पिछला भाग पढ़े:- मेरे घर आई थी एक सुंदर पारी-4
ही रीडर्स, मेरा नाम अजय है. और मैं उप का रहने वाला हू. ये मेरी कहानी का लास्ट पार्ट है. आशा करता हू, की आप सब ने कहानी के पिछले सभी पार्ट्स पढ़े होंगे. और ये भी आशा करता हू, की आपको अभी तक की मेरी स्टोरी अची लगी होगी. अगर आपको कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, तो इसको अपने दोस्तों के साथ ज़रूर शेर करे.
पिछले पार्ट में आपने पढ़ा था, की किंजल हॉस्टिल से वापस आ चुकी थी. वो बहुत सेक्सी बन चुकी थी, और मेरी नज़र उसके सेक्सी जिस्म पर जेया रही थी. लेकिन फिर मुझे अपने अंदर के बाप ने गिल्ट फील करवाया, और मैने अपनी सोच को बदला.
फिर जब मैं रात को पानी लेने निकला, तो मैने देखा विनोद (मेरा बेटा) किसी लड़की को छोड़ रहा था. मैने सोचा चुदाई देख कर मज़ा लेता हू, लेकिन मेरी आँखें तब फटत गयी, जब मैने देखा विनोद अपनी ही बेहन को छोड़ रहा था. अब आयेज चलते है.
अब विनोद अपना माल किंजल के मूह में निकाल कर बेड पर लेट गया. किंजल उसका सारा माल पी गयी, और उसके साथ लेट गयी. विनोद तक चुका था, और वो सो गया. लेकिन किंजल की छूट की प्यास शायद नही बुझी थी. वो अपनी छूट में उंगली डाल कर मज़ा ले रही थी.
कुछ देर फिंगरिंग करने के बाद किंजल ने अपने कपड़े पहने, और बाहर की तरफ आने लगी. मुझे समझ नही आ रहा था, की मैं क्या करू, मतलब वही रुकु या चला जौ. अभी मैं ये सोच ही रहा था, की तब तक किंजल ने दरवाज़ा खोला, और बाहर आ गयी.
मुझे सामने खड़ा देख कर वो हैरान हो गयी, और बोली-
किंजल: पापा आप? आप यहा क्या कर रहे है?
मैं: ये सवाल तो मुझे तुमसे पूछना चाहिए था. की तुम यहा क्या कर रही हो? और अंदर क्या चल रहा था.
किंजल आटिट्यूड में बोली: पापा आप बच्चे तो नही है, जो मैं आपको बतौ की अंदर क्या चल रहा था. आपने देख ही लिया है तो ठीक है. अब च्छूप कर नही करना पड़ेगा कुछ.
मैं: किंजल तुम अपने भाई के साथ ऐसे कैसे कर सकती हो?
किंजल: पापा सिर्फ़ मैं नही, वो भी मेरे साथ मज़े ले रहा था. आपका शरीफ बेटा, मुझे कूद-कूद कर छोड़ता है. मैने तो आपको तब भी बोला था, की मेरे साथ कर लो. लेकिन आप ही नही माने.
किंजल: फिर आपने मुझे हॉस्टिल भेज दिया, और वो भी गर्ल्स हॉस्टिल. वाहा पर गाजर मूली ले-ले कर मैं तंग आ गयी थी. अब कम से कम मेरा भाई है मुझे मज़ा देने के लिए.
मैं: तू कितनी बेशरम हो गयी है बेटी.
किंजल: इसमे बेशर्मी काहे की? ये तो…
अभी वो बोल ही रही थी, की उसकी नज़र दरवाज़े के पास गिरे मेरे माल पर पड़ी. वो बोली-
किंजल: ये क्या है (सोचते हुए).
और ये बोल कर उसने नीचे बैठ कर माल को हाथ में लेके सूँघा.
किंजल: अर्रे ये तो स्पर्म है. आप बाहर थे, मतलब ये आपका. अछा! और मेरे सामने भोले बन रहे हो. ये आपने ही निकाला है ना यहा मेरी चुदाई देख कर. वाह! बगल में च्छुरी, और मूह में राम-राम.
