ही गाइस, मेरा नाम दानियाल है. आप सभी ने अगर मेरी लास्ट स्टोरी “एक हसीन सफ़र अब्बू के साथ” पढ़ी होगी, तो पता चला होगा की किस तरह मैने अपने अब्बा से ट्रेन में चुडवाया. उस सफ़र को आज भी सोच के मेरा रोम-रोम आज भी होश खो बैठता है. और आज भी मेरे खड्डे में खुजली होती है, जो उस रात मेरे अब्बा ने अपने लंड से मिताई थी.
अब स्टोरी को आयेज लेके चलते है. रात भर की चुदाई के बाद हम अजमेर पहुँच गये फाइनली. मेरे अब्बा ने पहले से ही होटेल बुक कर रखा था. एक रूम में मेरा बड़ा भाई, अब्बू और मैं रुक गये.
अब आप सोच ही सकते हो मैं और मेरे अब्बू एक ही बेड पे, तो क्या मंज़र होगा वो.
जिस दिन हम अजमेर पहुँचे, उसी दिन बिन मौसम बरसात हो गयी. हम तोड़ा भीग भी गये थे. जो दोपहर से बारिश हो रही थी, वो रात तक थी.
हम डिन्नर करके हमारे रूम में पहुँच गये, और सोने की तायारी करने लगे. और इसी बीच मेरे भाई की तबीयत खराब हो गयी. मेरा भाई मुझसे 3 साल बड़ा है. वो भी जिम जाता है, और थोड़ी बहुत बॉडी भी बन गयी है.
एक-दूं स्लिम-ट्रिम है वो. उसने डॉवा खाई, और बेड पे सो गया. अब बेड पे लेफ्ट साइड दाद, बीच में मैं, और रिघ्त साइड भाई सोए थे. आधी रात अब मेरे अब्बा जोश में आए. उन्होने ब्लंकेट के अंदर ही मेरी गर्दन को चाटना शुरू किया, और एक हाथ से मेरे निपल्स दबा रहे थे.
उनका लोहे जैसे लंड मेरी टाँगो के बीच में फंफना रहा था, जिससे मैं अपनी टाँगो के बीच में दबा रहा था. फिर अब्बा ने मेरा पिजामा नीचे किया, और अपने पैरों से निकाल दिया.
उन्होने मेरा एक पैर ऊँचा किया, और मेरे खड्डे पे थूक लगा के उंगली अंदर-बाहर करने लगे. वो साथ हे साथ मेरे निपल्स चूस रहे थे. सच बोलू तो मैं सातवे क्या आठवे आसमान पे था.
फिर वो रुक गये, और पोज़िशन चेंज की, और अपना लंड मेरे मूह के पास लाए. इससे मैं समझ गया की मुझे अब मेरे अब्बा के लंड को चूस के उसको खुश करना था. फिर मैं अपने काम पे लग गया, और वही दूसरी तरफ वो मेरे खड्डे को चाटने लगे.
सच बोलू मैं, अगर कोई आपका खड्डा चाट-ता है ना, तो गुदगुदी सी होती है एक अलग सी, और टांगे और फैलाने का मॅन करता है, ताकि चाटने वाला और अंदर तक घुस के उसको आचे तरीके से छाते. साथ हे साथ आवाज़े निकालने का मॅन करता है.
बुत बाजू में भाई भी सोया था. देख रहे हो आप सब मेरे अब्बा कितने चालाक है. उन्हे पता था की उनका छोड़ू बेटा आवाज़े निकालेगा, इसीलिए उन्होने अपना लंड मेरे मूह में तूस रखा था, ताकि मैं आवाज़ नही निकालु, चालाक ब्रो हा.
बुत मैं जो मदहोश हुआ जेया रहा था, उसकी कोई हड्द नही थी. मेरे अब्बा मुझे पागल बना रहे थे. मैं बड़े ही प्यार से उनके गोते भी चूस रहा था. अब्बा वापस अपनी पोज़िशन पे आके लेट गये.
अब मैं समझ गया था क्या होने वाला था. बाहर ठंड पद रही थी, वही अंदर के अंदर जो गर्माहट थी मैं क्या बतौ. पसीना निकल रहा था. काश भाई भी महसूस कर पता इस गर्माहट को, उसकी ठंडी निकल जाती एक-दूं.
