antarvasna, kamukta मैं मुंबई की भागदौड़ भरी जिंदगी से परेशान हो चुका था इसलिए मुझे कुछ दिन का रेस्ट चाहिए था मैंने अपने दोस्त से कहा कि हम लोग कहीं घूमने के लिए चलते हैं, वह कहने लगा यार मेरे पास तो समय नहीं है तुम अकेले ही चले जाओ। मेरे ज्यादा दोस्त नहीं थे इसलिए मैंने सोचा कि चलो अकेले ही चल दिया जाए लेकिन अकेले जाना थोड़ा बोरिंग था परंतु मेरे पास उसके अलावा कोई और रास्ता नहीं था इसलिए मैं कुछ दिनों के लिए लोनावला चला गया, जब मैं लोनावला में गया तो वहां पर मैंने एक होटल में रूम ले लिया, मैं कुछ दिनों के लिए आराम से रेस्ट करना चाहता था इसलिए मैं अधिकतर होटल के रूम में ही समय बिताता था, मैं सिर्फ खाना खाने के लिए बाहर जाता था लेकिन उसी दौरान मेरी मुलाकात सुरभि से हुई सुरभि भी उसी होटल में रुकी हुई थी और वह भी मुंबई की ही रहने वाली है।
जब सुरभि से मेरी बात हुई तो उससे बात कर के मुझे बहुत अच्छा लगा, उससे बात करना मुझे ऐसा लगा जैसे कि मैं अपने पुराने जीवन को दोबारा से जी रहा हूं, मेरी शादी होने वाली थी और जिस लड़की से मेरी सगाई हुई थी उसे धीरे धीरे मैं प्यार भी करने लगा था और हम दोनों के बीच बातें भी होती थी लेकिन ऐन वक्त पर उसने मुझसे शादी करने से मना कर दिया मुझे इस बात से बहुत ठेस पहुंची थी और उसके बाद मैंने जैसे लड़कियों की तरफ देखना ही बंद कर दिया था मैं अपनी लाइफ में इतना ज्यादा बिजी था कि मुझे अपने काम के सिवा और किसी भी चीज में समय नहीं मिलता था यदि मुझे समय भी मिलता था तो मैं कभी भी उस बारे में नहीं सोचता लेकिन जब मैं सुरभि से मिला तो सुरभि ने जैसे मेरे जीवन में जान फूंक दी और उससे मेरी मुलाकात बहुत अच्छी रही, उससे मेरी दोस्ती भी हो चुकी थी उसके साथ कुछ और लोग भी आए हुए थे जो कि लोनावाला घूमने के लिए ही आए थे।
सुरभि ने मुझे अपना नंबर भी दे दिया था, जब मुझे उसका नंबर मिला दो मुझे लगा कि शायद उसने ऐसे ही मुझे अपना नंबर दिया होगा, मैं जब मुंबई लौट आया तो मैं अपने काम में लग गया मैंने सुरभि से भी बात नहीं की लेकिन एक दिन उसका फोन मुझे आया वह कहने लगी अमन मुझे तुमसे मिलना है, मैंने सुरभि से पूछा क्या तुम्हें मुझसे कोई काम है? वह कहने लगी नहीं बस ऐसे ही तुमसे मिलने की सोच रही थी। हम दोनों ने एक रेस्टोरेंट में मिलने का फैसला किया हम दोनों रेस्टोरेंट में मिले, सुरभि मुझे कहने लगी मुझे तो लगा था कि तुमने शायद मेरा नंबर सेव भी नहीं किया होगा, मैंने सुरभि से कहा नहीं ऐसा नहीं है लेकिन मुझे भी कोई उम्मीद नहीं थी कि तुम मुझे कभी फोन करोगी, सुरभि कहने लगी तुम मुझे अच्छे लगे इसलिए मैं तुमसे बात कर रही हूं क्योंकि तुम एक बहुत ही सच्चे और सीधे लड़के हो। उस दिन हम दोनो ने साथ में काफी अच्छा टाइम बिताया उसके बाद तो यह सिलसिला जैसे अक्सर चलने लगा हम लोग अपनी छुट्टी के दिन हमेशा एक दूसरे से मिलते हैं और जब कभी समय मिलता तो हम दोनों मूवी देखने भी चले जाते हैं, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि सुरभि और मेरे बीच में क्या रिलेशन है लेकिन हम दोनों एक दूसरे को अच्छे से समझते थे। ना तो मैंने सुरभि से अपनी दिल की बात कही थी और ना ही उसने मुझसे अपने दिल की बात कही थी परंतु हम दोनों के बीच अच्छी दोस्ती थी सुरभि को भी मेरे जीवन के बारे में सब कुछ पता चल चुका था मैंने सुरभि को अपने परिवार के सदस्यों से भी मिलवाया था वह लोग भी उसे बहुत अच्छा मानते थे, मुझे जब भी सुरभि की जरूरत होती तो वह हमेशा मेरे साथ खड़ी होती। एक दिन सुरभि मुझे कहने लगी मुझे अपने ऑफिस में एक लड़का पसंद आया है, जब उसने मुझसे यह बात कही तो मैं समझ नहीं पा रहा था कि मुझे उस बात का क्या जवाब देना चाहिए क्योंकि मुझे यह बात सुनकर थोड़ा बुरा भी लग रहा था।
