ही दोस्तों, मैं कारण आपके सामने अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आया हू. अगर आपने पिछला पार्ट नही पढ़ा है, तो प्लीज़ पहले वो ज़रूर पढ़ ले.
पिछले पार्ट में आपने पढ़ा था, की मैं अपने दोस्तों के साथ एक मेले में गया था. वाहा अचानक रस्सी से आड कर मैं गिर पड़ा. फिर एक आंटी ने मेरी चोट पर दवाई लगाई.
आंटी चालू थी, तो मुझसे पट्ट गयी. फिर हम उसके तंबू के अंदर जाके किस करने लगे. अभी हम दोनो गरम हो चुके थे, लेकिन तभी बाहर से किसी की आवाज़ आई, और हम दोनो अलग हो गये. अब आयेज बढ़ते है-
आंटी ने जब बाहर देखा, तो बाहर कुछ लॅडीस कस्टमर्स थी. फिर आंटी ने पीछे देख कर मुझे वही रुकने का इशारा किया, और खुद बाहर कस्टमर्स को अटेंड करने चली गयी.
मैं 10 मिनिट वही वेट करता रहा. तब तक मुझे मेरे दोस्त की कॉल आ गयी. फिर मैने आंटी को अंदर से आवाज़ लगाई, तो आंटी अंदर आके बोली-
आंटी: हीरो यहा तो लोग आते-जाते रहेंगे. तो यहा तो कुछ नही हो पाएगा. तू अपना नंबर डेजा, मैं तुझे कॉल करूँगी.
फिर मैने एक पेपर पर अपना नंबर लिखा, और आंटी को दे दिया. उसके बाद मैं वाहा से निकल आया. सब लोग मेला घूम चुके थे, तो हम वापस अपने-अपने घर निकल गये.
अब मैं आंटी के फोन की वेट कर रहा था. लेकिन उनका कोई आता-पता नही था. फिर मैने सोचा क्यूँ ना आंटी को मेले में ही जाके मिल लू. मुझे लगा उनसे नंबर कही खो ना गया हो. ये सोच कर मैं दोबारा मेले में गया. लेकिन वाहा उनकी दुकान नही थी.
मुझे फील हुआ की आंटी टाइम पास करके चली गयी. लेकिन ऐसा नही था. अगले दिन मुझे एक अननोन नंबर से कॉल आई. मैने अननोन नंबर देख कर जल्दी से फोन पिक किया, और कॉल अटेंड की.
मैं: हेलो.
उधर से आवाज़ आई: हेलो.
ये किसी लेडी की आवाज़ थी, और मैं समझ गया था की ये आंटी ही थी.
मैं: बड़ी देर लगा दी आपने फोन करने में.
आंटी: अर्रे! तुमने पहचान लिया. मैं कोई और भी तो हो सकती हू.
मैं: नही हो सकती. हर किसी को अपना नंबर नही देता मैं.
आंटी: अछा जी, फिर किसको देते हो?
मैं: वो जो मेरे लिए स्पेशल होते है, और मेरे दोस्त होते है.
आंटी: तो मैं क्या हू, दोस्त या स्पेशल?
मैं: आप बहुत स्पेशल हो.
आंटी: क्या कर रहे हो?
मैं: बैठा हू.
आंटी: मुझे मिलने कब आओगे?
मैं: जब आप बुलाओगी मैं आ जौंगा.
आंटी: तो कल आ जाओ. मैं अपना अड्रेस भेज रही हू. पूरी तैयारी के साथ आना (और ये बोल कर उन्होने मुझे आँख मारने वाला एमोजी भेज दिया).
मुझे समझ आ गया था, की उनका तैयारी से क्या मतलब था. फिर भी मैने पूछा-
मैं: कों सी तैयारी आंटी?
आंटी: सब पता है तुझे. जान-बूझ कर ड्रामा ना कर.
मैं: हहा, ठीक है, मैं पूरी तैयारी के साथ अवँगा. आप भी बाल-वाल सब निकाल के रखना. मुझे क्लीन-शेव्ड पसंद है (और मैने भी ये बोल कर आँख मार दी).
आंटी: तू आ तो जेया. तुझे ऐसी जन्नत दिखौँगी, जैसा तूने सोचा भी नही होगा. चल बाइ.
मैं: बाइ.