यही सोच रहा था की अब्बू ने एक झटके में अपना लंड मेरी गांद में घुसा दिया पूरा झांतो की जाध तक. उफफफ्फ़ एक ही बार में लंड का अंदर घुसना मज़ा और खुशी देता है. साथ में एक ऐसा मीठा दर्द जो आप बार-बार महसूस करना चाहते हो वो भी देता है.
जब आपका खुद का बाप आपकी गांद मार रहा हो बिना कोई दर्रे हुए, जैसे इस गांद पे सिर्फ़ और सिर्फ़ उसी का हक़ हो. इसका एहसास ही कुछ और है. इस बार अब्बा बिना तेल लगाए छोड़ रहे थे. दर्द भी हो रहा था, और जलन ऐसी महसूस हो रही थी, मानो किसी ने गरम-गरम लोहा अंदर घुसा दिया हो.
दर्द के मारे मैं अपने हाथ और पैर यहा-वाहा मार रहा था की अचानक मेरा हाथ मेरे भाई के लंड के पास चला गया. जो की सोया हुआ था, बुत गरम था. पता नही मुझे क्या हुआ, बुत मुझे अछा लगने लगा.
एक चुड़क्कड़ को तो पता होगा की एक लंड गांद का भोंसड़ा बना रहा हो घिसाद मार मार के, और दूसरा लंड हाथ में आ जाए तो बस और क्या चाहिए. मैने पॉर्न काई बार देखा था, की दो लोग मिल कर एक बंदे को छोड़ रहे होते है.
बुत ऐसा एहसास पहली बार हो रहा था, और अछा लग रहा था मुझे. ना-जाने कैसे, बुत मेरा मॅन उसको पकड़ के उसे और दबाने और खेलने का कर रहा था. और मैने वही किया. मैने लंड पकड़ लिया, और उसको दबाने लगा.
अफ हाए क्या मज़ा आ रहा था मैईन क्या बतौ. गांद में अब्बा का लंड, और हाथ में भाई का लंड. भाई का लंड खड़ा हो गया था. हाई! क्या लंड था मस्त बड़ा और मोटा. अफ क्या मस्त टोपा महसूस हो रहा था.
मैने हिम्मत करके भाई के प्यज़ामे में हाथ घुसा दिया, और लंड को और आचे से महसूस करने लगा. मॅन तो कर रहा था की अभी लंड को मूह में लेलू, पर क्या करू मैं ऐसी हालत में नही था की कुछ कर पौ.
फिर मैं उसे और आचे से मसालने और दबाने और हिलने लगा. और ये सोचने लगा की मेरे अब्बा और भाई दोनो मिल के छोड़ रहे थे मुझे.
अब्बा को होश भी नही था की मैं कर क्या रहा था. वो गांद मारने में मगन थे, और मैं यहा भाई का लंड दबाए जेया रहा था. मस्त ककड़ी जैसा कड़क हो गया था लंड.
थोड़ी देर में भाई के लंड से पानी निकल गया. बुत मेरे अब्बा का है के लंड शांत होने का नाम ही नही ले रहा था. वो बस गांद पेले ही जेया रहे थे. मैने अपना हाथ बाहर निकाला, और हाथ में भाई का लगा हुआ पानी चाटने लगा.
फिर मैने अचानक से थोड़े से कंबल के बाहर डेका, तो मैने देखा की भाई शायद से जगह हुआ था. इतने में अब्बा का लंड शांत हुआ, और वो उठ के वॉशरूम चले गये.
उनके आने के बाद मैं भी वॉशरूम जाके क्लीन करके आ गया, और अब्बा के साथ गले लग के सो गया. अब सुबा जब हुई, तो पता चला की भाई की तबीयत बहुत खराब थी, और कल रात की हरकत के बाद मैं भाई को नज़र अंदाज़ ही कर रहा था.
नाश्ता कर हम गार्डेन की तरफ चले गये. रास्ते में सर्दी बहुत थी. मेरा भाई मेरे पीछे ही था, और एक-दूं चिपक के खड़ा था. उसका लंड मुझे महसूस हो रहा था, और शायद से हल्का-हल्का खड़ा भी था.
उसने मेरे कंधे पकड़े हुए थे, और सर्दी की वजह से उसका चेहरा मेरी गर्दन के पास था. उसकी गरम साँसे मेरी गर्दन पे आके मुझे दीवाना किए जेया रहा थी, और मुझे रात का बिताया हुआ मंज़र फिर से याद आ रहा था.
