हेलो दोस्तो कैसे है आप लोग हाज़िर हू आपके सामने एक नयी सॅकी कहानी लेके. तो इश्स कहानी की मैं हेरोयिन है मेरी मम्मी और हीरो है मेरे बड़े पापा. जानिए कैसे मैने अपनी मम्मी को बड़े पापा से चुड़वते देखा.
मेरे घर मे 3 लोग मई मेरे पापा और मम्मी वैसे हमारी आधी फॅमिली गाओं मे रहती है. गाओं मे मेरी दादी बड़े पापा बड़ी मम्मी और उनके बाकछे रहते है. बड़े पापा कभी कभी सहर आते है खेत के लिए समान लेने. मेरे पापा रेलवे मे टते है तो वो जाड़ा टाइम घर पे नही रहते, मम्मी हाउसवाइफ है.
अब ज़्यादा टाइम ना वेस्ट करते हुए कहानी पर आता हू..
बात अभी कुछ 2 महीने पहले एप्रिल की है. बड़े पापा गाओं से आए हुए थे कुछ काम से और पापा भी बाहर थे. मम्मी अपना घर का काम कर रही थी. डोफेर का टाइम था.
बड़े पापा खेत के समान का ऑर्डर देने गये और मई अपने रूम मे बैठा ग़मे खेल रहा था, मम्मी ने मुझे आवाज़ दी की-
मम्मी – बेटा मई नहाने जेया रही हू बड़े पापा आए तो उन्होने खाना दे देना.
मैने ठीक है बोल दिया.
कुछ टाइम बाद घर का मैं गाते ओपन हुआ और कोई आया. मैने देखा तो बड़े पापा था उनको खाने के लिए पूछा. तो उन्होने कहा के फ्ले वो नहाएगा. मैने ठीक है बोल के रूम मे चला गया.
मेरे रूम से हॉल दिखता है और हमारा बातरूम हॉल मे ही है. बड़े पापा हॉल मे बैठे थे इतने मे मम्मी नहा के निकली. उन्होने सिर्फ़ अपने बालो मे टवल्ज़ लपेट र्खा था नीचे से पूरी नंगी थी. उनको लगा के बड़े पापा अभी घर मे नही होंगे और मई भी अपने रूम मे होऊँगा इसीलिए वो ऐसे ही निकल आई बातरूम से.
तभी बड़े पापा की नज़र मम्मी पर पड़ी, उनके बदन पर पानी की बूंदे थी वो बूंदे जब उनकी 38 की चुचियों से बह के नीचे उनकी सॉफ बिना बालो वाली छूट पर जा रही थी. तो मम्मी एकद्ूम रंडी की त्रहा ल्ग रही थी.
बड़े पापा तो मम्मी को देखते रह गये. मम्मी ने जबा बड़े पापा को देखा तो वो जल्दी से बातरूम के अंदर चली गई और फिर टवल पहन के भर आई और बोली-
मम्मी – सॉरी जेठ जी मुझे पता न्ही था के आप आ गये थी मुझे माफ़ कर दीजिए.
बड़े पापा – कोई बात नही सरिता वैसे भी मैने कुछ नही देखा (नॉटी स्माइल के साथ कहा).
मम्मी- भी मुस्कुरा के बोला आप नहा लीजिए मई खाना लगती हू.
तभी बड़े पापा बातरूम गये और नहा के वापस आए. मम्मी ने उनका खाना टेबल पर लगा दिया था. बड़े पापा अपने कपड़े सूखा के आए और खाना खाया फिर अपने रूम मे चले गये. तभी मम्मी को याद आया के उन्होने अपनी ब्रा और पनटी वही बातरूम मे चोर दिया था, वो उनको लेने गई.
लेकिन वो वाहा नही थी, मम्मी ने सोचा के शायद बड़े पापा ने कही रख दी हो. तभी वो बड़े पापा के रूम की तरफ गई और उनको आवाज़ दी. बड़े पापा ने पूछा क्या हुआ? पहले तो मम्मी तोड़ा हिचकिचाना फॉर बड़े पापा के बोलने पर उन्होने पूछा की-
मम्मी – जेठ जी मेरे कुछ कपड़े बातरूम रह गये थे अपने देखे है क्या?
बड़े पापा – है मुझे लगा वो ढोने वेल इसलिए हुँने धो दिए रूको देता हू.
मम्मी अब शरम से पानी पानी हो गयी थी.
