ही फ्रेंड्स, मेरा नाम वैशाली है. मैं 23 साल की हू, और पुणे में रहती हू. मेरी हाइट 5’6″ है, और मैं घरो में काम करती हू. फिगर मेरा 34-30-36 है, और रंग सावला है. लेकिन मैं बहुत सेक्सी दिखती हू.
ये बात पिछली दीवाली की है, जब मैं अपने मलिक से बोनस एक्सपेक्ट कर रही थी, और बोनस के नाम पर उन्होने मुझे छोड़ दिया. तो चलिए मैं आपको बताती हू की सब कैसे हुआ.
मैं जिन घरो में काम करती थी, उन घरो में से एक घर रमेश अंकल का था. रमेश अंकल 45 साल के थे, और उनकी गोवेर्न्टमेंट जॉब थी. वो अकेले रहते थे, और उनके बीवी बच्चे आक्सिडेंट में चल बसे थे.
अंकल की हाइट 5’10” थी, और तोंद थोड़ी निकली हुई थी. स्वाभाव के वो बहुत आचे थे. वो सुबा घर से काम पे जाते, शाम को वापस आते थे. उसके बाद डिन्नर करके सो जाते थे. ना कोई उनसे मिलने आता था, और ना ही वो किसी से मिलने जाते थे.
हा एक बुरी आदत थी, और वो थी दारू पीना. किसी-किसी दिन जब उनको अपनी फॅमिली की याद आती थी, उस दिन वो बहुत पी लेते थे. फिर उनको संभालना मुश्किल हो जाता था.
मैं शाम को उनका डिन्नर बनाने उनके घर जया करती थी. फिर आया दीवाली का दिन, जब उनकी शराब मुझ पर भारी पद गयी. अब मैं आपको बताती हू, की सब कैसे हुआ.
दीवाली का दिन था, और मैने नये कपड़े पहने थे. मैने ब्लॅक रंग का पाजामी-सूट पहना था. मुझे हर घर से कुछ ना कुछ बोनस के रूप में मिल रहा था. जब मैं उनके घर पहुँची, तो वो खाना खा कर शराब पी रहे थे. जब मैने उनसे पूछा तो उन्होने कहा की आज वो होटेल से खाना ले आए थे.
उन्होने मुझसे कहा की वो मेरे लिए भी खाना लेके आए थे, तो मैं भी खा कर जौ. मुझे कों सा रोज़-रोज़ बाहर का खाने का मौका मिलता है, तो मैं भी उनके साथ खाने बैठ गयी. वो दारू का ग्लास पे ग्लास चढ़ाए जेया रहे थे. साथ में वो लक्ष्मी-लक्ष्मी बोल रहे थे. लक्ष्मी उनकी बीवी का नाम था.
फिर हमारा खाना ख़तम हुआ, और मैं बर्तन उठा कर किचन में चली गयी. अभी मैं बर्तन धो ही रही थी, की रमेश जी अचानक से पीछे से आए, और मुझे सोने का हार पहनने लगे. मैं उनके ऐसा करने से हैरान हो गयी. हार पहनते हुए वो बोले-
रमेश: लक्ष्मी आज दीवाली है, तुम ये पहन लो.
हार देख कर मैं उन्हे माना नही कर पाई, और मैने उनको हार पहनने दिया. फिर हार पहना कर उन्होने मुझे अपनी तरफ घुमा लिया. जैसे ही मैं उनकी तरफ मूडी, उन्होने अपने होंठ मेरे होंठो के साथ लगा दिए. वो मेरे होंठ चूसने लगे, और मेरी गांद दबाने लगे.
मैं कुछ समझ नही पा रही थी, की क्या हो रहा था. फिर जब मुझे समझ आया, तो मैने उनको हटाने का सोचा. लेकिन तभी मेरे मॅन में ख़याल आया, की अगर मैने इनको हटता दिया, तो हार नही मिलेगा. और बुद्धा आदमी, वो भी शराब पिया हुआ, क्या ही कर लेगा.
ये सोच कर वो जो कर रहे थे, मैने उनको करने दिया. अब मैं भी उनका किस में साथ देने लगी. वो ज़ोर-ज़ोर से मेरी गांद दबा रहे थे, और मेरी पीठ पर हाथ फेर रहे थे. इस सब से मैं गरम हो रही थी. 5 मिनिट चूसने के बाद उन्होने मेरे होंठो को छ्चोढा, और मेरी गर्दन पर चूमने लगे.
