हेलो दोस्तों मैं स्वर्ण. आप सब ने आज तक मेरी साडी सेक्स स्टोरीज को बहोत प्यार दिया है बहोत अप्प्रेसियते किया है.
मैं जानती हु यह स्टोरी ज्यादा लम्बी चल रही है लेकिन आप आगे पढ़ते रहिये की कितना उत्तेजित मज़ा आने वाला है.
इस स्टोरी का १६थ पार्ट तोह आप सभी ने पढ़ कर मज़े लिए ही होंगे और अगर नहीं लिए तोह प्लीज पढ़ लीजिये ताकि आप यह पार्ट का ज्यादा से ज्यादा मज़ा ले पाए. तोह अब ज्यादा यहाँ वह की बाते नहीं करते हुए डायरेक्टली स्टोरी पे एते है. अब आगे…
निप्पल लगातार चूसते रहने की वजह से दुखने लगे थे और चूचियों पर जगह जगह उनके दातो के काट ने से लाल लाल निशान उभरने लगे थे.
पर यह सब की वजह से मैं भी काफी उत्तेजित हो गयी थी क्युकी अज़हर कभी भी इतना ज्यादा फोरप्ले नहीं करते थे. उनको तोह बस टाँगे खोल के अपना लुंड अंदर दाल कर धक्के लगाने में ही मज़ा अत था.
मैं यह सब सोच में डूबी थी तभी फरदीन भाईजान ने मेरी टाँगे पकड़ कर निचे की तरफ खींचा तोह मैं बीएड पे लेट गयी. उन्होंने मेरी दोनों टाँगे उठा कर उनके निचे दू पिल्लोव्स लगा दिए जिससे मेरी छूट ऊपर को उठ गयी.
मैंने भी अपनी टांगो को चौड़ा करके छत की तरफ उठा दिया और जेठजी के सर को पकड़ कर अपनी छूट के ऊपर दबा दिया.
फरदीन भाईजान अपनी जीब निकल कर मेरी छूट के अंदर दाल कर घूमने लगे तोह मेरे पुरे जिस्म में करंट सी दौड़ गयी. मैंने अपनी कमर को और ऊपर उठाने लगी जिससे उनकी जीब और ज्यादा गहरी अंदर तक जा पाए.
मेरे हाथ बीएड को बहुत स्ट्रॉन्ग्ली पकडे हुए थे और मेरे आखो की बस ख़ुशी से बंद हो रही थी और मेरा पूरा मुँह खुल गया था. मैं बहुत जोर से चीख पड़ी
साहिबा:- आएएएए ाहः और अंदर ूहमममुह भाईजान आअहाहहा सशहषस इतने दिन ाहाहहा कहा थे आप ूऊमम्महम्म ाहः मैं पागल ाअहह हो जाउंगी ष्सषश्ष आएएए माआ ाहः क्या कर रहे हो अहःअहः ूउम्मम्मम मुझे सम्भालो उउउउउहुम्म श्श्श्श मेरा निकल ने आहहह वाला है अहहहहह हमेशा आपकी दूसरी बीवी अहहहह श्श्श्श बनकर छुडवाउंगी अहहहहह आपसे उम्मठ शश अहहहहह.
एकदम से ही मेरी छूट से रास की बड्ड निकल आयी और बहार की तरफ बह निकली. मेरा पूरा जिस्म किसी पत्ते की तरह काँप रहा था. काफी टाइम तक मेरा झड़ना चलता रहा.
जब सारा रास भाईजान के मुँह में उड़ेल दिया तोह मैंने उनके सर को पकड़ कर उठाया तोह देखा उनकी मुछ नाक होठ सब मेरे छूट रास से भीगे हुए थे. तब उन्होंने अपनी जीब निकली और अपने होठो पर फेरे तोह मैं बोली
साहिबा:- चीटी… गंदे.
फरदीन:- इसमें गन्दी वाली क्या बात हुई?? यह तोह टॉनिक है. तुम भी मेरा टॉनिक पी कर देखना अगर जिस्म में रंगत ना आ जाये तोह कहना…
मैंने उनको अपने ऊपर खींचते हुए कहा-
साहिबा:- जानू अब आ भी जाओ मेरा जिस्म बहुत ताप रहा है… नशे की खुमारी काम होने की जगह बढ़ती जा रही है और इस से पहले की मैं पागल हो जाऊ मेरे अंदर अपना बीज दाल दो जल्दी से.
तभी फरदीन भाईजान ने अपने लुंड को मेरे मुँह से लगाया और कहने लगे.
फरदीन:- एक बार इसको मुँह में तोह लो उसके बाद तुम्हारी छूट में डालूंगा. पहले एक बार प्यार तोह करो इससे.
मैंने भी उनके लुंड को अपनी मुठी में पकड़ा और अपनी जीब निकल कर उससे चूसना और चेतना शुरू कर दिया. मैं अपनी जीब से उनके लुंड को एकदम निचे से ऊपर तक चाट रही थी और अपनी जीब से उनके लुंड के निचे लटके हुए अंडो को भी चाट रही थी.