अब भाई ने मुझे कस्स के पकड़ लिया था, और भाई का लंड अब मुझे चुभ रहा था. इससे मुझे एहसास हुआ, की अब उनका लंड खड़ा हो गया था. मैं भी अपनी गांद भाई के लंड पे दबाने लगा था. कुछ मिंटो में हम बाहर निकल गये.
ये कुछ समय का मज़ा मैं और एंजाय करना चाह रहा था. बुत किस्मत है की क्या करे. भाई और मैं बस एक-दूसरे को देख रहे थे बिना कुछ बात किए. बीच-बीच में चलते-चलते भाई अपना हाथ मेरे कंधो पे रख देता, तो मेरे बदन में करेंट सा लग जाता.
हम गार्डेन से निकल ढाई दिन की झोपड़ी देखने निकल गये. वाहा पहुँच के हम अलग-अलग हो गये. कोई इश्स तरफ, तो कोई दूसरे तरफ, तो कोई सिर्फ़ बैठा था. मैं अंदर घूमने के लिए घुसा अपने कज़िन्स के साथ, और भाई भी साथ में था.
अंदर तोड़ा सा अंधेरा था, और भाई ने फिरसे मेरे कंधो पे हाथ रख दिया. मुझे समझ नही आ रहा था की हो क्या रहा था, और में क्या करू. फिर भाई ने मेरी कमर पे हाथ फेरा, और मुझे रोक दिया.
मैं एक-दूं उनसे चिपक के खड़ा था. उनका लंड अभी भी टाइट था. उन्होने मेरे गर्दन को छाता, और हाथ उपर करके मेरे निपल्स को मसला. मेरी तो फटी पड़ी थी, की क्या हो रहा थे, कोई आ ना जाए.
फिर उन्होने मेरे खड़े लंड पे हाथ डाल कर मेरी त-शर्ट में हाथ डाला, और चलने लगे. चलते-चलते वो मेरे निपल्स को दबा रहे थे, और कभी गरम साँसे मेरे कानो में फूँक रहे थे, तो कभी चाट रहे थे.
मुझे भी मज़ा आ रहा था, और दर्र भी लग रहा था की कोई देख ना ले. उन्होने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पे रखा, और मसालने लगे. मेरी साँसे थी की दर्र के मारे तेज़ हो गयी थी.
फिर उन्होने मेरा हाथ पकड़ा, और मुझे बाहर ले गये, और च्छुपते-च्छूपाते मुझे एक कोने में ले गये, और मुझे देखने लगे. वो फिर मेरे नज़दीक मेरा हाथ लेके अपने प्यज़ामे में डाला, और अपना एक हाथ मेरी त-शर्ट में निपल्स के पास और दूसरा मेरी गांद के खड्डे के पास ले गये.
फिर वो मुझे किस करने लगे, साथ ही मेरे खड्डे में उंगली करने लगे. बड़ी रफ फिंगर फक्किंग कर रहे थे वो, और ज़ोर-ज़ोर से निपल्स दबा रहे थे. स्मूच में भी अपनी ज़ुबान मेरे मूह में डाल के चला रहे थे. मुझे बड़ा हे ज़्यादा मज़ा आ रहा था. ऐसा तो अब्बा के साथ भी नही आया था.
फिर रुकने के बाद वो मुझे घूरते हुए देख रहे थे. उनका इस तरह से मुझे देखना मुझे उनकी तरफ और आकर्षित किए जेया रहा था. ऐसा लग रहा था, की वो मेरे बाय्फ्रेंड थे, और मैं उनकी गर्लफ्रेंड, जो एक मौके के तलाश में थे. और फिर जैसे ही कोई मौका मिले, वो बस मुझे पेल दे.
भाई: मुझे नही पता था की तू इन चीज़ों का शौकीन है. काश तू पहले मिलता मुझे, और मैं तेरी सील तोड़ पाता, मज़ा आ जाता. रात को तो मॅन कर रहा था की अब्बा के साथ हे मिल के छोड़ू तुझे, पर दर्र था की अब्बा क्या बोलेंगे. मज़ा तो बहुत आया होगा तुझे अब्बा से छुड़वा के. पर शरम नही आई तुझे ऐसा करते हुए?
मैं चुप-छाप खड़ा रहा शरम के मारे.
भाई: चल अब चलते है, वरना सब ढूँढने लग जाएँगे. ख़ास कर तेरा आदमी. वैसे तू चीज़ भी वैसी है जो हर कोई चखना चाहेगा. मस्त गर्म माल है भाई तू तो. मुझे बोल देता तुझे लंड चाहिए, मैं कब का दे देता. अब्बा को फसाने के बदले में ही दिन रात पेलता तुझे उठा-उठा के.
