का लंड हाथ में लिया और उलट-पलट कर देखा और बोला, “मैडम ये तो बिल्कुल खड़े हुए असली लंड जैसा ही महसूस होता हैं। असली लंड जैसा सख्त और मुलायम है और ये इसके ऊपर उभरी हुई धारियां भी ऐसी लग रही है जैसे खड़े लंड पर उभरी हुई नसें होती हैं।
मैंने कहा, “हां असलम रबड़ का ये लंड बिल्कुल असली लंड जैसा ही है और काम भी असली जैसा ही करता है, असली जैसा क्या असली से भी बढ़िया करता हैं।”
असलम लंड को उलट-पलट कर देख रहा था। मैंने फिर हंसते हुए कहा, “बस इसमें एक ही कमी है कि ये असली लंड की तरह गरम लेसदार पानी नहीं छोड़ता।”
मैंने असलम के हाथ से रबड़ का लंड लेते हुए कहा, “लाओ मुझे दो, मैं दिखाती हूं कैसे ये असली लंड से भी ज्यादा मजा देता हैं।”
ये बोल कर मैंने लंड के नीचे से बटन दबा कर लंड का वाईब्रेटर चालू किया और लंड वापस असलम के हाथ में पकड़ते हुए बोली, “देखो इसमें क्या हो रहा है। यही काम जब ये चूत के अंदर या गांड के अंदर करेगा तो सोचो औरत की चूत या गांड का क्या होगा, कैसा मजा आएगा।”
असलम लंड का कम्पन महसूस करते हुए हैरान हो रहा था।
मैंने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, “असलम मैंने शादी नहीं की। जवानी में बहुत लंड लिए। मगर कभी किसी रात को अगर चूत में खुजली मच जाये और मर्द आस-पास ना हो तो औरत क्या करे? तब ये लंड काम आता है। मैं भी इसी को चूत में डाल कर मजा लेती रही हूं। अब भी लेती हूं। चूत के मजे के लिए मैं ना कभी मर्द के लंड की मोहताज रही ना अब हूं।”
असलम रबड़ का लंड वापस मेरे हाथ में देता हुआ बोला, “मैडम ये तो कमाल के चीज है। सच ही चूत के अंदर डाल कर अगर ये ऐसा कम्पन करेगा तो चूत तो एक-दम ही पानी छोड़ देती होगी।”
मैंने जवाब दिया, ” बिल्कुल असलम इसके अंदर डालने से और वाईब्रेटर चालू करने से चूत जल्दी पानी छोड़ देती है और मजा भी बहुत ज्यादा आता है।”
फिर मैंने असलम से कहा, “असलम ऐसा ही एक लंड मैं नसरीन को देने वाली हूं जब तुम लोग कल या परसों यहां आओगे।”
फिर मैंने असलम के कंधे पर हाथ रख कर कहा, “ये तो एक तरह का है। मेरे पास अलग-अलग तरह के तीन हैं। एक चूत का दाना चूसने वाला, एक ये वाला जो तुम्हारे हाथ में है, और एक है जो गांड, चूत दोनों में जाता है और साथ ही चूत का दाना भी चूसता है।”
असलम बस इतना ही बोला, “कमाल है ये तो।”
मैंने फिर कहा, “असलम इससे से भी बड़ा एक कमाल और भी है।”
असलम मेरी तरफ देखने लगा।
मैंने ही कहा, “असलम ये रबड़ का लंड मैं तुम्हारे अम्मी नसरीन को भी दिखा चुकी हूं और नसरीन इन्हें अपने गांड, चूत में डाल कर के मजा भी ले चुकी है।”
मेरी ये वाली बात सुन कर असलम जरा सा कुर्सी पर हिला, और साथ ही अपना लंड भी पेंट में जरा सा हिला दिया।
मैंने असलम से कहा, “मैं कोशिश करूंगी कि कल ही दो नए लंड आ जाये। इस लंड से अगले साइज़ के – बिल्कुल तुम्हारे लंड जितने मोटे और उतने ही लम्बे, एक नसरीन के लिए और दूसरा मेरे लिए।”
और फिर मैंने धीरे से कहा, “अब नसरीन को तुम्हारे लंड से छोटे साइज़ के लंड से क्या मजा आएगा। सही पूछो तो मेरा भी वही हाल है, मुझे भी अब तुम्हारे लंड के साइज का ही लंड चाहिए।”
असलम अब थोड़ा निश्चिन्त सा लग रहा था।
मैंने फिर कहा, “कल या परसों जब भी तुम लोग दुबारा यहां आओगे तो वो लंड नसरीन को दूंगी। फिर तो ठीक है? फिर तो तुम्हें नहीं लगेगा कि अगर नसरीन, तुम्हारी अम्मी को जब कभी भी लंड की तलब लगेगी तो वो क्या करेगी?”
“उसके पास अपना खुद का एक लंड होगा। उसे चूत का पानी छुड़ाने के लिए तुम्हारे लंड कि जरूरत नहीं होगी। तुम मस्त हो कर अपनी नई नवेली बीवी की चूत चूसना, गांड चाटना और उसकी चुदाई करना।”
असलम ने मेरी और देखा और मुस्कुराया। साथ ही असलम ने अपना खड़ा होता हुआ लंड पेंट में ठीक से बिठाया और बोला, “मैं सब कुछ समझ गया डाक्टर मैडम, अब मैं चलता हूं।”
असलम के चेहरे से ही लग रहा था कि मेरी इन बातों से उसे बड़ी तसल्ली हुई थी। उसे लग रहा था कि उसका अपना लंड अगर उसकी अम्मी की चूत में ना भी गया तो भी अम्मी चुदाई का मजा ले सकेगी – इस खासमखास कम्पन करने वाले लंड से।
मैंने उठी और असलम के साथ बाहर चल पड़ी, “चलो मैं तुम्हें बाहर तक छोड़ आती हूं। ड्राइवर तुम्हें होटल छोड़ देगा। तुम और नसरीन सुबह ग्यारह बजे तक यहां आ जाना।”
चलते चलते मैंने असलम से पूछा, “वैसे असलम तुम और कितने दिन और हो कानपुर में?”
असलम बोला, “अम्मी तो यहां का काम खत्म होने के बाद चली जाएगी, मैं उसके बाद भी दो तीन दिन रुकूंगा, मुझे दुकान का कुछ सामान लेना है।”
मैंने असलम को अपना कार्ड देते हुए कहा, “असलम इस कार्ड पर मेरा नबर लिखा है। फोन करके एक बार और आना यहां।”
असलम की हसरत भरी नजरें मेरे चेहरे से होती हुई एक बार मरे मम्मों पर टिकीं और सीधा मेरी चूत पर जा कर रुक गयी। असलम ने बस यही कहा, “जी जरूर आऊंगा। अच्छा चलता हूं नमस्ते।”
और वो चला गया मगर जाते हुए भी अपना लंड दुबारा से पेंट में ठीक करना नहीं भूला।