उनका लुंड मुझे बड़ा प्यारा लग रहा था. मैं उनके लुंड को छत्ते हुए उनके चेहरे को देख रही थी. उनका चेहरा तब बहुत उत्तेजित और प्यारा लग रहा था.
दिल को सुकून मिल रहा था की मैं उन्हें कुछ तोह आराम दे पाने में कामयाब हो रही थी. उन्होंने मुझे इतना प्यार दिया था की उसका एक टुकड़ा भी मैं वापस अगर उन्हें दे सकीय तोह मुझे अपने ऊपर फकर होगा.
लुंड को इतना चूसने की वजह से उस में से चिपचिपा बेरंग प्रेकम निकल रहा था जिससे मैं बड़ी बेकरारी से छत्त कर साफ़ कर देती थी. और काफी टाइम तक मैं उनको लुंड को ऐसे ही साफ़ करती रही और चट्टी रही.
उनका लुंड भी काफी मोटा था इसलिए मुँह के अंदर ज्यादा नहीं ले पा रही थी. और इसलिए अपनी जीब से चाट चाट कर ही उससे गीला कर दिया था.
कुछ देर ऐसे ही चलने के बाद उनका लुंड झटके खाने लगा था. तोह उन्होंने मेरे सर पर हाथ रख कर मुझे रुकने का इशारा किया और कहा-
फरदीन:- बस बस अब और नहीं….. नहीं तोह अंदर जाने से पहले ही निकल जायेगा.
इतना कहते हुए उन्होंने मेरे हाथो से अपने लुंड को छोरा लिया. और मेरी टांगो को फैला कर उनके बीच घुटने मोड़ कर झुक गए और अपने लुंड को मेरी छूट से चिपका दिया था.
मैंने गभराते हुए कहा-
साहिबा:- आपका बहुत मोटा है मेरी छूट को फाड़ कर रख देगा यह. भाईजान प्लीज धीरे धीरे करना नहीं तोह मैं दर्द से मार जाउंगी.
मेरी बाते सुन्न कर वह हसने लगे तोह मैं बोलने लगी-
साहिबा:- आप बहुत ख़राब हो इधर मेरी जान की पड़ी है और आप हस्स रहे हो.
अब मैंने भी अपने हाथो से अपनी गीली छूट को चौड़ा कर उनके लुंड के लिए रास्ता बनाया. तोह उन्होंने अपने लुंड को मेरी छूट के होठो पे टिका दिया.
मैंने उनके लुंड को पकड़ कर अपनी फैली हुई छूट के अंदर खींचा और बोली
साहिबा:- अब जल्दी से अंदर कर दो….!!
उन्होंने अपने जिस्म को मेरे जिस्म के ऊपर लेता दिया और लुंड मेरी छूट की देवरो को चौड़ा करते हुए अंदर घुसने लगा.
उस वक़्त मैं सब कुछ भूल कर अपने जेठजी के सीने से चिपक गयी बस सामने सिर्फ भाईजान थे और कुछ भी नहीं. वह ही उस वक़्त मेरे आशिक़ मेरे सेक्स के पार्टनर और जो कुछ भी मानो वह ही थे. मुझे तोह अब सिर्फ उनका लुंड ही दिख रहा था.
जैसे ही उनका लुंड मेरी छूट को चीरता हुआ आगे बढ़ा मेरे मुँह से जोर की सिसकारियां निकली-
साहिबा:- अहःअहः अहहहहह श्श्श्श अहहहहहहह…
और उनका लुंड पूरा का पूरा मेरी छूट में घुस गया. हम मिशनरी पोजीशन में थे और वैसे ही वह मेरे होठो को चूमने लगे.
फरदीन:- ाचा तोह अब पता चला की मुझसे मिलने के लिए तुम इतनी बेसबर थी. और मैं बेवक़ूफ़ सोच रहा था की मैं ही तुम्हारे पीछे पड़ा हु. अगर पता होता न की तुम भी मुझसे मिलने को इतनी बेताब हो तोह मैं……..
वह अपनी बात को आधी रख कर रुक गए.
साहिबा:- तोह…. तोह क्या???
फरदीन:- तोह तुम्हे किसीकी भी परवाह किये बिना कब का पटक कर पेल चूका होता.
साहिबा:- ढ़ाआत…. इस तरह कभी अपने छोटे भाई की बीवी से बात करते है??? शर्म नहीं अति क्या आपको????
मैंने उनकी कान पे काटे हुए कहा.
यह कहानी अभी यहाँ आधी रोक रही हु पर यह बहुत लम्बी कहानी है तोह आशा करती हु आप सब इस के सभी पार्ट्स पढ़ेंगे. आप सभी के फीडबैक आप मुझे मेरी मेल ईद पे लिख सकते हो.