मैंने उसे कहा यदि तुम्हें वह अच्छा लग रहा है तो तुम उससे अपने दिल की बात कह दो सुरभि कहने लगी लेकिन मेरी हिम्मत उससे बात करने की नहीं होती इसलिए मैंने अब तक उससे अपने दिल की बात नहीं कही, कुछ दिनों बाद सुरभि ने मुझे कहा कि मैंने उस लड़के से अपने दिल की बात कह दी है और उसने भी मुझे हां कह दिया है, उस दिन उसके चेहरे पर बहुत खुशी थी मैं समझ नहीं पा रहा था कि मुझे उस वक्त क्या करना चाहिए लेकिन मैंने उस समय चुप रहना ही मुनासिब समझा उसके बाद सुरभि मुझे कई दिनों तक नहीं मिली मुझे उससे नहीं मिलने का दुख सता रहा था मैं बहुत ज्यादा दुखी था मैंने सुरभि को फोन किया तो सुरभि ने फोन उठाते हुए कहा हां अमन कहो, मैंने उसे कहा मुझे तुमसे मिलना था, वह कहने लगी ठीक है मैं तुमसे अपने ऑफिस के बाद मिलती हूं। जब वह मुझे मिली तो उसके साथ एक लड़का भी था उस लड़के को देखकर मैं थोड़ा नर्वस सा हो गया सुरभि ने मुझे जब उससे मिलवाया तो वह कहने लगी यह सूरज है मैं सूरज की ही बात तुमसे कर रही थी, उसने मुझे सूरज से मिलवाया, मैं काफी दुखी हो गया था कुछ देर बाद वह दोनों मेरे चेहरे पर देख कर बड़ी जोर से हंसने लगे मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्यों हंस रही है, तब मुझे सुरभि ने सारी बात बताई और कहा कि मैं तो तुम्हें ऐसे ही आजमा रही थी कि तुम मेरे बारे में क्या सोचते हो, जब उसने यह बात कही तो मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आई और मुझे यह पता चल चुका था कि सुरभि ने मेरा बेवकूफ बनाया है। सूरज उसका कलीग है वह ऑफिस में उसके साथ काम करता है सुरभि मुझे सिर्फ यह दिखाना चाहती थी कि मै उससे कितना प्यार करती हू।
मैंने जब सुरभि को गले लगाया तो वह कहने लगी मैं तुमसे ही प्यार करती हूं और तुमने यह कैसे सोच लिया कि मैं किसी और से प्यार करूंगी मैंने तुम्हारे साथ इतना अच्छा समय बिताया है भला मैं तुम्हें धोखा कैसे दे सकती हूं। मैंने पहली बार उसे अपने गले लगाया था जब सूरज वहां से चला गया तो मै सुरभि के साथ उस दिन समय बिताना चाहता था। हम दोनों ने फैसला किया आज हम दोनों कहीं बाहर चलते हैं हम दोनों एक रिसॉर्ट में चले गए वहां पर हम दोनों ने काफी अच्छा समय बिताया। जब रात पूरे चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी तो हम दोनों साथ में ही लेट गए जब उसका बदन मुझसे टकरा रहा था तो मेरा लंड एकदम तन कर खड़ा होने लगा। जब मैंने उसकी टी-शर्ट को ऊपर उठाते हुए उसके स्तनों को दबाना शुरू किया तो उसके अंदर से गर्मी इतनी अधिक होने लगी कि मैं बिल्कुल भी सब्र नहीं कर पाया मैंने भी तुरंत उसके लोअर और पैंटी को उतारते हुए उसकी चूत के अंदर अपने लंड को डाल दिया। जब उसकी चूत के अंदर मेरा लंड गया तो उसकी चूत से खून निकल रहा था मैंने बिल्कुल उम्मीद नहीं की थी कि वह एक दम फ्रेश माल है लेकिन सुरभि एकदम फ्रेश माल थी। उसकी टाइट चूत में मुझे अपने लंड को अंदर बाहर करने में बहुत मजा आता जब मै उसे चोद रहा तो वह मुझे कहने लगी तुम मेरी चूत पीछे से मारो। उसने अपनी चूतड़ों को मेरी तरफ कर दिया जब मैंने उसकी चूत के अंदर अपने लंड को डाला तो उसकी चूत से खून निकल रहा था लेकिन उसकी चूत मारने में मुझे बड़ा आनंद आ रहा था। मैं उसकी चूतड़ों पर बड़ी तेज प्रहार करता जाता भला मैं भी कितनी देर तक उसकी चूत मार पाता है 10 मिनट बाद मेरा भी वीर्य पतन उसकी ही चूत के अंदर हो गया। हम दोनों ने एक दूसरे को कसकर पकड़ लिया सुरभि मुझसे कहने लगी अमन मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं और मैं तुम्हारे बिना बिल्कुल नहीं रह सकती। उसने मुझसे कहा आई लव यू मैंने भी उसे आई लव यू टू कहा हम दोनों उस रिजॉर्ट में 3 दिन तक रुके। उन तीन दिनों तक मैंने सुरभि की चूत के पूरे मजे लिए सुरभि जब से मेरे जीवन में आई है तब से मेरा जीवन पूरा बदल चुका है। उसके मेरे जीवन में आने से एक अलग ही प्रकार की खुशहाली मेरे जीवन में आ चुकी है मुझे उसके साथ समय बिताना भी अच्छा लगता है।