ही फ्रेंड्स, मेरा नाम गोपाल है. मैं एंपी के शिवपुरी से हू. मेरी उमर 26 साल है, और मैं अभी सिंगल हू. हाइट मेरी 5’9″ है, और लंड मेरा 7 इंच लंबा, और 3 इंच मोटा है. दोस्तों आप भी नों-वेग खाया कीजिए, इससे आपका लंड भी तगड़ा हो जाएगा. अब मैं अपनी कहानी पर आता हू.
मेरी फॅमिली में मेरे अलावा मेरे मम्मी-डॅडी है. एक बेहन भी है मेरी, लेकिन उसकी शादी हो चुकी है. तो अब हम 3 लोग ही फॅमिली में है. मेरे फादर की गवर्नमेंट जॉब है, तो थोड़े सालों बाद उनकी ट्रान्स्फर होती रहती है. इस बार उनकी ट्रान्स्फर शिवपुरी में हो गयी.
हम लोगों ने रेंट पर एक घर ले लिया, और सारा समान शिफ्ट करके वाहा सेट्ल हो गये. मेरा ऑनलाइन काम है, तो मुझे उनके साथ शिफ्ट होने में कोई दिक्कत नही होती. 2-4 दिन हो चुके थे, और सब आराम से चल रहा था. पापा रोज़ जॉब पर जाते थे, और मम्मी घर का काम करती थी. और मैं अपना काम करता था.
फिर एक दिन मैं सुबा उठा, और फ्रेश होके नहाने चला गया. मेरी आदत है, की मैं अपना कक्चा खुद धोता हू. मैने नहाने से पहले कक्चा धोया, और फिर उसको सूखने के लिए च्चत पर डालने चला गया.
सुबा का वक़्त था, और हवा बहुत अची चल रही थी. मैं हवा का आनंद लेने लगा, और इधर-उधर देखने लगा. जब मैने घर की बॅक साइड पर देखा, तो मुझे पीछे वाली गली के एक घर के बाहर एक आंटी झाड़ू मार्टी दिखी. वो अपने घर के बाहर झाड़ू मार रही थी.
मेरी नज़र जैसे ही उस पर पड़ी, मेरे रोम-रोम में करेंट सा दौड़ने लग गया. आंटी कुछ ज़्यादा ही सेक्सी लग रही थी. उन्होने पाजामा और ढीली त-शर्ट पहनी हुई थी. झुकने की वजह से उनके बड़े-बड़े रसीले बूब्स त-शर्ट में लटकते हुए दिखाई दे रहे थे.
उनकी त-शर्ट ग्रे कलर की थी, और रंग गोरा था. अब आप अंदाज़ा लगा लीजिए, की उनके बूब्स का नज़ारा कितना ज़बरदस्त रहा होगा. आंटी जैसे-जैसे झाड़ू मार रही थी, उनके बूब्स घड़ी के घंटे की तरह हिल रहे थे, और आपस में टकरा रहे थे. मेरे लंड ने तो पाजामे में तंबू ही बना लिया ये सीन देख कर.
फिर जब वो दूसरी तरफ घूमी, तो ऐसा लगा जैसे जान ही ले लेगी. आंटी की गांद, क्या कमाल की गांद थी. कम से कम 40″ की गांद थी आंटी की. फिर जब वो कूड़ा इकट्ठा करने ने लिए नीचे बैठी, तो उनकी गांद पूरी फैल गयी. ओह हो हो, सुबा-सुबा मूठ मारने के अलावा कोई रास्ता ही नही छ्चोढा आंटी ने मेरे लिए.
आंटी का पूरा फिगर तक्रेबान 38-34-40 होगा. उनकी उमर 35 से 40 के बीच होगी. अब जिन लोंडो को भरे बदन वाली औरतें पसंद है, वो समझ सकते है की मेरी हालत उस वक़्त कैसी होगी. तभी अचानक आंटी की नज़र मुझ पर पड़ी. मैं अपने आप को रोक ना सका, और आंटी को देखते हुए मैने स्माइल पास कर दी.
