ही फ्रेंड्स मेरा नाम समीर है. मैं उप का रहने वाला हू. मेरी उमर 29 साल है, और मैं शादी-शुदा आदमी हू. 2 साल पहले मेरी शादी हुई थी, और अभी तक हमने बच्चे का प्लान नही किया है.
ऐसा इसलिए है, क्यूंकी मुझे छूट की बहुत भूख है, और मैं अपनी बीवी को प्रेग्नेंट करके अपना मज़ा खराब नही करना चाहता. मैं नही चाहता की वो जल्दी प्रेग्नेंट हो, और मुझे उसको छोड़ने को ना मिले.
मेरी हाइट 5’11” है, और लंड मेरा 8 इंच का है, और काफ़ी तगड़ा भी है. ये कहानी मेरे और मेरी पड़ोस वाली आंटी के बीच हुए सेक्स की है. तो चलिए शुरू करते है कहानी.
मैं और मेरी बीवी मेरी जॉब ट्रान्स्फर की वजह से किसी दूसरी जगह पर शिफ्ट हुए थे. हमने किराए पर एक घर लिया था. सारा समान शिफ्ट करने के बाद हम कुछ दीनो में ही वाहा पर सेट्ल हो गये. फिर एक दिन मैं काम से आया, तो मेरी बीवी ने मुझे बताया-
बीवी: सुनिए जी.
मैं: हा बोलो.
बीवी: ये पोदोस वाली आंटी रोज़-रोज़ आती है कहने की अपनी बिजली वाली तार हटाओ. मैने इसको कितनी बार माना किया है, लेकिन फिर आ जाती है.
आक्च्युयली मुद्दा ये था की हमारी बिजली वाली तार उसकी दीवार के साथ लगती थी. और ये एलेक्ट्रिसिटी बोर्ड वालो ने ही ऐसे लगाई थी. वो आंटी दूसरे पड़ोसियों को भी यही बोल-बोल कर परेशन करती रहती थी. फिर मैने अपनी बीवी से कहा-
मैं: यार तुम चिंता मत करो. ये आंटी लोगों का काम ही यही होता है. काम-काज होता नही कुछ, और दूसरो को परेशन करती रहती है. अगर दोबारा बोले तो मुझे बताना. फिर मैं बात करूँगा.
बीवी: ठीक है.
फिर एक हफ्ते बाद बीवी ने फिरसे मुझे वही बात बोली. मैने सोचा चल के देखु तो सही की कों सी आंटी थी वो, और क्या प्राब्लम थी उसकी. ये सोच कर मैं साथ वाले घर के बाहर गया, और उनकी बेल बजाई. अंदर से एक 20-22 साल का लड़का निकला. उसने पूछा-
लड़का: जी बताइए.
मैं: तुम्हारी मम्मी है?
लड़का: जी वो तो बाहर गयी है, कल आएँगी.
मैं: अछा वो आए तो उनको बोलना की मिलने आए हमारे घर.
लड़का: जी ठीक है.
अगले दिन सनडे था, और मेरी बीवी सुंदर सुबा से शाम तक सत्संग में रहती है. वो सुबा 9 बजे चली गयी. फिर 9:30 बजे हमारे घर की बेल बाजी. मुझे लगा मेरी बीवी कुछ भूल गयी होगी, और वही लेने वापस आई होगी. लेकिन ऐसा नही था.
मैं गाते पर गया, तो देखा सामने एक 45-50 साल की गड्राई हुई औरत खड़ी थी. उसका रंग गोरा था, और बाल कलर किए हुए थे. बड़े-बड़े चूचे थे, और ढीला पेट था. सबसे बड़ी गांद थी, जो तगड़ी लग रही थी. उसने सारी पहनी हुई थी. फिर मैने उससे पूछा-
मैं: जी बोलिए.
आंटी: आपने बुलाया था मुझे मिलने को.
मैं: जी मैने बुलाया था? मैं तो आपको जानता भी नही.