आंटी की जन्नत वाली बात ने मुझे बहुत उत्तेजित कर दिया. फिर मैं मार्केट गया, और केमिस्ट शॉप से वियाग्रा की टॅब्लेट्स ले आया. अब बस अगले दिन का इंतेज़ार था. रात को भी सोने के लिए मुझे 2 बार मूठ मारनी पड़ी.
फिर अगले दिन मैं टाइम पर रेडी हो गया, और आंटी के घर की तरफ निकल पड़ा. मैं रास्ते में से कुछ चॉक्लेट्स ले गया, क्यूंकी खाली हाथ जाना अछा नही लगता.
मैं आंटी के घर पहुँचा, और बेल बजाई. अगले 1 मिनिट में दरवाज़ा खुला, और दरवाज़े के साथ ही मेरा मूह भी खुला का खुला रह गया. आंटी मेरे सामने एक गाउन पहने खड़ी थी सिल्वर कलर का. उनका गाउन उनकी जांघों से भी तोड़ा उपर था. उनकी लेग्स देख कर मेरे मूह में पानी आ गया.
एक-दूं क्लीन और मलाई जैसी लेग्स थी उनकी. दिल तो कर रहा था, की देखते ही चाट जौ. फिर आंटी बोली-
आंटी: अर्रे घूरते रहोगे या अंदर भी आओगे?
मैं: आंटी आपको देख कर तो बाकी सब कुछ भूल जाता है.
फिर मैने उनको चॉक्लेट्स दी. वो चॉक्लेट्स देख कर बहुत खुश हुई. फिर हम अंदर उनके ड्रॉयिंग रूम में गये. उनका घर काफ़ी अछा बना हुआ था. फिर आंटी बोली-
आंटी: कुछ लोगे?
मैं: आंटी मैं तो यहा एक ही चीज़ लेने आया हू, और वही लूँगा.
आंटी: मुझे पता था की तू यही कहेंगा.
ये बोल कर वो खड़ी हो गयी, और उन्होने अपना गाउन खोल दिया. ओह मी गोद! वो नीचे बिल्कुल नंगी थी. उनको देख कर मैं तो हक्का-बक्का रह गया. इतनी सेक्सी लग रही थी वो, की मैं क्या बतौ. फिर वो बोली-
आंटी: आजा लेले जो लेने आया था.
उनकी ये बात सुनते ही मैं खड़ा हुआ, और उनके होंठो से अपने होंठ मिला दिए. अब मैं उनके होंठो का रस्स पीने लग गया. वाह! क्या स्वाद था आंटी के होंठो का. आंटी भी पूरी हॉर्नी थी, और होंठ चूसने में बराबर की टक्कर दे रही थी.
उनके होंठ चूस्टे हुए मैं अपना एक हाथ उनके छूतदों पर ले गया, और उनके चूतड़ को मसालने लग गया. क्या मस्त सॉफ्ट चूतड़ थे उनके. ऐसा लग रहा था जैसे उन्होने अपने पुर जिस्म पर बॉडी लोशन लगाया था. दोस्तों किस करते हुए चूतड़ दबाने में बहुत मज़ा आता है. अगर आपने किया होगा, तो आपको ज़रूर पता होगा.
आंटी ने भी अपना हाथ जीन्स (मैने जीन्स और त-शर्ट पहनी थी) के उपर से मेरे लंड पर रख लिया, और उसको दबाने लग गयी. बड़ा स्वाद आ रहा था. तकरीबन 10 मिनिट तक हम लगातार एक-दूसरे के होंठो का रस्स पीते रहे.
इस दौरान मैने उनका चूतड़ दबा-दबा कर लाल कर दिया, और उन्होने लंड को पूरी तरह से खड़ा कर दिया. फिर हम अलग हुए, और मैने अपनी त-शर्ट और जीन्स उतार दी. आंटी ने भी अपनी निघट्य, जो उनके बदन पर सिर्फ़ लटक रही थी, उसको अपने जिस्म से अलग कर दिया.
हम फिर पास आए, और बदन से बदन जोड़ कर किस करने लगे. कुछ मिंटो की किस के बाद मैं नीचे गया, और आंटी के बूब को दबाते हुए मूह में डाल लिया. अब मैं ज़ोर-ज़ोर से आंटी के सेक्सी बूब्स को चूस रहा था. इससे वो मदहोश हो रही थी, और आ आ की सिसकियाँ भर रही थी.