अब मैं कुछ बोल नही पा रहा था. मैने अपना सर झुका लिया. लेकिन किंजल ने इस पुर सीन को ही बदल दिया.
किंजल: मैने तो तब भी कहा था, की मुझे प्यार कीजिए, और अब भी कह रही हू.
ये सुन कर मैने उसकी तरफ देखा. देखते ही देखते वो अपने घुटनो पर बैठ गयी, और मेरा पाजामा खोल कर मेरा लंड बाहर निकाल लिया. शायद मैं भी यही चाहता था, इसलिए मैने उसको कुछ नही कहा.
उसने लंड हाथ में लेके मेरी तरफ कामुक निगाहों से देखा, और स्माइल करी. फिर उसने मेरे लंड को अपने मूह में डाल लिया, और उसको ज़ोर-ज़ोर से चूसने लग गयी.
कितना मज़ा आ रहा था दोस्तों मैं बता नही सकता. कभी आप भी कोशिश करके देखना, की बेटी को लंड चुसवाने में कितना मज़ा आता है.
फिर मैने अपनी कमर हिला कर उसके मूह में धक्के देने शुरू कर दिए. मेरे लंड का साइज़ विनोद के लंड के साइज़ से बड़ा था, और किंजल इससे इंप्रेस हो गयी थी. वो लगातार लंड चूस्टी जेया रही थी, और उसको थूक से पूरा गीला कर दिया था.
अब मुझसे रहा नही जेया रहा था. मैने उसके मूह से लंड निकाला, और उसके बाल पकड़ कर उसको खड़ा किया. उसने त-शर्ट और पाजामा पहने हुए थे. मैने उसको कमर में हाथ डाल कर उसको किस करना शुरू कर दिया.
साथ में मैं उसकी गांद दबाने लग गया. क्या सॉफ्ट गांद थी उसकी. उसकी गांद को छूने का बहुत आनंद आ रहा था. मैने किस करते हुए ही उसका पाजामा और पनटी दोनो नीचे कर दिए. फिर मैं हाथ पीछे ले-जेया कर उसके चूतड़ खोल कर उसकी छूट रगड़ने लगा.
वो अब गरम हो चुकी थी, और ये उसकी वाइल्ड किस्सिंग से पता चल रहा था. फिर मैने उसको अपनी बाहों में उठाया, और वही हॉल में सोफा पर ले गया. मैने उसको सोफा पर बिताया, और उसकी टांगे खोल दी. खुद मैं नीचे बैठ गया.
आज मेरी बेटी की खूबसूरत छूट मेरे सामने थी. कितनी देर से हम आँख-में-चोली खेल रहे थे, लेकिन आज सब सॉफ था. मुझे अपनी बेटी को छोड़ना था. मैने अपना मूह उसकी छूट पर लगाया, और उसको चाटना शुरू कर दिया. आज मैं अपनी ही बेटी की छूट का रस्स पी रहा था.
मैं जीभ डाल-डाल कर उसकी छूट का मज़ा ले रहा था, और उसको छोड़ रहा था. इतने में किंजल ने अपनी त-शर्ट और ब्रा भी उतार दी, और मज़े से अपने बूब्स मसालने लग गयी.
कुछ देर उसकी छूट चूसने के बाद मैने उसको सोफा पर लिटाया, और उसके उपर आ गया. मैने भी अपने बाकी के कपड़े उतार दिए, और उसकी छूट पर लंड रगड़ने लग गया. वो आहें भर रही थी. फिर मैने लंड उसकी छूट के मूह पर सेट किया, और ज़ोर के झटके से पूरा लंड उसकी छूट में घुसा दिया.
