ही फ्रेंड्स, मैं हू अनुज. मैं वापस आ गया हू अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके. आशा करता हू, की आपको मेरी कहानी पसंद आ रही होगी. तो चलिए शुरू करते है.
पिछले पार्ट में आपने पढ़ा, की एक अंजान लड़की ने मुझे लंड हिलाते हुए देखा, और मुझे अपने साथ रूम में ले गयी. फिर मैने उसको दीवार के साथ चिपका कर उसकी छूट छोड़ी.
जब मेरा माल निकालने वाला था, तब मैने उसको बेड पर फेंक दिया, और फिर उसका मूह छोड़ कर अपने लंड के माल से भर दिया. अब आयेज की कहानी.
माल निकालने के बाद मैं वही बेड पर उसके साथ लेट गया. वो मेरा माल निगल चुकी थी, और तक गयी थी. मैं भी तोड़ा तक चुका था. लेकिन मैं इस मौके का पूरा फ़ायदा उठना चाहता था.
उसके सेक्सी जिस्म को देख कर 5 मिनिट में ही मेरा लंड खड़ा हो गया. फिर मैने उसको कहा-
मैं: गांद मरवाएगी.
वो बोली: नही, मैने सुना है इसमे दर्द बहुत होता है.
मैं: दर्द होता है, लेकिन मज़ा भी बहुत आता है. कहते है संपूरण औरत वही है जिसने छूट के साथ गांद भी मरवाई हुई है. तो बताओ, मरवावगी गांद?
वो मेरी बात सुन कर सोच में पद गयी. फिर वो बोली-
वो लड़की: पक्का ना?
मैं: हा.
वो लड़की: लेकिन जो दर्द होगा उसका क्या?
मैं: दर्द तो होना ही है. जब सील टूटी होगी, तब भी दर्द हुआ होगा?
वो लड़की: हा.
मैं: और अब मज़ा कितना आता है.
वो लड़की: बात तो सही है. चलो ठीक है फिर. करते है.
मुझे बस यही सुनना था. मैने उसको घोड़ी बनाया, और उसके पीछे आ गया. वो गांद बाहर निकाल कर बड़ी मस्त घोड़ी बनी हुई थी. उसकी सेक्सी गांद देख कर मेरा लंड और हार्ड हो गया.
गांद का टाइट च्छेद बहुत सेक्सी लग रहा था, एक-दूं काला-काला. मुझसे रहा नही गया, और मैने उसके चूतड़ पकड़ कर उसकी गांद में मूह डाल दिया.
मैं उसकी गांद के चियर को, और गांद के च्छेद को चाटने लग गया. वो मस्ती से आ आ करने लग गयी, और अपनी गांद हिलाने लग गयी.
कुछ देर गांद चाटने के बाद मैने उसके छूतदो पर ज़ोर-ज़ोर से थप्पड़ मारने शुरू कर दिए. मैं काफ़ी ज़ोर से थप्पड़ मार रहा था. और इससे वो ज़्यादा हॉर्नी हो रही थी. काफ़ी थप्पड़ खाने के बाद वो बोली-
वो लड़की: अब डाल दो ना मेरी जान.
फिर मैने अपने लंड पर थूका, और उसकी गांद के च्छेद पर सेट किया. मैने उसके च्छेद पर अपना लंड रगड़ना शुरू कर दिया. इससे वो मदहोश होने लग गयी, और सिसकारियाँ लेने लग गयी.
मैं जानता था, की उसको बहुत दर्द होने वाला था. क्यूंकी उसकी गांद वर्जिन थी, और मेरा लंड बहुत मोटा. इसलिए मैने कस्स के उसके छूतदों को पकड़ा, और एक ज़ोर का धक्का मारा.
मेरे लंड का प्रेशर बिल्कुल सही जगह पड़ा, और लंड का टोपा उसकी गांद फाड़ते हुए अंदर घुस गया. उसकी ज़ोर की चीख निकली, और वो बोली-
वो लड़की: हाए मॅर गयी! नही जाएगा ये अंदर. इसमे तो बहुत दर्द होता है. प्लीज़ बाहर निकालो.
मैं: जान अब तो ये पूरा अन्डाएर जाके ही रहेगा.
वो लड़की: नही प्लीज़, मत करो.