पहले मैने उनके लेफ्ट बूब को छोड़ा, और फिर जब वो लाल हो गया, तो मैने रिघ्त वाले को चूसना शुरू कर दिया. आंटी मेरे सर को अपने बूब्स की तरफ दबा रही थी, और मुझे स्वर्गिक स्वाद का अनुभव दे रही थी.
फिर मैं नीचे घुटनो के बाल बैठ गया. अब आंटी की सेक्सी नाभि मेरे चेहरे के बिल्कुल सामने थी. मैने आंटी की जांघों पर अपने हाथ रखे, और उनकी नाभि में मूह डाल कर उसको चूसने-चाटने लगा. आंटी आ आ करने लगी.
जल्दी ही मैं उनकी नाभि से नीचे गया, और उनकी क्लीन-शेव्ड छूट पर अपना मूह लगा लिया. छूट पर मूह लगते ही आंटी ने एक कामुकता भारी आ भारी. क्या कमाल की खुश्बू आ रही थी आंटी की छूट में से. उनकी छूट की खुश्बू ने मुझे और उत्तेजित कर दिया.
अब मैं किसी प्यासे को जैसे पानी मिल गया होता है, वैसे उनकी छूट चूसने लगा. वो अपनी गांद हिला-हिला कर छूट चुसवाने का मज़ा ले रही थी. वो जितनी ज़ोर की आ भारती, मैं भी उनकी छूट को उतना ही ज़ोर से चूसना शुरू कर देता.
मैं ज़ोर-ज़ोर से छूट चूस्टा गया, और फाइनली उनकी छूट ने पानी छ्चोढ़ दिया. मैने एक बूँद पानी भी वेस्ट नही जाने दिया, और सारा का सारा पी गया. फिर मैं खड़ा हुआ, और अपना अंडरवेर उतार दिया. मेरा लंड पूरी तरह तन्ना हुआ था.
मेरा लंड देख कर आंटी खुश हो गयी. उन्होने मेरे लंड को हाथ में लिया, और मुझे खींच कर बेड तक ले गयी. फिर वो घुटनो के बाल बेड पर बैठी, और मेरे लंड को मूह में डाल कर चूसने लगी.
बड़ा अछा लंड चूस रही थी आंटी, जैसे कोई प्रोफेशनल हू. उन्होने लंड चूस-चूस कर थूक से चिकना कर दिया. फिर मैने लंड उनके मूह से निकाला, और उन्हे सीधी लेटने को कहा. मेरा हुकुम मानते हुए आंटी सीधी लेट गयी, और अपनी टांगे खोल कर मेरा स्वागत करने लगी.
मैं आंटी के उपर चढ़ा, और अपना लंड रगड़ते हुए उनकी छूट में डाल दिया. आह! बहुत गरम छूट थी उनकी. लंड अंदर डालते ही मैने धक्के मार कर आंटी को छोड़ना शुरू कर दिया. आंटी भी गांद उठा-उठा कर चुदाई का मज़ा ले रही थी.
आंटी की छूट से पानी नदी की तरह बह रहा था, और उनकी छूट मेरे लंड को जाकड़ रही थी. मैने भी ज़ोर-ज़ोर से उनकी छूट में धक्के लगाने शुरू कर दिए. साथ-साथ मैं उनके होंठ और निपल्स भी चूस रहा था.
15 मिनिट मैने आंटी को उसी पोज़िशन में छोड़ा. उसके बाद मैने उनको घोड़ी बना लिया. घोड़ी बन कर आंटी की गांद कमाल की लग रही थी. मैने लंड पीछे से छूट में सेट किया, और ज़ोर-ज़ोर से उनको छोड़ने लगा. आंटी आ आ करते हुए झाड़ रही थी.
मैने और ज़ोर लगाया, और मैं भी उनके साथ में ही झाड़ गया. मेरा माल अब आंटी के माल के साथ उनकी छूट से बाहर आ रहा था. उसके बाद मैं थोड़ी देर उनके साथ वैसे ही लेता रहा. फिर मैं वापस आ गया.
उस दिन के बाद भी मैने उनको काई बार छोड़ा. आज भी हम दोनो कॉंटॅक्ट में है.
दोस्तों कहानी का मज़ा आया हो तो मुझे गुलाटी.गुलाटी555@गमाल.कॉम पर अपनी फीडबॅक ज़रूर दे.