मे: सॉरी भाई, प्लीज़ अम्मी से मत कहना.
भाई: इसमे सॉरी बोलने की क्या बात? जो कुछ है, वो अपने में ही रहेगा. तू भी खुश, हम भी खुश. बस जब-जब बूलौँगा आ जाना. अब से में तेरा भाई नही तेरा बाय्फ्रेंड हू. बस अपने हज़्बेंड को मत बताना इस बारे में, वरना अम्मी को सब पता चल जाएँगा
मे: हज़्बेंड कों?
भाई: वही जिससे रात में गांद छुड़वा रहा था उठा-उठा के.
मैं चुप हो गया, और हम वाहा से चले गये. मुझे दर्र था, की भाई अम्मी को कही बता ना दे, और मैं अब्बा को ये बताना चाहता था.
हमने लंच किया, और एक पहाड़ पे जाने का प्रोग्राम हुआ. मेरे तो पिछली दो रातों की चुदाई से पैरों में दर्द था. मैने अम्मी और अब्बा को बोला-
मैं: मुझे नही जाना, मेरे पैरों में दर्द है.
उतने में भाई ने कहा: ऐसा क्या किया जो दर्द हो रहा है?
और मैं बस चुप खड़ा रहा.
भाई: मुझे भी नही जाना, तबीयत ठीक नही है. मैं रूम में जाके आराम करता हू.
अम्मी: ठीक है बेटा, साथ में दानी को भी लेजा. और सीधे होटेल जाओ, इधर-उधर मत घूमओ.
अब्बा: ठीक है, दोनो सो जाना, और आराम करना, हम आते है.
भाई: मुझे तो सोना है. आप बस दानी को बोलो, मेरी तो नही सुनेगा, आपकी ही सुन ले.
अब्बा: बेटा सो जाना जाके, भाई के साथ मोबाइल में उंगलियाँ मत चलना. पैरों में दर्द है ना. अगर नही सोए तो पता है ना मैं क्या करूँगा?
मैने सर हिलाया, और हम चल दिए. अब हम रूम पहुँच गये. भाई ने दरवाज़ा लॉक किया और मुझे आके पकड़ लिया. मैं मॅन ही मॅन खुश था, की आज भाई के साथ मज़ा आएगा पहली बार.
भाई: याद है ना अब्बा ने क्या बोला?
मे: हा.
और बस फिर क्या था. भाई ने मुझे गोदी में उठाया, और पलंग पे ले गये और कहा-
भाई: इसी बिस्तर को गरम किया था ना तूने रात में? चल अब फिर कर दे. अब तो बिना कंबल के छुड़वा खुल्लम-खुल्ला.
और वो मुझपे टूट पड़े. वो ऐसे छाते जेया रहे थे मुझे, जैसे सच में कोई लड़की हाथ आई हो उनके. फिर उन्होने खुद के और मेरे कपड़े निकाल दिए, और पागलों की तरह मेरे बदन को चूमे और छाते जेया रहे थे.
उसके बाद मूह दूसरी तरफ ले जाके मैने उनका लंड डेका. हाए! क्या बतौ, दिखने में तो उनका लंड अब्बा की तरह ही था. बस तोड़ा सा ज़्यादा मोटा था. उन्होने लंड मेरे मूह के सामने करके कहा-
भाई: चल बेटा, शुरू हो जेया. जैसे अपने बाप का चूस्टा है, वैसे ही चूस.
मैं भी मूह खोल कर उनका लंड चूसने लगा, और हाथो से उनके गोते सहलाने लगा. उन्होने मेरे बाल पकड़े, और मूह में अपना लॉडा पेलने लगे. मेरी आँखों से आँसू आने लगे थे. पर वो रुक नही रहे थे.
कुछ देर में उनका सारा माल मेरे मूह में निकल गया. फिर वो उठे, और मुझे अपनी गोदी में बिता दिया, और मेरे निपल्स को चूसने और काटने लगे. साथ हे साथ वो मेरी गांद में उंगलियाँ डालने लगे.
भाई: पानी मीठा था या खट्टा?
मे: मीठा था.
भाई: मेरा लंड अछा है या अब्बा का?
मे: दोनो का ही एक जैसा है.
भाई: सच-सच बोल कितने लंड खाए है अभी तक?
मे: अब्बा का और आपका बस.