तभी बड़े पापा ने उनको पनटी और ब्रा दी. मम्मी ने जैसे हाथ आयेज बाध्या तभी बड़े पापा ने अपना हाथ पीछे कर दिया, मम्मी को स्माइल देने ल्गे. फिर उन्होने मम्मी से पूछा के सरिता यह बताओ इसको क्या कहते और कहा पहनते है?
मम्मी भी बड़े पापा के इरादे समझ गई थी और उनके साथ नाटक करने ल्गी.
मम्मी – ये क्या बोल रहे जेठ जी मुझे मेरे कपड़े दीजिए.
बड़े पापा – कपड़े तो मिल जाएँगे पहले मेरे सवाल का जवाब तो दो.
मम्मी तोड़ा हिचकिचाते और शरमाते हुए इसको ब्रा बोलते है और इसको सीने पर रहते है और यह पनटी है इसको नीचे.
बड़े पापा अक्चा कैसे पहना ज़रा है वो भी बीटीये दो? मम्मी ने बोला मई आपकी छोटे भाई की बीवी हू. आप कैसी बाते कर रहे है? मम्मी नाटक कर रही थी, वो भी बड़े पापा से छुड़वाने चाहती थी.
तभी बड़े पापा बोले संजय तो हमेशा घर से भर रहता है, वो क्या अपना पति होने का धरम निबटा है जो तुम निभा रही हो.
बड़े पापा इतने मे मम्मी के क्लोज़ आ गये और उनकी मोटी गांद को दबाने लगे. पहले मम्मी ने उनको रोकना चाहा लेकिन फिर मम्मी ने कहा पहले गाते तो बंद कर लीजिए ना.
अब बड़े पापा को ग्रीन सिग्नल मिल गया था. बड़े पापा ने जल्दी से रूम का परदा लगा दिया और फिर मुझे सिर्फ़ आवाज़े आ रही थी. तभी मेने कपड़े को हल्का सा खोला और अंदर देखा की, मम्मी और बड़े पापा बेड पे लेते हुए थे.
मम्मी ने अपना सर बड़े पापा के सीने पे रखा हुआ था और बड़े पापा सिर्फ़ पेंट मई थे उनका चेस्ट कमाल का लग रहा था, बॉडीबिल्डिंग करते थे ना इसलिए. मम्मी ने कपड़ो मे ही थी और मम्मी का चेहरा उदास था. बड़े पापा मम्मी को सहला रहे थे.
देखो सरिता मई जनता हू के संजय के ना रहने से बहुत उदास और अकेली हो गयी हो पर अब चिंता ना करो मई हू ना तुम्हे खुश रखूँगा हमेशा. बड़े पापा मेरे पापा के बारे मे बोल रहे थे
जेठ जी, मई क्या करू कुछ साँझ मई नही आ रहा. मेरे जज़्बात मेरे काबू में नही है. क्या मई आप के साथ ये सब कर के कोई ग़लती तो नही कर रही हू ना. मम्मी ने कहा. तो बड़े पापा ने कहा, नही सरिता तुम कोई ग़लत नही कर रही हो, तुम्हे भी प्यार करने का हक़ है. क्या मई तूमे अछा नही लगता हू, तो मम्मी ने कहा नही आप तो बहोट अच्छे है, जेठ जी..
तो बड़े पापा बोले, सरिता अब तुम मूज़े जेठ जी मत कहो, अकेले मई सिर्फ़ मूज़े मेरे नाम से ही बुलाओ, मई तुम्हे दुखी नही देख सकता. चलो छोड़ो सब, आओ तोड़ा प्यार करे, बड़े पापा मम्मी का मुँह अपनी और कर के उनके गुलाबी होंठो को अपने होंठो मई ले लिया और चूसने लगी. पहले पहले मम्मी ने समर्थन नही किया फिर वो भी हल्के से अपना मुँह हिलने लगी.
मेरे लिए ये दृश्या ज़िंदगी मई पहली बार था मेरी मा किसी गैर मर्द के साथ देह सुख ले रही थी. पर अच्छा लग रहा था. मेरे लंड में गुदगुदी सी होने लगी. वेसए मेने कई बार रात मई मम्मी और पापा की चुदाई देखी थी पर इस बार पापा नही थे बड़े पापा थे. देखता हू मम्मी कितनी आयेज तक जाती है.
अब बड़े पापा के हाथ धीरे धीरे मम्मी के बदन पे रेंगने लगे. मम्मी की आँखे बंद थी वो सिर्फ़ मज़े से बड़े पापा के होन्ट चूस रही थी.