आंटी: बेटा मैं तुम्हारी पड़ोसन हू.
मैं: अछा-अछा, आंटी आप. आइए अंदर आइए.
फिर मैं उसको अंदर ले आया, और उसको सोफा पर बिताया. उसके बाद मैं किचन से कुछ पीने के लिए लेके आया, और उनको दिया. आंटी मुझे बोली-
आंटी: तुम्हारी बीवी कही दिखाई नही दे रही?
मैं: जो वो सत्संग जाती है हर सनडे.
आंटी: अची बात है. बताओ फिर क्यूँ बुलाया था.
मैं: मेरी बीवी ने बताया था की आप बिजली की तार की कंप्लेंट करती है बार-बार. वैसे इसमे कोई दिक्कत तो नही है. लेकिन आपको क्या प्राब्लम हो रही है?
आंटी मेरी बात सुनते ही रोने लग गयी. मैं ये देख कर हैरान हो गया, की वो रो क्यूँ रही थी. फिर मैने उनसे पूच-
मैं: आंटी आप रो क्यूँ रही हो?
आंटी: बेटा काफ़ी साल पहले तुम्हारे अंकल ऐसी ही तार से करेंट लगने की वजह से मॅर थे. मैं नही चाहती की वैसा ही किसी और के साथ भी हो.
तभी मैं उनके पास जाके बैठा, और उनको बोला-
मैं: आंटी ज़िंदगी और मौत तो उपर वाले के हाथ में है, इस्पे किसी का ज़ोर नही चलता.
मेरी बात सुन कर आंटी ने रोते हुए मुझे गले से लगा लिया. जैसे ही उसने मुझे गले लगाया, उसके बूब्स मेरी छ्चाटी से टच हुए. आंटी के बूब्स टच होते ही मेरी बॉडी में करेंट सा लगा. मैं आंटी की पीठ पर हाथ फेरने लगा, और मेरा लंड खड़ा होने लगा.
तभी मुझे पता नही क्या हुआ, मैने आंटी का फेस पकड़ा, और अपने होंठ उनके होंठो से चिपका दिए. ऐसे अचानक से किस करने से आंटी कुछ समझ नही पाई. कुछ सेकेंड्स तक तो उन्होने कुछ नही किया, लेकिन फिर मुझे धक्का देके पीछे हटता दिया. फिर आंटी गुस्से से बोली-
आंटी: सेयेल तर्की, शरम नही आती ऐसा करते हुए.
मैं: सॉरी आंटी, लेकिन मुझे पता नही क्या हो गया था.
आंटी ने और कोई बात नही की, और वाहा से चली गयी. मैं फिर बैठा सोचने लगा की मुझे क्या हो गया था. फिर जब मैने आँखें बंद की, तो मेरी आँखों के सामने आंटी का भर हुआ जिस्म आने लगा, और मेरा लंड फिरसे खड़ा हो गया.
मेरा दिल आंटी को छोड़ने का करने लगा, लेकिन वो तो नाराज़ होके चली गयी थी. फिर कुछ दिन ऐसे ही बीट गये. अगले सनडे फिरसे मेरी बीवी सत्संग पर गयी. सुबा 10 बजे के पास डोरबेल बाजी. जब मैने देखा, तो बाहर आंटी खड़ी थी. मैने दरवाज़ा खोला, और पूछा-
मैं: आंटी आप. आप यहा कैसे?
आंटी: बेटा मैं उस दिन के लिए सॉरी कहने आई हू. मुझे ऐसा बिहेव नही करना चाहिए था तुम्हारे सॉरी बोलने पर भी.
मैं: कोई बात नही आंटी, मैने भी तो बदतमीज़ी की थी.
फिर आंटी अंदर आई, और मैने उनको सोफा पर बिताया. आज आंटी ने ब्लॅक सारी पहनी थी ब्लॅक ब्लाउस के साथ. उस रंग की सारी में वो मस्त बॉम्ब लग रही थी. मेरा लंड फिरसे आंटी को देख कर खड़ा होने लगा था. फिर मैने आंटी को कोल्ड ड्रिंक सर्व की, और उनके सामने जाके बैठ गया.