भाई: तू अगर लड़की होता ना, तो तुझे अपने सारे दोस्तों से चुड़वता, और एरिया वालो से भी. तेरे तो मज़े ही मज़े होते. पर क्या करे, तू है तो मेरा भाई ही. वैसे गांद मस्त है यार तेरी. लड़की भी फैल है इसके सामने. काई बार देखा है मैने तेरी गांद को, और हर बार मेरा लॉडा फंफनाने लगता भी है. पर क्या कर सकता था. तू भी लड़का है. और लड़कों के साथ मैं करता नही.
भाई: पर कल रात तुझे चूड्ता देख मेरे तो होश उडद गये पहले. पर वैसे लंड खड़ा भी होने लगा मेरा जिस तरह से अब्बा गांद मार रहे थे तेरी. सही चीज़ पे हाथ मारा है अब्बा ने. मैं तो घर जाके तेरी लेने ही वाला था, पर रात में ही तू चालू हो गया.
अब भाई ने मुझे लिटा दिया, और मेरे बदन को चाटने और सहलाने लगे. फिर थोड़ी देर में उन्होने मेरे खड्डे को चाटना शुरू किया, और अपना लंड मेरी मूह में दे दिया. कल अब्बा ने छाता था, और आज भाई ने, मस्त मज़ा आ गया यार क्या बतौ.
अब भाई के लंड में जान भी आ गयी. वो फिरसे तैयार हो गया अपने मालिक का हुकुम मानने और मेरी गुफा में घुसने को. भाई ने अब मेरे पैर फैला दिए, और उपर उठा दिए. फिर अपना हाथ मेरे आयेज किया, और उसपे थूकने को कहा.
मैने उसपे थूका. फिर भाई ने उस हाथ को अपने लंड पर मसल कर उसको गीला किया. फिर मेरे खड्डे पे खुद ने थूका दो-टीन बार. उसके बाद भाई ने थंब से खड्डे को रगड़ा, और उंगली अंदर घुसा दी.
भाई: वैसे तो ज़रूरत नही है उंगली घुसने की, क्यूंकी अब्बा ने इसका भोंसड़ा पहले ही बना दिया है.
और हासणे लगे. फिर उन्होने टोपा मेरे खड्डे पे टच किया. उफ़फ्फ़ क्या बतौ यार, क्या मस्त फील हो रहा था, जब वो रग़ाद रहे थे लंड को.
मे: अब घुसा भी दो भाई, कितना तरसाओगे?
भाई: तुझे क्या तरसौ जान. तरसया तो तूने है इस लॉड को. जो तेरी इस गुफा में घुसने के लिए कब से बेताब है.
एक ज़ोर के धक्के के साथ भाई ने अपना लंड मेरी गांद में चीरते हुए घुसा दिया. मुझे दर्द बहुत हुआ, क्यूंकी भाई का लंड अब्बा के मुक़ाबले तोड़ा ज़्यादा मोटा था. मेरी चीख सुन भाई रुक गये, और बोले-
भाई: हा ऐसे ही चीख तू रॅंड. तेरी तो गांद आज मैं बाजौंगा. अपने बाप का लंड खाता है ना रंडी तू. अहाराम नही आती, तेरी मा को पता चला तो क्या सोचेगी बेचारी. तुझे आज मैं बताता हू छोड़ते कैसे है. वो तो तेरा बाप है, इसलिए प्यार से छोड़ता है तुझे.
भाई: मैं तुझे ऐसा छोड़ूँगा छीनाल, की तो हर जगह मूह नही मरेगी लंड के लिए. भोंसड़ी के तुझे लंड चाहिए हा.
भाई फटाफट लंड अंदर-बाहर किए जेया रहे थे. मेरी आँखों से दर्द के मारे आँसू भी आ रहे थे, और मूह से आवाज़े निकल रही थी.
मे: आहह भाई, प्लीज़ तोड़ा स्लो भाई, प्लीज़. अहह ह भाई रूको ना, बस एक मिनिट प्लीज़, बस एक मिनिट ह अहह अहह.
भाई: ये लंड अब तब रुकेगा जब मैं चाहूँगा छूतिए. तुझे तेरे बाप के सामने भी छोड़ू ना तो वो भी कुछ नही कहेगा हराम की नेज़ल के. रॅंड है तू रॅंड, तुझे बीच बेज़ार पेलुँगा एक दिन. देखता हू कों आके रोकेगा मुझे.
मे: ह आ भाई, स्लो तोड़ा प्लीज़, स्लो प्लीज़. भाई प्लीज़, बहुत दर्द हो रहा है. इतना फटाफट मत करो यार प्लीज़.