बड़े पापा कुरती पे से ही मम्मी के बूब्स अपने सख़्त हाथो से दबाने लगे. इसके बाद मम्मी अपनी टाँगे उपर नीचे करने लगी. बड़े पापा ने पीछे से मम्मी की कुरती के हुक खोल दिए और कुरती को मम्मी के बदन से अलग कर दिया.
मम्मी का गोरा बदन ब्रा मई क़ैद था, मम्मी के भररोदर वक्ष देख के बड़े पापा पागल की तरह मम्मी के बदन को चाटने लगे.
अब मम्मी की साँसें उपर नीचे होने लगी. फिर बड़े पापा ने मम्मी की लग्गिंगस खींच के निकल दी. और ब्रा भी मम्मी ने अपने वक्षो के अपने हाथ से धक लिया बड़े पापा ने प्यार से मम्मी के हाथ खोल दिए, आआहह, क्या रसीले बूब्स थे मम्मी के मोटे मोटे ब्राउनिश निपल थोड़े कड़क नुकीले, बड़े पापा पागलो की तरह बूब्स पे टूट पड़े.
और धीरे से मम्मी की पनटी खींच दी मम्मी अब पूरी नगञा अवस्था मई थी. बड़े पापा ने भी अपनी पेंट निकल दी, वो सिर हाफ थाइ ट्रंक मई थे. मम्मी की छूट बिना बालो के एकद्ूम चिकनी लग रही थी. बड़े पापा ने अपने मुँह से आचे से चाट के उसका रस पीने लगे.
मम्मी उत्तेजना मई आआअहह, उई मा., करने लगी. अब बड़े पापा घुटनो के बाल खड़े हो गये और अपना ट्रंक नीचे खिसका दिया, ऊहह, पूरा टाइट लंड नही था फिर भी काफ़ी बड़ा नज़र आ रहा था.
उन्होने मम्मी को अपने लंड की और इशारा किया तो मम्मी समझ गयी और नीचे झुक के लंड को पहले हाथ से सहलाया फिर उसकी फॉरेस्किन हटाई तो गुलाबी टोपा जो काफ़ी फूला हुआ था निकल आया. अब मम्मी टोपे को चूसने लगी. जेसे जेसे मम्मी अपने मुँह चलती लंड और बड़ा होता जाता. मेने अपनी ज़िंदगी मई पहली बार लिव इतना बड़ा लोड्ा देखा था.
पापा के लंड से तो काफ़ी बड़ा और मोटा भी था. बड़े पापा मस्ती मई, अजीब अजीब आवाज़े निकल रहे थे. फिर बड़े पापा ने मम्मी को पीठ के बाल लिटा दिया और उनकी टाँगो को अपने हाथ मई पकड़ा और लंड को छूट के मुंहने सेट किया. मम्मी की उत्तेजना बढ़ती ही जेया रही थी. अब तक तो एक बार उनकी छूट पानी छ्चोड़ चुकी थी. फिर से रेडी थी.
बड़े पापा अब धीरे धीरे लंड को छूट मई डाल के हिला रहे थे. लंड छूट मई कितना गया था ये मूज़े नही दिख रहा था पर मम्मी को पहले पहले बड़ा दर्द हुआ था. फिर मज़े मई आवाज़ें निकल रही थी. धीरे धीरे बड़े पापा की स्पीड बढ़ती ही जेया रही थी. मेने अपनी चैन खोली और लंड बाहर निकल के हिलने लगा.
अब बड़े पापा ने अपनी स्टाइल बदल ली, मम्मी को साइड कर दिया और वो पीछे से मम्मी की एक तंग को उठा के घपा घाप छोड़ने लगे. कमाल की स्फूर्ति थी. पापा को तो मेने पाँच दस मिंट से ज़्यादा टिकते नही देखा.
मम्मी भी चुदाई के नशे मई फुल मज़े ले रही थी और आवाज़ो पे आवाज़े निकल रही थी बड़े पापा भी उत्तेजना मई बड़ी बड़ी गुर्राहट निकल रहे थे.
मेरा वीर्या निकल गया पर बड़े पापा का चालू था. फिर वो मिशनरी पोज़िशन मे आ गये और छोड़ने लगे, लगभग एक घंटे बाद एक गुर्राहट के साथ मम्मी की छूट मे स्लखित हो गये और एक दूसरे से लिपट के साँसें लेने लगे.
आयेज की कहानी नेक्स्ट पार्ट मे.
अपने मेसेज मुझे इश्स ए-मैल पर सेंड करे – आर्या.01217@गमाल.कॉम
थॅंक योउ.