साथ में उन्होने मेरे एक बूब को दबाना शुरू कर दिया. फिर उन्होने मेरा शर्ट उतार दिया, और अब मैं उनके सामने ब्रा और पाजामी में थी. उन्होने मुझे बाहों में उठा लिया, और अपने बेडरूम में ले गये. इस सब के दौरान वो अपनी बीवी का नाम ले रहे थे.
अंदर जाके उन्होने मुझे बेड पर पटक दिया, और मेरी पाजामी उतारने लगे. अब मैं उनके सामने ब्रा और पनटी में थी. उन्होने मेरी पनटी उतरी, और मेरी छूट चाटने लगे. इससे मैं पागल होने लगी. मेरा एक बाय्फ्रेंड भी था, जिसने मुझे 2-3 बार छोड़ा था, लेकिन आज तक उसने मेरी छूट नही छाती थी.
मुझे इतना मज़ा आ रहा था, की मैं गांद हिला-हिला कर अपनी चूत चटवा रही थी. कुछ देर छूट चाटने के बाद अंकल अपने कपड़े उतारने लगे. जैसे ही उन्होने अंडरवेर उतरा, तो जो मैने सोचा नही था वो दिखाई पड़ा.
अंकल का लंड 8 इंच का था. उनका लंड देख कर मैं दर्र गयी, और माना करने का सोचा. लेकिन सोने का हार मैं खोना नही चाहती थी. तो मैने सोचा जो होगा देखा जाएगा. फिर अंकल मेरे उपर आए, और अपना लंड मेरी छूट पर रगड़ने लगे. उनके ऐसा करने से मेरी सिसकियाँ निकल रही थी.
फिर उन्होने लंड छूट के मूह पर टीकाया, और ज़ोर का धक्का मार कर पूरा का पूरा लंड मेरी छूट में घुसा दिया. मैं ज़ोर-ज़ोर से चीखने लगी, लेकिन अंकल ने मेरा मूह अपने मूह से बंद कर दिया. जिसको मैं बुद्धा घोड़ा समझ रही थी, वो तो बब्बर शेर निकला.
अब अंकल मेरी छूट में लंड अंदर-बाहर करने लगे, और मेरे मूह से दर्द भारी एम्म एम्म की आवाज़ आ रही थी. धीरे-धीरे मेरी छूट अड्जस्ट हो गयी, और मुझे मज़ा आने लगा. मैं गांद उठा-उठा कर अंकल के धक्कों की स्पीड बढ़ने लगी.
अंकल ने मेरी ब्रा उतार दी, और मेरे बूब्स चूस्टे हुए मुझे छोड़ने लग गये. वो अपना पूरा ज़ोर लगा रहे थे, मेरी छूट को फाड़ रहे थे. उनके चूसने से मेरे गाल, होंठ, गर्दन, बूब्स सब लाल हो गये थे.
फिर अंकल ने मेरी टांगे पूरी मोड़ ली. अब वो अपना पूरा लंड बाहर निकालते, और फिर ज़ोर से मेरी छूट में डाल देते. उनके ऐसा करने से मेरी छूट में दर्द भरा करेंट सा निकलता. आधा घंटा अंकल मुझे अलग-अलग पोज़िशन में छोड़ते रहे. फिर एंड में उन्होने अपना माल मेरे अंदर ही गिरा दिया.
चुदाई ख़तम होने के बाद वो मेरी साइड में लेट गये, और तुरंत ही सो गये. मेरी भी हालत अब उठने वाली नही थी, तो मैने थोड़ी देर लेटने का सोचा. मेरी आँख कब लग गयी मुझे पता ही नही चला. फिर मेरी आँख सीधे अगले दिन खुली.
मैं नंगी ही बेड पर पड़ी थी, और अंकल साथ नही थे. फिर वो रूम में आए, और मुझे बोले-
अंकल: कैसी हो वैशाली? मुझे नही पता की रात को क्या हुआ था, लेकिन देख कर पता चल रहा है की हमने सेक्स किया था. ये कुछ पैसे है रख लो.
और ये बोल कर अंकल ने मुझे 500 रुपय दे दिए. जब वो रूम से बाहर गये तो मैने देखा मेरे गले में हार नही था. ये देख कर मुझे बहुत गुस्सा आया अपने आप पर. लेकिन अब मैं कुछ कर नही सकती थी. मेरी दीवाली नाइट भी निकल चुकी थी. फिर मैं उठी, और कपड़े पहन कर घर को चल दी.
तो दोस्तों इस तरह से मेरा चूतिया कट्ट गया. अगर आपको ये कहानी पसंद आई हो, तो इसको अपने फ्रेंड्स के साथ ज़रूर शेर करे. ताकि सब को पता चले की कैसे मेरी छूट फादी थी मेरे मलिक ने.