पुर रूम में पच पच की और हम दोनो की आवाज़े गूंजने लगी. ऐसा लग रहा था, मानो कोई नयी नवेली दुल्हन को छोड़ रहा हो.
भाई ने फिर पोज़िशन चेंज की, और लंड को गांद में ही रख कर मुझे घुमाया डॉगी स्टाइल में. वो एक हाथ मेरी कमर, और दूसरे हाथ से मेरे बालों को खींच के छोड़ रहे थे. अब दर्द इतना नही हो रहा था, और अछा लग रहा था. मैं भी अपनी गांद और फैला के लंड लेने लगा
भाई: मज़ा आ रहा है ना भोंसड़ी के?
मे: झानतु तोड़ा और फास्ट कर. इतना ही दूं है क्या तेरे लंड में? तुझसे अछा तो तेरा बाप छोड़ता है छूट मारी के. जेया उसको बुला के ला, अगर तुझसे छोड़ा नही जेया रहा तो.
भाई: आ गयी ना अपनी औकात पे. तुझ जैसी रॅंड को तो मैं ही काफ़ी हू. बस बात यही है की तूने मेरे बाप से भी चुडवाई है सस्ती रॅंड.
मे: पर गांद मारना तो तेरे बाप को ही बेहतर आता है. बाप बाप जो ठहरा.
भाई ने मेरी गांद पे ज़ोरदार दो-टीन छानते मारे, और मुझे गले से खींच कर अपने पास किया. फिर वो मेरे कानो को चाटने लगे, और मेरे निपल्स को नोचने लगे.
भाई: तुझे तो मैं नोच-नोच के पेलुँगा, ताकि तेरे बाप को भी पता चल जाए, की तुझे आज एक और नया लंड मिल गया है. और वो अकेला इस गुफा का मालिक नही है.
मे: हा तो छोड़ ना भोंसड़ी के, बोल बच्चन है तू. मैं कहा भागा जेया रहा हू. खोल के तो दे रहा हू तुझे अपनी गांद. फाड़ दे आज ताकि आज हमारे बाप को भी पता चल जाए की इस गांद की प्यास बुझाने एक और सख़्त लॉडा मिल गया है मुझे.
मैने फिर भाई को धक्का दिया, और वो बेड पे लेट गया. मैं फिर उनके लंड पे बैठ के छुड़वाने लगा. सच बोलू तो ये पोज़िशन अब मेरी फॅवुरेट बन गयी. क्या मज़ा आता है लंड पे चढ़ने का हाए. ऐसा मानो जैसे मैं कोई गाड़ी चला रहा हू, और गियर मेरी गांद में हो. मैं जब चाहु तब फास्ट, और जब चाहु तब स्लो.
भाई: क्या हुआ, तक गयी रंडी तेरी गांद?
मे: आह ह्म ह्म हा आह मस्त कर रहा है भाई. तू सही है आह, मस्त है यार ह्म.
भाई को भी मज़े आने लगे. छाप-छाप की आवाज़े आने लगी. जब भी मेरी गांद भाई के लंड की झांतो तक पहुँचती, हम दोनो को मज़ा आ रहा था. पूरा रूम हम दोनो की आवाज़ो से गूँज रहा था मेरे भाई के लंड और मेरे खड्डे के मिलन से.
भाई का लंड शांत होने का नाम ही नही ले रहा था. बस कभी गोदी में लेके, तो कभी ज़मीन पे, तो कभी खड़ा करके भाई बस छोड़े जेया रहे थे.
भाई: तुझे तो आज मैं अपने बच्चो की मा बना कर ही छ्चोधुंगा.
हम दोनो हासणे लगे. भाई मुझे मदहोश होके किस करने लगे, और मेरी गांद में अपने लंड के धक्के मारने लगे.
भाई: ई लोवे योउ जान. सॉरी गाली देने के लिए, पर उसी में तो असली मज़ा है. होप तुम नाराज़ नही हो.
मे: ई लोवे योउ टू भाई. आप जब दिल चाहे तब गांद मारो मेरी. कोई बात नही मैने भी तो गाली दी आपको. ई नो वाइल्ड सेक्स किसे कहते है. बुत हरामी हो आप एक नंबर के.
भाई हस्सा और फिरसे मुझे और छोड़ने लगे छापा-छाप छापा-छाप
होप्फुली आप लोगो को मेरी स्टोरी पसंद आई होगी.