लेकिन आंटी ने मुझे कोई रेस्पॉन्स नही दिया. उन्होने मुझे अजीब तरीके से देखा, और घर के अंदर चली गयी. अजीब तक़रीके से तो देखना ही था. अब अंजान लड़का ऐसे स्माइल करते हुए देखेगा, तो हर आंटी अजीब ही शकल बनाएगी. मैने भी लोदउ वाली हरकत कर दी थी. फिर मैं नीचे गया, और दोबारा बातरूम में चला गया. तभी मेरी मम्मी बोली-
मम्मी: अर्रे गोपाल, अभी तो नहा कर आया था. अभी वापस अंदर चला गया?
मैं: वो मा, मुझे अचानक से प्रेशर आ गया है. इसलिए गया हू.
मम्मी: पेट तो ठीक है तेरा?
मैं: हा मा, बिल्कुल ठीक है.
फिर मैने अंदर जाके आंटी को इमॅजिन करके मूठ मारी. मैं सोच रहा था की अगर आंटी के साथ कुछ करने का मौका मिल जाए, तो आंटी के चूतड़ काट ख़ौँगा. लेकिन ये सब कैसे होता, इसके बारे में मुझे कोई आइडिया नही था.
वो कहते है ना की अगर आपकी किस्मत में छूट लिखी है, तो वो जैसे-तैसे आपके लंड को मिल ही जाएगी. मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. अगले 2 दिन बाद हमारे घर की बेल बाजी. मम्मी किचन में थी, तो उन्होने मुझे दरवाज़ा खोलने को कहा. मैने जाके दरवाज़ा खोला, तो सामने वही आंटी खड़ी थी.
उसको देख कर मैं हैरान भी हुआ, और तोड़ा दर्र भी गया. फिर मैने सोचा की मैने तो ऐसा कुछ नही किया था जो डरना पड़े. ये सोच कर मैने उनसे पूछा-
मैं: जी कहिए.
आंटी: बेटा आपके मम्मी है घर पर?
मैं: जी है, बूलौऊ उनको?
आंटी: हा बुलाओ.
मैं: मम्मी, आपसे कोई मिलने आया है.
तभी मम्मी किचन से बाहर आई और आंटी को देख कर बोली-
मम्मी: जी कहिए?
आंटी: नमस्ते दीदी, मैं राधिका हू. आपकी पिछली गली में रहती हू. मेरी बेटी 19 साल की हो रही है परसो, तो हमने सत्संग रखा है. हम सब को इन्वाइट कर रहे है, तो आप भी आईएगा ज़रूर.
जब आंटी मम्मी से बात कर रही थी, तो मेरी नज़र आंटी के भरे हुए जिस्म पर थी. आंटी ने नीले रंग की मिक्स्चर सारी पहनी हुई थी. उनका ब्लाउस काले रंग का था. उनके बूब्स ब्लाउस में काससे हुए ऐसे लग रहे थे, जैसे दोनो बूब्स में 2-2 किलो दूध भरा हो.
ब्लॅक ब्लाउस और ब्लू सारी में उनकी गोरी और चब्बी कमर ज़बरदस्त लग रही थी. आंटी की आवाज़ बड़ी सुंदर थी, और स्किन बड़ी स्मूद. उनके होंठ इतने रसीले थे की आदमी चूस-चूस कर खून निकाल दे. उनकी गर्दन किस करने को मजबूर कर रही थी, और नीचे उनकी क्लीवेज तो तबाही मचा रही थी. तभी मम्मी बोली-
मम्मी: राधिका हम ज़रूर आएँगे सत्संग पे.
और फिर आंटी नमस्ते करके चली गयी. जब वो जेया रही थी, तो मैं उनकी मटकती गांद देख कर पागल हो रहा था. फिर वही हुआ, जो इस सब के बाद हो सकता था. मैं बातरूम में गया, और मैने आंटी के नाम की मूठ मारी.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. अगर कहानी पढ़ कर आपका लंड खड़ा हो गया हो, या छूट गीली हो गयी हो गयी हो, तो इसको फ्रेंड्स के साथ शेर करना ना भूले. मज़ा लेने का अधिकार सब का है.