मैने उसकी बात नही सुनी, और अपने हाथ उसकी कमर पर रख कर लंड पर प्रेशर बढ़ाने लग गया. वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी. लेकिन मैं लंड अंदर घुसने पर फोकस करने लगा.
उसकी आवाज़ इतनी ऊँची थी, की बाहर कुछ लोग इकट्ठे हो गये. जब मैने देखा की दरवाज़े से कुछ लोग अंदर झाँक रहे थे, तब मैं उनको बोला-
मैं: क्या हुआ, कभी गांद चूड़ते नही देखी क्या. निकलो यहा से.
वो लोग चले गये, और मैने लंड तोड़ा बाहर खींच कर एक ज़ोरदार धक्का मारा. अब मेरा पूरा लंड उस लड़की की गांद के अंदर था. वो लड़की काँप गयी, और हाए-हाए करने लगी. उसकी गांद से खून भी निकला.
फिर मैं थोड़ी देर रुका, और जब उसकी गांद थोड़ी खुल गयी, तो मैने लंड बाहर निकाल लिया. वो बिस्तर पर ढेर हो गयी. फिर मैने लंड पर और थूक लगाई, और लंड दोबारा से गांद में घुसाया.
इस बार उसको पहले जितना दर्द नही हुआ. मैने हल्के से लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. 3-4 मिनिट में वो सिसकारियाँ लेने लगी. इसका मतलब ये था, की अब उसको मज़ा आना शुरू हो गया था.
फिर मैने अपनी स्पीड बधाई, और ज़ोर-ज़ोर से उसकी गांद मारने लगा. अब वो घूणटो के बाल होके घोड़ी बन गयी, और मैं उसकी गांद छोड़े जेया रहा था.
ठप-ठप की मधुर आवाज़े आ रही थी. मेरी जांघें उसके छूतदो से टकरा रही थी, और मेरे टटटे उसकी छूट से. बड़ा मज़ा आ रहा था. आज तो सुकून भारी चुदाई की थी मैने. 15 मिनिट ऐसे ही मैं उसको छोड़ता रहा, और फिर मैने अपना माल उसकी गांद में निकाल दिया.
अब हम दोनो पूरी तरह शांत हो गये थे. जैसे ही मैं उसको छोड़ कर फ्री हुआ, मुझे श्रुति की कॉल आई. मैने फोन पिक किया और बोला-
मैं: जी मेडम.
श्रुति: कहा हो?
मैं: जी मैं क्लब में ही हू.
श्रुति: जल्दी आ जाओ. हमे घर जाना है.
मैं: ओक मेडम.
फिर मैने जल्दी से अपने कपड़े पहने, और रूम से बाहर निकल गया. जाने से पहले मैने उस लड़की को अपना नंबर दिया, और वाहा से बाहर आ गया. श्रुति बाहर मेरी वेट कर रही थी. मैं गाड़ी लेके आया, और श्रुति उसमे बैठ गयी. फिर उसने मुझसे पूछा-
श्रुति: कहा थे तुम?
मैं: जी मैं वॉशरूम गया था.
श्रुति: ओक.
फिर 5 मिनिट चुप रहने के बाद उसने अचानक से बात शुरू कर दी.
श्रुति: अनुज, अनुज नाम है ना तुम्हारा?
मैं: जी मेडम.
श्रुति: ये ड्राइविंग कब से कर रहे हो अनुज?
मैं: जी पहले तो शौंक था. किसी फ्रेंड की गाड़ी चला कर ड्राइविंग सीखी थी. लेकिन अब वही चीज़ काम आ रही है. आज नौकरी कर रहा हू ड्राइवर की.
श्रुति: वैसे तुम ड्राइवर टाइप लगते नही हो.
मैं(मुस्कुराते हुए): जी मैने म्बा किया है. जॉब नही मिली, तो दोस्त बोला ड्राइविंग कर ले. वैसे कोई काम बड़ा-छ्होटा नही होता.
श्रुति: ओक. वैसे तुमने मुझसे झूठ क्यूँ बोला?
मैं: झूठ! कब बोला?
इसके आयेज क्या हुआ, और वो कों सा झूठ था जिसके बारे मैं श्रुति बात कर रही थी. वो सब आपको अगले पार्ट में पता चलेगा.
दोस्तों अगर कहानी पढ़ कर मज़ा आ रहा हो, तो लीके और कॉमेंट ज़रूर करे.
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