आंटी बोली: वैसे हो क्या गया था तुम्हे उस दिन.
मैं: पता नही आंटी. आप काफ़ी एमोशनल हो गयी थी, और मुझे लगा यही सही रहेगा. तो बिना सोचे मैने आपको किस कर दिया. ई आम सॉरी, आपको बहुत बुरा लगा होगा ना.
आंटी: वैसे इतना भी बुरा नही लगा. तुम्हारे अंकल को गये बहुत टाइम हो गया. तो उस दिन अचानक किस होने से मैं बौखला गयी थी. वो भी क्या दिन थे.
मैं: लगता है आपने अंकल के साथ बहुत मज़े किए है.
आंटी: हा वो बहुत रोमॅंटिक थे. कही भी शुरू हो जाते थे. उस वक़्त मैं बहुत खूबसूरत थी. अब तो बुद्धि हो गयी हू.
मैं: बुरी तो आप अब भी नही हो आंटी.
आंटी: क्या बात कर रहे हो.
मैं उठ कर उनके पास बैठ गया, और बोला: आंटी आप तो अभी भी बहुत सेक्सी हो. देखो.
और ये बोल कर मैने अपने लंड की तरफ इशारा किया. फिर मैं बोला-
मैं: अगर आप चाहो तो हम वो सब कर सकते है जो अंकल और आप करते थे.
आंटी कुछ नही बोली, और मुझे देखती रही. उनके साइलेन्स को मैने हा समझा, और फिरसे अपने होंठ उनके होंठो के साथ जोड़ दिए. इस बार आंटी भी मेरा साथ देने लगी.
क्या रसीले होंठ थे आंटी के, एक-दूं टेस्टी. मैने किस करते हुए आंटी के ब्लाउस में हाथ डाल कर उनके चूचे बाहर निकाल लिए. फिर मैने किस तोड़ी, और एक-एक करके उनके चूचों को चूसने लगा. आंटी मदहोश होके कामुक आवाज़े निकाल रही थी. उनके निपल्स पिंक कलर के थे.
कुछ देर चूचे चूसने ने बाद मैने उनको खड़ा किया, और उनको नंगा कर दिया. आंटी की बॉडी थोड़ी ढीली थी, लेकिन सेक्सी बहुत थी. उनकी छूट क्लीन-शेव्ड थी, जैसे आज ही की हो, और छूट के होंठ लाल थे. फिर मैने आंटी को अपनी गोद में उठाया, और बेडरूम में ले गया. वाहा जाके मैने उनको लिटाया, और अपने कपड़े उतारने लगा.
मेरा लंड देखते ही आंटी ने लंड मूह में डाल लिया, और चूसने लगी. मैं उनके उपर 69 पोज़िशन में लेट गया, और वो मेरा लंड, और मैं उनकी छूट चूसने लगा. बड़ी जल्दी आंटी ने पानी छ्चोढ़ दिया. सालो की प्यासी छूट जो थी.
फिर मैं सीधा उनके उपर आया, और उनकी छूट में लंड डाल दिया. उन्होने चीखना शुरू किया, और मैने उनको छोड़ना. मैं शुरू से ही उनको ज़ोर-ज़ोर से छोड़ने लगा. आंटी की चीखें धीरे-धीरे कामुक आहों में बदल गयी.
मेरा लंड अंदर-बाहर हो रहा था, और गीली छूट से छाप-छाप की आवाज़ आ रही थी. आंटी झाड़ चुकी थी, लेकिन मेरा अभी बाकी था. मैने अपनी स्पीड बधाई, और चूचे चूस्टे हुए अपना पूरा लंड उनकी छूट में ही खाली कर दिया. फिर मैं उनके साथ ह1ई लेट गया.