उसकी ज़ोर की चीख निकली, क्यूंकी उसने इतना बदल लंड पहले कभी नही लिया था. मैने अपने होंठो से उसके होंठ ब्लॉक कर दिए, और उसको जानवरो की तरह छोड़ने लगा. बहुत मज़ा आ रहा था. एक तो बहुत वक़्त बाद मुझे किसी की छूट मिल रही थी, और दूसरा वो छूट मेरी ही बेटी की थी. ऐसा आनंद किसी-किसी को ही मिलता है.
10 मिनिट उसी पोज़िशन में छोड़ने के बाद मैने उसको घोड़ी बना लिया. अब उसकी क़ास्सी हुई गांद मेरे सामने थी. मेरी नज़र सीधे उसकी वर्जिन गांद के च्छेद पर गयी. मैने सोचा की छूट की सील तो मैं नही तोड़ सका, कम से कम गांद की तो तोड़ सकता हू.
ये सोच कर मैने उसकी गांद पर थूका, और उंगली डाल कर अंदर-बाहर करने लगा. वो बोली-
किंजल: पापा ये क्या कर रहे हो?
मैं: बेटा आज तुम्हारी दूसरी सील भी तोड़ देता हू.
किंजल: नही पापा, इसमे बहुत दर्द होगा.
मैं: बेटा पापा आराम से करेंगे.
फिर मैने एक से दो उंगलिया उसकी गांद में डालनी शुरू की. वो दर्द से आहह आ कर रही थी. अब मुझसे और नही रहा जेया रहा था. मैने उसको कस्स के जाकड़ लिया, और लंड च्छेद पर रख कर ज़ोर का धक्का मारा. उधर उसकी चीख निकली, और इधर मेरा आधा लंड उसके अंदर चला गया.
बहुत क़ास्सी गांद थी उसकी, और सील टूटने से खून निकालने लगा. लेकिन मेरे सर पर हवस सवार थी. मैं धक्के पे धक्का मारता गया, और वो चिल्लती गयी. उसकी आवाज़ पुर घर में गूँज रही थी. मुझे नही याद था, की विनोद अंदर सोया हुआ था.
किंजल की आवाज़ सुन कर विनोद जाग गया, और बाहर आ गया. हमे इस हालत में देख कर वो हैरान हो गया. फिर मैने उसको बोला-
मैं: आबे हैरान क्यूँ हो रहा है? जो तूने किया, वही मैं कर रहा हू. आजा तू भी फिरसे मज़ा लेले अपनी रंडी बेहन का.
ये सुन कर विनोद भी नंगा हो गया, और ज़मीन पर लेट गया. मैने किंजल को उसके लंड पर बैठने को कहा.
किंजल उसके लंड पर बैठ गयी, और फिर मैने लंड उसकी गांद में डाल दिया. अब किंजल की बंद बाज रही थी. आयेज से विनोद ने और पीछे से मैने उसको छोड़ना शुरू कर दिया.
हम दोनो बाप-बेटे अब उसको घर की बेटी नही, बल्कि किसी रॅंड की तरह छोड़ रहे थे. विनोद उसके बूब्स नोच रहा था, और मैं उसकी गांद पर थप्पड़ मार रहा था. हम दोनो बाप-बेटे कुत्तों की तरह उस लड़की को नोच कर खा रहे थे.
वो भी बिल्कुल कुटिया की तरह मज़ा ले रही थी चूड़ने का. थोड़ी देर हम दोनो ने किंजल को वैसे ही छोड़ा. फिर दोनो ने खड़े होके अपना माल उसके मूह और बूब्स पर डाल दिया. माल से किंजल की आँखें नही खुल रही थी, तो मैने उसके फेस पर मूट दिया. मुझे देख कर विनोद ने भी उस पर मूट दिया.
उस रात के बाद हमने किंजल को बहुत छोड़ा. अब वो किसी से शादी के लायक नही रही थी, तो मैने उसकी शादी विनोद से ही करवा दी. अब वो पूरी लाइफ हमसे चुड्ती रहेगी, क्यूंकी वो मेरी सुंदर पारी है.
तो यहा पर कहानी ख़तम होती है. मज़ा आया हो, तो इसको शेर ज़रूर करे.